संस्कृत सूची|संस्कृत साहित्य|अष्टोत्तरशतनामस्तोत्र| श्रीहनुमदष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् अष्टोत्तरशतनामस्तोत्र श्री हयग्रीवाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्री आञ्जनेय अष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् तुलस्यष्टोत्तरशतनामस्तोत्रं नृसिंहाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् सरस्वत्यष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीदुर्गाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् गौर्यष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्री वेङ्कटेशाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् ललिताष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् सुब्रह्मण्याष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् लक्ष्म्यष्टोत्तरशतनाम्स्तोत्रम् श्रीरामाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् शिवाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीकृष्णाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीगणेशाष्टोत्तरशतनाम्स्तोत्रम् श्री सीता अष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्री सुदर्शनाष्टोत्तरशतनाम स्तोत्रं सहस्रशीर्ष्णे वै तुभ्यं स... गणेशहेरंबगजाननेति महोदर! ... श्री देव्युवाच- देव देव म... श्रीशंकराचार्यवर्यश्च ब्र... महाशास्ता महादेवो महादेवस... रजताचलशृंगाग्रमध्यस्थायै ... वासुदेवं हृषीकेशं वामनं ज... अग्नेः अष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीअङ्गारकाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् अन्नपूर्णा अष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीअन्नपूर्णाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् अर्धनारीश्वर्यष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् अवलोकितेश्वराष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् आकाशगर्भनामाष्टोत्तरशतस्तोत्रम् श्रीमदानन्दनटराजाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् बटुकभैरवाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् आर्यताराष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् आर्यमञ्जुश्रीनामाष्टोत्तरशतकस्तोत्रम् इन्दिराष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् उमाऽष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् कालीशतनामस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥ श्रीकमलाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् कार्तिकेयशताष्टनामस्तोत्रम् श्रीकार्तिकेयाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् आद्या कालिकादेव्याः शतनामस्तोत्रम् कालिकाशतनामस्तोत्रम् श्रीकालीशतनामस्तोत्रम् कालीशतनामस्तोत्रम् श्रीकिरातशास्तुः अष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीकृष्णाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीकृष्णाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीकेतु अष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीगङ्गाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीगणपतिगकाराष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीगणेशाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् गणेशाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीगरुडाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीगायत्र्यष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् गीतासारगुर्वष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीगुरुवातपुराधीशाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीगुरुवायुपुरेश्वराष्टोत्तरशतनामस्तोत्ररत्नम् श्रीगुर्वाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीगोकुलेशाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीगोदाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीगोदाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीगौराङ्गाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् गौरीपतिशतनामस्तोत्रम् गौर्यष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीचन्द्राष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीचन्द्राष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीचामुण्डेश्वरी अष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीछिन्नमस्ताष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीजानकी अष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीकृष्णोक्त झिल्लिरास्तोत्रम् श्रीताराशतनामस्तोत्रम् ताराशतनामस्तोत्रम् श्रीताराशतनामस्तोत्रम् दत्तात्रेयाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीदत्तात्रेयाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् दकारादिदत्तात्रेयाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीकल्क्यष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् ककारादि