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समर्थ रामदासकृत हिन्दी पदे
समर्थ रामदासांनी हिन्दी भाषेत रसाळ पदे लिहीली आहेत.
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हिन्दी पदे - श्रीराम
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हिन्दी पदे - श्रीकृष्ण
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हिन्दी पदे - मुरली
समर्थ रामदासांनी हिन्दी भाषेत रसाळ पदे लिहीली आहेत.
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हिन्दी पदे - गवळणी
समर्थ रामदासांनी हिन्दी भाषेत रसाळ पदे लिहीली आहेत.
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हिन्दी पदे - संतसंग
समर्थ रामदासांनी हिन्दी भाषेत रसाळ पदे लिहीली आहेत.
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हिन्दी पदे - करुणा
समर्थ रामदासांनी हिन्दी भाषेत रसाळ पदे लिहीली आहेत.
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हिन्दी पदे - भक्तिपर पदें
समर्थ रामदासांनी हिन्दी भाषेत रसाळ पदे लिहीली आहेत.
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हिन्दी पदे - उपदेशपर पदें
समर्थ रामदासांनी हिन्दी भाषेत रसाळ पदे लिहीली आहेत.
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हिन्दी पदे - अध्यात्मपर पदें
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संत नामदेव रचित हिन्दी पदे
संत नामदेवजीने हिन्दी में भी बहुत सुंदर और भक्तिपूर्ण रचनायें की है ।
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हिन्दी पद - पदे १ से ५
संत नामदेवजीने हिन्दी में भी बहुत सुंदर और भक्तिपूर्ण रचनायें की है ।
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हिन्दी पद - पद ६
संत नामदेवजीने हिन्दी में भी बहुत सुंदर और भक्तिपूर्ण रचनायें की है ।
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हिन्दी पद - पदे ७ से १०
संत नामदेवजीने हिन्दी में भी बहुत सुंदर और भक्तिपूर्ण रचनायें की है ।
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हिन्दी पद - पदे ११ से १५
संत नामदेवजीने हिन्दी में भी बहुत सुंदर और भक्तिपूर्ण रचनायें की है ।
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हिन्दी पद - पदे १६ से २०
संत नामदेवजीने हिन्दी में भी बहुत सुंदर और भक्तिपूर्ण रचनायें की है ।
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हिन्दी पद - पदे २१ से २२
संत नामदेवजीने हिन्दी में भी बहुत सुंदर और भक्तिपूर्ण रचनायें की है ।
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हिन्दी पद - पदे २३ से २५
संत नामदेवजीने हिन्दी में भी बहुत सुंदर और भक्तिपूर्ण रचनायें की है ।
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हिन्दी पद - पदे २६ से ३०
संत नामदेवजीने हिन्दी में भी बहुत सुंदर और भक्तिपूर्ण रचनायें की है ।
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हिन्दी पद - पदे ३१ से ३५
संत नामदेवजीने हिन्दी में भी बहुत सुंदर और भक्तिपूर्ण रचनायें की है ।
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हिन्दी पद - पदे ३६ से ४०
संत नामदेवांनी भक्ति-गीते आणि अभंगांची रचना करून समस्त जनता-जनार्दनाला समता आणि प्रभु-भक्तिची शिकवण दिली.
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हिन्दी पद - पदे ४१ से ४५
संत नामदेवांनी भक्ति-गीते आणि अभंगांची रचना करून समस्त जनता-जनार्दनाला समता आणि प्रभु-भक्तिची शिकवण दिली.
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हिन्दी पद - पदे ४६ से ५०
संत नामदेवांनी भक्ति-गीते आणि अभंगांची रचना करून समस्त जनता-जनार्दनाला समता आणि प्रभु-भक्तिची शिकवण दिली.
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हिन्दी पद - पदे ५१ से ५५
संत नामदेवांनी भक्ति-गीते आणि अभंगांची रचना करून समस्त जनता-जनार्दनाला समता आणि प्रभु-भक्तिची शिकवण दिली.
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हिन्दी पद - पदे ५६ से ६०
संत नामदेवांनी भक्ति-गीते आणि अभंगांची रचना करून समस्त जनता-जनार्दनाला समता आणि प्रभु-भक्तिची शिकवण दिली.
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हिन्दी पद - पदे ६१ से ६५
संत नामदेवांनी भक्ति-गीते आणि अभंगांची रचना करून समस्त जनता-जनार्दनाला समता आणि प्रभु-भक्तिची शिकवण दिली.
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हिन्दी पद - पदे ६६ से ७०
संत नामदेवांनी भक्ति-गीते आणि अभंगांची रचना करून समस्त जनता-जनार्दनाला समता आणि प्रभु-भक्तिची शिकवण दिली.
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हिन्दी पद - पदे ७१ से ७५
संत नामदेवांनी भक्ति-गीते आणि अभंगांची रचना करून समस्त जनता-जनार्दनाला समता आणि प्रभु-भक्तिची शिकवण दिली.
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हिन्दी पद - पदे ७६ से ८०
संत नामदेवांनी भक्ति-गीते आणि अभंगांची रचना करून समस्त जनता-जनार्दनाला समता आणि प्रभु-भक्तिची शिकवण दिली.
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हिन्दी पद - पदे ८१ से ८५
संत नामदेवांनी भक्ति-गीते आणि अभंगांची रचना करून समस्त जनता-जनार्दनाला समता आणि प्रभु-भक्तिची शिकवण दिली.
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हिन्दी पद - पदे ८६ से ९०
संत नामदेवांनी भक्ति-गीते आणि अभंगांची रचना करून समस्त जनता-जनार्दनाला समता आणि प्रभु-भक्तिची शिकवण दिली.
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हिन्दी पद - पदे ९१ से ९५
संत नामदेवांनी भक्ति-गीते आणि अभंगांची रचना करून समस्त जनता-जनार्दनाला समता आणि प्रभु-भक्तिची शिकवण दिली.
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हिन्दी पद - पदे ९६ से ९९
संत नामदेवांनी भक्ति-गीते आणि अभंगांची रचना करून समस्त जनता-जनार्दनाला समता आणि प्रभु-भक्तिची शिकवण दिली.
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श्रीगुरुबोध ग्रंथ
श्रीसद्गुरु कृष्ण जगन्नाथ भट्ट बांदकरमहाराज.
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श्रीगुरुबोध ग्रंथ - ग्रंथानुक्रमणिका
॥ ॐ तत्सत् ॥श्री समर्थ रामदास वैष्णव सद्गुरु श्रीकृष्णजगन्नाथ चरणारविंदेभ्यो नमः ।
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श्रीगुरुबोध ग्रंथ - प्रथम प्रकरण
श्रीसद्गुरु कृष्ण जगन्नाथ भट्ट बांदकरमहाराज.
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श्रीगुरुबोध ग्रंथ - द्वितीय प्रकरण
श्रीसद्गुरु कृष्ण जगन्नाथ भट्ट बांदकरमहाराज.
