फाल्गुन शुक्लपक्ष व्रत - मधुकतृतीया

व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।


मधुकतृतीया

( पुराणसमुच्चय ) - यह व्रत फाल्गुन शुक्ल तृतीयाको किया जाता है । उस दिन प्रातःस्त्रानादिके पश्चात् - १ भूमिकायै, २ देवभूषायै, ३ उमायै, ४ तपोवनरतायै और ५ गौर्ये नमः - इन पाँच मन्त्नोंके उच्चारणके साथ क्रमशः गन्ध, पुष्प, धूप, दीप और नैवेद्य - इन पाँच उपचारोंसे उमा ( पार्वती ) का पूजन करे और ' दौर्भाग्यं मे शमयतु सुप्रसन्नं मनः सदा । अवैधव्यं कुले जन्म ददात्वपरजन्मनि ॥' इस मन्त्नसे प्रार्थना करे ।

N/A

References : N/A
Last Updated : January 01, 2002

Comments | अभिप्राय

Comments written here will be public after appropriate moderation.
Like us on Facebook to send us a private message.
TOP