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गतिगञ्जितमत्ततरद्विरदं रद...

हरिकुसुमस्तबकम् - गतिगञ्जितमत्ततरद्विरदं रद...

देवी देवतांची स्तुती करताना म्हणावयाच्या रचना म्हणजेच स्तोत्रे. स्तोत्रे स्तुतीपर असल्याने, त्यांना कोणतेही वैदिक नियम नाहीत. स्तोत्रांचे पठण केल्याने इच्छित फल प्राप्त होते.
In Hinduism, a Stotra is a hymn of praise, that praise aspects of Devi and Devtas. Stotras are invariably uttered aloud and consist of chanting verses conveying the glory and attributes of God.


गतिगञ्जितमत्ततरद्विरदं
रदनिन्दितसुन्दरकुन्दमदम् |
मदनार्बुदरूपमदघ्नरुचिं
रुचिरस्मितमञ्जरिमञ्जुमुखम् ॥१॥
मुखरीकृतवेणुहृतप्रमदं
मदवल्गितलोचनतामरसम् |
रसपूरविकासककेलिपरं
परमार्थपरायणलोकगतिम् ॥२॥
गतिमण्डितयामुनतीरभुवं
भुवनेश्वरवन्दितचारुपदम् |
पदकोज्ज्वलकोमलकण्ठरुचं
रुचकात्तविशेषकवल्गुतरम् ॥३॥
तरलप्रचलाकपरीतशिखं
शिखरीन्द्रधृतिप्रतिपन्नभुजम् |
भुजगेन्द्रफणाङ्गणरङ्गधरं
धरकन्दरखेलनलुब्धहृदम् ॥४॥
हृदयालुसुहृद्गणदत्तमहं
महनीयकथाकुलधूतकलिम् |
कलिताखिलदुर्जयबाहुबलं
बलवल्लवशावकसन्निहितम् ॥५॥
हितसाधुसमीहितकल्पतरुं
तरुणीगणनूतनपुष्पशरम् |
शरणागतरक्षणदक्षतमं
तमसाधुकुलोत्पलचण्डकरम् ॥६॥
करपद्ममिलत्कुसुमस्तवकं
वकदानवमत्तकरीन्द्रहरिम् |
हरिणीगणहारकवेणुकलं
कलकण्ठरवोज्ज्वलकण्ठरणम् ॥७॥
रणखण्डितदुर्जनपुण्यजनं
जनमङ्गलकीर्तिलताप्रभवम् |
भवसागरकुम्भजनामगुणं
गुणसङ्गविवर्जितभक्तगणम् ॥८॥
गणनातिगदिव्यगुणोल्लसितं
सितरश्मिसहोदरवक्त्रवरम् |
वरदृप्तवृषासुरदावघनं
घनविभ्रमवेशविहारमयम् ॥९॥
मयपुत्रतमःक्षयपूर्णविधुं
विधुरीकृतदानवराजकुलम् |
कुलनन्दनमत्र नमामि हरिं
हरितीकुरु मामक चित्तमरुम् ॥१०॥

उरसि परिस्फुरदिन्दिरमिन्दिन्दिरमन्दिरस्रजोल्लसितम् |
हरिमङ्गनातिमङ्गलमङ्गलसच्चन्दनं वन्दे ॥११॥

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Last Updated : January 04, 2019

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