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श्रीगुरुबोध ग्रंथ - तृतीय प्रकरण
श्रीसद्गुरु कृष्ण जगन्नाथ भट्ट बांदकरमहाराज.
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श्रीगुरुबोध ग्रंथ - चतुर्थ प्रकरण
श्रीसद्गुरु कृष्ण जगन्नाथ भट्ट बांदकरमहाराज.
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श्रीगुरुबोध ग्रंथ - पंचम प्रकरण
श्रीसद्गुरु कृष्ण जगन्नाथ भट्ट बांदकरमहाराज.
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श्रीगुरुबोध ग्रंथ - षष्ठ प्रकरण
श्रीसद्गुरु कृष्ण जगन्नाथ भट्ट बांदकरमहाराज.
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श्रीगुरुबोध ग्रंथ - सप्तम प्रकरण
श्रीसद्गुरु कृष्ण जगन्नाथ भट्ट बांदकरमहाराज.
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श्रीगुरुबोध ग्रंथ - अष्टम प्रकरण
श्रीसद्गुरु कृष्ण जगन्नाथ भट्ट बांदकरमहाराज.
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श्रीगुरुबोध ग्रंथ - नवम प्रकरण
श्रीसद्गुरु कृष्ण जगन्नाथ भट्ट बांदकरमहाराज.
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बांदकरमहाराजांची पदे
श्रीसद्गुरु कृष्ण जगन्नाथ भट्ट बांदकरमहाराज
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ग्रंथार्पण पत्रिका
श्रीसद्गुरु कृष्ण जगन्नाथ भट्ट बांदकरमहाराज
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लघु आत्ममथन प्रारंभः, मंगलाचरण
श्रीसद्गुरु विष्णुबोवा सोमणकृत
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अथ अधिष्ठाण कथन
श्रीसद्गुरु कृष्ण जगन्नाथ भट्ट बांदकरमहाराज
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पिंड ब्रह्मांड निवारण
श्रीसद्गुरु कृष्ण जगन्नाथ भट्ट बांदकरमहाराज
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सूक्ष्मदेह निवारण
श्रीसद्गुरु कृष्ण जगन्नाथ भट्ट बांदकरमहाराज
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स्वमत मत निवारण
श्रीसद्गुरु कृष्ण जगन्नाथ भट्ट बांदकरमहाराज
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कारणदेह निवारण
श्रीसद्गुरु कृष्ण जगन्नाथ भट्ट बांदकरमहाराज
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महाकारण निरसन
श्रीसद्गुरु कृष्ण जगन्नाथ भट्ट बांदकरमहाराज
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जिवन्मुक्ती निरूपणनाम
श्रीसद्गुरु कृष्ण जगन्नाथ भट्ट बांदकरमहाराज.
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श्रीलघुआत्ममथने
श्रीसद्गुरु कृष्ण जगन्नाथ भट्ट बांदकरमहाराज
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स्वात्मतत्त्वामृतशतकम्
श्रीसद्गुरु कृष्ण जगन्नाथ भट्ट बांदकरमहाराज.
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श्री गणपतीचीं पदें
श्रीसद्गुरु कृष्ण जगन्नाथ भट्ट बांदकरमहाराज.
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विष्णु महाराज सोमण यांचीं पदें
श्रीसद्गुरु कृष्ण जगन्नाथ भट्ट बांदकरमहाराज.
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श्री रामाचीं पदें - १ ते १०
श्रीसद्गुरु कृष्ण जगन्नाथ भट्ट बांदकरमहाराज.
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श्री रामाचीं पदें - ११ ते २०
श्रीसद्गुरु कृष्ण जगन्नाथ भट्ट बांदकरमहाराज.
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श्री रामाचीं पदें - २१ ते ३०
श्रीसद्गुरु कृष्ण जगन्नाथ भट्ट बांदकरमहाराज.
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श्री रामाचीं पदें - ३१ ते ४०
श्रीसद्गुरु कृष्ण जगन्नाथ भट्ट बांदकरमहाराज.
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श्री रामाचीं पदें - ४१ ते ५०
श्रीसद्गुरु कृष्ण जगन्नाथ भट्ट बांदकरमहाराज.
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श्री रामाचीं पदें - ५१ ते ६०
श्रीसद्गुरु कृष्ण जगन्नाथ भट्ट बांदकरमहाराज.
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श्री रामाचीं पदें - ६१ ते ६७
श्रीसद्गुरु कृष्ण जगन्नाथ भट्ट बांदकरमहाराज.
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श्री मारुतीचीं पदें
श्रीसद्गुरु कृष्ण जगन्नाथ भट्ट बांदकरमहाराज.
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श्री दत्तात्रेयाचीं पदें
श्रीसद्गुरु कृष्ण जगन्नाथ भट्ट बांदकरमहाराज.
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साधनोपदेशपर पदें
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श्री संत लक्षणें पदें
श्रीसद्गुरु कृष्ण जगन्नाथ भट्ट बांदकरमहाराज.
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प्रार्थनापर पदें - १ ते १५
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प्रार्थनापर पदें - १६ ते ३०
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प्रार्थनापर पदें - ३१ ते ४८
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श्रीदामोदराचीं पदें
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श्री नागेशाचीं पदें
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श्री लक्ष्मीव्यंकटेशाचीं पदें
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श्री लक्ष्मी नृसिंहाचीं पदें
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श्री नृहसिंहाचीं पदें
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श्रीकामाक्षेचीं पदें
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श्री कपिलेश्वराचीं पदें
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श्री जगदंबेचीं पदें
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श्री नारसिंहाचीं पदें
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श्री नवदुर्गेचीं पदें
श्रीसद्गुरु कृष्ण जगन्नाथ भट्ट बांदकरमहाराज.
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श्री चंद्रेश्वराचीं पदें
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श्री मंगेशाचें पद
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श्री बिंदुमाधवाचें पद
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श्री शांतादुर्गेचें पद
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श्री विजयादुर्गेचें पद
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श्री महालसेचीं पदें
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श्री महालक्ष्मीचें पद
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उपदेशपर संवाद
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श्री विरविठ्ठलाचीं पदें
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श्री पांडुरंगाचीं पदें
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श्री रामनाथाचीं पदें
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श्री मदनंताचीं पदें
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श्री लक्ष्मी नारायणाचीं पदें
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श्री पूर्णप्रज्ञतीर्थ स्वामीचें पद
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श्री पद्मनाभतीर्थ स्वामीचीं पदें
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श्री इंदिराकांततीर्थ स्वामीचीं पदें
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श्री नरहरितीर्थांचीं पदें
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श्रीमुकुंदराज
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श्रीशितलादेवीचें पद
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श्रीषष्टीचीं पदें
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श्री देवकीकृष्णाचीं पदें
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उपदेशपर पद
श्रीसद्गुरु कृष्ण जगन्नाथ भट्ट बांदकरमहाराज.
