-
रूद्रयामल - पूर्वतंत्र
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है, जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: INDEX | Rank: 1 | Lang: hi
-
उत्तर तंत्र - प्रथम पटल
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है, जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: INDEX | Rank: 1 | Lang: hi
-
प्रथम पटल - विविध साधनानि १
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
प्रथम पटल - विविध साधनानि २
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
प्रथम पटल - विविध साधनानि ३
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
प्रथम पटल - विविध साधनानि ४
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
प्रथम पटल - विविध साधनानि ५
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
प्रथम पटल - विविध साधनानि ६
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
प्रथम पटल - विविध साधनानि ७
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
प्रथम पटल - विविध साधनानि ८
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
प्रथम पटल - मनुष्यजन्म दुर्लभ
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
प्रथम पटल - गुरूमहिमा १
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
प्रथम पटल - गुरूमहिमा २
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
द्वितीय पटल - कुलाचारविधिः
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
द्वितीय पटल - गुरूस्तोत्र
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
द्वितीय पटल - गुरूलक्षण
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
द्वितीय पटल - शिष्यलक्षण
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
द्वितीय पटल - मन्त्रदीक्षा
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
द्वितीय पटल - दीक्षा विधि
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
तृतीय पटल - दीक्षा चक्रविचार
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
तृतीय पटल - अकडमचक्र
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
तृतीय पटल - पद्माकार अष्टदल महाचक्र
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
तृतीय पटल - कुलाकुलचक्र
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
तृतीय पटल - ताराचक्र
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
तृतीय पटल - देवत्वादेवत्वगणविचार
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
तृतीय पटल - राशिचक्र
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
तृतीय पटल - कूर्मचक्र
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
तृतीय पटल - शिवचक्र
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
तृतीय पटल - विष्णुचक्र
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
चतुर्थ पटल - ब्रह्मचक्र
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
चतुर्थ पटल - श्रीचक्र
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
चतुर्थ पटल - उल्काचक्र
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
चतुर्थ पटल - रामचक्र
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
चतुर्थ पटल - चतुष्चक्र
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
चतुर्थ पटल - सूक्ष्मचक्र
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
पञ्चम पटल - महा-अकथहचक्र
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
पञ्चम पटल - चक्रफलकथन
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
षष्ठ पटल - पशुभावविवेचन
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
षष्ठ पटल - सुषुम्नासाधन
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
षष्ठ पटल - कुण्डलिनी
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
षष्ठ पटल - पशुभावप्रशंसा
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
षष्ठ पटल - भावविद्याविधि
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
षष्ठ पटल - कुमारीलक्षण
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
सप्तम पटल - कुमारीस्तोत्र
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
अष्टम पटल - कुमारीजपहोम
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
सप्तम पटल - कुमारीस्तव
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
सप्तम पटल - कुमारीतर्पण
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
नवम पटल - त्रैलोक्यमङुलकुमारीकवच
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
दशम पटल - अष्टोत्तरसहस्त्रनामकवच १
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
दशम पटल - अष्टोत्तरसहस्त्रनामकवच २
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
दशम पटल - अष्टोत्तरसहस्त्रनामकवच ३
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
दशम पटल - अष्टोत्तरसहस्त्रनामकवच ४
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
दशम पटल - अष्टोत्तरसहस्त्रनामकवच ५
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
दशम पटल - अष्टोत्तरसहस्त्रनामकवच ६
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
दशम पटल - अष्टोत्तरसहस्त्रनामकवच ७
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
एकादश पटल - स्वरुपकीर्तन
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
एकादश पटल - दिव्यभाव वीरभाव
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
एकादश पटल - उत्तम साधकस्य लक्षण
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
द्वादश पटल - भावप्रश्नार्थबोधकथन
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
द्वादश पटल - महासूक्ष्मफल-ज्ञापकचक्र
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
द्वादश पटल - प्रश्नफलबोधक चक्र
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
द्वादश पटल - आज्ञाचक्रकथन
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
द्वादश पटल - वाग्देवताध्यान
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
त्रयोदश पटल - अकाराद्यक्षरक्रमेणप्रश्नफल
