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रूद्रयामल - पूर्वतंत्र
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है, जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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उत्तर तंत्र - प्रथम पटल
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है, जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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प्रथम पटल - विविध साधनानि १
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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प्रथम पटल - विविध साधनानि २
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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प्रथम पटल - विविध साधनानि ३
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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प्रथम पटल - विविध साधनानि ४
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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प्रथम पटल - विविध साधनानि ५
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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प्रथम पटल - विविध साधनानि ६
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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प्रथम पटल - विविध साधनानि ७
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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प्रथम पटल - विविध साधनानि ८
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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प्रथम पटल - मनुष्यजन्म दुर्लभ
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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प्रथम पटल - गुरूमहिमा १
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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प्रथम पटल - गुरूमहिमा २
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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द्वितीय पटल - कुलाचारविधिः
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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द्वितीय पटल - गुरूस्तोत्र
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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द्वितीय पटल - गुरूलक्षण
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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द्वितीय पटल - शिष्यलक्षण
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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द्वितीय पटल - मन्त्रदीक्षा
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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द्वितीय पटल - दीक्षा विधि
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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तृतीय पटल - दीक्षा चक्रविचार
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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तृतीय पटल - अकडमचक्र
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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तृतीय पटल - पद्माकार अष्टदल महाचक्र
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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तृतीय पटल - कुलाकुलचक्र
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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तृतीय पटल - ताराचक्र
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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तृतीय पटल - देवत्वादेवत्वगणविचार
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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तृतीय पटल - राशिचक्र
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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तृतीय पटल - कूर्मचक्र
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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तृतीय पटल - शिवचक्र
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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तृतीय पटल - विष्णुचक्र
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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चतुर्थ पटल - ब्रह्मचक्र
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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चतुर्थ पटल - श्रीचक्र
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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चतुर्थ पटल - उल्काचक्र
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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चतुर्थ पटल - रामचक्र
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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चतुर्थ पटल - चतुष्चक्र
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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चतुर्थ पटल - सूक्ष्मचक्र
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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पञ्चम पटल - महा-अकथहचक्र
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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पञ्चम पटल - चक्रफलकथन
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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षष्ठ पटल - पशुभावविवेचन
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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षष्ठ पटल - सुषुम्नासाधन
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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षष्ठ पटल - कुण्डलिनी
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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षष्ठ पटल - पशुभावप्रशंसा
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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षष्ठ पटल - भावविद्याविधि
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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षष्ठ पटल - कुमारीलक्षण
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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सप्तम पटल - कुमारीस्तोत्र
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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अष्टम पटल - कुमारीजपहोम
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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सप्तम पटल - कुमारीस्तव
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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सप्तम पटल - कुमारीतर्पण
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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नवम पटल - त्रैलोक्यमङुलकुमारीकवच
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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दशम पटल - अष्टोत्तरसहस्त्रनामकवच १
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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दशम पटल - अष्टोत्तरसहस्त्रनामकवच २
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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दशम पटल - अष्टोत्तरसहस्त्रनामकवच ३
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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दशम पटल - अष्टोत्तरसहस्त्रनामकवच ४
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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दशम पटल - अष्टोत्तरसहस्त्रनामकवच ५
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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दशम पटल - अष्टोत्तरसहस्त्रनामकवच ६