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श्रीजगदंबेचीं पदें
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श्री गणपतीचें पद
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श्रीरामाचें पद
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श्रीबांदकर महाराजांचे स्वतःबद्दलचे उद्गार
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श्री जगन्नाथ बोवा बोरीकर
श्रीसद्गुरु कृष्ण जगन्नाथ भट्ट बांदकरमहाराज.
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श्रीकृष्णाचीं पदें
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गवळण काल्यांतील पदें
श्रीसद्गुरु कृष्ण जगन्नाथ भट्ट बांदकरमहाराज.
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झुला
श्रीसद्गुरु कृष्ण जगन्नाथ भट्ट बांदकरमहाराज.
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अभंग - १ ते १०
श्रीसद्गुरु कृष्ण जगन्नाथ भट्ट बांदकरमहाराज.
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अभंग - ११ ते २०
श्रीसद्गुरु कृष्ण जगन्नाथ भट्ट बांदकरमहाराज.
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अभंग - २१ ते ३०
श्रीसद्गुरु कृष्ण जगन्नाथ भट्ट बांदकरमहाराज.
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अभंग - ३१ ते ४०
श्रीसद्गुरु कृष्ण जगन्नाथ भट्ट बांदकरमहाराज.
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अभंग - ४१ ते ५०
श्रीसद्गुरु कृष्ण जगन्नाथ भट्ट बांदकरमहाराज.
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अभंग - ५१ ते ६०
श्रीसद्गुरु कृष्ण जगन्नाथ भट्ट बांदकरमहाराज.
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अभंग - ६१ ते ७०
श्रीसद्गुरु कृष्ण जगन्नाथ भट्ट बांदकरमहाराज.
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अभंग - ७१ ते ८०
श्रीसद्गुरु कृष्ण जगन्नाथ भट्ट बांदकरमहाराज.
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अभंग - ८१ ते ९०
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अभंग - ९१ ते १००
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अभंग - १०१ ते ११०
श्रीसद्गुरु कृष्ण जगन्नाथ भट्ट बांदकरमहाराज.
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अभंग - १११ ते १२०
श्रीसद्गुरु कृष्ण जगन्नाथ भट्ट बांदकरमहाराज.
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अभंग - १२१ ते १३०
श्रीसद्गुरु कृष्ण जगन्नाथ भट्ट बांदकरमहाराज.
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अभंग - १३१ ते १३९
श्रीसद्गुरु कृष्ण जगन्नाथ भट्ट बांदकरमहाराज.
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श्री जगदंबेचे अभंग
श्रीसद्गुरु कृष्ण जगन्नाथ भट्ट बांदकरमहाराज.
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संतसंगाच्या महिमेचा अभंग
श्रीसद्गुरु कृष्ण जगन्नाथ भट्ट बांदकरमहाराज.
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शिष्याकरितां केलेला अभंग
श्रीसद्गुरु कृष्ण जगन्नाथ भट्ट बांदकरमहाराज.
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श्री राघवाष्टक
श्रीसद्गुरु कृष्ण जगन्नाथ भट्ट बांदकरमहाराज.
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‘ पतीतपावनराम ’ श्लोकाष्टक
श्रीसद्गुरु कृष्ण जगन्नाथ भट्ट बांदकरमहाराज.
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‘ जानकीजीवनराम ’ मंत्रार्याष्टक
श्रीसद्गुरु कृष्ण जगन्नाथ भट्ट बांदकरमहाराज.
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‘ राजीवनयनराम ’ श्लोकाष्टक
श्रीसद्गुरु कृष्ण जगन्नाथ भट्ट बांदकरमहाराज.
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‘ आनंदघनराम ’ मंत्रार्या
श्रीसद्गुरु कृष्ण जगन्नाथ भट्ट बांदकरमहाराज.
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श्री ‘ सीताराम ’ मंत्र - श्लोक
श्रीसद्गुरु कृष्ण जगन्नाथ भट्ट बांदकरमहाराज.
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अभंग
श्रीसद्गुरु कृष्ण जगन्नाथ भट्ट बांदकरमहाराज.
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श्री आर्या
श्रीसद्गुरु कृष्ण जगन्नाथ भट्ट बांदकरमहाराज.
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पद
श्रीसद्गुरु कृष्ण जगन्नाथ भट्ट बांदकरमहाराज.
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आत्मज्ञानी पदे
महाराष्ट्रात, विशेषतः ग्रामीण भागात एकतारी भजनी परंपरा आहे.
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आत्मज्ञानी भजनी पदे - गण १ ला
महाराष्ट्रात, विशेषतः ग्रामीण भागात एकतारी भजनी परंपरा आहे.
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आत्मज्ञानी भजनी पदे - गौळण
महाराष्ट्रात, विशेषतः ग्रामीण भागात एकतारी भजनी परंपरा आहे.
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आत्मज्ञानी भजनी पदे - पद १
महाराष्ट्रात, विशेषतः ग्रामीण भागात एकतारी भजनी परंपरा आहे.
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आत्मज्ञानी भजनी पदे - पद २
महाराष्ट्रात, विशेषतः ग्रामीण भागात एकतारी भजनी परंपरा आहे.
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आत्मज्ञानी भजनी पदे - पद ३
महाराष्ट्रात, विशेषतः ग्रामीण भागात एकतारी भजनी परंपरा आहे.
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आत्मज्ञानी भजनी पदे - पद ४
महाराष्ट्रात, विशेषतः ग्रामीण भागात एकतारी भजनी परंपरा आहे.
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आत्मज्ञानी भजनी पदे - पद ५
महाराष्ट्रात, विशेषतः ग्रामीण भागात एकतारी भजनी परंपरा आहे.
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आत्मज्ञानी भजनी पदे - पद ६
महाराष्ट्रात, विशेषतः ग्रामीण भागात एकतारी भजनी परंपरा आहे.
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आत्मज्ञानी भजनी पदे - पद ७
महाराष्ट्रात, विशेषतः ग्रामीण भागात एकतारी भजनी परंपरा आहे.
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आत्मज्ञानी भजनी पदे - पद ८
महाराष्ट्रात, विशेषतः ग्रामीण भागात एकतारी भजनी परंपरा आहे.
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आत्मज्ञानी भजनी पदे - पद ९
महाराष्ट्रात, विशेषतः ग्रामीण भागात एकतारी भजनी परंपरा आहे.
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आत्मज्ञानी भजनी पदे - पद १०
महाराष्ट्रात, विशेषतः ग्रामीण भागात एकतारी भजनी परंपरा आहे.
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एकतारी पदे
एकतारी,भजन,पद,ekatari,bhajan,pad,marathi,मराठी
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एकतारी पदे - पद १
मराठीमहाराष्ट्रात, विशेषतः ग्रामीण भागात एकतारी भजनी परंपरा आहे.
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एकतारी पदे - पद २
महाराष्ट्रात, विशेषतः ग्रामीण भागात एकतारी भजनी परंपरा आहे.
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एकतारी पदे - पद ३
महाराष्ट्रात, विशेषतः ग्रामीण भागात एकतारी भजनी परंपरा आहे.
