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कार्तिक शुक्लपक्ष व्रत - ब्रह्मप्राप्ति व्रत
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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कार्तिक शुक्लपक्ष व्रत - शुक्लैकादशी
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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कार्तिक शुक्लपक्ष व्रत - प्रबोधैकादशीकृत्य
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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कार्तिक शुक्लपक्ष व्रत - भीष्मपञ्चक
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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कार्तिक शुक्लपक्ष व्रत - तुलसीविवाह
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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कार्तिक शुक्लपक्ष व्रत - तुलसीवास
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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कार्तिक शुक्लपक्ष व्रत - ब्रह्मकूर्च
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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कार्तिक शुक्लपक्ष व्रत - पाषाणचतुर्दशी
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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कार्तिक शुक्लपक्ष व्रत - वैकुण्ठचतुर्दशी
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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कार्तिक शुक्लपक्ष व्रत - कार्तिकी
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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कार्तिक शुक्लपक्ष व्रत - कार्तिकीका उद्यापन
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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मार्गशीर्षके व्रत
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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मार्गशीर्ष कृष्णपक्ष व्रत
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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मार्गशीर्ष कृष्णपक्ष व्रत - धन्यव्रत
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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मार्गशीर्ष कृष्णपक्ष व्रत - अनघाव्रत
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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मार्गशीर्ष कृष्णपक्ष व्रत - भैरवजयन्ती
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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मार्गशीर्ष कृष्णपक्ष व्रत - कालाष्टमी
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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मार्गशीर्ष कृष्णपक्ष व्रत - कृष्णैकादशीव्रत
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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मार्गशीर्ष कृष्णपक्ष व्रत - गौरीतपव्रत
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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मार्गशीर्ष शुक्लपक्ष व्रत
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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मार्गशीर्ष शुक्लपक्ष व्रत - शुक्लैकादशी
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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मार्गशीर्ष शुक्लपक्ष व्रत - व्यञ्जनद्वादशी
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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मार्गशीर्ष शुक्लपक्ष व्रत - द्वादशादित्यव्रत
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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मार्गशीर्ष शुक्लपक्ष व्रत - जनार्दनपूजा
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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मार्गशीर्ष शुक्लपक्ष व्रत - अनङ्गत्रयोदशी
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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मार्गशीर्ष शुक्लपक्ष व्रत - यमादर्शन
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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मार्गशीर्ष शुक्लपक्ष व्रत - पिशाचमोचनयात्रा
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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मार्गशीर्ष शुक्लपक्ष व्रत - शिवचतुर्दशीव्रत
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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माघ शुक्लपक्ष व्रत - शुक्लैकादशी
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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माघ शुक्लपक्ष व्रत - व्यञ्जनद्वादशी
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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माघ शुक्लपक्ष व्रत - द्वादशादित्यव्रत
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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मार्गशीर्ष शुक्लपक्ष व्रत - कृच्छ्रचतुर्थी
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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मार्गशीर्ष शुक्लपक्ष व्रत - वरचतुर्थी
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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मार्गशीर्ष शुक्लपक्ष व्रत - नागपञ्चमी
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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मार्गशीर्ष शुक्लपक्ष व्रत - श्रीपञ्चमी
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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मार्गशीर्ष शुक्लपक्ष व्रत - त्रितयसप्तमी
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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मार्गशीर्ष शुक्लपक्ष व्रत - मित्रसप्तमी
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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मार्गशीर्ष शुक्लपक्ष व्रत - भद्रासप्तमी
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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मार्गशीर्ष शुक्लपक्ष व्रत - निक्षुभार्कचतुष्ट्य
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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मार्गशीर्ष शुक्लपक्ष व्रत - नन्दिनी
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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मार्गशीर्ष शुक्लपक्ष व्रत - पदार्थदशमी
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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मार्गशीर्ष शुक्लपक्ष व्रत - धर्मत्रयव्रत
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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मार्गशीर्ष शुक्लपक्ष व्रत - दशादित्यव्रत
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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पौषके व्रत