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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दशम पटल - अष्टोत्तरसहस्त्रनामकवच ७
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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एकादश पटल - स्वरुपकीर्तन
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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एकादश पटल - दिव्यभाव वीरभाव
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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एकादश पटल - उत्तम साधकस्य लक्षण
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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द्वादश पटल - भावप्रश्नार्थबोधकथन
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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द्वादश पटल - महासूक्ष्मफल-ज्ञापकचक्र
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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द्वादश पटल - प्रश्नफलबोधक चक्र
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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द्वादश पटल - आज्ञाचक्रकथन
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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द्वादश पटल - वाग्देवताध्यान
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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त्रयोदश पटल - अकाराद्यक्षरक्रमेणप्रश्नफल
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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त्रयोदश पटल - कलिकालोद्भव
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चतुर्दश पटल - नक्षत्र फल
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चतुर्दश पटल - रविवार प्रश्नफलकथन
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चतुर्दश पटल - आश्लेषादिनक्षत्रफलकथन
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चतुर्दश पटल - नक्षत्राधिपतिफलविचार
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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चतुर्दश पटल - आत्रेयीशक्तिविवेचन
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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पञ्चदश पटल - ब्रह्मविवेचन
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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पञ्चदश पटल - कुण्डलिनीविवेचन
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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पञ्चदश पटल - वायवीशक्तिनिरूपण
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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पञ्चदश पटल - वैष्णवभक्त स्वरूपकथन
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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पञ्चदश पटल - याज्ञिकलक्षण
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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पञ्चदश पटल - ब्रह्मज्ञानीलक्षण
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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षोडश पटल - गुरूमीश्वरकीर्तन
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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षोडश पटल - हाकिनीदेवीध्यान
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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षोडश पटल - कुलमार्गकथन
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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सप्तदश पटल - अथर्ववेदचक्रस्थाकुण्डलिनीमहिमा
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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सप्तदश पटल - वायवीसिध्दीः
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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सप्तदश पटल - स्थिरचित्तसाधक लक्षण
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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सप्तदश पटल - बुद्धवसिष्ठवृत्तान्त
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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सप्तदश पटल - वसिष्ठ गमन
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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सप्तदश पटल - अमहाचीनाचार
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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अष्टादश पटल - कामचक्रफल
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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अष्टादश पटल - वर्णदेवता स्वरुपकथन
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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अष्टादश पटल - षोडशस्वरफलकथन
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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अष्टादश पटल - वर्गे वर्गे फलकथन
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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उन्नीसवाँ पटल - सिद्धिविधान
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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बीसवाँ पटल - सिद्धमंत्रस्वरूपकथन
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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इक्कीसवाँ पटल - वीरभाव माहात्म्य
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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इक्कीसवाँ पटल - भूमिचक्र
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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इक्कीसवाँ पटल - स्वर्गचक्र
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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इक्कीसवाँ पटल - तुलाचक्र
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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इक्कीसवाँ पटल - वारिचक्र
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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बाइसवाँ पटल - षट्चक्रसारसंकेत
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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बाइसवाँ पटल - विशुद्धचक्रमहापद्मविवेचन
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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तेइसवाँ पटल - योगिनीका भोजननियम
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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तेइसवाँ पटल - आसननियम
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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चौबीसवाँ पटल - योगसाधननिरुपण
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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चौबीसवाँ पटल - शवसाधनानिरुपण
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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चौबीसवाँ पटल - शवसाधनाफलश्रुतिकथन
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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चौबीसवाँ पटल - शवसाधक विधिनिषेध
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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चौबीसवाँ पटल - अष्टांगयोगनिरूपण
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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छब्बीसवाँ पटल - योगीनीका सूक्ष्मस्नान
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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छब्बीसवाँ पटल - कौल संध्या
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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छब्बीसवाँ पटल - कौलतर्पण