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एकतारी पदे - पद ४
महाराष्ट्रात, विशेषतः ग्रामीण भागात एकतारी भजनी परंपरा आहे.
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एकतारी पदे - पद ५
महाराष्ट्रात, विशेषतः ग्रामीण भागात एकतारी भजनी परंपरा आहे.
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एकतारी पदे - पद ६
महाराष्ट्रात, विशेषतः ग्रामीण भागात एकतारी भजनी परंपरा आहे.
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एकतारी पदे - पद ७
महाराष्ट्रात, विशेषतः ग्रामीण भागात एकतारी भजनी परंपरा आहे.
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एकतारी पदे - पद ८
महाराष्ट्रात, विशेषतः ग्रामीण भागात एकतारी भजनी परंपरा आहे.
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अभंग व पदें
महाराष्ट्रात, विशेषतः ग्रामीण भागात एकतारी भजनी परंपरा आहे.
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अभंग व पदें - १ ते ५
महाराष्ट्रात, विशेषतः ग्रामीण भागात एकतारी भजनी परंपरा आहे.
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अभंग व पदें - ६ ते १०
महाराष्ट्रात, विशेषतः ग्रामीण भागात एकतारी भजनी परंपरा आहे.
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अभंग व पदें - ११ ते १५
महाराष्ट्रात, विशेषतः ग्रामीण भागात एकतारी भजनी परंपरा आहे.
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अभंग व पदें - १६ ते २०
महाराष्ट्रात, विशेषतः ग्रामीण भागात एकतारी भजनी परंपरा आहे.
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अभंग व पदें - २१ ते २५
महाराष्ट्रात, विशेषतः ग्रामीण भागात एकतारी भजनी परंपरा आहे.
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अभंग व पदें - २६ ते ३०
महाराष्ट्रात, विशेषतः ग्रामीण भागात एकतारी भजनी परंपरा आहे.
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अभंग व पदें - ३१ ते ३५
महाराष्ट्रात, विशेषतः ग्रामीण भागात एकतारी भजनी परंपरा आहे.
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अभंग व पदें - ३६ ते ४०
महाराष्ट्रात, विशेषतः ग्रामीण भागात एकतारी भजनी परंपरा आहे.
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अभंग
महाराष्ट्रात, विशेषतः ग्रामीण भागात एकतारी भजनी परंपरा आहे.
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अभंग - १ ते ५
महाराष्ट्रात, विशेषतः ग्रामीण भागात एकतारी भजनी परंपरा आहे.
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अभंग - ६ ते १०
महाराष्ट्रात, विशेषतः ग्रामीण भागात एकतारी भजनी परंपरा आहे.
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अभंग - ११ ते १५
महाराष्ट्रात, विशेषतः ग्रामीण भागात एकतारी भजनी परंपरा आहे.
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अभंग - १६ ते १९
महाराष्ट्रात, विशेषतः ग्रामीण भागात एकतारी भजनी परंपरा आहे.
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निराकारी व एकतारी भजनीपदे
महाराष्ट्रात, विशेषतः ग्रामीण भागात एकतारी भजनी परंपरा आहे.
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भजनी पदे - विस्तृत माहिती
महाराष्ट्रात, विशेषतः ग्रामीण भागात एकतारी भजनी परंपरा आहे.
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आरती गुरुची
महाराष्ट्रात, विशेषतः ग्रामीण भागात एकतारी भजनी परंपरा आहे.
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अनेककविकृत पदें
अनेककविकृत पदें.
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अनेककविकृत पदें - अनुक्रमणिका
अनेककविकृत पदें.
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आदिनारायणकृत पदें
अनेककविकृत पदें.
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निजानंदस्वामिकृत पदें
अनेककविकृत पदें.
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शिवदिनकेसरीकृत पदें
अनेककविकृत पदें.
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रंगनाथस्वामिकृत पदें
अनेककविकृत पदें.
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शिवरामस्वामिकृत पदें
अनेककविकृत पदें.
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मध्वनाथस्वामिकृत पदें
अनेककविकृत पदें.
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नरहरिकविकृत पदें
अनेककविकृत पदें.
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महिपतिकृत पदें
अनेककविकृत पदें.
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गोपाळनाथकृत पदें
अनेककविकृत पदें.
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आत्मारामकविकृत पदें
अनेककविकृत पदें.
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गंगाधरकविकृत पदें
अनेककविकृत पदें.
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पांडुरंगकविकृत पदें
अनेककविकृत पदें.
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श्रीधरस्वामीकृत पदें
अनेककविकृत पदें.
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श्रीधरस्वामीकृत पदें
अनेककविकृत पदें.
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परमानंदकविकृत पद
अनेककविकृत पदें.
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जनार्दनकृत पद
अनेककविकृत पदें.
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राघवकविकृत पदें
अनेककविकृत पदें.
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बल्लवकविकृत पद
अनेककविकृत पदें.
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रामकविकृत पदें
अनेककविकृत पदें.
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भुजंगनाथकृत पदें
अनेककविकृत पदें.
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कोकिळकविकृत पद
अनेककविकृत पदें.
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निरंजनकृत पदें
अनेककविकृत पदें.
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कृष्णदयार्णवकृत पद
अनेककविकृत पदें.
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शुकानंदकृत पदें
अनेककविकृत पदें.
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हरिकविकृत पद
अनेककविकृत पदें.
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निंबराजकृत पद
अनेककविकृत पदें.
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दीनानाथकृत पद
अनेककविकृत पदें.
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माधवकविकृत पद
अनेककविकृत पदें.
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हनुमंतकविकृत पद
अनेककविकृत पदें.
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शिशुमतिकविकृत पद
अनेककविकृत पदें.
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गिरिधरकविकृत पदे
अनेककविकृत पदें.
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मानपुरीकृत पद
अनेककविकृत पदें.
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व्यंकटसुतकृत पद
अनेककविकृत पदें.
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जिवनतनयकृत पद
अनेककविकृत पदें.
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गोसावीनंदनकृत पदें
अनेककविकृत पदें.
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गोपालात्मजकृत पदें
अनेककविकृत पदें.
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जयरामात्मजकृत पदें
अनेककविकृत पदें.
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शिवरामात्मजकृत पद
अनेककविकृत पदें.
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त्र्यंबककविसुतकृत पद
अनेककविकृत पदें.
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गंगाधरात्मजकृत पद
अनेककविकृत पदें.
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शिवदासतनयकृत पद
अनेककविकृत पदें.
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रामतनयकृत पद
अनेककविकृत पदें.
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अनंतकविसुतकृत पद
अनेककविकृत पदें.
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शुकानंदनाथतनयकृत पद
अनेककविकृत पदें.
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राजाराम प्रासादीकृत पदें
अनेककविकृत पदें.
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माणिकप्रभुकृत पदें
अनेककविकृत पदें.
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रविदासकृत पदें
अनेककविकृत पदें.
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जगजीवनात्मजकृत पद
अनेककविकृत पदें.
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प्रेमाबाईकृत पदें
अनेककविकृत पदें.
