-
अतद्गुण अलंकार - लक्षण १
रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
रसगड्गाधर - मीलित अलंकार
रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे.
Type: INDEX | Rank: 1 | Lang: mr
-
मीलित अलंकार - लक्षण १
रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
रसगड्गाधर - सामान्य अलंकार
रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे.
Type: INDEX | Rank: 1 | Lang: mr
-
सामान्य अलंकार - लक्षण १
रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
रसगड्गाधर - उत्तरालंकार
रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे.
Type: INDEX | Rank: 1 | Lang: mr
-
उत्तरालंकार - लक्षण १
रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
रसगंगाधर
रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे.
Type: INDEX | Rank: 1 | Lang: mr
-
वृत्तदर्पण
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
Type: INDEX | Rank: 1 | Lang: mr
-
उपोध्दात
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
अक्षरगणलक्षण
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
मात्रालक्षण.
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
अक्षरगणवृत्तें
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
समवृत्तें - अनुक्रमणिका
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
विद्युन्माला
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
अनुष्टुभ्
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
चंपकमाला
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
हंसी
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
कामदा
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
मयूरी
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
शुध्दकामदा
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
उपेंद्रवज्रा
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
उपजाति
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
शालिनी
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
बोधक
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
रथोध्दता
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
स्वागता
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
भद्रिका
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
भुजंगप्रयात
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
वंशस्थ
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
इद्रवंशा
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
तोटक
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
स्रग्विणी
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
वैश्वदेवी
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
मालती
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
यूथिका
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
सारंग
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
प्रभावती
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
मंजुभाषिणी
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
प्रहर्षिणी
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
मत्तमयूरी
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
विभावरी
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
चंद्रिका
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
वसंततिलकां
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
प्रहरणकलिका
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
असंबाधा
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
मध्यक्षमा
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
रुक्मिणी
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
मालिनी
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
चामर
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
रमा
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
पंचचामर
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
चित्रवृत्त
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
शिखरिणी
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
पृथ्वी
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
हरिणी
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
मंदाक्रांता
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
विबुधप्रिया
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
शार्दूलविक्रीडित
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
अमृतध्वनि
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
मंदारमाला
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
उमा