श्रीकूर्माष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीकृष्णाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीनरसिंहाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीबुद्धाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीमत्स्याष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीपरशुरामाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीरामाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीवराहाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीवामनाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीवामनाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीदक्षिणामूर्ति अष्टोत्तरशतनामस्तोत्र श्रीदक्षिणामूर्त्यष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीदुर्गाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीदुर्गाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् देवीवैभवाश्चर्याष्टोत्तरशतदिव्यनामस्तोत्रम् श्रीधन्वन्तर्यष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीधर्मशास्तुः अष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीधूमावत्यष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् नारायणाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् नित्यानन्दाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीनिम्बार्काष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीनृसिंहगिरिमहामण्डलेश्वराष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीनृसिंहाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीनृसिंहाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् पकारादि श्रीपरशुरामाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीपार्थसारथ्यष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीपार्थसारथ्यष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीपार्वत्यष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीपीताम्बराष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीवृन्दावनेश्वर्या अष्टोत्तरशतनामस्तोत्रं श्रीबगलाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीबगलाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीबगलाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीबटुकभैरवाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीबटुकभैरवाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् बटुकभैरवाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रं श्रीबालाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् १ श्रीबालात्रिपुरसुन्दर्यष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् २ श्रीबालाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् ३ श्रीबालाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् ४ श्रीबालाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् ५ बिल्वाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीबुधाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीभद्रकाल्यष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीभुवनेश्वर्यष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीभुवनेश्वर्यष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीभुवनेश्वर्यष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीभैरव्यष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् भैरव्यष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् मन्त्रसिद्धिप्रदमहादुर्गाशतनामस्तोत्रम् श्रीमहाकालककाराद्यष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् महाचक्रवर्तिनामाष्टोत्तरशतस्तोत्रम् महात्रिपुरसुन्दर्यष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् माणिक्यवाचकाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीमातङ्गीशतनामस्तोत्रम् मातङ्ग्यष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीरङ्गनाथाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीराघवेन्द्राष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीराधाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीराधिकाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् रामनामाष्टोत्तरशतरामायणम् रामानुजाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीरामाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् रामाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीरामाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीरामाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीराहु अष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीरेणुका अष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीललिताम्बिका