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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पौष कृष्णपक्ष व्रत
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पौष कृष्णपक्ष व्रत - संकष्टचतुर्थी
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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पौष कृष्णपक्ष व्रत - रुक्मिणी अष्टमी
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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पौष कृष्णपक्ष व्रत - कृष्णैकादशी
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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पौष कृष्णपक्ष व्रत - सुरुपद्वादशी
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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पौष शुक्लपक्ष व्रत
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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पौष शुक्लपक्ष व्रत - आरोग्यव्रत
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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पौष शुक्लपक्ष व्रत - उभयसप्तमी
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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पौष शुक्लपक्ष व्रत - शुक्लैकादशी
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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पौष शुक्लपक्ष व्रत - सुजन्मद्वादशी
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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पौष शुक्लपक्ष व्रत - घृतदान
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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पौष शुक्लपक्ष व्रत - विरुपाक्षपूजन
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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पौष शुक्लपक्ष व्रत - ईशानव्रत
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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माघके व्रत
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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माघ कृष्णपक्ष व्रत
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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माघ कृष्णपक्ष व्रत - माघस्त्रान
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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माघ कृष्णपक्ष व्रत - वक्रतुण्डचतुर्थी
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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माघ कृष्णपक्ष व्रत - कृष्णैकादशी
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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माघ कृष्णपक्ष व्रत - माघी अमा
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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माघ कृष्णपक्ष व्रत - विधिपूजा
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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माघ कृष्णपक्ष व्रत - अर्धोदय
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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माघ कृष्णपक्ष व्रत - पात्रदान
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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माघ शुक्लपक्ष व्रत
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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माघ शुक्लपक्ष व्रत - कुण्डचतुर्थी
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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माघ शुक्लपक्ष व्रत - ढुण्ढिपूजा
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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माघ शुक्लपक्ष व्रत - शान्तिचतुर्थी
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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माघ शुक्लपक्ष व्रत - अङ्गारकचतुर्थी
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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माघ शुक्लपक्ष व्रत - गणेशव्रत
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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माघ कृष्णपक्ष व्रत - सुखचतुर्थी
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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माघ शुक्लपक्ष व्रत - श्रीपञ्चमी वसन्तपञ्चमी
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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माघ शुक्लपक्ष व्रत - मन्दारषष्ठी
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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माघ शुक्लपक्ष व्रत - दारिद्रयहरषष्ठी
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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माघ शुक्लपक्ष व्रत - भानुसप्तमी
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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माघ शुक्लपक्ष व्रत - पुत्रसप्तमी
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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माघ शुक्लपक्ष व्रत - सप्तसप्तमी
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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माघ शुक्लपक्ष व्रत - भीष्माष्टमी
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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माघ शुक्लपक्ष व्रत - तिलद्वादशी
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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माघ शुक्लपक्ष व्रत - दिनत्रयव्रत
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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माघ शुक्लपक्ष व्रत - माघी पूर्णिमा
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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माघ शुक्लपक्ष व्रत - महामाघी
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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फाल्गुनके व्रत
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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फाल्गुन कृष्णपक्ष व्रत
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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फाल्गुन कृष्णपक्ष व्रत - संकष्टचतुर्थी
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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फाल्गुन कृष्णपक्ष व्रत - जानकीव्रत
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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फाल्गुन कृष्णपक्ष व्रत - शिवरात्रि
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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फाल्गुन कृष्णपक्ष व्रत - मास शिवरात्रि