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गुरुदासकृत पद
अनेककविकृत पदें.
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नारायणबोवाकृत पदें
अनेककविकृत पदें.
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शिवदासात्मजकृत पदें
अनेककविकृत पदें.
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वासुदेवस्वामीकृत पदें
अनेककविकृत पदें.
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सुभरावबावाकृत पदें
अनेककविकृत पदें.
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माधवकृत पदें
अनेककविकृत पदें.
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अनामकविकृत पदें
अनेककविकृत पदें.
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प्रार्थना - वासुदेवा दीनानाथा । कमललो...
अनेककविकृत पदें.
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श्री मुकुंदराज महाराज बांदकर
श्रीसमर्थ रामदास वैष्णव सद्गुरु श्रीकृष्ण जगन्नाथ चरणारविंदेभ्यो नमः ।
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श्रीगणपतीचीं पदें
श्रीसमर्थ रामदास वैष्णव सद्गुरु श्रीकृष्ण जगन्नाथ चरणारविंदेभ्यो नमः ।
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श्रीरामाचीं पदें
श्रीसमर्थ रामदास वैष्णव सद्गुरु श्रीकृष्ण जगन्नाथ चरणारविंदेभ्यो नमः ।
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श्रीनरहरिरायाचें पद
श्रीसमर्थ रामदास वैष्णव सद्गुरु श्रीकृष्ण जगन्नाथ चरणारविंदेभ्यो नमः ।
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श्रीशांतादुर्गेचें पद
श्रीसमर्थ रामदास वैष्णव सद्गुरु श्रीकृष्ण जगन्नाथ चरणारविंदेभ्यो नमः ।
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श्रीवेंकटेशाचीं पदें
श्रीसमर्थ रामदास वैष्णव सद्गुरु श्रीकृष्ण जगन्नाथ चरणारविंदेभ्यो नमः ।
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श्रीदामोदराचें पद
श्रीसमर्थ रामदास वैष्णव सद्गुरु श्रीकृष्ण जगन्नाथ चरणारविंदेभ्यो नमः ।
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श्रीमन्नागेशाचें पद
श्रीसमर्थ रामदास वैष्णव सद्गुरु श्रीकृष्ण जगन्नाथ चरणारविंदेभ्यो नमः ।
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श्रीग्रामदेवी श्रीषष्टी शांतादुर्गेचें पद
श्रीसमर्थ रामदास वैष्णव सद्गुरु श्रीकृष्ण जगन्नाथ चरणारविंदेभ्यो नमः ।
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श्रीमल्लिकेशाचें पद
श्रीसमर्थ रामदास वैष्णव सद्गुरु श्रीकृष्ण जगन्नाथ चरणारविंदेभ्यो नमः ।
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श्रीबजरंगबलीचें पद
श्रीसमर्थ रामदास वैष्णव सद्गुरु श्रीकृष्ण जगन्नाथ चरणारविंदेभ्यो नमः ।
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श्रीमदिदिंराकांततीर्थस्वामी यांचीं पदें
श्रीसमर्थ रामदास वैष्णव सद्गुरु श्रीकृष्ण जगन्नाथ चरणारविंदेभ्यो नमः ।
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श्रीकमलानाथतीर्थ स्वामीचें पद
श्रीसमर्थ रामदास वैष्णव सद्गुरु श्रीकृष्ण जगन्नाथ चरणारविंदेभ्यो नमः ।
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श्रीकृष्ण महाराज बांदकर यांचें पद
श्रीसमर्थ रामदास वैष्णव सद्गुरु श्रीकृष्ण जगन्नाथ चरणारविंदेभ्यो नमः ।
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श्री रवळनाथाचें पद
श्रीसमर्थ रामदास वैष्णव सद्गुरु श्रीकृष्ण जगन्नाथ चरणारविंदेभ्यो नमः ।
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श्रीमदनंताची आरती
श्रीसमर्थ रामदास वैष्णव सद्गुरु श्रीकृष्ण जगन्नाथ चरणारविंदेभ्यो नमः ।
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श्रीलक्ष्मीनारायणदेवाचा झुला
श्रीसमर्थ रामदास वैष्णव सद्गुरु श्रीकृष्ण जगन्नाथ चरणारविंदेभ्यो नमः ।
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पवित्र उपदेश
श्रीसमर्थ रामदास वैष्णव सद्गुरु श्रीकृष्ण जगन्नाथ चरणारविंदेभ्यो नमः ।
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संत नामदेवांचे अभंग - आत्मस्वरूपस्थिति
संत नामदेवांनी भक्ति-गीते आणि अभंगांची रचना करून समस्त जनता-जनार्दनाला समता आणि प्रभु-भक्तिची शिकवण दिली.
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आत्मस्वरूपस्थिति - अभंग १ ते ५
संत नामदेवांनी भक्ति-गीते आणि अभंगांची रचना करून समस्त जनता-जनार्दनाला समता आणि प्रभु-भक्तिची शिकवण दिली.
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आत्मस्वरूपस्थिति - अभंग ६ ते १०
संत नामदेवांनी भक्ति-गीते आणि अभंगांची रचना करून समस्त जनता-जनार्दनाला समता आणि प्रभु-भक्तिची शिकवण दिली.
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आत्मस्वरूपस्थिति - अभंग ११ ते १२
संत नामदेवांनी भक्ति-गीते आणि अभंगांची रचना करून समस्त जनता-जनार्दनाला समता आणि प्रभु-भक्तिची शिकवण दिली.
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आत्मस्वरूपस्थिति - अभंग १३ ते १५
संत नामदेवांनी भक्ति-गीते आणि अभंगांची रचना करून समस्त जनता-जनार्दनाला समता आणि प्रभु-भक्तिची शिकवण दिली.
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आत्मस्वरूपस्थिति - अभंग १६ ते २०
संत नामदेवांनी भक्ति-गीते आणि अभंगांची रचना करून समस्त जनता-जनार्दनाला समता आणि प्रभु-भक्तिची शिकवण दिली.
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आत्मस्वरूपस्थिति - अभंग २१ ते २५
संत नामदेवांनी भक्ति-गीते आणि अभंगांची रचना करून समस्त जनता-जनार्दनाला समता आणि प्रभु-भक्तिची शिकवण दिली.
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आत्मस्वरूपस्थिति - अभंग २६ ते २८
संत नामदेवांनी भक्ति-गीते आणि अभंगांची रचना करून समस्त जनता-जनार्दनाला समता आणि प्रभु-भक्तिची शिकवण दिली.
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भक्तवत्सलता - अभंग ५२ ते ५५
संत नामदेवांनी भक्ति-गीते आणि अभंगांची रचना करून समस्त जनता-जनार्दनाला समता आणि प्रभु-भक्तिची शिकवण दिली.
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भक्तवत्सलता - अभंग ५६ ते ६०
संत नामदेवांनी भक्ति-गीते आणि अभंगांची रचना करून समस्त जनता-जनार्दनाला समता आणि प्रभु-भक्तिची शिकवण दिली.