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
मदिरा
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
मदिरा किंवा सवाई
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
दुसरी सवाई
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
वियोगिनी
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
माल्यभारा
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
हरिणीप्लुता
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
पुष्पिताग्रा
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
उपगीतिलक्षण
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
आर्यालक्षण
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
उद्रीतिलक्षण
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
गीतिलक्षण
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
आर्यगीतिलक्षण
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
अभंग छंद
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
दिंडी छंद
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
छंदोमंजरी - समवृत्तें
कांही नियमित अक्षरांत लघु-गुरूंच्या विशिष्ट क्रमाने रचना करून दाखविणे हेंच तें होय.
Type: INDEX | Rank: 1 | Lang: mr
-
एकाक्षरी वृत्तें - उक्ता
कांही नियमित अक्षरांत लघु-गुरूंच्या विशिष्ट क्रमाने रचना करून दाखविणे हेंच तें होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
दोन अक्षरीं वृत्तें - अत्युक्ता
कांही नियमित अक्षरांत लघु-गुरूंच्या विशिष्ट क्रमाने रचना करून दाखविणे हेंच तें होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
तीन अक्षरी वृत्तें - मध्या
कांही नियमित अक्षरांत लघु-गुरूंच्या विशिष्ट क्रमाने रचना करून दाखविणे हेंच तें होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
चार अक्षरी वृत्तें - प्रतिष्ठा
कांही नियमित अक्षरांत लघु-गुरूंच्या विशिष्ट क्रमाने रचना करून दाखविणे हेंच तें होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
पांच अक्षरी वृत्तें - सुप्रतिष्ठा
कांही नियमित अक्षरांत लघु-गुरूंच्या विशिष्ट क्रमाने रचना करून दाखविणे हेंच तें होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
सहा अक्षरी वृत्तें - गायत्री
कांही नियमित अक्षरांत लघु-गुरूंच्या विशिष्ट क्रमाने रचना करून दाखविणे हेंच तें होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
सात अक्षरी वृत्तें - उष्णिक्
कांही नियमित अक्षरांत लघु-गुरूंच्या विशिष्ट क्रमाने रचना करून दाखविणे हेंच तें होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
आठ अक्षरी वृत्तें - अनुष्टुप्
कांही नियमित अक्षरांत लघु-गुरूंच्या विशिष्ट क्रमाने रचना करून दाखविणे हेंच तें होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
आठ अक्षरी वृत्तें - अनुष्टुप्
कांही नियमित अक्षरांत लघु-गुरूंच्या विशिष्ट क्रमाने रचना करून दाखविणे हेंच तें होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
नऊ अक्षरी वृत्तें - बृहती
कांही नियमित अक्षरांत लघु-गुरूंच्या विशिष्ट क्रमाने रचना करून दाखविणे हेंच तें होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
दहा अक्षरीं वृत्तें - पंक्ति
कांही नियमित अक्षरांत लघु-गुरूंच्या विशिष्ट क्रमाने रचना करून दाखविणे हेंच तें होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
दहा अक्षरीं वृत्तें - पंक्ति
कांही नियमित अक्षरांत लघु-गुरूंच्या विशिष्ट क्रमाने रचना करून दाखविणे हेंच तें होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
अकरा अक्षरी वृत्तें - त्रिष्टुप्
कांही नियमित अक्षरांत लघु-गुरूंच्या विशिष्ट क्रमाने रचना करून दाखविणे हेंच तें होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
अकरा अक्षरी वृत्तें - त्रिष्टुप्
कांही नियमित अक्षरांत लघु-गुरूंच्या विशिष्ट क्रमाने रचना करून दाखविणे हेंच तें होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
अकरा अक्षरी वृत्तें - त्रिष्टुप्
कांही नियमित अक्षरांत लघु-गुरूंच्या विशिष्ट क्रमाने रचना करून दाखविणे हेंच तें होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
अकरा अक्षरी वृत्तें - त्रिष्टुप्
कांही नियमित अक्षरांत लघु-गुरूंच्या विशिष्ट क्रमाने रचना करून दाखविणे हेंच तें होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
बारा अक्षरी वृत्तें - जगती
कांही नियमित अक्षरांत लघु-गुरूंच्या विशिष्ट क्रमाने रचना करून दाखविणे हेंच तें होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
बारा अक्षरी वृत्तें - जगती
कांही नियमित अक्षरांत लघु-गुरूंच्या विशिष्ट क्रमाने रचना करून दाखविणे हेंच तें होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
बारा अक्षरी वृत्तें - जगती
कांही नियमित अक्षरांत लघु-गुरूंच्या विशिष्ट क्रमाने रचना करून दाखविणे हेंच तें होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