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
त्रयोदश पटल - कलिकालोद्भव
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
चतुर्दश पटल - नक्षत्र फल
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
चतुर्दश पटल - रविवार प्रश्नफलकथन
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
चतुर्दश पटल - आश्लेषादिनक्षत्रफलकथन
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
चतुर्दश पटल - नक्षत्राधिपतिफलविचार
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
चतुर्दश पटल - आत्रेयीशक्तिविवेचन
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
पञ्चदश पटल - ब्रह्मविवेचन
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
पञ्चदश पटल - कुण्डलिनीविवेचन
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
पञ्चदश पटल - वायवीशक्तिनिरूपण
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
पञ्चदश पटल - वैष्णवभक्त स्वरूपकथन
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
पञ्चदश पटल - याज्ञिकलक्षण
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
पञ्चदश पटल - ब्रह्मज्ञानीलक्षण
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
षोडश पटल - गुरूमीश्वरकीर्तन
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
षोडश पटल - हाकिनीदेवीध्यान
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
षोडश पटल - कुलमार्गकथन
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
सप्तदश पटल - अथर्ववेदचक्रस्थाकुण्डलिनीमहिमा
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
सप्तदश पटल - वायवीसिध्दीः
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
सप्तदश पटल - स्थिरचित्तसाधक लक्षण
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
सप्तदश पटल - बुद्धवसिष्ठवृत्तान्त
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
सप्तदश पटल - वसिष्ठ गमन
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
सप्तदश पटल - अमहाचीनाचार
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
अष्टादश पटल - कामचक्रफल
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
अष्टादश पटल - वर्णदेवता स्वरुपकथन
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
अष्टादश पटल - षोडशस्वरफलकथन
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
अष्टादश पटल - वर्गे वर्गे फलकथन
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
उन्नीसवाँ पटल - सिद्धिविधान
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
बीसवाँ पटल - सिद्धमंत्रस्वरूपकथन
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
इक्कीसवाँ पटल - वीरभाव माहात्म्य
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
इक्कीसवाँ पटल - भूमिचक्र
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
इक्कीसवाँ पटल - स्वर्गचक्र
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
इक्कीसवाँ पटल - तुलाचक्र
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
इक्कीसवाँ पटल - वारिचक्र
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
बाइसवाँ पटल - षट्चक्रसारसंकेत
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
बाइसवाँ पटल - विशुद्धचक्रमहापद्मविवेचन
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
तेइसवाँ पटल - योगिनीका भोजननियम
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
तेइसवाँ पटल - आसननियम
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
चौबीसवाँ पटल - योगसाधननिरुपण
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
चौबीसवाँ पटल - शवसाधनानिरुपण
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
चौबीसवाँ पटल - शवसाधनाफलश्रुतिकथन
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
चौबीसवाँ पटल - शवसाधक विधिनिषेध
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
चौबीसवाँ पटल - अष्टांगयोगनिरूपण
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
छब्बीसवाँ पटल - योगीनीका सूक्ष्मस्नान
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
छब्बीसवाँ पटल - कौल संध्या
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
छब्बीसवाँ पटल - कौलतर्पण
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
छब्बीसवाँ पटल - मानसपूजा
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
छब्बीसवाँ पटल - मानसहोम
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
छब्बीसवाँ पटल - पंञ्चमकार माहात्म्य
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
सत्ताइसवाँ पटल - प्राणायाम लक्षण
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
सत्ताइसवाँ पटल - प्रत्याहार
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
सप्तदश पटल - भावमाहात्म्य
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
सत्ताइसवाँ पटल - समाधि
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
सत्ताइसवाँ पटल - मंत्रयोगार्थनिर्णयकथन
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
सत्ताइसवाँ पटल - हृदयाब्जकथन
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
सत्ताइसवाँ पटल - दार्शनिकमतकथन
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
सत्ताइसवाँ पटल - ध्यानलक्ष्यनिरूपण
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: hi
-
रूद्रयामल - उत्तरतंत्र
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है, जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: INDEX | Rank: 1 | Lang: hi
-
रूद्रयामल
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है, जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
Type: INDEX | Rank: 1 | Lang: hi
-
रूद्रयामल
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
Type: INDEX | Rank: 1 | Lang: sa
-
रूद्रयामल - पूर्वतंत्रम्
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
Type: INDEX | Rank: 1 | Lang: sa
-
उत्तरतंत्रम् - प्रथमः पटलः
प्रथम पटलमध्ये श्रीयामल, विष्णु यामल, शक्तियामल आणि ब्रह्मयामल शास्त्राचे विस्तृत वर्णन आहे.