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भक्तवत्सलता - अभंग ६१ ते ६५
संत नामदेवांनी भक्ति-गीते आणि अभंगांची रचना करून समस्त जनता-जनार्दनाला समता आणि प्रभु-भक्तिची शिकवण दिली.
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भक्तवत्सलता - अभंग ६६ ते ७०
संत नामदेवांनी भक्ति-गीते आणि अभंगांची रचना करून समस्त जनता-जनार्दनाला समता आणि प्रभु-भक्तिची शिकवण दिली.
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भक्तवत्सलता - अभंग ७१ ते ७२
संत नामदेवांनी भक्ति-गीते आणि अभंगांची रचना करून समस्त जनता-जनार्दनाला समता आणि प्रभु-भक्तिची शिकवण दिली.
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भक्तवत्सलता - अभंग ७३ ते ७७
संत नामदेवांनी भक्ति-गीते आणि अभंगांची रचना करून समस्त जनता-जनार्दनाला समता आणि प्रभु-भक्तिची शिकवण दिली.
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गोंदा
संत नामदेवांनी भक्ति-गीते आणि अभंगांची रचना करून समस्त जनता-जनार्दनाला समता आणि प्रभु-भक्तिची शिकवण दिली तसेच त्यांच्या कुटुंबातील मंडळींनी देखील अभंग रचना केलेल्या आहेत.
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नामदेवाचें चरित्र - नैवेद्याचा नेम असे दामाजी...
संत नामदेवांनी भक्ति-गीते आणि अभंगांची रचना करून समस्त जनता-जनार्दनाला समता आणि प्रभु-भक्तिची शिकवण दिली तसेच त्यांच्या कुटुंबातील मंडळींनी देखील अभंग रचना केलेल्या आहेत.
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नामदेवाचें चरित्र - नामदेवा कैसा हा रे नफा के...
संत नामदेवांनी भक्ति-गीते आणि अभंगांची रचना करून समस्त जनता-जनार्दनाला समता आणि प्रभु-भक्तिची शिकवण दिली तसेच त्यांच्या कुटुंबातील मंडळींनी देखील अभंग रचना केलेल्या आहेत.
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नामदेवाचें चरित्र - विनवितो देवा बहुत प्रकारी...
संत नामदेवांनी भक्ति-गीते आणि अभंगांची रचना करून समस्त जनता-जनार्दनाला समता आणि प्रभु-भक्तिची शिकवण दिली तसेच त्यांच्या कुटुंबातील मंडळींनी देखील अभंग रचना केलेल्या आहेत.
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नामदेवाचें चरित्र - आलिंगिला नामा हृदयीं विठ्...
संत नामदेवांनी भक्ति-गीते आणि अभंगांची रचना करून समस्त जनता-जनार्दनाला समता आणि प्रभु-भक्तिची शिकवण दिली तसेच त्यांच्या कुटुंबातील मंडळींनी देखील अभंग रचना केलेल्या आहेत.
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नामदेवाचें चरित्र - नामा आला घरा पुसत गोणाई ।...
संत नामदेवांनी भक्ति-गीते आणि अभंगांची रचना करून समस्त जनता-जनार्दनाला समता आणि प्रभु-भक्तिची शिकवण दिली तसेच त्यांच्या कुटुंबातील मंडळींनी देखील अभंग रचना केलेल्या आहेत.
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नामदेवाचें चरित्र - नामयाचा नेम पाहों आदरिला ...
संत नामदेवांनी भक्ति-गीते आणि अभंगांची रचना करून समस्त जनता-जनार्दनाला समता आणि प्रभु-भक्तिची शिकवण दिली तसेच त्यांच्या कुटुंबातील मंडळींनी देखील अभंग रचना केलेल्या आहेत.
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नामदेवाचें चरित्र - साक्ष आल्यावरी कष्टी जहाल...
संत नामदेवांनी भक्ति-गीते आणि अभंगांची रचना करून समस्त जनता-जनार्दनाला समता आणि प्रभु-भक्तिची शिकवण दिली तसेच त्यांच्या कुटुंबातील मंडळींनी देखील अभंग रचना केलेल्या आहेत.
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नामदेवाचें चरित्र - नामयाची माता काय म्हणे दे...
संत नामदेवांनी भक्ति-गीते आणि अभंगांची रचना करून समस्त जनता-जनार्दनाला समता आणि प्रभु-भक्तिची शिकवण दिली तसेच त्यांच्या कुटुंबातील मंडळींनी देखील अभंग रचना केलेल्या आहेत.
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नामदेवाचें चरित्र - विठ्ठल रुक्माई भक्त नामदे...
संत नामदेवांनी भक्ति-गीते आणि अभंगांची रचना करून समस्त जनता-जनार्दनाला समता आणि प्रभु-भक्तिची शिकवण दिली तसेच त्यांच्या कुटुंबातील मंडळींनी देखील अभंग रचना केलेल्या आहेत.
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नामदेवाचें चरित्र - दोघेजण बाळ नारा म्हादा ता...
संत नामदेवांनी भक्ति-गीते आणि अभंगांची रचना करून समस्त जनता-जनार्दनाला समता आणि प्रभु-भक्तिची शिकवण दिली तसेच त्यांच्या कुटुंबातील मंडळींनी देखील अभंग रचना केलेल्या आहेत.
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नामदेवाचें चरित्र - शिजला तो सर्प काढिलें झां...
संत नामदेवांनी भक्ति-गीते आणि अभंगांची रचना करून समस्त जनता-जनार्दनाला समता आणि प्रभु-भक्तिची शिकवण दिली तसेच त्यांच्या कुटुंबातील मंडळींनी देखील अभंग रचना केलेल्या आहेत.
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नामदेवाचें चरित्र - जाच केला म्हणोनि चालिला श...
संत नामदेवांनी भक्ति-गीते आणि अभंगांची रचना करून समस्त जनता-जनार्दनाला समता आणि प्रभु-भक्तिची शिकवण दिली तसेच त्यांच्या कुटुंबातील मंडळींनी देखील अभंग रचना केलेल्या आहेत.
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नामदेवाचें चरित्र - वराईची गोणी कळली राजाईसी ...
संत नामदेवांनी भक्ति-गीते आणि अभंगांची रचना करून समस्त जनता-जनार्दनाला समता आणि प्रभु-भक्तिची शिकवण दिली तसेच त्यांच्या कुटुंबातील मंडळींनी देखील अभंग रचना केलेल्या आहेत.
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नामदेवाचें चरित्र - राजाईचा संशय फेडिला मनींच...
संत नामदेवांनी भक्ति-गीते आणि अभंगांची रचना करून समस्त जनता-जनार्दनाला समता आणि प्रभु-भक्तिची शिकवण दिली तसेच त्यांच्या कुटुंबातील मंडळींनी देखील अभंग रचना केलेल्या आहेत.
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नामदेवाचें चरित्र - ऐसा नामा भक्त पूर्ण केली ...