चौदा अक्षरी वृत्तें - शक्वरी
कांही नियमित अक्षरांत लघु-गुरूंच्या विशिष्ट क्रमाने रचना करून दाखविणे हेंच तें होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
चार अक्षरी वृत्तें - प्रतिष्ठा
कांही नियमित अक्षरांत लघु-गुरूंच्या विशिष्ट क्रमाने रचना करून दाखविणे हेंच तें होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
सोळा अक्षरी वृत्तें - अष्टि
कांही नियमित अक्षरांत लघु-गुरूंच्या विशिष्ट क्रमाने रचना करून दाखविणे हेंच तें होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
सतरा अक्षरी वृत्ते - अत्यष्टि
कांही नियमित अक्षरांत लघु-गुरूंच्या विशिष्ट क्रमाने रचना करून दाखविणे हेंच तें होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
अठरा अक्षरी वृत्ते - धृति
कांही नियमित अक्षरांत लघु-गुरूंच्या विशिष्ट क्रमाने रचना करून दाखविणे हेंच तें होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
एकोणीस अक्षरी वृत्तें - अतिधृति
कांही नियमित अक्षरांत लघु-गुरूंच्या विशिष्ट क्रमाने रचना करून दाखविणे हेंच तें होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
वीस अक्षरी वृत्ते - कृति
कांही नियमित अक्षरांत लघु-गुरूंच्या विशिष्ट क्रमाने रचना करून दाखविणे हेंच तें होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
एकवीस अक्षरी वृत्तें - प्रकृति
कांही नियमित अक्षरांत लघु-गुरूंच्या विशिष्ट क्रमाने रचना करून दाखविणे हेंच तें होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
बावीस अक्षरी वृत्ते - आकृति
कांही नियमित अक्षरांत लघु-गुरूंच्या विशिष्ट क्रमाने रचना करून दाखविणे हेंच तें होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
तेवीस अक्षरी वृत्तें - विकृति
कांही नियमित अक्षरांत लघु-गुरूंच्या विशिष्ट क्रमाने रचना करून दाखविणे हेंच तें होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
चोवीस अक्षरी वृत्तें - संस्कृति
कांही नियमित अक्षरांत लघु-गुरूंच्या विशिष्ट क्रमाने रचना करून दाखविणे हेंच तें होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
पंचवीस अक्षरी वृत्तें - अतिकृति
कांही नियमित अक्षरांत लघु-गुरूंच्या विशिष्ट क्रमाने रचना करून दाखविणे हेंच तें होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
सव्वीस अक्षरी वृत्ते - उत्कृति
कांही नियमित अक्षरांत लघु-गुरूंच्या विशिष्ट क्रमाने रचना करून दाखविणे हेंच तें होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
छंदोमंजरी - अर्धसमवृत्तें
कांही नियमित अक्षरांत लघु-गुरूंच्या विशिष्ट क्रमाने रचना करून दाखविणे हेंच तें होय.
Type: INDEX | Rank: 1 | Lang: mr
-
अर्धसमवृत्तें - १५४ ते १६०
कांही नियमित अक्षरांत लघु-गुरूंच्या विशिष्ट क्रमाने रचना करून दाखविणे हेंच तें होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
अर्धसमवृत्तें - १६१ ते १६५
कांही नियमित अक्षरांत लघु-गुरूंच्या विशिष्ट क्रमाने रचना करून दाखविणे हेंच तें होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
अर्धसमवृत्तें - १६६ ते १७५
कांही नियमित अक्षरांत लघु-गुरूंच्या विशिष्ट क्रमाने रचना करून दाखविणे हेंच तें होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
छंदोमंजरी - परिशिष्ट अ
वृत्त म्हणजे कांहीं नियमित अक्षरांत लघु- गुरुंची विशिष्ट क्रमानें रचना करुन दाखविणें.
Type: INDEX | Rank: 1 | Lang: mr
-
वृत्तरत्नाकरांतील प्रस्तारादि विषयांचें विवेचन
वृत्त म्हणजे कांहीं नियमित अक्षरांत लघु- गुरुंची विशिष्ट क्रमानें रचना करुन दाखविणें.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
प्रस्तारप्रत्यय:
वृत्त म्हणजे कांहीं नियमित अक्षरांत लघु- गुरुंची विशिष्ट क्रमानें रचना करुन दाखविणें.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
नष्टप्रत्यय
वृत्त म्हणजे कांहीं नियमित अक्षरांत लघु- गुरुंची विशिष्ट क्रमानें रचना करुन दाखविणें.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
उद्दिष्टप्रत्यय
वृत्त म्हणजे कांहीं नियमित अक्षरांत लघु- गुरुंची विशिष्ट क्रमानें रचना करुन दाखविणें.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
एकव्द्यादिलगक्रियाप्रत्यय
वृत्त म्हणजे कांहीं नियमित अक्षरांत लघु- गुरुंची विशिष्ट क्रमानें रचना करुन दाखविणें.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
संख्यानप्रत्यय
वृत्त म्हणजे कांहीं नियमित अक्षरांत लघु- गुरुंची विशिष्ट क्रमानें रचना करुन दाखविणें.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
अध्वप्रत्यय
वृत्त म्हणजे कांहीं नियमित अक्षरांत लघु- गुरुंची विशिष्ट क्रमानें रचना करुन दाखविणें.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
छंदोमंजरी - परिशिष्ट आ
वृत्त म्हणजे कांहीं नियमित अक्षरांत लघु- गुरुंची विशिष्ट क्रमानें रचना करुन दाखविणें.