दिव्याष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीललितालकारादिशतनामस्तोत्रम् श्रीलक्ष्मीचन्द्रलाम्बाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीलक्ष्मीनारायणाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् लक्ष्मीनृसिंहाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीलक्ष्म्यष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीलक्ष्म्यष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् कृष्णलीलाशतनामस्तोत्रम् वज्रपाणिनामाष्टोत्तरशतस्तोत्रम् श्रीवराहाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् वसुधारानामधारणीस्तोत्रम् श्रीवासवीकन्यकापरमेश्वर्यष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीविघ्नेश्वराष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीविठ्ठलाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीविद्यागणेशाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीविद्यारण्याष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् विश्वकर्मनामाष्टोत्तरशतकम् श्रीविष्णोरकाराद्यष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीविष्णोरष्टोत्तरशतदिव्यस्थानीयनामस्तोत्रम् श्रीविष्णोरष्टोत्तरशतदिव्यस्थानीयनामस्तोत्रम् श्रीवेङ्कटेश्वराष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीवेदव्यासाष्टोत्तरनामस्तोत्रम् श्रीमद्वेदान्तदेशिकाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् व्यासाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीशङ्कराचार्याष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीशनि अष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीनृसिंहकृत शरभस्तोत्रम् शरभेश्वराष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीशिवाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् शिवाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीशिवाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् शिवाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीशुक्राष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् शोणाचलशिवनामस्तोत्रम् श्रीश्यामदेवाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीकृष्णाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीषोडशीशतनामस्तोत्रम् श्रीसन्तोषीमातुरष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीसरस्वत्यष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीसीताष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् सीताष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्री सीता अष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीसुदर्शनाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् सुब्रह्मण्यषडक्षराष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीसुब्रह्मण्याष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीसूर्याष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीसूर्याष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् सूर्याष्टोत्तरशतनामस्तोत्रं सूर्याष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् सौभाग्याष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् स्कन्दशताष्टनामस्तोत्रम् स्कन्दाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीहनुमदष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीहनुमदष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् हनुमदष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीहनुमदष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् हनुमदष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीहनुमदष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीहनुमदष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीहनुमदष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीहनुमदष्टोत्तरशतनामस्तोत्रनामावलिः श्रीहनुमदष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीहयग्रीवाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीहरिहरपुत्राष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् हरिहराष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् श्रीहनुमदष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् देवी देवता कवच शारीरिक आणि मानसिक सुरक्षा देते, नकारात्मक शक्ती आणि संकटांपासून वाचवते. Tags : ashtottar shatnam stotradevidevtasanskritstotraसंस्कृतस्तोत्र श्रीहनुमदष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् Translation - भाषांतर ॥ श्रीसीतरामचन्द्राभ्यां नमः ॥श्रीपराशर उवाच -स्तोत्रान्तरं प्रवक्ष्यामि हनुमत्प्रतिपादकम् ।शृणु मैत्रेय विप्रेन्द्र अष्टोत्तरशताधिकम् ॥अगस्त्येन पुरा प्रोक्तं सुतीक्ष्णाय महात्मने ।सर्वपापक्षयकरं सदा विजयवर्धनम् ॥सुतीक्ष्ण उवाचः -भगवन् केन मन्त्रेण स्तुत्वा तं भुवि मानवः ।अयत्नेनैव लभते सहसा सर्वसम्पदः ॥भूतप्रेतपिशाचादि पूतनाब्रह्मराक्षसाः ।कूष्माण्डकिन्नराधीशरक्षो यक्षखगादिना ॥निधनं चैव दैत्यानां दानवानां विशेषतः ।अपस्मारग्रहाणां च स्त्रीग्रहाणां तथैव च ॥महामृत्युग्रहाणां च नीचचोरग्रहात्मनाम् ।अन्येषां चातिघोराणां सर्पाणां क्रूरकर्मणाम् ॥वातपित्तकफादिनां ज्वराणामतिरोगिणाम् ।शिरो नेत्रमुखास्यान्ध्रिगुदघ्राणोदरीभवाम् ॥तथैव राजयक्ष्माणां शान्तिः केन प्रदृश्यते ।चोरादि राजशस्त्रादि विषदुस्स्वप्नभीतीषु ॥सिंहव्याघ्रवराहादिष्वन्यास्वापत्सु भीतिषु ।किं जप्त्व्यं महाभाग ब्रूहि शिष्यस्य मे मुने ॥श्रीअगस्त्य उवाच -सुहृदो मम भक्तस्य तव रक्षाकरं वरम् ।