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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छब्बीसवाँ पटल - मानसपूजा
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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छब्बीसवाँ पटल - मानसहोम
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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छब्बीसवाँ पटल - पंञ्चमकार माहात्म्य
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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सत्ताइसवाँ पटल - प्राणायाम लक्षण
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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सत्ताइसवाँ पटल - प्रत्याहार
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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सप्तदश पटल - भावमाहात्म्य
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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सत्ताइसवाँ पटल - समाधि
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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सत्ताइसवाँ पटल - मंत्रयोगार्थनिर्णयकथन
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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सत्ताइसवाँ पटल - हृदयाब्जकथन
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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सत्ताइसवाँ पटल - दार्शनिकमतकथन
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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सत्ताइसवाँ पटल - ध्यानलक्ष्यनिरूपण
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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रूद्रयामल - उत्तरतंत्र
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है, जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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रूद्रयामल
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है, जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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रूद्रयामल
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
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रूद्रयामल - पूर्वतंत्रम्
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
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उत्तरतंत्रम् - प्रथमः पटलः
प्रथम पटलमध्ये श्रीयामल, विष्णु यामल, शक्तियामल आणि ब्रह्मयामल शास्त्राचे विस्तृत वर्णन आहे.
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प्रथमः पटलः - विविध साधनानि १
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
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प्रथमः पटलः - विविध साधनानि २
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
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प्रथमः पटलः - विविध साधनानि ३
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
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प्रथमः पटलः - विविध साधनानि ४
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
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प्रथमः पटलः - विविध साधनानि ५
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
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प्रथमः पटलः - विविध साधनानि ६
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
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प्रथमः पटलः - विविध साधनानि ७
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
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प्रथमः पटलः - विविध साधनानि ८
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
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प्रथमः पटलः - मनुष्यजन्मस्य दुर्लभत्वम्
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
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प्रथमः पटलः - गुरूमहिमा अवमहिमा च १
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
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प्रथमः पटलः - गुरूमहिमा अवमहिमा च २
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
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उत्तरतंत्रम् - द्वितीयः पटलः
कुलाचारविधिः
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द्वितीयः पटलः - कुलाचारविधिः
कुलाचारविधिः
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द्वितीयः पटलः - गुरूस्तोत्रम्
कुलाचारविधिः
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द्वितीयः पटलः - गुरूलक्षणम्
कुलाचारविधिः
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द्वितीयः पटलः - शिष्यलक्षणम्
कुलाचारविधिः
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द्वितीयः पटलः - मन्त्रदीक्षाविचारः
कुलाचारविधिः
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द्वितीयः पटलः - दीक्षाविधिः
कुलाचारविधिः
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उत्तरतंत्रम् - तृतीयः पटलः
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
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तृतीयः पटलः - दीक्षायां चक्रविचारः
दीक्षायां सर्वचक्रानुष्ठानम्
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तृतीयः पटलः - अकडमचक्रम्
दीक्षायां सर्वचक्रानुष्ठानम्
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तृतीयः पटलः - पद्माकार अष्टदल महाचक्रम्
दीक्षायां सर्वचक्रानुष्ठानम्
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तृतीयः पटलः - कुलाकुलचक्रम्
दीक्षायां सर्वचक्रानुष्ठानम्
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तृतीयः पटलः - ताराचक्रम्
दीक्षायां सर्वचक्रानुष्ठानम्
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तृतीयः पटलः - वर्णानां देवत्वादेवत्वगणविचारः
दीक्षायां सर्वचक्रानुष्ठानम्
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तृतीयः पटलः - राशिचक्रम्
दीक्षायां सर्वचक्रानुष्ठानम
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तृतीयः पटलः - कूर्मचक्रम्
दीक्षायां सर्वचक्रानुष्ठानम्
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तृतीयः पटलः - शिवचक्रम्
दीक्षायां सर्वचक्रानुष्ठानम्
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तृतीयः पटलः - विष्णुचक्रम्
दीक्षायां सर्वचक्रानुष्ठानम्
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उत्तरतंत्रम् - चतुर्थः पटलः
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
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चतुर्थः पटलः - ब्रह्मचक्रम्
दीक्षायां सर्वचक्रानुष्ठानम्
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चतुर्थः पटलः - श्रीचक्रम्
दीक्षायां सर्वचक्रानुष्ठानम्
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चतुर्थः पटलः - उल्काचक्रम्
मन्त्रदोषदिनिर्णयः
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चतुर्थः पटलः - रामचक्रम्
मन्त्रदोषादिनिर्णयः
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चतुर्थः पटलः - चतुष्चक्रम्
मन्त्रदोषादिनिर्णयः
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चतुर्थः पटलः - सूक्ष्मचक्रम्
मन्त्रदोषादिनिर्णयः
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उत्तरतंत्रम् - पञ्चमः पटलः
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
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पञ्चमः पटलः - मन्त्रसंस्कारार्थे महा-अकथहचक्रम्
मन्त्रादिदोषादिनिर्णयः
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पञ्चमः पटलः - चक्रफलकथनम्
मन्त्रादिदोषादिनिर्णयः
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उत्तरतंत्रम् - षष्ठः पटलः
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
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षष्ठः पटलः - पशुभावविवेचनम्
कुमार्युपचर्याविन्यासः
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षष्ठः पटलः - सुषुम्नासाधनम्
कुमार्युपचर्याविन्यासः
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षष्ठः पटलः - कुण्डलिनीस्तवः
कुमार्युपचर्याविन्यासः
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षष्ठः पटलः - पशुभावप्रशंसा
कुमार्युपचर्याविन्यासः
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षष्ठः पटलः - भावविद्याविधिः
कुमार्युपचर्याविन्यासः
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षष्ठः पटलः - कुमारीलक्षणम्
कुमार्युपचर्याविन्यासः
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उत्तरतंत्रम् - सप्तमः पटलः
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
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सप्तमः पटलः - कुमारीस्तोत्रम्
कुमारिपूजाविधानम्
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उत्तरतंत्रम् - अष्टमः पटलः
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
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अष्टमः पटलः - कुमारीजपहोमौ
कुमारीपूजाविधानम्
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अष्टमः पटलः - कुमारीस्तवः
कुमारीपूजाविधानम्
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अष्टमः पटलः - कुमारीतर्पणम्
कुमारीपूजाविधानम्
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उत्तरतंत्रम् - नवमः पटलः
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
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नवमः पटलः - त्रैलोक्यमङुलकुमारीकवचम्
कुमारीकवचोल्लासः
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उत्तरतंत्रम् - दशमः पटलः
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
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दशमः पटलः - अष्टोत्तरसहस्त्रनामकवचम् २
कुमार्या सहस्त्रनामानि
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दशमः पटलः - अष्टोत्तरसहस्त्रनामकवचम् ३
कुमार्या सहस्त्रनामानि
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दशमः पटलः - अष्टोत्तरसहस्त्रनामकवचम् ४
कुमार्या सहस्त्रनामानि
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दशमः पटलः - अष्टोत्तरसहस्त्रनामकवचम् ५
कुमार्या सहस्त्रनामानि
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दशमः पटलः - अष्टोत्तरसहस्त्रनामकवचम् ६
कुमार्या सहस्त्रनामानि
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दशमः पटलः - अष्टोत्तरसहस्त्रनामकवचम् ७
कुमार्या सहस्त्रनामानि
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उत्तरतंत्रम् - एकादशः पटलः
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
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एकादशः पटलः - स्वरुपकीर्तनम्
भावप्रश्नार्थबोधनिर्णयः
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एकादशः पटलः - दिव्यभावे वीरभावः
भावप्रश्नार्थबोधनिर्णयः
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एकादशः पटलः - उत्तम साधकस्य लक्षणम्
भावप्रश्नार्थबोधनिर्णयः
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उत्तरतंत्रम् - द्वादशः पटलः
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
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द्वादशः पटलः - भावप्रश्नार्थबोधकथनम्
पञ्चस्वरविधानम्
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द्वादशः पटलः - महासूक्ष्मफल-ज्ञापकचक्र
पञ्चस्वरविधानम्
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द्वादशः पटलः - प्रश्नफलबोधक चक्र
पञ्चस्वरविधानम्
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द्वादशः पटलः - आज्ञाचक्रकथनम्
पञ्चस्वरविधानम्
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द्वादशः पटलः - वाग्देवताध्यानम्
पञ्चस्वरविधानम्
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त्रयोदशः पटलः - अकाराद्यक्षरक्रमेणप्रश्नफलम्
वर्णविन्यासनिर्णयकथनम्
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त्रयोदशः पटलः - कलिकालोद्भवः
वर्णविन्यासनिर्णयकथनम्
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उत्तरतंत्रम् - चतुर्दशः पटलः
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
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चतुर्दशः पटलः - राश्याधिपानां च फलानि
नाक्षत्रिकचक्रफलम्
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चतुर्दशः पटलः - रव्यादि वार प्रश्नफलकथनम्
नाक्षत्रिकचक्रफलम्
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चतुर्दशः पटलः - आश्लेषादिनक्षत्रफलकथनम्
नाक्षत्रिकचक्रफलम्
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चतुर्दशः पटलः - नक्षत्राधिपतिफलविचारः
नाक्षत्रिकचक्रफलम्
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चतुर्दशः पटलः - आत्रेयीशक्तिविवेचनम्
नाक्षत्रिकचक्रफलम्
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उत्तरतंत्रम् - पञ्चदशः पटलः
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
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पञ्चदशः पटलः - ब्रह्मविवेचनम्
वेदप्रकरणम्
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पञ्चदशः पटलः - कुण्डलिनीविवेचनम्
वेदप्रकरणम्
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पञ्चदशः पटलः - वायवीशक्तिनिरूपणम्
वेदप्रकरणम्
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पञ्चदशः पटलः - वैष्णवभक्तस्य स्वरूपकथनम्
वेदप्रकरणम्
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पञ्चदशः पटलः - याज्ञिकलक्षणम्
वेदप्रकरणम्
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पञ्चदशः पटलः - ब्रह्मज्ञानीलक्षणम्
वेदप्रकरणम्
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उत्तरतंत्रम् - षोडशः पटलः
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
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षोडशः पटलः - गुरूमीश्वरकीर्तनम्
सामवेदमधश्चक्रस्वरूपकथनम्
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षोडशः पटलः - हाकिनीदेवीध्यानम्
सामवेदमधश्चक्रस्वरूपकथनम्
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षोडशः पटलः - कुलमार्गकथनम्
सामवेदमधश्चक्रस्वरूपकथनम्
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उत्तरतंत्रम् - सप्तदशः पटलः
शक्त्याचारस्मन्वितम् अथर्ववेदलक्षणम्
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सप्तदशः पटलः - अथर्ववेदचक्रस्थाकुण्डलिनीमहिमा
शक्त्याचारस्मन्वितम् अथर्ववेदलक्षणम्
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सप्तदशः पटलः - वायवीसिध्दीः
शक्त्याचारस्मन्वितम् अथर्ववेदलक्षणम्
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सप्तदशः पटलः - स्थिरचित्तसाधकस्य लक्षणम्
शक्त्याचारस्मन्वितम् अथर्ववेदलक्षणम्
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सप्तदशः पटलः - बुद्धवसिष्ठवृत्तान्तः
शक्त्याचारस्मन्वितम् अथर्ववेदलक्षणम्
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सप्तदशः पटलः - वसिष्ठस्य महाचीने गमनम्
शक्त्याचारस्मन्वितम् अथर्ववेदलक्षणम्
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सप्तदशः पटलः - अमहाचीनाचारः
शक्त्याचारस्मन्वितम् अथर्ववेदलक्षणम्
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उत्तरतंत्रम् - अष्टादशः पटलः
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
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अष्टादशः पटलः - कामचक्रफलोद्भवम्
कामचक्रसारसंकेते चतुर्वेदोल्लासः
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अष्टादशः पटलः - वर्णदेवता तस्य स्वरुपकथनम्
कामचक्रसारसंकेते चतुर्वेदोल्लासः
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अष्टादशः पटलः - षोडशस्वरफलकथनम्
कामचक्रसारसंकेते चतुर्वेदोल्लासः
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अष्टादशः पटलः - वर्गे वर्गे फलकथनम्
कामचक्रसारसंकेते चतुर्वेदोल्लासः
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उत्तरतंत्रम् - ऊनविंशः पटलः
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
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ऊनविंशः पटलः - प्रश्नादिकथने सिद्धिविधानम्