Type: INDEX | Rank: 1 | Lang: mr
-
अथ छंदोमंजरीप्रारंभ :
वृत्त म्हणजे कांहीं नियमित अक्षरांत लघु- गुरुंची विशिष्ट क्रमानें रचना करुन दाखविणें.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
अथ खंडमेरुसंज्ञार्थमत्कृतं सूत्रम्
वृत्त म्हणजे कांहीं नियमित अक्षरांत लघु- गुरुंची विशिष्ट क्रमानें रचना करुन दाखविणें.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
अथ सुमेरुसंज्ञार्थ सूत्रम्
वृत्त म्हणजे कांहीं नियमित अक्षरांत लघु- गुरुंची विशिष्ट क्रमानें रचना करुन दाखविणें.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
अथतिलघुक्रियाप्रस्तारे श्लोकसूत्रम्
वृत्त म्हणजे कांहीं नियमित अक्षरांत लघु- गुरुंची विशिष्ट क्रमानें रचना करुन दाखविणें.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
अथ संख्यानम्
वृत्त म्हणजे कांहीं नियमित अक्षरांत लघु- गुरुंची विशिष्ट क्रमानें रचना करुन दाखविणें.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
अथ नष्टोद्दिष्टकम्
वृत्त म्हणजे कांहीं नियमित अक्षरांत लघु- गुरुंची विशिष्ट क्रमानें रचना करुन दाखविणें.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
अथ नष्टप्रत्यय
वृत्त म्हणजे कांहीं नियमित अक्षरांत लघु- गुरुंची विशिष्ट क्रमानें रचना करुन दाखविणें.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
छंदोमंजरी
काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास ’ वृत्त ’ असे म्हणतात.
Type: INDEX | Rank: 1 | Lang: mr
-
छंदोमंजरी - परिशिष्ट इ
वृत्त म्हणजे कांहीं नियमित अक्षरांत लघु- गुरुंची विशिष्ट क्रमानें रचना करुन दाखविणें.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
छंदोमंजरी - उपोद्घात
वृत्त म्हणजे कांहीं नियमित अक्षरांत लघु- गुरुंची विशिष्ट क्रमानें रचना करुन दाखविणें.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
अष्टाध्यायी - अध्याय १
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे , जो ई . पू . ५००व्या शतकात रचला गेला .
Type: INDEX | Rank: 1 | Lang: sa
-
अध्याय १ - भाग १
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे , जो ई . पू . ५००व्या शतकात रचला गेला .
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
अध्याय १ - भाग २
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
अध्याय १ - भाग ३
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
अध्याय १ - भाग ४
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
अष्टाध्यायी - अध्याय २
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
Type: INDEX | Rank: 1 | Lang: sa
-
अध्याय २ - भाग १
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
अध्याय २ - भाग २
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
अध्याय २ - भाग ३
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
अध्याय २ - भाग ४
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
अष्टाध्यायी - अध्याय ३
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
Type: INDEX | Rank: 1 | Lang: sa
-
अध्याय ३ - भाग १
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
अध्याय ३ - भाग २
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
अध्याय ३ - भाग ३
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
अध्याय ३ - भाग ४
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
अष्टाध्यायी - अध्याय ४
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
Type: INDEX | Rank: 1 | Lang: sa
-
अध्याय ४ - भाग १
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
अध्याय ४ - भाग २
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
अध्याय ४ - भाग ३
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
अध्याय ४ - भाग ४
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
अष्टाध्यायी - अध्याय ५
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
Type: INDEX | Rank: 1 | Lang: sa
-
अध्याय ५ - भाग १
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
अध्याय ५ - भाग २
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
अध्याय ५ - भाग ३
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
अध्याय ५ - भाग ४
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
अष्टाध्यायी - अध्याय ६
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
Type: INDEX | Rank: 1 | Lang: sa
-
अध्याय ६ - भाग १
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
अध्याय ६ - भाग २
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
अध्याय ६ - भाग ३
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
अध्याय ६ - भाग ४
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
अष्टाध्यायी - अध्याय ७
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
Type: INDEX | Rank: 1 | Lang: sa
-
अध्याय ७ - भाग १
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
अध्याय ७ - भाग २
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
अध्याय ७ - भाग ३
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
अध्याय ७ - भाग ४
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
अष्टाध्यायी - अध्याय ८
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
Type: INDEX | Rank: 1 | Lang: sa
-
अध्याय ८ - भाग १
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
अध्याय ८ - भाग २
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
अध्याय ८ - भाग ३
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
अध्याय ८ - भाग ४
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
अष्टाध्यायी
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे , जो ई . पू . ५००व्या शतकात रचला गेला .
Type: INDEX | Rank: 1 | Lang: sa
-
सार्थपिड्गलछन्द:सूत्र
सार्थपिड्गलछन्द:सूत्र
Type: INDEX | Rank: 1 | Lang: sa
-
सार्थपिड्गलछन्द:सूत्र - प्रस्तावना
सार्थपिड्गलछन्द:सूत्र
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
सार्थपिड्गलछन्द:सूत्र - अथछन्द:सूत्रविषयानुक्रमणी
अथछन्द:सूत्रविषयानुक्रमणी
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
सार्थपिड्गलछन्द:सूत्र -अध्याय पहिला
सार्थपिड्गलछन्द:सूत्र
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
सार्थपिड्गलछन्द:सूत्र -अध्याय दुसरा
सार्थपिड्गलछन्द:सूत्र
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
सार्थपिड्गलछन्द:सूत्र -अध्याय तिसरा
सार्थपिड्गलछन्द:सूत्र
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
सार्थपिड्गलछन्द:सूत्र -अध्याय चौथा
सार्थपिड्गलछन्द:सूत्र
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
सार्थपिड्गलछन्द:सूत्र -अध्याय पांचवा
सार्थपिड्गलछन्द:सूत्र
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
सार्थपिड्गलछन्द:सूत्र -अध्याय सहावा
सार्थपिड्गलछन्द:सूत्र
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
सार्थपिड्गलछन्द:सूत्र -अध्याय सातवा
सार्थपिड्गलछन्द:सूत्र
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
व्याकरणः
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई. पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
Type: INDEX | Rank: 1 | Lang: sa
-
लघुसिद्धान्तकौमुदी
‘लघुसिद्धान्तकौमुदी’ पाणिनीय संस्कृत व्याकरणाची एक (अष्टाध्यायी) परम्परागत प्रवेशिका आहे. लघुसिद्धान्तकौमुदी विद्वन्मान्य ‘वरदराज’ यांची रचना आहे. लघुसिद्धान्तकौमुदी अत्यन्त संक्षिप्त व्याकरण-पुस्तक आहे. या पुस्तकात पाणिनीच्या १२७२ सूत्रांची उदाहरणासहित व्याख्या केली गेली आहे.A Complete introduction to Panini Sutras for the use of beginners.Laghu Siddhanta Kaumudi is a text in which Panini Sutras are so rearranged as to bring together the relevant sutras bearing on a particular topic.
