फाल्गुन शुक्लपक्ष व्रत - लक्ष्मी सीताष्टमी

व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।


लक्ष्मी - सीताष्टमी

( वीरमित्रोदय ) - फाल्गुन शुक्ल अष्टमीको एक चौकीपर लाल वस्त्र बिछाकर उसपर अक्षतोंका अष्टदल कमल बनाये और उसपर लक्ष्मी तथा जानकीकी सुवर्णमयी मूर्ति - स्थापन करके गन्ध - पुष्पादिसे पूजन करे । फिर प्रदोषके समय हजार ( अथवा जितनी सामर्थ्य हो उतने ) दीपक जलाये और ब्राह्मणोंको भोजन कराके बान्धवोंसहित स्वयं भोजन करे तथा दूसरे दिन पूजन - सामग्री आदि दो ब्राह्मणोंको दे । यह अष्टमी प्रदोषव्यापिनी ली जाती है । यदि दो दिन हो तो परा लेनी चाहिये ।

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Last Updated : January 02, 2002

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