Type: INDEX | Rank: 1 | Lang: sa
-
प्रथमः पटलः - विविध साधनानि १
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
प्रथमः पटलः - विविध साधनानि २
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
प्रथमः पटलः - विविध साधनानि ३
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
प्रथमः पटलः - विविध साधनानि ४
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
प्रथमः पटलः - विविध साधनानि ५
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
प्रथमः पटलः - विविध साधनानि ६
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
प्रथमः पटलः - विविध साधनानि ७
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
प्रथमः पटलः - विविध साधनानि ८
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
प्रथमः पटलः - मनुष्यजन्मस्य दुर्लभत्वम्
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
प्रथमः पटलः - गुरूमहिमा अवमहिमा च १
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
प्रथमः पटलः - गुरूमहिमा अवमहिमा च २
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
उत्तरतंत्रम् - द्वितीयः पटलः
कुलाचारविधिः
Type: INDEX | Rank: 1 | Lang: sa
-
द्वितीयः पटलः - कुलाचारविधिः
कुलाचारविधिः
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
द्वितीयः पटलः - गुरूस्तोत्रम्
कुलाचारविधिः
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
द्वितीयः पटलः - गुरूलक्षणम्
कुलाचारविधिः
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
द्वितीयः पटलः - शिष्यलक्षणम्
कुलाचारविधिः
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
द्वितीयः पटलः - मन्त्रदीक्षाविचारः
कुलाचारविधिः
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
द्वितीयः पटलः - दीक्षाविधिः
कुलाचारविधिः
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
उत्तरतंत्रम् - तृतीयः पटलः
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
Type: INDEX | Rank: 1 | Lang: sa
-
तृतीयः पटलः - दीक्षायां चक्रविचारः
दीक्षायां सर्वचक्रानुष्ठानम्
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
तृतीयः पटलः - अकडमचक्रम्
दीक्षायां सर्वचक्रानुष्ठानम्
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
तृतीयः पटलः - पद्माकार अष्टदल महाचक्रम्
दीक्षायां सर्वचक्रानुष्ठानम्
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
तृतीयः पटलः - कुलाकुलचक्रम्
दीक्षायां सर्वचक्रानुष्ठानम्
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
तृतीयः पटलः - ताराचक्रम्
दीक्षायां सर्वचक्रानुष्ठानम्
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
तृतीयः पटलः - वर्णानां देवत्वादेवत्वगणविचारः
दीक्षायां सर्वचक्रानुष्ठानम्
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
तृतीयः पटलः - राशिचक्रम्
दीक्षायां सर्वचक्रानुष्ठानम
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
तृतीयः पटलः - कूर्मचक्रम्
दीक्षायां सर्वचक्रानुष्ठानम्
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
तृतीयः पटलः - शिवचक्रम्
दीक्षायां सर्वचक्रानुष्ठानम्
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
तृतीयः पटलः - विष्णुचक्रम्
दीक्षायां सर्वचक्रानुष्ठानम्
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
उत्तरतंत्रम् - चतुर्थः पटलः
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
Type: INDEX | Rank: 1 | Lang: sa
-
चतुर्थः पटलः - ब्रह्मचक्रम्
दीक्षायां सर्वचक्रानुष्ठानम्
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
चतुर्थः पटलः - श्रीचक्रम्
दीक्षायां सर्वचक्रानुष्ठानम्
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
चतुर्थः पटलः - उल्काचक्रम्
मन्त्रदोषदिनिर्णयः
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
चतुर्थः पटलः - रामचक्रम्
मन्त्रदोषादिनिर्णयः
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
चतुर्थः पटलः - चतुष्चक्रम्
मन्त्रदोषादिनिर्णयः
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
चतुर्थः पटलः - सूक्ष्मचक्रम्
मन्त्रदोषादिनिर्णयः
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
उत्तरतंत्रम् - पञ्चमः पटलः
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
Type: INDEX | Rank: 1 | Lang: sa
-
पञ्चमः पटलः - मन्त्रसंस्कारार्थे महा-अकथहचक्रम्
मन्त्रादिदोषादिनिर्णयः
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
पञ्चमः पटलः - चक्रफलकथनम्
मन्त्रादिदोषादिनिर्णयः
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
उत्तरतंत्रम् - षष्ठः पटलः
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