Type: INDEX | Rank: 1 | Lang: sa
-
लघुसिद्धान्तकौमुदी - भाग १
‘लघुसिद्धान्तकौमुदी’ पाणिनीय संस्कृत व्याकरणाची एक (अष्टाध्यायी) परम्परागत प्रवेशिका आहे. A Complete introduction to Panini Sutras for the use of beginners.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
लघुसिद्धान्तकौमुदी - भाग २
‘लघुसिद्धान्तकौमुदी’ पाणिनीय संस्कृत व्याकरणाची एक (अष्टाध्यायी) परम्परागत प्रवेशिका आहे. A Complete introduction to Panini Sutras for the use of beginners.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
लघुसिद्धान्तकौमुदी - भाग ३
‘लघुसिद्धान्तकौमुदी’ पाणिनीय संस्कृत व्याकरणाची एक (अष्टाध्यायी) परम्परागत प्रवेशिका आहे. A Complete introduction to Panini Sutras for the use of beginners.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
लघुसिद्धान्तकौमुदी - भाग ४
‘लघुसिद्धान्तकौमुदी’ पाणिनीय संस्कृत व्याकरणाची एक (अष्टाध्यायी) परम्परागत प्रवेशिका आहे. A Complete introduction to Panini Sutras for the use of beginners.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
लघुसिद्धान्तकौमुदी - भाग ५
‘लघुसिद्धान्तकौमुदी’ पाणिनीय संस्कृत व्याकरणाची एक (अष्टाध्यायी) परम्परागत प्रवेशिका आहे. A Complete introduction to Panini Sutras for the use of beginners.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
लघुसिद्धान्तकौमुदी - भाग ६
‘लघुसिद्धान्तकौमुदी’ पाणिनीय संस्कृत व्याकरणाची एक (अष्टाध्यायी) परम्परागत प्रवेशिका आहे. A Complete introduction to Panini Sutras for the use of beginners.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
लघुसिद्धान्तकौमुदी - भाग ७
‘लघुसिद्धान्तकौमुदी’ पाणिनीय संस्कृत व्याकरणाची एक (अष्टाध्यायी) परम्परागत प्रवेशिका आहे. A Complete introduction to Panini Sutras for the use of beginners.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
लघुसिद्धान्तकौमुदी - भाग ८
‘लघुसिद्धान्तकौमुदी’ पाणिनीय संस्कृत व्याकरणाची एक (अष्टाध्यायी) परम्परागत प्रवेशिका आहे. A Complete introduction to Panini Sutras for the use of beginners.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
लघुसिद्धान्तकौमुदी - भाग ९
‘लघुसिद्धान्तकौमुदी’ पाणिनीय संस्कृत व्याकरणाची एक (अष्टाध्यायी) परम्परागत प्रवेशिका आहे. A Complete introduction to Panini Sutras for the use of beginners.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
लघुसिद्धान्तकौमुदी - भाग १०
‘लघुसिद्धान्तकौमुदी’ पाणिनीय संस्कृत व्याकरणाची एक (अष्टाध्यायी) परम्परागत प्रवेशिका आहे. A Complete introduction to Panini Sutras for the use of beginners.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
लघुसिद्धान्तकौमुदी - भाग ११
‘लघुसिद्धान्तकौमुदी’ पाणिनीय संस्कृत व्याकरणाची एक (अष्टाध्यायी) परम्परागत प्रवेशिका आहे. A Complete introduction to Panini Sutras for the use of beginners.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
लघुसिद्धान्तकौमुदी - भाग १२
‘लघुसिद्धान्तकौमुदी’ पाणिनीय संस्कृत व्याकरणाची एक (अष्टाध्यायी) परम्परागत प्रवेशिका आहे. A Complete introduction to Panini Sutras for the use of beginners.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
अध्याय १ - पाद १
व्याकरणमहाभाष्य म्हणजे पाणिनि लिखीत अष्टाध्यायीतील काही निवडक सूत्रांवर पतञ्जलिने केलेले भाष्य. या ग्रंथाची रचना ई.पू २०० ते ई.पू १४० मध्ये केली गेली, असे मत व्याकरण पंडितांचे आहे.
Type: INDEX | Rank: 1 | Lang: sa
-
पाद १ - खण्ड १
व्याकरणमहाभाष्य म्हणजे पाणिनि लिखीत अष्टाध्यायीतील काही निवडक सूत्रांवर पतञ्जलिने केलेले भाष्य. या ग्रंथाची रचना ई.पू २०० ते ई.पू १४० मध्ये केली गेली, असे मत व्याकरण पंडितांचे आहे.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa
-
पाद १ - खण्ड २
व्याकरणमहाभाष्य म्हणजे पाणिनि लिखीत अष्टाध्यायीतील काही निवडक सूत्रांवर पतञ्जलिने केलेले भाष्य. या ग्रंथाची रचना ई.पू २०० ते ई.पू १४० मध्ये केली गेली, असे मत व्याकरण पंडितांचे आहे.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: sa