प्रवक्ष्यामि शृणुष्वैकं सुतीक्ष्ण सुसमाहितः ॥उपेन्द्रेण पुरेन्द्राय प्रोक्तं नारायणात्मना ।त्रैलोक्यैश्वर्यसिद्ध्यर्थमभावाय च चिद्विषाम् ॥सभायां नारदादीनां ऋषिणां पुण्यकर्मणाम् ।उपविश्य मया तत्र शृतं तस्य प्रसादतः ॥अष्टोत्तरशतं नाम्ना मतिगुह्यं हनुमतः ।नोक्तपूर्वमिदं ब्रह्मन् रहस्यं यस्यकस्यचित् ॥ॐ अस्य श्रीहनुमदष्टोत्तरशतदिव्यनामस्तोत्रमन्त्रस्यअगस्त्यो भगवान् ऋषिः । अनुष्टुप्छन्दः । श्रीहनुमान् देवता ।मारुतात्मज इति बीजम् । अञ्जनासूनुरिति शक्तिः ।वायुपुत्रेति कीलकम् ।मम श्रीहनुमत्प्रसादसिद्ध्यर्थे जपे विनियोगः ॥ॐ नमो भगवते आञ्जनेयाय अङ्गुष्ठाभ्यां नमः ।ॐ नमो भगवते वायुपुत्राय तर्जनीभ्यां नमः ।ॐ नमो भगवते केसरिप्रियनन्दनाय मध्यमाभ्यां नमः ।ॐ नमो भगवते रामदूताय अनामिकाभ्यां नमः ।ॐ नमो भगवते लक्ष्मणप्राणदात्रे कनिष्ठिकाभ्यां नमः ।ॐ नमो भगवते श्रीहनुमते करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः ।इति करन्यासः ॥ॐ नमो भगवते आञ्जनेयाय हृदयाय नमः ।ॐ नमो भगवते वायुपुत्राय शिरसे स्वाहा ।ॐ नमो भगवते केसरिप्रियनन्दनाय शिखायै वषट् ।ॐ नमो भगवते रामदूताय कवचाय हुम् ।ॐ नमो भगवते लक्ष्मणप्राणदात्रे नेत्रत्रयाय वौषट् ।ॐ नमो भगवते श्रीहनुमते अस्त्राय फट् ।इति हृदयादि षडङ्गन्यासः ॥भूर्भूवस्वरोमिति दिग्बन्धः ॥॥ अथ ध्यानम् ॥पम्पातटवनोद्देशे परमर्षिनिषेविते ।परितस्सिद्धगन्धर्वकिन्नरोरगसेविते ॥निर्वैरमृगसिंहादि नानासत्वनिषेविते ।मधुरे मधुरालापे मनोज्ञतलकन्दरे ॥मतङ्गपर्वतप्रान्तमानसादिमनोहरे ।महासिंहगुहागेहे उपरञ्जितपश्चिमे ॥अतीन्द्रियमनोभारैः अतिमन्मथकाननैः ।शमादि गुणसम्पन्नैः अतीतषडरातिभिः ॥निखिलागमतत्वज्ञैः मुनिभिर्मुदितात्मभिः ।उपास्यमानवद्भाजन मणिपीठ उपस्थितम् ॥नलनीलमुखैश्चापि वानरैन्द्रैरुपासितम् ।समुदञ्चितवालाग्रं समग्रमणिभूषणम् ॥शमान्तकमहोरस्कसमाहितभुजद्वयम् ।परार्थ्यं पद्मरागादि स्फुरन्मकरकुण्डलम् ॥वज्रपाताङ्किततनुं वज्रपिङ्गाक्षभीषणम् ।स्वर्णाब्जकेसरिप्रख्यशिरोरुहविराजितम् ॥नवरत्नाञ्चितस्वर्णविचित्रवनमालया ।आसिनपादपाथोजमापन्नार्तिनिवारणम् ॥करुणावरुणावासमरुणारुणमण्डलम् ।किरणारुणितोपान्तचरणं नवहारिणम् ॥कारणं सुरकार्याणामसुराणां निवारणम् ।भूषणं हि नगेन्द्रस्य मानसाचलपारगम् ॥पुराणं प्रणताशानां चरणायोधनप्रियम् ।स्मरणापहृताघौघं भरणावहितं सताम् ॥शरणागतसन्त्राणकारणैकव्रतक्षमम् ।क्षणादसुरराजेन्द्रतनयप्राणहारिणम् ॥पवमानसुतं वीरं परीतं पनसादिभिः ॥इत्थ ध्यायन्नमन्नेव चेतसा साधकोत्तमः ।सर्वान्कामानवाप्नोति नात्र कार्या विचारणा ॥॥ इति ध्यानम् ॥ॐ नमः प्लवगेन्द्राय वायुपुत्राय वालिने ।वालाग्निदग्धलङ्काय बालार्कज्योतिषे नमः ॥आञ्जनेयाय महते प्रभञ्जनसुताय ते ।प्रमतादिहृते तुभ्यं प्रमाणाद्भुतचेतसे ॥प्राचेतसप्रणयिने नमस्ते सुरवैरिणे ।वीराय वीरवन्द्याय वीरोन्मत्ताय विद्विषाम् ॥विशातकाय वेद्याय विश्वव्यापिशरीरिणे ।विष्णुभक्ताय भक्तानामुपकर्त्रे जितात्मने ॥वनमालाग्रवालाय पवमानात्मने नमः ।कृतमानाय कृत्येषु वीतरागाय ते नमः ॥वालधृतमहेन्द्राय सूर्यपुत्रहितैषिणे ।बलसूदनमित्राय वरदाय नमो नमः ॥शमादिगुणनिष्ठाय शान्ताय शमितारये ।शत्रुघ्नाय नमस्तुभ्यं शम्बरारिजिते नमः ॥जानकीक्लेशसंहर्त्रे जनकानन्ददायिने ।लङ्घितोदधये तुभ्यं तेजसां निधये नमः ॥नित्याय नित्यानन्दाय नैष्ठिकब्रह्मचारिणे ।ब्रह्माण्डव्याप्तदेहाय भविष्यद्ब्रह्मणे नमः ॥ब्रह्मास्त्रवारकायस्तु सहसद्ब्रह्मवेदिने ।नमो वेदान्तविदुषे वेदाध्ययनशालिने ॥नखायुधाय नाथाय नक्षत्राधिपवर्चसे ।नमो नागारिसेव्याय नमस्सुग्रीवमन्त्रिणे ॥दशास्यदर्पहन्त्रेच छायाप्राणापहारिणे ।गगनत्वरगतये नमो गरुडरंहसे ॥गुहानुयाय गुह्याय गम्भीरपतये नमः ।शत्रुघ्नाय नमस्तुभ्यं शरान्तरविहारिणे ॥राघवप्रियदूताय लक्ष्मणप्राणदायिने ।लङ्किणीसत्वसंहर्त्रे चैत्यप्रासादभञ्जिने ॥भवाम्बुराशेः पाराय परविक्रमहारिणे ।नमो वज्रशरीयाय वज्राशनिनिवारिणे ॥नमो रुद्रावताराय रौद्राकाराय वैरिणाम् ।किङ्करान्तकरूपाय मन्त्रीपुत्रनिहन्त्रिणे ॥महाबलाय भीमाय महताम्पतये नमः ।मैनाककृतमानाय मनोवेगाय मालिने ॥कदलीवनसंस्थाय नमस्सर्वार्थदायिने ।ऐन्द्रव्याकरणज्ञाय तत्त्वज्ञानार्थवेदिने ॥कारुण्यनिधये तुभ्यं कुमारब्रह्मचारिणे ।नमो गम्भीरशब्दाय सर्वग्रहनिवारिणे ॥सुभगाय सुशान्ताय सुमुखाय सुवर्चसे ।सुदुर्जयाय सूक्ष्माय सुमनःप्रियबन्धवे ॥सुरारिवर्गसंहर्त्रे हर्यृक्षाधीश्वराय ते ।भूतप्रेतादिसंहर्त्रे भूतावेशकराय ते ॥नमो भूतनिषेवाय भूताधिपतये नमः ।नमो ग्रहस्वरूपाय ग्रहाधिपतये नमः ॥नमो ग्रहनिवाराय उग्राय चोग्रवर्चसे ।ब्रह्मतन्त्रस्वतन्त्राय शम्भुतन्त्रस्वतन्त्रिणे ॥हरितन्त्रस्वतन्त्राय तुभ्यं हनुमते नमः ।अष्टोत्तरशतं सङ्ख्या हनुमन्नाममूर्तयः ॥पुरतः परतो व्यापी मम पातु महाबलः ।शान्तिरस्तु शिवं चास्तु सत्यास्सन्तु मनोरथाः ॥रक्षा भवतु योनी वा विविधे वरदेहिनाम् ।अविघ्नो दुःखहानिश्च वाञ्छासिद्धिश्शुभोदयाः ।प्रजासिद्धिश्च सामर्थ्यं मानोन्नतिरनामयम् ॥इति श्रीहनुमदष्टोत्तरशतनामस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥ N/A References : N/A Last Updated : December 30, 2025 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. 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