Type: INDEX | Rank: 1 | Lang: sa
-
षष्ठः पटलः - पशुभावविवेचनम्
कुमार्युपचर्याविन्यासः
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
षष्ठः पटलः - सुषुम्नासाधनम्
कुमार्युपचर्याविन्यासः
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
षष्ठः पटलः - कुण्डलिनीस्तवः
कुमार्युपचर्याविन्यासः
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
षष्ठः पटलः - पशुभावप्रशंसा
कुमार्युपचर्याविन्यासः
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
षष्ठः पटलः - भावविद्याविधिः
कुमार्युपचर्याविन्यासः
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
षष्ठः पटलः - कुमारीलक्षणम्
कुमार्युपचर्याविन्यासः
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
उत्तरतंत्रम् - सप्तमः पटलः
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
Type: INDEX | Rank: 1 | Lang: sa
-
सप्तमः पटलः - कुमारीस्तोत्रम्
कुमारिपूजाविधानम्
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
उत्तरतंत्रम् - अष्टमः पटलः
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
Type: INDEX | Rank: 1 | Lang: sa
-
अष्टमः पटलः - कुमारीजपहोमौ
कुमारीपूजाविधानम्
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
अष्टमः पटलः - कुमारीस्तवः
कुमारीपूजाविधानम्
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
अष्टमः पटलः - कुमारीतर्पणम्
कुमारीपूजाविधानम्
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
उत्तरतंत्रम् - नवमः पटलः
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
Type: INDEX | Rank: 1 | Lang: sa
-
नवमः पटलः - त्रैलोक्यमङुलकुमारीकवचम्
कुमारीकवचोल्लासः
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
उत्तरतंत्रम् - दशमः पटलः
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
Type: INDEX | Rank: 1 | Lang: sa
-
दशमः पटलः - अष्टोत्तरसहस्त्रनामकवचम् २
कुमार्या सहस्त्रनामानि
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
दशमः पटलः - अष्टोत्तरसहस्त्रनामकवचम् ३
कुमार्या सहस्त्रनामानि
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
दशमः पटलः - अष्टोत्तरसहस्त्रनामकवचम् ४
कुमार्या सहस्त्रनामानि
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
दशमः पटलः - अष्टोत्तरसहस्त्रनामकवचम् ५
कुमार्या सहस्त्रनामानि
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
दशमः पटलः - अष्टोत्तरसहस्त्रनामकवचम् ६
कुमार्या सहस्त्रनामानि
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
दशमः पटलः - अष्टोत्तरसहस्त्रनामकवचम् ७
कुमार्या सहस्त्रनामानि
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
उत्तरतंत्रम् - एकादशः पटलः
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
Type: INDEX | Rank: 1 | Lang: sa
-
एकादशः पटलः - स्वरुपकीर्तनम्
भावप्रश्नार्थबोधनिर्णयः
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
एकादशः पटलः - दिव्यभावे वीरभावः
भावप्रश्नार्थबोधनिर्णयः
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
एकादशः पटलः - उत्तम साधकस्य लक्षणम्
भावप्रश्नार्थबोधनिर्णयः
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
उत्तरतंत्रम् - द्वादशः पटलः
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
Type: INDEX | Rank: 1 | Lang: sa
-
द्वादशः पटलः - भावप्रश्नार्थबोधकथनम्
पञ्चस्वरविधानम्
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
द्वादशः पटलः - महासूक्ष्मफल-ज्ञापकचक्र
पञ्चस्वरविधानम्
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
द्वादशः पटलः - प्रश्नफलबोधक चक्र
पञ्चस्वरविधानम्
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
द्वादशः पटलः - आज्ञाचक्रकथनम्
पञ्चस्वरविधानम्
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
द्वादशः पटलः - वाग्देवताध्यानम्
पञ्चस्वरविधानम्
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
त्रयोदशः पटलः - अकाराद्यक्षरक्रमेणप्रश्नफलम्
वर्णविन्यासनिर्णयकथनम्
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
त्रयोदशः पटलः - कलिकालोद्भवः
वर्णविन्यासनिर्णयकथनम्
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
उत्तरतंत्रम् - चतुर्दशः पटलः
आनंदभैरव आणि आनंदभैरवी यांच्यातील संवाद म्हणजेच रूद्रयामल, यात कुण्डलिनीला महाशक्ति मानले आहे. हा तंत्रशास्त्रातील अद्भूत ग्रंथ आहे.
Type: INDEX | Rank: 1 | Lang: sa
-
चतुर्दशः पटलः - राश्याधिपानां च फलानि
नाक्षत्रिकचक्रफलम्
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
चतुर्दशः पटलः - रव्यादि वार प्रश्नफलकथनम्
नाक्षत्रिकचक्रफलम्
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa