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अर्थालंकार - अत्युक्ति
काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात.
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अर्थालंकार - निरुक्ति
काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात.
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अर्थालंकार - प्रतिषेध
काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात.
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अर्थालंकार - विधि
काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात.
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अर्थालंकार - हेतु
काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात.
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अर्थालंकार - प्रत्यक्षप्रमाण
काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात.
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अर्थालंकार - अनुमान
काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात.
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अर्थालंकार - उपमानप्रमाण
काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात.
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अर्थालंकार - शब्दप्रमाण
काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात.
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अर्थालंकार - अर्थापत्ति
काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात.
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अर्थालंकार - अनुपलब्धि
काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात.
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अर्थालंकार - संभव
काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात.
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अर्थालंकार - ऐतिह्य
काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात.
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अर्थालंकार - अनुकूल
काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात.
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अर्थालंकार - आशी
काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात.
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अर्थालंकार - रसवत्
काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात.
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अर्थालंकार - प्रेय
काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात.
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अर्थालंकार - ऊर्जस्वित्
काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात.
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अर्थालंकार - समाहित
काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात.
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अर्थालंकार - भावोदय
काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात.
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अर्थालंकार - भावसंधि
काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात.
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अर्थालंकार - भावशबलता
काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात.
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अर्थालंकार - संसृष्टि
काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात.
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अर्थालंकार - संकर
काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात.
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अर्थालंकार - चेतनगुणोक्ति
काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात.
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अलंकारदर्श
काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात.
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अलंकारदर्श - शब्दालंकार
काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात.
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शब्दालंकार - छेकानुप्रास
काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात.
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शब्दालंकार - वृत्यनुप्रास
काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात.
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शब्दालंकार - यमक
काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात.
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शब्दालंकार - श्रुत्यनुप्रास व अंत्यानुप्रास
काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात.
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शब्दालंकार - पुनरुक्तवदाभास
काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात.
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शब्दालंकार - लाडानुप्रास
काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात.
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शब्दालंकार - चित्र
काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात.
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अलंकारदर्श - अनुक्रमणिका
काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात.
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अलंकारदर्श - अलंकारांचें वर्गीकरण.
काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात.
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अलंकारदर्श - कठीण शब्दांचा कोष
काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात.
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अनुच्चारित अनुस्वार
व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे.
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अनुच्चारित अनुस्वार - अनुक्रमणिका
व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे.
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अनुच्चारित अनुस्वार - लिंगविचार
व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे.
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अनुच्चारित अनुस्वार - वचनविचार
व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे.
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अनुच्चारित अनुस्वार - सर्वनामविचार
व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे.
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अनुच्चारित अनुस्वार - विशेषणविचार
व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे.
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अनुच्चारित अनुस्वार - क्रियापदविचार
व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे.
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अनुच्चारित अनुस्वार - विभक्तिविचार
व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे.
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विभक्तिसंबधी अनुस्वार तृतीया
व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे.
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विभक्तिसंबधी अनुस्वार षष्ठी
व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे.
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विभक्तिसंबधी अनुस्वार सप्तमी
व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे.
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द्वितीया, चतुर्थी, पंचमी, संबोधन विभक्तीसंबंधीं अनुस्वार
व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे.
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कर्ता, कर्म ओळखणें
व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे.
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शुद्धलेखन - जोडाक्षरें
व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे.
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प्रयोग - विचार
व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे.
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प्रयोगासंबंधीं अनुस्वार
व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे.
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अनुस्वारासंबंधीं
व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे.
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शुद्धलेखन - र्हस्व - दीर्घ विचार
व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे.
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शुद्धलेखन - विरामचिन्हें
व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे.
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शब्दांच्या लिंगाविषयी मतभिन्नता
व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे.
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व्याकरण चालविणें
व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे.
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काही वाक्यांचें व्याकरण
व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे.
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वृत्तदर्पण
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
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उपोध्दात
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
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अक्षरगणलक्षण
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
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मात्रालक्षण.
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
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अक्षरगणवृत्तें
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
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समवृत्तें - अनुक्रमणिका
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
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विद्युन्माला
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
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अनुष्टुभ्
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
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चंपकमाला
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
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हंसी
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
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कामदा
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
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मयूरी
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
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शुध्दकामदा
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
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उपेंद्रवज्रा
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
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उपजाति
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
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शालिनी
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
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बोधक
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
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रथोध्दता
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
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स्वागता
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
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भद्रिका
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
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भुजंगप्रयात
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
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वंशस्थ
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
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इद्रवंशा
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
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तोटक
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
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स्रग्विणी
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
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वैश्वदेवी
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
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मालती
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
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यूथिका
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
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सारंग
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
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प्रभावती
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
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मंजुभाषिणी
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
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प्रहर्षिणी
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
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मत्तमयूरी
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
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विभावरी
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
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चंद्रिका
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
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वसंततिलकां
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
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प्रहरणकलिका
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
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असंबाधा
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
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मध्यक्षमा
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
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रुक्मिणी
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
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मालिनी
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
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चामर
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
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रमा
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
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पंचचामर
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
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चित्रवृत्त
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
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शिखरिणी
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
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पृथ्वी
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
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हरिणी
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
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मंदाक्रांता
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
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विबुधप्रिया
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
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शार्दूलविक्रीडित
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
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अमृतध्वनि
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
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मंदारमाला
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
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उमा
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
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मदिरा
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
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मदिरा किंवा सवाई
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
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दुसरी सवाई
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
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वियोगिनी
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
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माल्यभारा
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
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हरिणीप्लुता
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
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पुष्पिताग्रा
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
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उपगीतिलक्षण
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
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आर्यालक्षण
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
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उद्रीतिलक्षण
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
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गीतिलक्षण
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
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आर्यगीतिलक्षण
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
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अभंग छंद
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
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दिंडी छंद
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
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छंदोमंजरी - समवृत्तें
कांही नियमित अक्षरांत लघु-गुरूंच्या विशिष्ट क्रमाने रचना करून दाखविणे हेंच तें होय.
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एकाक्षरी वृत्तें - उक्ता
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दोन अक्षरीं वृत्तें - अत्युक्ता
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तीन अक्षरी वृत्तें - मध्या
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चार अक्षरी वृत्तें - प्रतिष्ठा
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पांच अक्षरी वृत्तें - सुप्रतिष्ठा
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सहा अक्षरी वृत्तें - गायत्री
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सात अक्षरी वृत्तें - उष्णिक्
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आठ अक्षरी वृत्तें - अनुष्टुप्
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आठ अक्षरी वृत्तें - अनुष्टुप्
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नऊ अक्षरी वृत्तें - बृहती
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दहा अक्षरीं वृत्तें - पंक्ति
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दहा अक्षरीं वृत्तें - पंक्ति
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अकरा अक्षरी वृत्तें - त्रिष्टुप्
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अकरा अक्षरी वृत्तें - त्रिष्टुप्
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अकरा अक्षरी वृत्तें - त्रिष्टुप्
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अकरा अक्षरी वृत्तें - त्रिष्टुप्
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बारा अक्षरी वृत्तें - जगती
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बारा अक्षरी वृत्तें - जगती
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बारा अक्षरी वृत्तें - जगती
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चौदा अक्षरी वृत्तें - शक्वरी
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चार अक्षरी वृत्तें - प्रतिष्ठा
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सोळा अक्षरी वृत्तें - अष्टि
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सतरा अक्षरी वृत्ते - अत्यष्टि
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अठरा अक्षरी वृत्ते - धृति
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एकोणीस अक्षरी वृत्तें - अतिधृति
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वीस अक्षरी वृत्ते - कृति
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एकवीस अक्षरी वृत्तें - प्रकृति
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बावीस अक्षरी वृत्ते - आकृति
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तेवीस अक्षरी वृत्तें - विकृति
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चोवीस अक्षरी वृत्तें - संस्कृति
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पंचवीस अक्षरी वृत्तें - अतिकृति
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सव्वीस अक्षरी वृत्ते - उत्कृति
कांही नियमित अक्षरांत लघु-गुरूंच्या विशिष्ट क्रमाने रचना करून दाखविणे हेंच तें होय.
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छंदोमंजरी - अर्धसमवृत्तें
कांही नियमित अक्षरांत लघु-गुरूंच्या विशिष्ट क्रमाने रचना करून दाखविणे हेंच तें होय.
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अर्धसमवृत्तें - १५४ ते १६०
कांही नियमित अक्षरांत लघु-गुरूंच्या विशिष्ट क्रमाने रचना करून दाखविणे हेंच तें होय.
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अर्धसमवृत्तें - १६१ ते १६५
कांही नियमित अक्षरांत लघु-गुरूंच्या विशिष्ट क्रमाने रचना करून दाखविणे हेंच तें होय.
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अर्धसमवृत्तें - १६६ ते १७५
कांही नियमित अक्षरांत लघु-गुरूंच्या विशिष्ट क्रमाने रचना करून दाखविणे हेंच तें होय.
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छंदोमंजरी - परिशिष्ट अ
वृत्त म्हणजे कांहीं नियमित अक्षरांत लघु- गुरुंची विशिष्ट क्रमानें रचना करुन दाखविणें.
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वृत्तरत्नाकरांतील प्रस्तारादि विषयांचें विवेचन
वृत्त म्हणजे कांहीं नियमित अक्षरांत लघु- गुरुंची विशिष्ट क्रमानें रचना करुन दाखविणें.
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प्रस्तारप्रत्यय:
वृत्त म्हणजे कांहीं नियमित अक्षरांत लघु- गुरुंची विशिष्ट क्रमानें रचना करुन दाखविणें.
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नष्टप्रत्यय
वृत्त म्हणजे कांहीं नियमित अक्षरांत लघु- गुरुंची विशिष्ट क्रमानें रचना करुन दाखविणें.
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उद्दिष्टप्रत्यय
वृत्त म्हणजे कांहीं नियमित अक्षरांत लघु- गुरुंची विशिष्ट क्रमानें रचना करुन दाखविणें.
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एकव्द्यादिलगक्रियाप्रत्यय
वृत्त म्हणजे कांहीं नियमित अक्षरांत लघु- गुरुंची विशिष्ट क्रमानें रचना करुन दाखविणें.
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संख्यानप्रत्यय
वृत्त म्हणजे कांहीं नियमित अक्षरांत लघु- गुरुंची विशिष्ट क्रमानें रचना करुन दाखविणें.
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अध्वप्रत्यय
वृत्त म्हणजे कांहीं नियमित अक्षरांत लघु- गुरुंची विशिष्ट क्रमानें रचना करुन दाखविणें.
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छंदोमंजरी - परिशिष्ट आ
वृत्त म्हणजे कांहीं नियमित अक्षरांत लघु- गुरुंची विशिष्ट क्रमानें रचना करुन दाखविणें.
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अथ छंदोमंजरीप्रारंभ :
वृत्त म्हणजे कांहीं नियमित अक्षरांत लघु- गुरुंची विशिष्ट क्रमानें रचना करुन दाखविणें.
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अथ खंडमेरुसंज्ञार्थमत्कृतं सूत्रम्
वृत्त म्हणजे कांहीं नियमित अक्षरांत लघु- गुरुंची विशिष्ट क्रमानें रचना करुन दाखविणें.
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अथ सुमेरुसंज्ञार्थ सूत्रम्
वृत्त म्हणजे कांहीं नियमित अक्षरांत लघु- गुरुंची विशिष्ट क्रमानें रचना करुन दाखविणें.
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अथतिलघुक्रियाप्रस्तारे श्लोकसूत्रम्
वृत्त म्हणजे कांहीं नियमित अक्षरांत लघु- गुरुंची विशिष्ट क्रमानें रचना करुन दाखविणें.
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अथ संख्यानम्
वृत्त म्हणजे कांहीं नियमित अक्षरांत लघु- गुरुंची विशिष्ट क्रमानें रचना करुन दाखविणें.
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अथ नष्टोद्दिष्टकम्
वृत्त म्हणजे कांहीं नियमित अक्षरांत लघु- गुरुंची विशिष्ट क्रमानें रचना करुन दाखविणें.
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अथ नष्टप्रत्यय
वृत्त म्हणजे कांहीं नियमित अक्षरांत लघु- गुरुंची विशिष्ट क्रमानें रचना करुन दाखविणें.
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छंदोमंजरी
काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास ’ वृत्त ’ असे म्हणतात.
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छंदोमंजरी - परिशिष्ट इ
वृत्त म्हणजे कांहीं नियमित अक्षरांत लघु- गुरुंची विशिष्ट क्रमानें रचना करुन दाखविणें.
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छंदोमंजरी - उपोद्घात
वृत्त म्हणजे कांहीं नियमित अक्षरांत लघु- गुरुंची विशिष्ट क्रमानें रचना करुन दाखविणें.
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लोकगीत - गीत पहिले
लोकगीते ही लोकांची गाणी आहेत. जी कोणी एक व्यक्ति नाहीं तर पूर्ण समाज गात असतो. सामान्यतः लोकांत प्रचलित, लोकांद्वारे रचित आणि लोकांसाठी लिहीलेली गाणी यांनाच लोकगीते म्हणतात.
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लोकगीत - गीत दुसरे
लोकगीते ही लोकांची गाणी आहेत. जी कोणी एक व्यक्ति नाहीं तर पूर्ण समाज गात असतो. सामान्यतः लोकांत प्रचलित, लोकांद्वारे रचित आणि लोकांसाठी लिहीलेली गाणी यांनाच लोकगीते म्हणतात.
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लोकगीत - गीत तीसरे
लोकगीते ही लोकांची गाणी आहेत. जी कोणी एक व्यक्ति नाहीं तर पूर्ण समाज गात असतो. सामान्यतः लोकांत प्रचलित, लोकांद्वारे रचित आणि लोकांसाठी लिहीलेली गाणी यांनाच लोकगीते म्हणतात.
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लोकगीत - गीत चवथे
लोकगीते ही लोकांची गाणी आहेत. जी कोणी एक व्यक्ति नाहीं तर पूर्ण समाज गात असतो. सामान्यतः लोकांत प्रचलित, लोकांद्वारे रचित आणि लोकांसाठी लिहीलेली गाणी यांनाच लोकगीते म्हणतात.
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लोकगीत - गीत पाचवे
लोकगीते ही लोकांची गाणी आहेत. जी कोणी एक व्यक्ति नाहीं तर पूर्ण समाज गात असतो. सामान्यतः लोकांत प्रचलित, लोकांद्वारे रचित आणि लोकांसाठी लिहीलेली गाणी यांनाच लोकगीते म्हणतात.
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लोकगीत - गीत सहावे
लोकगीते ही लोकांची गाणी आहेत. जी कोणी एक व्यक्ति नाहीं तर पूर्ण समाज गात असतो. सामान्यतः लोकांत प्रचलित, लोकांद्वारे रचित आणि लोकांसाठी लिहीलेली गाणी यांनाच लोकगीते म्हणतात.
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लोकगीत - गीत सातवे
लोकगीते ही लोकांची गाणी आहेत. जी कोणी एक व्यक्ति नाहीं तर पूर्ण समाज गात असतो. सामान्यतः लोकांत प्रचलित, लोकांद्वारे रचित आणि लोकांसाठी लिहीलेली गाणी यांनाच लोकगीते म्हणतात.
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लोकगीत - गीत आठवे
लोकगीते ही लोकांची गाणी आहेत. जी कोणी एक व्यक्ति नाहीं तर पूर्ण समाज गात असतो. सामान्यतः लोकांत प्रचलित, लोकांद्वारे रचित आणि लोकांसाठी लिहीलेली गाणी यांनाच लोकगीते म्हणतात.
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लोकगीत - गीत नववे
लोकगीते ही लोकांची गाणी आहेत. जी कोणी एक व्यक्ति नाहीं तर पूर्ण समाज गात असतो. सामान्यतः लोकांत प्रचलित, लोकांद्वारे रचित आणि लोकांसाठी लिहीलेली गाणी यांनाच लोकगीते म्हणतात.
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लोकगीत - गीत दहावे
लोकगीते ही लोकांची गाणी आहेत. जी कोणी एक व्यक्ति नाहीं तर पूर्ण समाज गात असतो. सामान्यतः लोकांत प्रचलित, लोकांद्वारे रचित आणि लोकांसाठी लिहीलेली गाणी यांनाच लोकगीते म्हणतात.
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लोकगीत - गीत अकरावे
लोकगीते ही लोकांची गाणी आहेत. जी कोणी एक व्यक्ति नाहीं तर पूर्ण समाज गात असतो. सामान्यतः लोकांत प्रचलित, लोकांद्वारे रचित आणि लोकांसाठी लिहीलेली गाणी यांनाच लोकगीते म्हणतात.
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लोकगीत - गीत बारावे
लोकगीते ही लोकांची गाणी आहेत. जी कोणी एक व्यक्ति नाहीं तर पूर्ण समाज गात असतो. सामान्यतः लोकांत प्रचलित, लोकांद्वारे रचित आणि लोकांसाठी लिहीलेली गाणी यांनाच लोकगीते म्हणतात.
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लोकगीत - गीत तेरावे
लोकगीते ही लोकांची गाणी आहेत. जी कोणी एक व्यक्ति नाहीं तर पूर्ण समाज गात असतो. सामान्यतः लोकांत प्रचलित, लोकांद्वारे रचित आणि लोकांसाठी लिहीलेली गाणी यांनाच लोकगीते म्हणतात.
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लोकगीत - गीत चौदावे
लोकगीते ही लोकांची गाणी आहेत. जी कोणी एक व्यक्ति नाहीं तर पूर्ण समाज गात असतो. सामान्यतः लोकांत प्रचलित, लोकांद्वारे रचित आणि लोकांसाठी लिहीलेली गाणी यांनाच लोकगीते म्हणतात.
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लोकगीत - गीत पंधरावे
लोकगीते ही लोकांची गाणी आहेत. जी कोणी एक व्यक्ति नाहीं तर पूर्ण समाज गात असतो. सामान्यतः लोकांत प्रचलित, लोकांद्वारे रचित आणि लोकांसाठी लिहीलेली गाणी यांनाच लोकगीते म्हणतात.
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लोकगीत - गीत सोळावे
लोकगीते ही लोकांची गाणी आहेत. जी कोणी एक व्यक्ति नाहीं तर पूर्ण समाज गात असतो. सामान्यतः लोकांत प्रचलित, लोकांद्वारे रचित आणि लोकांसाठी लिहीलेली गाणी यांनाच लोकगीते म्हणतात.
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लोकगीत - गीत सतरावे
लोकगीते ही लोकांची गाणी आहेत. जी कोणी एक व्यक्ति नाहीं तर पूर्ण समाज गात असतो. सामान्यतः लोकांत प्रचलित, लोकांद्वारे रचित आणि लोकांसाठी लिहीलेली गाणी यांनाच लोकगीते म्हणतात.
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