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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फाल्गुन कृष्णपक्ष व्रत - फाल्गुनी अमा
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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फाल्गुन शुक्लपक्ष व्रत
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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फाल्गुन शुक्लपक्ष व्रत - पयोव्रत
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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फाल्गुन शुक्लपक्ष व्रत - मधुकतृतीया
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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फाल्गुन शुक्लपक्ष व्रत - अविघ्रकरव्रत
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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फाल्गुन शुक्लपक्ष व्रत - मनोरथचतुर्थी
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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फाल्गुन शुक्लपक्ष व्रत - अर्कपुटसप्तमी
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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फाल्गुन शुक्लपक्ष व्रत - कामदा सप्तमी
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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फाल्गुन शुक्लपक्ष व्रत - कल्याणसप्तमी
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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फाल्गुन शुक्लपक्ष व्रत - द्वादशसप्तमी
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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फाल्गुन शुक्लपक्ष व्रत - लक्ष्मी सीताष्टमी
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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फाल्गुन शुक्लपक्ष व्रत - शुक्लैकादशी
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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फाल्गुन शुक्लपक्ष व्रत - पापनाशिनी द्वादशी
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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फाल्गुन शुक्लपक्ष व्रत - वृषदानव्रत
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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फाल्गुन शुक्लपक्ष व्रत - सर्वार्तिहरव्रत
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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फाल्गुन शुक्लपक्ष व्रत - फाल्गुनी पूर्णिमा
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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फाल्गुन शुक्लपक्ष व्रत - व्रतद्वयी पूर्णिमा
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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फाल्गुन शुक्लपक्ष व्रत - फाल्गुन्यां पूर्वाफाल्गुनी
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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फाल्गुन शुक्लपक्ष व्रत - अशोकव्रत
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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फाल्गुन शुक्लपक्ष व्रत - लक्ष्मीनारायणव्रत
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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फाल्गुन शुक्लपक्ष व्रत - कूर्चव्रत
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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फाल्गुन शुक्लपक्ष व्रत - तीर्थक्षेत्रीय व्रत
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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फाल्गुन शुक्लपक्ष व्रत - होलिकादहन
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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मासिक व्रत परिचय
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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व्रत परिचय तथा नियम
व्रत हिंदू संस्कृति एवं धर्मके प्राण है;व्रतोंपर वेद, धर्मशास्त्रों, पुराणों तथा वेदाङ्गोंमें बहुत कहा गया है ।
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वैभव लक्ष्मी व्रत
वैभव लक्ष्मी व्रत शीघ्र फलदायी है
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धर्मशास्त्रानुसार विशेष बातें
व्रत हिंदू संस्कृति एवं धर्मके प्राण है;व्रतोंपर वेद, धर्मशास्त्रों, पुराणों तथा वेदाङ्गोंमें बहुत कहा गया है ।
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पूजा विधी
पूजा व कथाHindu Pooja Vidhis. The rituals that can be performed during worship of Hindu Gods, Godesses. This collection might contain some of the day specific rituals.
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सार्थ श्रीसत्यनारायण पूजा कथा
सार्थ श्रीसत्यनारायण पूजा कथा - Shri Satyanarayan Pooja and Katha (Story)
Shri Satyanarayan Photograph for Pooja / श्री सत्यनारायण पुजेसाठी चित्र.Among the kathas that are prevalent in India, 'Shri Satyanarayan Vrat Katha' is the most popular.Satyanarayana vrat is the easiest and most inexpensive way of self-purification and self-surrender at the lotus feet of Hari. One who observes it with full devotion and faith is sure to attain his heart's desire. Our shastras state that during the 'Kalyug,' the fruit that one gets by hearing the 'Satyanarayan Katha' is enormous. The katha is dedicated to Lord Vishnu in his manifestation as Lord Satyanarayan. 'Satya' means truth, 'Nar' means a man and 'Ayan' means a place. Thus the place where truth resides in man is called Satyanarayan. The 'Satyanarayan katha' and the 'vrat' help us overcome vices like lust, anger, greed, attachments and ego
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सार्थ श्रीसत्यनारायण पूजा व्रत
सार्थ श्रीसत्यनारायण पूजा Satyanarayan Pooja Vrat
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सार्थ श्रीसत्यनारायण पूजा कथा - अध्याय पहिला
सार्थ श्रीसत्यनारायण पूजा कथा - अध्याय पहिलाSatyanarayan Katha - Part 1
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सार्थ श्रीसत्यनारायण पूजा कथा - अध्याय दुसरा
सार्थ श्रीसत्यनारायण पूजा कथा - अध्याय दुसराSatyanarayan Katha Part 2
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सार्थ श्रीसत्यनारायण पूजा कथा - अध्याय तिसरा
सार्थ श्रीसत्यनारायण पूजा कथा - अध्याय तिसराSatyanarayan Katha Part 3
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सार्थ श्रीसत्यनारायण पूजा कथा - अध्याय चौथा
सार्थ श्रीसत्यनारायण पूजा कथा - अध्याय चौथाSatyanarayan Katha Part 4
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सार्थ श्रीसत्यनारायण पूजा कथा - अध्याय पाचवा
सार्थ श्रीसत्यनारायण पूजा कथा - अध्याय पाचवाSatyanarayan Katha Part 5
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श्रीवरदलक्ष्मी पूजा
श्रीवरदलक्ष्मी व्रत केल्याने ऐश्वर्य प्राप्त होते.