संत नामदेवांनी भक्ति-गीते आणि अभंगांची रचना करून समस्त जनता-जनार्दनाला समता आणि प्रभु-भक्तिची शिकवण दिली तसेच त्यांच्या कुटुंबातील मंडळींनी देखील अभंग रचना केलेल्या आहेत.
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नामदेवाचें चरित्र - भावें भक्तिवादें करावें क...
संत नामदेवांनी भक्ति-गीते आणि अभंगांची रचना करून समस्त जनता-जनार्दनाला समता आणि प्रभु-भक्तिची शिकवण दिली तसेच त्यांच्या कुटुंबातील मंडळींनी देखील अभंग रचना केलेल्या आहेत.
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नामदेवाचें चरित्र - साठीं नव लक्ष चौर्यांपणव...
संत नामदेवांनी भक्ति-गीते आणि अभंगांची रचना करून समस्त जनता-जनार्दनाला समता आणि प्रभु-भक्तिची शिकवण दिली तसेच त्यांच्या कुटुंबातील मंडळींनी देखील अभंग रचना केलेल्या आहेत.
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संत नामदेवांचे अभंग - कुटुंबातील मंडळींच्या अभंग रचना
संत नामदेवांनी भक्ति-गीते आणि अभंगांची रचना करून समस्त जनता-जनार्दनाला समता आणि प्रभु-भक्तिची शिकवण दिली तसेच त्यांच्या कुटुंबातील मंडळींनी देखील अभंग रचना केलेल्या आहेत.
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परसा भागवताचे अभंग
संत नामदेवांनी भक्ति-गीते आणि अभंगांची रचना करून समस्त जनता-जनार्दनाला समता आणि प्रभु-भक्तिची शिकवण दिली तसेच त्यांच्या कुटुंबातील मंडळींनी देखील अभंग रचना केलेल्या आहेत.
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परसा भागवत व नामदेव यांचा संवाद
संत नामदेवांनी भक्ति-गीते आणि अभंगांची रचना करून समस्त जनता-जनार्दनाला समता आणि प्रभु-भक्तिची शिकवण दिली तसेच त्यांच्या कुटुंबातील मंडळींनी देखील अभंग रचना केलेल्या आहेत.
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परसा भागवताचा गर्वपरिहार
संत नामदेवांनी भक्ति-गीते आणि अभंगांची रचना करून समस्त जनता-जनार्दनाला समता आणि प्रभु-भक्तिची शिकवण दिली तसेच त्यांच्या कुटुंबातील मंडळींनी देखील अभंग रचना केलेल्या आहेत.
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परसा भागवत व श्रीनामदेव यांचा संवाद
संत नामदेवांनी भक्ति-गीते आणि अभंगांची रचना करून समस्त जनता-जनार्दनाला समता आणि प्रभु-भक्तिची शिकवण दिली तसेच त्यांच्या कुटुंबातील मंडळींनी देखील अभंग रचना केलेल्या आहेत.
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परसा भागवताची नामदेवाची स्तुति
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नारा
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महादा - यादवांचे कुळीं झोंड जे जन...
संत नामदेवांनी भक्ति-गीते आणि अभंगांची रचना करून समस्त जनता-जनार्दनाला समता आणि प्रभु-भक्तिची शिकवण दिली तसेच त्यांच्या कुटुंबातील मंडळींनी देखील अभंग रचना केलेल्या आहेत.
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संत नामदेवांचे अभंग - करुणा
संत नामदेवांनी भक्ति-गीते आणि अभंगांची रचना करून समस्त जनता-जनार्दनाला समता आणि प्रभु-भक्तिची शिकवण दिली.
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करुणा - अभंग १ ते ४
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करुणा - अभंग ५ ते ८
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करुणा - अभंग ९ ते १२
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करुणा - अभंग १३ ते १५
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करुणा - अभंग १६ ते १८
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करुणा - अभंग १९ ते २१
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करुणा - अभंग २२ ते २४
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करुणा - अभंग २५ ते २७
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करुणा - अभंग २८ ते ३०
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करुणा - अभंग ३१ ते ३३
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करुणा - अभंग ३४ ते ३६
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संत नामदेवांचे अभंग - नामसंकीर्तन माहात्म्य
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नामसंकीर्तन माहात्म्य - अभंग १ ते ३
सदर अभंग संत जनाबाइंना उद्देशून रचिले आहेत.
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नामसंकीर्तन माहात्म्य - अभंग ४ ते ६
सदर अभंग संत जनाबाइंना उद्देशून रचिले आहेत.
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नामसंकीर्तन माहात्म्य - अभंग ७ ते ९
सदर अभंग संत जनाबाइंना उद्देशून रचिले आहेत.
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नामसंकीर्तन माहात्म्य - अभंग १० ते १२
सदर अभंग संत जनाबाइंना उद्देशून रचिले आहेत.
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नामसंकीर्तन माहात्म्य - अभंग १३ ते १५
सदर अभंग संत जनाबाइंना उद्देशून रचिले आहेत.
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सुदामचरित्र - भाग ११ ते १५
संत नामदेवांनी भक्ति-गीते आणि अभंगांची रचना करून समस्त जनता-जनार्दनाला समता आणि प्रभु-भक्तिची शिकवण दिली.
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संत नामदेवांचे अभंग - उपदेश
संत नामदेवांनी भक्ति-गीते आणि अभंगांची रचना करून समस्त जनता-जनार्दनाला समता आणि प्रभु-भक्तिची शिकवण दिली.
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उपदेश - अभंग १ ते ५
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उपदेश - अभंग ६ ते १०
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उपदेश - अभंग ११ ते १५
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उपदेश - अभंग १६ ते २०
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उपदेश - अभंग २१ ते २५
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उपदेश - अभंग २६ ते ३०
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संत नामदेवांचे अभंग - विठाचे अभंग
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विठाचे अभंग - करुणापर मागणें
संत नामदेवांनी भक्ति-गीते आणि अभंगांची रचना करून समस्त जनता-जनार्दनाला समता आणि प्रभु-भक्तिची शिकवण दिली तसेच त्यांच्या कुटुंबातील मंडळींनी देखील अभंग रचना केलेल्या आहेत.
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करुणापर मागणें - अभंग १ ते ३
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करुणापर मागणें - अभंग ४ ते ६
संत नामदेवांनी भक्ति-गीते आणि अभंगांची रचना करून समस्त जनता-जनार्दनाला समता आणि प्रभु-भक्तिची शिकवण दिली तसेच त्यांच्या
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करुणापर मागणें - अभंग ७ ते ९
संत नामदेवांनी भक्ति-गीते आणि अभंगांची रचना करून समस्त जनता-जनार्दनाला समता आणि प्रभु-भक्तिची शिकवण दिली तसेच त्यांच्या
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करुणापर मागणें - अभंग १० ते १२
संत नामदेवांनी भक्ति-गीते आणि अभंगांची रचना करून समस्त जनता-जनार्दनाला समता आणि प्रभु-भक्तिची शिकवण दिली तसेच त्यांच्या
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करुणापर मागणें - अभंग १३ ते १५
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करुणापर मागणें - अभंग १६ ते १८
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करुणापर मागणें - अभंग १९ ते २१
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करुणापर मागणें - अभंग २२ ते २४
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करुणापर मागणें - अभंग २५ ते २८
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विठाचे अभंग - साधुसंतजना करितों प्रार्थ...