प्रश्नचक्रस्वरूपकथनम्
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उत्तरतंत्रम् - विंशः पटलः
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
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विंशः पटलः - सिद्धमंत्रस्वरूपकथनम्
सिद्धमंत्रस्वरूपकथनम्
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उत्तरतंत्रम् - एकविंशः पटलः
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
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एकविंशः पटलः - वीरभावस्य माहात्म्यम्
सिद्धमंत्रस्वरूपकथनम्
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एकविंशः पटलः - भूमिचक्रम्
सिद्धमंत्रस्वरूपकथनम्
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एकविंशः पटलः - स्वर्गचक्रम्
सिद्धमंत्रस्वरूपकथनम्
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एकविंशः पटलः - तुलाचक्रम्
सिद्धमंत्रस्वरूपकथनम्
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एकविंशः पटलः - वारिचक्रम्
सिद्धमंत्रस्वरूपकथनम्
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उत्तरतंत्रम् - द्वाविंशः पटलः
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
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द्वाविंशः पटलः - षट्चक्रसारसंकेते
षट्चक्रसारसंकेते योगशिक्षाविधिनिर्णयः
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द्वाविंशः पटलः - विशुद्धचक्रमहापद्मविवेचनम्
षट्चक्रसारसंकेते योगशिक्षाविधिनिर्णयः
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उत्तरतंत्रम् - त्रयोविंशः पटलः
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
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त्रयोविंशः पटलः - योगिनां भोजननियमः
आसननिरूपणम्
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त्रयोविंशः पटलः - आसननियमस्तद्भेदांश्च
आसननिरूपणम्
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उत्तरतंत्रम् - चतुर्विंशः पटलः
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
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चतुर्विंशः पटलः - योगसाधननिरुपणम्
योगविद्यासाधनम्
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चतुर्विंशः पटलः - शवसाधनानिरुपणम्
योगविद्यासाधनम्
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चतुर्विंशः पटलः - शवसाधनाफलश्रुतिकथनम्
योगविद्यासाधनम्
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चतुर्विंशः पटलः - शवसाधकस्य विधिनिषेध-कथनम्
योगविद्यासाधनम्
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चतुर्विंशः पटलः - अष्टांगयोगनिरूपणम्
योगविद्यासाधनम्
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उत्तरतंत्रम् - पञ्चविशं पटलः
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
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पञ्चविशं पटलः - सूक्ष्मसृष्टिस्थितिसंहारकथनम्
षट्चक्रसारसंकेते योगशिक्षाविधिनिर्णयः
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पञ्चविशं पटलः - योगिनां सूक्ष्मतीर्थानि
षट्चक्रसारसंकेते योगशिक्षाविधिनिर्णयः
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पञ्चविशं पटलः - योगिनां जपनियमः
षट्चक्रसारसंकेते योगशिक्षाविधिनिर्णयः
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पञ्चविशं पटलः - शाङ्करी-विद्यानिरुपणम्
षट्चक्रसारसंकेते योगशिक्षाविधिनिर्णयः
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उत्तरतंत्रम् - षड्विंशः पटलः
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
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षड्विंशः पटलः - देव्या वीरध्येयरूपम्
षट्चक्रभेदः
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षड्विंशः पटलः - योगीनां सूक्ष्मस्नानम्
षट्चक्रभेदः
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षड्विंशः पटलः - कौलानां संध्या
षट्चक्रभेदः
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षड्विंशः पटलः - कौलतर्पणम्
षट्चक्रभेदः
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षड्विंशः पटलः - मानसपूजा
षट्चक्रभेदः
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षड्विंशः पटलः - मानसहोमः
षट्चक्रभेदः
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षड्विंशः पटलः - पंञ्चमकार माहात्म्यम्
षट्चक्रभेदः
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उत्तरतंत्रम् - सप्तविंशः पटलः
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
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सप्तविंशः पटलः - प्राणायाम लक्षणम्
षट्चक्रसारसंकेते अष्टाङ्गयोगनिरूपणम्
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सप्तविंशः पटलः - प्रत्याहारः
षट्चक्रसारसंकेते अष्टाङ्गयोगनिरूपणम्
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सप्तविंशः पटलः - भावमाहात्म्यम्
षट्चक्रसारसंकेते अष्टाङ्गयोगनिरूपणम्
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सप्तविंशः पटलः - समाधिः
षट्चक्रसारसंकेते अष्टाङ्गयोगनिरूपणम्
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सप्तविंशः पटलः - मंत्रयोगार्थनिर्णयकथनम्
षट्चक्रसारसंकेते अष्टाङ्गयोगनिरूपणम्
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सप्तविंशः पटलः - हृदयाब्जकथनम्
षट्चक्रसारसंकेते अष्टाङ्गयोगनिरूपणम्
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सप्तविंशः पटलः - दार्शनिकमतकथनम्
षट्चक्रसारसंकेते अष्टाङ्गयोगनिरूपणम्
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सप्तविंशः पटलः - ध्यानलक्ष्यनिरूपणम्
षट्चक्रसारसंकेते अष्टाङ्गयोगनिरूपणम्
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उत्तरतंत्रम् - अष्टविंशः पटलः
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
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अष्टविंशः पटलः - मंत्रसिद्धीलक्षणम्
कन्दवासिनीस्त्रोत्रम्
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अष्टविंशः पटलः - भैरवीलक्षणम्
कन्दवासिनीस्त्रोत्रम्
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अष्टविंशः पटलः - भैरवीचक्रम्
कन्दवासिनीस्त्रोत्रम्
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अष्टविंशः पटलः - भैरवीपूजा
कन्दवासिनीस्त्रोत्रम्
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अष्टविंशः पटलः - कुण्डलिनीस्तवः
कन्दवासिनीस्त्रोत्रम्
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उत्तरतंत्रम् - अथैकोनत्रिंशः पटलः
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
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अथैकोनत्रिंशः पटलः - षट्चक्रयोगः
षट्चक्रयोगकथनम्
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अथैकोनत्रिंशः पटलः - मनोमहाप्रलयः
षट्चक्रयोगकथनम्
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उत्तरतंत्रम् - त्रिंशः पटलः
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
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त्रिंशः पटलः - भेदिनीमन्त्रकथनम
मूलपद्यविवेचनम
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त्रिंशः पटलः - कालिपावन स्तोत्रम्
मूलपद्यविवेचनम्
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उत्तरतंत्रम् - अथैकत्रिंशः पटलः
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
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अथैकत्रिंशः पटलः - डाकिणीस्वरूपकथनम्
भेदिन्यादिस्तोत्रकथनम्
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अथैकत्रिंशः पटलः - छेदिनीस्तवः
भेदिन्यादिस्तोत्रकथनम्
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अथैकत्रिंशः पटलः - योगिनीस्तोत्रसार
भेदिन्यादिस्तोत्रकथनम्
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उत्तरतंत्रम् - द्वात्रिंशः पटलः
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
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द्वात्रिंशः पटलः - कुण्डलिनी-ध्यानम्
कन्दवासिनीस्त्रोत्रम्
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द्वाविंशः पटलः - कुण्डलिनीस्तोत्रम्
कन्दवासिनीस्त्रोत्रम्
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उत्तरतंत्रम् - त्रयस्त्रिंशः पटलः