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श्रीवरदलक्ष्मी कथा
वरदलक्ष्मी,व्रत, पूजा, pooja, vrat,
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श्रीअष्टपुत्रा महालक्ष्मी पाठ
पूजा व कथाHindu Pooja Vidhis. The rituals that can be performed during worship of Hindu Gods, Godesses. This collection might contain some of the day specific rituals.
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शुभ्र बुधवार व्रत
बुध ग्रहाला भाग्याचा म्हणजे नशिबाचा अधिपती असे म्हणतात, म्हणून या बुधग्रहाची भक्ती करावी.
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बुधाची जन्मकथा
कुंडलीतील बुध ग्रहाचा कोप शांत करण्यासाठी हे व्रत करतात. जीवनातील सर्व प्रकारचे वैभव आणि सुख-संपत्ती प्राप्त करण्यासाठी या व्रताची कथा ऐकून विधिवत व्रत करावे.
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बुधाची विवाहकथा
कुंडलीतील बुध ग्रहाचा कोप शांत करण्यासाठी हे व्रत करतात. जीवनातील सर्व प्रकारचे वैभव आणि सुख-संपत्ती प्राप्त करण्यासाठी या व्रताची कथा ऐकून विधिवत व्रत करावे.
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व्रत शुभ्र बुधवारचे
कुंडलीतील बुध ग्रहाचा कोप शांत करण्यासाठी हे व्रत करतात. जीवनातील सर्व प्रकारचे वैभव आणि सुख-संपत्ती प्राप्त करण्यासाठी या व्रताची कथा ऐकून विधिवत व्रत करावे.
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बुधाची उपासना
कुंडलीतील बुध ग्रहाचा कोप शांत करण्यासाठी हे व्रत करतात. जीवनातील सर्व प्रकारचे वैभव आणि सुख-संपत्ती प्राप्त करण्यासाठी या व्रताची कथा ऐकून विधिवत व्रत करावे.
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बुधाच्या भक्तीचे उपाय
कुंडलीतील बुध ग्रहाचा कोप शांत करण्यासाठी हे व्रत करतात. जीवनातील सर्व प्रकारचे वैभव आणि सुख-संपत्ती प्राप्त करण्यासाठी या व्रताची कथा ऐकून विधिवत व्रत करावे.
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नऊ ग्रहांतील बुध
कुंडलीतील बुध ग्रहाचा कोप शांत करण्यासाठी हे व्रत करतात. जीवनातील सर्व प्रकारचे वैभव आणि सुख-संपत्ती प्राप्त करण्यासाठी या व्रताची कथा ऐकून विधिवत व्रत करावे.
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बारा राशी आणि बुध
कुंडलीतील बुध ग्रहाचा कोप शांत करण्यासाठी हे व्रत करतात. जीवनातील सर्व प्रकारचे वैभव आणि सुख-संपत्ती प्राप्त करण्यासाठी या व्रताची कथा ऐकून विधिवत व्रत करावे.
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बुधाची थोरवी
कुंडलीतील बुध ग्रहाचा कोप शांत करण्यासाठी हे व्रत करतात. जीवनातील सर्व प्रकारचे वैभव आणि सुख-संपत्ती प्राप्त करण्यासाठी या व्रताची कथा ऐकून विधिवत व्रत करावे.
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गणेश चतुर्थी व्रत
हिंदू धर्मात गणेशाला बुद्धीची, ज्ञानाची देवता मानतात. सर्व शुभ कार्यात प्रथम गणपतीची पूजा करतात, कारण तो सुखकर्ता, दुःखहर्ता, विघ्नहर्ता आहे. Ganesh is one of the best-known God of knowledge and most worshipped deities in Hinduism. Lord Shree Ganesha is worshipped as the lord of beginnings and as the lord of remover of obstacles, patron of arts and sciences, and the god of intellect and wisdom. He is honoured with affection at the start of any ritual or ceremony.