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
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त्रयस्त्रिंशः पटलः - कुलकुण्डलीकवचम्
कन्दवासिनीकवचम्
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उत्तरतंत्रम् - चतुस्त्रिंशः पटलः
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
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चतुस्त्रिंशः पटलः - पञ्चामराविधानम्
पञ्चामरासाधनम्
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उत्तरतंत्रम् - पञ्चत्रिंशः पटलः
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
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पञ्चत्रिंशः पटलः - पञ्चकर्मनिरूपनम
पञ्चस्वरयोगसाधनम्
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उत्तरतंत्रम् - सप्तत्रिंशः पटलः
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
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सप्तत्रिंशः पटलः - स्वाधिष्टानश्रीकृष्णराकिणीसाधनम्
स्वाधिष्टानप्रकाशनकथनम्
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उत्तरतंत्रम् - षट्त्रिंशः पटलः
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
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षट्त्रिंशः पटलः - कुण्डलिनीसहस्त्रनामानि १
कुण्डलिनीसहस्त्रनामस्तोत्रम्
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षट्त्रिंशः पटलः - कुण्डलिनीसहस्त्रनामानि २
कुण्डलिनीसहस्त्रनामस्तोत्रम्
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षट्त्रिंशः पटलः - कुण्डलिनीसहस्त्रनामानि ३
कुण्डलिनीसहस्त्रनामस्तोत्रम्
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षट्त्रिंशः पटलः - कुण्डलिनीसहस्त्रनामानि ४
कुण्डलिनीसहस्त्रनामस्तोत्रम्
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उत्तरतंत्रम् - अथाष्टत्रिंशः पटलः
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
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अथाष्टत्रिंशः पटलः - नृसिंहमन्त्रसाधनम्
श्रीकृष्णसाधनम्
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उत्तरतंत्रम् - अथैकोनचत्वारिंशः पटलः
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
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अथैकोनचत्वारिंशः पटलः - श्रीकृष्णस्त्रोत्रम्
श्रीकृष्णस्तवनकथनम्
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उत्तरतंत्रम् - चत्वरिंशः पटलः
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
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चत्वरिंशः पटलः - षड्दलवर्णप्रकाशनम्
षड्दलवर्णप्रकाशनम
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उत्तरतंत्रम् - अथैकचत्वारिंशः पटलः
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
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अथैकचत्वारिंशः पटलः - पञ्चाचारमहिमा
स्वाधिष्टानराकिणीस्तोत्रम्
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उत्तरतंत्रम् - द्विचत्वारिंशः पटलः
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
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द्विचत्वारिंशः पटलः - राकिणीमन्त्रः
राकिणीसाधनम्
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द्विचत्वारिंशः पटलः - अष्टोत्तरसहस्त्रनामारम्भः
राकिणीसाधनम्
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द्विचत्वारिंशः पटलः - षड्चक्रभेदाः
राकिणीसाधनम्
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उत्तरतंत्रम् - त्रिचत्वारिंशः पटलः
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
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त्रिचत्वारिंशः पटलः - कामिनीवशीकरणम्
मणिपूरचक्रभेदप्रकारकथनम्
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त्रिचत्वारिंशः पटलः - जीवस्वरुप कथनम्
मणिपूरचक्रभेदप्रकारकथनम्
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त्रिचत्वारिंशः पटलः - भावमहिमानिरुपणम्
मणिपूरचक्रभेदप्रकारकथनम्
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उत्तरतंत्रम् - चतुश्चत्वारिंशः पटलः
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
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चतुश्चत्वारिंशः पटलः - मणिपूरचक्रभेदनम्
त्रितत्त्वलाकिणीशक्तिस्तवनम्
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चतुश्चत्वारिंशः पटलः - त्रितत्त्वलाकिनीस्तवनम्
त्रितत्त्वलाकिणीशक्तिस्तवनम्
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उत्तरतंत्रम् - पञ्चचत्वारिंशः पटलः
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
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पञ्चचत्वारिंशः पटलः - कालक्रमकथनम्
वर्णध्यानम्
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उत्तरतंत्रम् - षट्चत्वारिंशः पटलः
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
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षट्चत्वारिंशः पटलः - रुद्राणीस्तोत्रम्
रूद्राणीस्तोत्रम्
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उत्तरतंत्रम् - सप्तचत्वारिंशः पटलः
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
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सप्तचत्वारिंशः पटलः - रूद्राण्या रूद्रस्य व मन्त्रोद्धारः
रूद्राणीरूद्रयो पूजाप्रकरणम्
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सप्तचत्वारिंशः पटलः - रूद्रस्य एकपञ्चाशनामानि
रूद्राणीरूद्रयो पूजाप्रकरणम्
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सप्तचत्वारिंशः पटलः - रुद्राणीनामानि
रूद्राणीरूद्रयो पूजाप्रकरणम्
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सप्तचत्वारिंशः पटलः - रूद्र ध्यानम्
रूद्राणीरूद्रयो पूजाप्रकरणम्
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सप्तचत्वारिंशः पटलः - रूद्रस्य पीठशक्तयः
रूद्राणीरूद्रयो पूजाप्रकरणम्
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सप्तचत्वारिंशः पटलः - शक्त्यर्चनविधानम्
रूद्राणीरूद्रयो पूजाप्रकरणम्
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सप्तचत्वारिंशः पटलः - रूद्राणीध्यानम्
रूद्राणीरूद्रयो पूजाप्रकरणम्
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सप्तचत्वारिंशः पटलः - श्रीकण्ठन्यासः
रूद्राणीरूद्रयो पूजाप्रकरणम्
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सप्तचत्वारिंशः पटलः - पञ्चमूर्तिन्यासः
रूद्राणीरूद्रयो पूजाप्रकरणम्
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सप्तचत्वारिंशः पटलः - पञ्चमुखन्यासः
रूद्राणीरूद्रयो पूजाप्रकरणम्
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सप्तचत्वारिंशः पटलः - सदाशिवध्यानमानसोपचारञ्ज
रूद्राणीरूद्रयो पूजाप्रकरणम्
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सप्तचत्वारिंशः पटलः - सदाशिवस्तोत्रम्
रूद्राणीरूद्रयो पूजाप्रकरणम्
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सप्तचत्वारिंशः पटलः - मृत्युञ्जयविधानम्
रूद्राणीरूद्रयो पूजाप्रकरणम्
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सप्तचत्वारिंशः पटलः - पीठन्यासः
रूद्राणीरूद्रयो पूजाप्रकरणम्
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सप्तचत्वारिंशः पटलः - मृत्युञ्जयऋष्यादिन्यासः
रूद्राणीरूद्रयो पूजाप्रकरणम्
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सप्तचत्वारिंशः पटलः - महामृत्युञ्जयध्यानम्
रूद्राणीरूद्रयो पूजाप्रकरणम्
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उत्तरतंत्रम् - अथाष्टचत्वारिंशः पटलः
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
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अथाष्टचत्वारिंशः पटलः - मृत्युंजयस्तोत्रम
मृत्युंजयस्तवनम्
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उत्तरतंत्रम् - एकोनपञ्चाशत्तमः
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
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एकोनपञ्चाशत्तमः - श्रीलाकिनीस्तोत्रम्
लाकिनीस्तवनम्
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पञ्चाशत्तमः पटलः - वीरभावस्य माहात्म्यम्
मणिपूरभेदप्रकाशः