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संकष्टी चतुर्थी व्रत
सर्व संकटांचा नाश करुन इच्छित फ़ळ शीघ्र प्राप्त करुन देणारे श्रीगणपतीचे व्रत.
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श्रीगणेशव्रतांची माहिती
श्रीगणेशव्रतांची थोडक्यात माहिती
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व्रते
सौभाग्यवती स्त्रियांनी हि व्रते केल्यास त्याचे उत्तम फळ मिळते.
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जोगेश्वरी मातेचे व्रत
जोगेश्वरी मातेचा नवाक्षरी मंत्र अत्यंत प्रभावी आहे.
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संकल्प
जोगेश्वरी मातेचा नवाक्षरी मंत्र अत्यंत प्रभावी आहे.
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जोगेश्वरी मातेची कहाणी
जोगेश्वरी मातेचा नवाक्षरी मंत्र अत्यंत प्रभावी आहे.
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जोगेश्वरी महात्म्य-पाठ
जोगेश्वरी मातेचा नवाक्षरी मंत्र अत्यंत प्रभावी आहे.
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जोगेश्वरी महात्म्य
जोगेश्वरी मातेचा नवाक्षरी मंत्र अत्यंत प्रभावी आहे.
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जोगेश्वरीची आरती
जोगेश्वरी मातेचा नवाक्षरी मंत्र अत्यंत प्रभावी आहे.
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आदिशक्ति भवानी स्तोत्र
जोगेश्वरी मातेचा नवाक्षरी मंत्र अत्यंत प्रभावी आहे.
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जोगवा
जोगेश्वरी मातेचा नवाक्षरी मंत्र अत्यंत प्रभावी आहे.
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महालक्ष्मी व्रत
हे व्रत समाधान, शांती, ऐश्वर्य मिळावे म्हणून, तसेच श्रीलक्ष्मीची आपल्यावर सदैव कृपा राहावी म्हणून करायचे आहे.
Mahalaxmi is the Hihdu Godess of wealth, light, wisdom, the lotus flower and fortune, power, beauty and prosperity in the universe. Wealth not only includes materials but of luck, beauty, courage and fertility. Mahalashmi is that aspect of God, which represents the sources also spiritual knowledge, nobler values of life, power of mind and intellect, moral, and ethical qualities of a human being. We all need these qualities (artha= wealth, kama=sensuous pleasure and dharma = adherence to rules that a human being is supposed to follow) to achieve Moksha (salvation) or freedom from the cycle of births and deaths. As Lakshmi, God is worshipped in the female form representing Shakti or energy for the whole universe. There are eight forms of Lakshmi (although the names vary), signifying eight aspects of wealth, called Ashta-Lakshmi. They are:
Aadilakshmi (all wealth - material and spiritual)
Dhaanyalakshmi (wealth of food grains)
Dhairyalakshmi (wealth of patience)
Gajalakshmi (wealth of animals)
Santanalakshmi (wealth of progeny)
Vijayalakshmi (wealth of victories and success)
Vidyalakshmi (wealth of knowledge)
Dhanalakshmi (wealth of gold )
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श्री महालक्ष्मीची प्रतिष्ठापना
हे व्रत समाधान, शांती, ऐश्वर्य मिळावे म्हणून, तसेच श्रीलक्ष्मीची आपल्यावर सदैव कृपा राहावी म्हणून करायचे आहे
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व्रत-नियम
हे व्रत समाधान, शांती, ऐश्वर्य मिळावे म्हणून, तसेच श्रीलक्ष्मीची आपल्यावर सदैव कृपा राहावी म्हणून करायचे आहे.
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श्रीमहालक्ष्मी व्रत - कथा
हे व्रत समाधान, शांती, ऐश्वर्य मिळावे म्हणून, तसेच श्रीलक्ष्मीची आपल्यावर सदैव कृपा राहावी म्हणून करायचे आहे.
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श्रीमहालक्ष्मी माहात्म्य
हे व्रत समाधान, शांती, ऐश्वर्य मिळावे म्हणून, तसेच श्रीलक्ष्मीची आपल्यावर सदैव कृपा राहावी म्हणून करायचे आहे.
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श्रीमहालक्ष्मी नमन अष्टक
हे व्रत समाधान, शांती, ऐश्वर्य मिळावे म्हणून, तसेच श्रीलक्ष्मीची आपल्यावर सदैव कृपा राहावी म्हणून करायचे आहे.
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मंगळागौरी व्रत
मंगळागौरी, नववधूने सुखी संसारासाठी करावयाचे पार्वतीचे व्रत आहे.
लग्न झाल्यावर सासरी नववधू पहिल्या श्रावण महिन्यात प्रत्येक मंगळवारी हे मंगळागौरीचे व्रत भक्तिभावाने करते. हे पार्वतीचे व्रत आहे. या दिवशी घरासमोर रांगोळी काढतात, दाराला तोरण बांधतात. कुटुंबातील स्त्रिया, नातेवाईक मैत्रीणी एकत्र जमून देवीची पूजा करून, रात्रभर खेळ खेळतात, गाणी म्हणतात, स्वादिष्ट भोजन करतात. नववधू सुहासिनींना सौभाग्यालंकार वाटते. या समारंभामुळे नववधूला सासरकडील नवीन नातेवाईक, इतरजनांची ओळख होते. या पूजेत सासर माहेरकडील सर्व मंडळी नातेवाईक, स्त्रिया भाग घेतात.
MANGALAGAURI: A festival of newly married girlDuring the first year after her marriage, every bride celebrates all the festivals in the calendar with great enthusiasm. Almost every festival sees her back with her parents to relive the joys of her childhood with her friends once again. Festive days are her chance to entertain her friends, get to know her new relatives and bring her own and her new husband's families together in an atmosphere of joy and celebration. Both her families pamper her with gifts of clothing and jewellery on the more important festivals.Mangalagauri pooia, which is specially designed for every newly married bride is the worship of Mangalagauri, performed every Tuesday in the month of Shravan. Mangalagauri is a festive manifestation of Parvati. Women from the family get together with friends of all ages and spend the night playing games, dancing, singing and eating the feast made for the occasion. Saubhagyalankar, like bangles, kumkum and other adornments inseparable from such festivals, are distributed to all women. On every Tuesday of the first Shravan after her marriage, a bride worships her home by decorating its entrance with rangoli and flowers. It is a time of fun for every young girl. A woman's presence in a house is considered auspicious.
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संतोषीमाता व्रत
जगत्जननी भगवती श्रीसंतोषी माता ही साक्षात महालक्ष्मी स्वरूप व गणपतीची कन्या आहे असा पुराणात उल्लेख आहे. समस्त विश्वाला संतोष देणारी आणि भक्तांची श्रद्धाभक्ती पाहून त्यांच्या अल्पसेवेने संतुष्ट होणारी म्हणूनच तिला संतोषी माता असे म्हणतात
Santoshi Mata is particularly worshipped by women India. Santoshi Mata is Hindu female divinity.
Santoshi Mata Pooja is usually performed for a period of 16 Weeks on Friday. You are not supposed to eat or touch anything which is sour like Curd, Lemon etc. After you finish the 16 weeks you will be required to do Udyapan
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सोळा शुक्रवारचे व्रत का करावे?
जगत्जननी भगवती श्रीसंतोषी माता ही साक्षात महालक्ष्मी स्वरूप व गणपतीची कन्या आहे.Santoshi Mata, the mother of contentment.
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पथ्ये, नियम व सूचना
जगत्जननी भगवती श्रीसंतोषी माता ही साक्षात महालक्ष्मी स्वरूप व गणपतीची कन्या आहे.Santoshi Mata, the mother of contentment.
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व्रतसंकल्प
जगत्जननी भगवती श्रीसंतोषी माता ही साक्षात महालक्ष्मी स्वरूप व गणपतीची कन्या आहे.Santoshi Mata, the mother of contentment.
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व्रतोपासना
जगत्जननी भगवती श्रीसंतोषी माता ही साक्षात महालक्ष्मी स्वरूप व गणपतीची कन्या आहे.Santoshi Mata, the mother of contentment.
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पंचोपचार पूजा
जगत्जननी भगवती श्रीसंतोषी माता ही साक्षात महालक्ष्मी स्वरूप व गणपतीची कन्या आहे.Santoshi Mata, the mother of contentment.
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पूजाप्रारंभ
जगत्जननी भगवती श्रीसंतोषी माता ही साक्षात महालक्ष्मी स्वरूप व गणपतीची कन्या आहे.Santoshi Mata, the mother of contentment.
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पंचोपचार पूजाविधी
जगत्जननी भगवती श्रीसंतोषी माता ही साक्षात महालक्ष्मी स्वरूप व गणपतीची कन्या आहे.Santoshi Mata, the mother of contentment.
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सोळा शुक्रवारची व्रतकथा
जगत्जननी भगवती श्रीसंतोषी माता ही साक्षात महालक्ष्मी स्वरूप व गणपतीची कन्या आहे.Santoshi Mata, the mother of contentment.
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श्री संतोषीमातेची व्रतकथा
जगत्जननी भगवती श्रीसंतोषी माता ही साक्षात महालक्ष्मी स्वरूप व गणपतीची कन्या आहे.Santoshi Mata, the mother of contentment.
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पूजाविसर्जन
जगत्जननी भगवती श्रीसंतोषी माता ही साक्षात महालक्ष्मी स्वरूप व गणपतीची कन्या आहे.Santoshi Mata, the mother of contentment.
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व्रत उद्यापन
जगत्जननी भगवती श्रीसंतोषी माता ही साक्षात महालक्ष्मी स्वरूप व गणपतीची कन्या आहे.Santoshi Mata, the mother of contentment.
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नमनाष्टक
जगत्जननी भगवती श्रीसंतोषी माता ही साक्षात महालक्ष्मी स्वरूप व गणपतीची कन्या आहे.Santoshi Mata, the mother of contentment.
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सरस्वती व्रत
सरस्वती व्रताची कथा योगवासिष्ठ या ग्रथांत ’लिलोपाख्यान’ मध्ये सांगितली आहे
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सरस्वती व्रत कसे करावे
सरस्वती व्रताची कथा योगवासिष्ठ या ग्रथांत ’लिलोपाख्यान’ मध्ये सांगितली आहे
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सरस्वती व्रत - अध्याय पहिला
सरस्वती व्रताची कथा योगवासिष्ठ या ग्रथांत ’लिलोपाख्यान’ मध्ये सांगितली आहे
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सरस्वती व्रत - अध्याय दुसरा
सरस्वती व्रताची कथा योगवासिष्ठ या ग्रथांत ’लिलोपाख्यान’ मध्ये सांगितली आहे
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सरस्वती व्रत - अध्याय तिसरा
सरस्वती व्रताची कथा योगवासिष्ठ या ग्रथांत ’लिलोपाख्यान’ मध्ये सांगितली आहे
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सरस्वती व्रत - अध्याय चौथा
सरस्वती व्रताची कथा योगवासिष्ठ या ग्रथांत ’लिलोपाख्यान’ मध्ये सांगितली आहे
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श्री सत्यदत्तव्रत
योगीश्वर श्रीदत्तप्रभूंचे श्रेष्ठ व पापनाशक असे माहात्म्य, श्रीसत्यदत्तव्रतातून व्यक्त होणारे असून मनुष्यांना तात्काळ सिद्धी देणारे आहे.
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श्री सत्यदत्तव्रत पूजा प्रारम्भः
योगीश्वर श्रीदत्तप्रभूंचे श्रेष्ठ व पापनाशक असे माहात्म्य, श्रीसत्यदत्तव्रतातून व्यक्त होणारे असून मनुष्यांना तात्काळ सिद्धी देणारे आहे.
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श्री सत्यदत्तव्रत - पूजा-साहित्य
योगीश्वर श्रीदत्तप्रभूंचे श्रेष्ठ व पापनाशक असे माहात्म्य, श्रीसत्यदत्तव्रतातून व्यक्त होणारे असून मनुष्यांना तात्काळ सिद्धी देणारे आहे.
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सत्यदत्त व्रत कथा - अध्याय पहिला
योगीश्वर श्रीदत्तप्रभूंचे श्रेष्ठ व पापनाशक असे माहात्म्य, श्रीसत्यदत्तव्रतातून व्यक्त होणारे असून मनुष्यांना तात्काळ सिद्धी देणारे आहे.