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पञ्चाशत्तमः पटलः - पञ्चामराभक्षणमन्त्रः
मणिपूरभेदप्रकाशः
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उत्तरतंत्रम् - अथैकापञ्चाशत्तमः पटलः
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
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अथैकापञ्चाशत्तमः पटलः - महारूद्रमृत्युञ्जयसहस्त्रनाम १
मृत्युञ्जयसहितं लाकिणीसहस्त्रस्तोत्रम्
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अथैकापञ्चाशत्तमः पटलः - महारूद्रमृत्युञ्जयसहस्त्रनाम २
मृत्युञ्जयसहितं लाकिणीसहस्त्रस्तोत्रम्
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अथैकापञ्चाशत्तमः पटलः - महारूद्रमृत्युञ्जयसहस्त्रनाम ३
मृत्युञ्जयसहितं लाकिणीसहस्त्रस्तोत्रम्
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अथैकापञ्चाशत्तमः पटलः - महारूद्रमृत्युञ्जयसहस्त्रनाम ४
मृत्युञ्जयसहितं लाकिणीसहस्त्रस्तोत्रम्
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उत्तरतंत्रम् - द्विपञ्चाशत्तमः पटलः
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
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द्विपञ्चाशत्तमः पटलः - मणिपूरसाधनम्
मन्त्रार्थचैतन्यविन्यासः
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उत्तरतंत्रम् - त्रिपञ्चाशत्तमः पटलः
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
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त्रिपञ्चाशत्तमः पटलः - शौचक्रियाविधानम
कालजालादिवारणप्रकारः
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उत्तरतंत्रम् - पञ्चाशत्तमः पटलः
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
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चतुःपञ्चाशत्तमः पटलः - विजयाभक्षणमन्त्रः
पञ्चद्रव्यदिसाधनम्
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उत्तरतंत्रम् - पञ्चपञ्चाशत्तमः पटलः
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
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पञ्चपञ्चाशत्तमः पटलः - मणिपूरफलकथब्नम
हठयोगक्रमस्वरूपम्
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उत्तरतंत्रम् - षट्पञ्चाशत्तमः पटलः
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
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षट्पञ्चाशत्तमः पटलः - अनाहतपद्मचक्रविन्यासः
अनाहतहृत्कमलभेदनम्
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षट्पञ्चाशत्तमः पटलः - काकिणीध्यानम्
अनाहतहृत्कमलभेदनम्
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उत्तरतंत्रम् - सप्तपञ्चाशत्तमः पटलः
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
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सप्तपञ्चाशत्तमः पटलः - काकिणीश्वरपार्श्वचरयजनम
विवेकगुणलक्षणम्
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उत्तरतंत्रम् - अथाष्टपञ्चाशत्तमः पटलः
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
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अथाष्टपञ्चाशत्तमः पटलः - काकिनीसिद्धिसाधनवर्णनम्
काकिणीसाधनम्
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अथाष्टपञ्चाशत्तमः पटलः - श्रीश्वरीकाकिनीध्यानकथनम्
काकिणीसाधनम्
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अथाष्टपञ्चाशत्तमः पटलः - न्यासकथनम्
काकिणीसाधनम्
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उत्तरतंत्रम् - अथैकोनषष्टितमः पटलः
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
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अथैकोनषष्टितमः पटलः - काकिणीस्त्रोत्रम
काकिणीस्तोत्रविन्यासः
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अथैकोनषष्टितमः पटलः - ह्रत्पद्मादिवर्णध्यानम्
काकिणीस्तोत्रविन्यासः
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उत्तरतंत्रम् - षष्टितमः पटलः
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
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षष्टितमः पटलः - सुरस्तवनम्
ईश्वरस्तोत्रम्
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उत्तरतंत्रम् - अथैकषष्टितमः पटलः
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
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अथैकषष्टितमः पटलः - काकिणीध्यानम्
काकिण्यष्टोत्तरसहस्त्रनामस्तोत्रचिन्यासः
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अथैकषष्टितमः पटलः - काकिनीश्वरसहस्त्रनामस्तोत्रम्
काकिण्यष्टोत्तरसहस्त्रनामस्तोत्रचिन्यासः
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अथैकषष्टितमः पटलः - फलश्रुतिकथनम्
काकिण्यष्टोत्तरसहस्त्रनामस्तोत्रचिन्यासः
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उत्तरतंत्रम् - द्विषष्टितमः पटलः
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
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द्विषष्टितमः पटलः - ईश्वरस्तोत्रकथनम
ईश्वरस्तोत्रविन्यासः
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उत्तरतंत्रम् - त्रिषष्टितमः पटलः
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
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त्रिषष्टितमः पटलः - सम्मोहनकवचम्
अनाहतेश्वरसम्मोहनकवचम्
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त्रिषष्टितमः पटलः - फलश्रुतिकथनम्
अनाहतेश्वरसम्मोहनकवचम्
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उत्तरतंत्रम् - चतुष्षष्टितमः पटलः
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
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चतुष्षष्टितमः पटलः - मन्त्रसंग्रह १
कण्ठभेदविज्ञानविन्यासः
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चतुष्षष्टितमः पटलः - मन्त्रसंग्रह २
कण्ठभेदविज्ञानविन्यासः
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चतुष्षष्टितमः पटलः - मन्त्रसंग्रह ३
कण्ठभेदविज्ञानविन्यासः
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चतुष्षष्टितमः पटलः - मन्त्रसंग्रह ४
कण्ठभेदविज्ञानविन्यासः
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चतुष्षष्टितमः पटलः - मन्त्रसंग्रह ५
कण्ठभेदविज्ञानविन्यासः
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चतुष्षष्टितमः पटलः - मन्त्रसंग्रह ६
कण्ठभेदविज्ञानविन्यासः
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चतुष्षष्टितमः पटलः - मन्त्रसंग्रह ७
कण्ठभेदविज्ञानविन्यासः
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उत्तरतंत्रम् - पञ्चषष्टितमः पटलः
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
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पञ्चषष्टितमः पटलः - शाकिनीध्यानम
शाकिणीसदाशिवार्चनम्
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उत्तरतंत्रम् - षष्ठषष्टितमः पटलः
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
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षष्ठषष्टितमः पटलः - शाकिनी पूजाविधि १
शाकिणीयजनम्
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षष्ठषष्टितमः पटलः - शाकिनी पूजाविधि २
शाकिणीयजनम्
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षष्ठषष्टितमः पटलः - शाकिनी पूजाविधि ३
शाकिणीयजनम्
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उत्तरतंत्रम् - सप्तषष्टितमः पटलः
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
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सप्तषष्टितमः पटलः - शाकिणीस्तोत्रकथनम्
शाकिणीस्तोत्रविन्यासः
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उत्तरतंत्रम् - अथाष्टषष्टितमः पटलः
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
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अथाष्टषष्टितमः पटलः - विशुद्धवर्णध्यानम्
विशुद्धवर्णध्यानकथनम्
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उत्तरतंत्रम् - अथैकोनसप्ततितमः पटलः
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
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अथैकोनसप्ततितमः पटलः - शाकिनीसदाशिवस्तवनम
शाकिणीसदाशिवस्तवनमङ्गलाष्टोत्तरसहस्त्रनामविन्यासः