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सत्यदत्त व्रत कथा - अध्याय दुसरा
योगीश्वर श्रीदत्तप्रभूंचे श्रेष्ठ व पापनाशक असे माहात्म्य, श्रीसत्यदत्तव्रतातून व्यक्त होणारे असून मनुष्यांना तात्काळ सिद्धी देणारे आहे.
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सत्यदत्त व्रत कथा - अध्याय तिसरा
योगीश्वर श्रीदत्तप्रभूंचे श्रेष्ठ व पापनाशक असे माहात्म्य, श्रीसत्यदत्तव्रतातून व्यक्त होणारे असून मनुष्यांना तात्काळ सिद्धी देणारे आहे.
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सत्यदत्त व्रत कथा - अध्याय चवथा
योगीश्वर श्रीदत्तप्रभूंचे श्रेष्ठ व पापनाशक असे माहात्म्य, श्रीसत्यदत्तव्रतातून व्यक्त होणारे असून मनुष्यांना तात्काळ सिद्धी देणारे आहे.
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सत्यदत्त व्रत कथा - अध्याय चवथा
योगीश्वर श्रीदत्तप्रभूंचे श्रेष्ठ व पापनाशक असे माहात्म्य, श्रीसत्यदत्तव्रतातून व्यक्त होणारे असून मनुष्यांना तात्काळ सिद्धी देणारे आहे.
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श्रीदत्तात्रेयप्रार्थना
योगीश्वर श्रीदत्तप्रभूंचे श्रेष्ठ व पापनाशक असे माहात्म्य, श्रीसत्यदत्तव्रतातून व्यक्त होणारे असून मनुष्यांना तात्काळ सिद्धी देणारे आहे.
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श्रीसत्याम्बा व्रत
श्रीसत्याम्बा म्हणजे दुसरी तिसरी कुणी नसून जगन्माता दुर्गा किंवा जगदंबाच होय.
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सोळा सोमवार व्रत
सोळा सोमवार व्रत
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सोळा सोमवार व्रत कथा
सोळा सोमवार व्रत कथा
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सोळा सोमवार माहात्म्य
सोळा सोमवार माहात्म्य
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श्री शिवस्तुति
श्री शिवस्तुति - सोळा सोमवार व्रत
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सोळा सोमवार व्रत
सोळा सोमवार व्रत
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श्री उमाहेमावती व्रत
उमा हेमावती व्रत मनोभावे केल्याने संपत्ती आणि संतती प्राप्त होते.
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श्री उमाहेमावती व्रत - माहात्म्य
उमा हेमावती व्रत मनोभावे केल्याने संपत्ती आणि संतती प्राप्त होते.
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श्री उमाहेमावती व्रत - पूजाविधी
उमा हेमावती व्रत मनोभावे केल्याने संपत्ती आणि संतती प्राप्त होते.
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श्री उमाहेमावती व्रत - व्रतकथा
उमा हेमावती व्रत मनोभावे केल्याने संपत्ती आणि संतती प्राप्त होते.
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श्री उमाहेमावती व्रत - माहात्म्य
उमा हेमावती व्रत मनोभावे केल्याने संपत्ती आणि संतती प्राप्त होते.
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श्री उमाहेमावती व्रत - आरती
उमा हेमावती व्रत मनोभावे केल्याने संपत्ती आणि संतती प्राप्त होते.
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वैभवलक्ष्मी व्रत
सौभाग्यवती स्त्रियांनी हे व्रत केल्यास त्याचे उत्तम फळ मिळते.
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व्रत करावयाचा विधी
सौभाग्यवती स्त्रियांनी हे व्रत केल्यास त्याचे उत्तम फळ मिळते.Desires of men, women observing this Vrat, are fulfilled immediately.
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वैभव लक्ष्मी व्रताची कथा
सौभाग्यवती स्त्रीने हे व्रत केल्यास उत्तम फळ मिळते.Desires of men, women observing this Vrat, are fulfilled immediately.
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मनोविनायकव्रतम्
मनोविनायकव्रतम्
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