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अथैकोनसप्ततितमः पटलः - श्रीभुवनमङुल महास्तोत्र
शाकिणीसदाशिवस्तवनमङ्गलाष्टोत्तरसहस्त्रनामविन्यासः
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अथैकोनसप्ततितमः पटलः - फलश्रुतिकथनम्
शाकिणीसदाशिवस्तवनमङ्गलाष्टोत्तरसहस्त्रनामविन्यासः
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उत्तरतंत्रम् - सप्ततितमः पटलः
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
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सप्ततितमः पटलः - फलादेशकथनम्
सदाशिवशाकिणीफलादेशकथनम्
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सप्ततितमः पटलः - विनियोगकथनम्
सदाशिवशाकिणीफलादेशकथनम्
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सप्ततितमः पटलः - फलश्रुतिकथनम्
सदाशिवशाकिणीफलादेशकथनम्
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उत्तरतंत्रम् - अथैकसप्ततितमः पटलः
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
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अथैकसप्ततितमः पटलः - सदाशिवमन्त्रकथनम्
श्रीबटुकनाथस्य पूजाविधानम्
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उत्तरतंत्रम् - द्विसत्पतितमः पटलः
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
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द्विसत्पतितमः पटलः - कालीस्वरूपकथनम
कालीस्तवनम्
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उत्तरतंत्रम् - त्रिसप्ततितमः पटलः
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
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त्रिसप्ततितमः पटलः - वाणीगीतविन्यासः
वाणीगीतम्
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उत्तरतंत्रम् - चतुःसप्ततितमः पटलः
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
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चतुःसप्ततितमः पटलः - प्रासादमन्त्रकवचम
सदाशिवकवचकथनम्
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चतुःसप्ततितमः पटलः - फलश्रुतिकथनम्
सदाशिवकवचकथनम्
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पञ्चसप्ततितमः पटलः - सिद्धसभावर्णनम्
अकालमृत्युहरणसभावर्णनम्
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पञ्चसप्ततितमः पटलः - पितामहसभावर्णनम्
अकालमृत्युहरणसभावर्णनम्
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उत्तरतंत्रम् - षष्ठसप्ततितमः पटलः
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
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षष्ठसप्ततितमः पटलः - काकिणीदेव्याः अष्टोत्तरशतनामानि
काकिणीकवचम्
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उत्तरतंत्रम् - सप्तसप्ततितमः पटलः
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
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सप्तसप्ततितमः पटलः - सदाशिवकुलचक्रनिरूपणम
योगार्थसञ्चयनम्
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उत्तरतंत्रम् - अथाष्टसप्ततितमः पटलः
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
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अथाष्टसप्ततितमः पटलः - सिद्धकुलचक्रमण्डलम्
कण्ठाम्भोजभेदप्रकाशः
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उत्तरतंत्रम् - अथैकोनाशीतितमः पटलः
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
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अथैकोनाशीतितमः पटलः - भ्रूपज्ञाननिरूणम्
शाकिणीमन्त्रोप्देशः
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उत्तरतंत्रम् - अथाशीतितमः पटलः
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
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अथाशीतितमः पटलः - हाकिणीकूटमन्त्रः
हाकिन्याः मन्त्रोद्धारः
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उत्तरतंत्रम् - अथैकाशीतितमः पटलः
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
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अथैकाशीतितमः पटलः - विविध मन्त्रोद्धारः
हाकिन्याः मन्त्रोद्धारः
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उत्तरतंत्रम् - द्वयशीतितमः पटलः
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
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द्वयशीतितमः पटलः - हाकिनीपरशिवपूजनम् १
हाकिनीपरशिवपूजनम्
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द्वयशीतितमः पटलः - हाकिनीपरशिवपूजनम् २
हाकिनीपरशिवपूजनम्
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द्वयशीतितमः पटलः - हाकिनीपरशिवपूजनम् ३
हाकिनीपरशिवपूजनम्
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द्वयशीतितमः पटलः - हाकिनीपरशिवपूजनम् ४
हाकिनीपरशिवपूजनम्
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द्वयशीतितमः पटलः - हाकिनीपरशिवपूजनम् ५
हाकिनीपरशिवपूजनम्
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द्वयशीतितमः पटलः - हाकिनीपरशिवपूजनम् ६
हाकिनीपरशिवपूजनम्
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उत्तरतंत्रम् - त्र्यशीतितमः पटलः
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
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त्र्यशीतितमः पटलः - हाकिनीस्तवनम्
हाकिणीस्तोत्रम्
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उत्तरतंत्रम् - चतुरशीतितमः पटलः
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
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चतुरशीतितमः पटलः - आनन्दसारमङ्गलकवचम्
हाकिणीशक्तिकवचम्
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उत्तरतंत्रम् - पञ्चाशीतितमः पटलः
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
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पञ्चाशीतितमः पटलः - श्री परनाथकवचस्य विनियोगः
परनाथकवचम्
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पञ्चशीतितमः पटलः - हाकिनीसहस्त्रनामविन्यासः १
हाकिन्याःअष्टोत्तरसहस्त्रनामस्तोत्रम्
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पञ्चशीतितमः पटलः - हाकिनीसहस्त्रनामविन्यासः २
हाकिन्याःअष्टोत्तरसहस्त्रनामस्तोत्रम्
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पञ्चशीतितमः पटलः - हाकिनीसहस्त्रनामविन्यासः ३
हाकिन्याःअष्टोत्तरसहस्त्रनामस्तोत्रम्
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पञ्चशीतितमः पटलः - हाकिनीसहस्त्रनामविन्यासः ४
हाकिन्याःअष्टोत्तरसहस्त्रनामस्तोत्रम्
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पञ्चशीतितमः पटलः - हाकिनीसहस्त्रनामविन्यासः ५
हाकिन्याःअष्टोत्तरसहस्त्रनामस्तोत्रम्
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उत्तरतंत्रम् - सप्तशीतितमः पटलः
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
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सप्तशीतितमः पटलः - परनाथाअष्टोत्तरसहस्त्रनामा्नि १
परनाथाअष्टोत्तरसहस्त्रनामा्नि
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सप्तशीतितमः पटलः - परनाथाअष्टोत्तरसहस्त्रनामा्नि २
परनाथाअष्टोत्तरसहस्त्रनामा्नि
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सप्तशीतितमः पटलः - परनाथाअष्टोत्तरसहस्त्रनामा्नि ३
परनाथाअष्टोत्तरसहस्त्रनामा्नि
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उत्तरतंत्रम् - अथाष्टाशीतितमः पटलः
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
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अथाष्टाशीतितमः पटलः - पराशक्तिनिर्मूलस्थाननिर्णयः
पराशक्तिनिर्मूलस्थाननिर्णयः
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उत्तरतंत्रम् - अथैकोननवतितमः पटलः
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
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अथैकोननवतितमः पटलः - वाराणसीपीठनाथान्तर्यजनम्
वाराणसीपीठनाथान्तर्यजनम्
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नवतितमः पटलः - वाराणसीपञ्चपीठपद्धतिः
वाराणसीपञ्चपीठपद्धतिः
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रूद्रयामल - उत्तरतंत्रम्
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
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