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विठाचे अभंग - मग साधुसंत म्हणती विठ्या ...
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विठाचे अभंग - विठा नामायाचा आला पंढरपुर...
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विठाचे अभंग - पूर्वजन्मीं आराधितां । तु...
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विठाचे अभंग - आमुचा नामा तुज गोला निरवु...
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विठाचे अभंग - आमुचें ठेवणें जुगादीचें न...
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विठाचे अभंग - हरिनामाचा ध्वनि ऐकोनी श्र...
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विठाचे अभंग - आमुचा बाप अग्रज तुझा । तू...
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विठाचे अभंग - माझिया बापाचा तुजपाशीं ठे...
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विठाचे अभंग - मायबापें काय नसती आमुचीं ...
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विठाचे अभंग - खवळलें आतां न भियेंरे तुज...
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विठाचे अभंग - तुज काय देवा न पुरतें आले...
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विठाचे अभंग - उदार चक्रवर्ती लक्ष्मीचा ...
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विठाचे अभंग - माझिया बापाची मिराशी गा द...
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विठाचे अभंग - हाट करी आम्ही आठवडे मुळीं...
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विठाचे अभंग - माझिया बापासी तुझाचि विश्...
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विठाचे अभंग - भूतळीचीं तीर्थें नामा जंव...
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विठाचे अभंग - माझ्या ठेवी दाखवीं लवलाही...
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विठाचे अभंग - पंढरीराया माझिया बापें । ...
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विठाचे अभंग - तुझ्या प्रेमाचे कारणे । म...
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विठाचे अभंग - तुजसारिखा पंढरिनाथा । स्व...
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विठाचे अभंग - जननी बाळका कोपे रागें । प...
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विठाचे अभंग - हिंडतां श्रमलों बहु श्रम ...
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विठाचे अभंग - जननी बाळकांचें जीवन । जरी...
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विठाचे अभंग - आमुचा बाप आम्हां सांगे । ...
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विठाचे अभंग - पितृभजन जरी पुंडलिक न करि...
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विठाचे अभंग - माझे बापाचे निधनें वडिवार...
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विठाचे अभंग - उदमाचा करून झाडा । कर्म क...
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विठाचे अभंग - निज आत्मज्ञान डोहीं । जे ...
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विठाचे अभंग - तुझे पाय माझिया गळ्यासी ।...
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विठाचे अभंग - खेचरापासी जाय पुससी सागसी...
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विठाचे अभंग - तंव धांउनी गेला चरणीं लाग...
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विठाचे अभंग - केशवाचे पाय जाणें मी आणि ...
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विठाचे अभंग - चराचरीं जाणा एक खेचरू । त...
संत नामदेवांनी भक्ति-गीते आणि अभंगांची रचना करून समस्त जनता-जनार्दनाला समता आणि प्रभु-भक्तिची शिकवण दिली तसेच त्यांच्या कुटुंबातील मंडळींनी देखील अभंग रचना केलेल्या आहेत.
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विठाचे अभंग - तंव खेचरु ऐसी शिकवण खोली ...
संत नामदेवांनी भक्ति-गीते आणि अभंगांची रचना करून समस्त जनता-जनार्दनाला समता आणि प्रभु-भक्तिची शिकवण दिली तसेच त्यांच्या कुटुंबातील मंडळींनी देखील अभंग रचना केलेल्या आहेत.
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विठाचे अभंग - सुखाचा निज ठेवा तुमचा केश...
संत नामदेवांनी भक्ति-गीते आणि अभंगांची रचना करून समस्त जनता-जनार्दनाला समता आणि प्रभु-भक्तिची शिकवण दिली तसेच त्यांच्या कुटुंबातील मंडळींनी देखील अभंग रचना केलेल्या आहेत.
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विठाचे अभंग - माझा बाप माच विठोवा रखुमा...
संत नामदेवांनी भक्ति-गीते आणि अभंगांची रचना करून समस्त जनता-जनार्दनाला समता आणि प्रभु-भक्तिची शिकवण दिली तसेच त्यांच्या कुटुंबातील मंडळींनी देखील अभंग रचना केलेल्या आहेत.
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विठाचे अभंग - उपदेश
संत नामदेवांनी भक्ति-गीते आणि अभंगांची रचना करून समस्त जनता-जनार्दनाला समता आणि प्रभु-भक्तिची शिकवण दिली तसेच त्यांच्या
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विठाचे अभंग - गौळण
संत नामदेवांनी भक्ति-गीते आणि अभंगांची रचना करून समस्त जनता-जनार्दनाला समता आणि प्रभु-भक्तिची शिकवण दिली तसेच त्यांच्या
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विठाचे अभंग - गोंधळ
संत नामदेवांनी भक्ति-गीते आणि अभंगांची रचना करून समस्त जनता-जनार्दनाला समता आणि प्रभु-भक्तिची शिकवण दिली तसेच त्यांच्या
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संत नामदेवांचे अभंग - भेट
संत नामदेवांनी भक्ति-गीते आणि अभंगांची रचना करून समस्त जनता-जनार्दनाला समता आणि प्रभु-भक्तिची शिकवण दिली.
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संत नामदेवांचे अभंग - मागणें
संत नामदेवांनी भक्ति-गीते आणि अभंगांची रचना करून समस्त जनता-जनार्दनाला समता आणि प्रभु-भक्तिची शिकवण दिली.
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संत नामदेवांचे अभंग - संतस्तुति
संत नामदेवांनी भक्ति-गीते आणि अभंगांची रचना करून समस्त जनता-जनार्दनाला समता आणि प्रभु-भक्तिची शिकवण दिली.
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संत नामदेवांचे अभंग - जनाबाईचा निश्चय
संत नामदेवांनी भक्ति-गीते आणि अभंगांची रचना करून समस्त जनता-जनार्दनाला समता आणि प्रभु-भक्तिची शिकवण दिली.
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संत नामदेवांचे अभंग - भाट
संत नामदेवांनी भक्ति-गीते आणि अभंगांची रचना करून समस्त जनता-जनार्दनाला समता आणि प्रभु-भक्तिची शिकवण दिली तसेच त्यांच्या कुटुंबातील मंडळींनी देखील अभंग रचना केलेल्या आहेत.
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संत नामदेवांचे अभंग - आऊबाईचे अभंग
संत नामदेवांनी भक्ति-गीते आणि अभंगांची रचना करून समस्त जनता-जनार्दनाला समता आणि प्रभु-भक्तिची शिकवण दिली तसेच त्यांच्या
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संत नामदेवांचे अभंग - लाडाईचा अभंग
संत नामदेवांनी भक्ति-गीते आणि अभंगांची रचना करून समस्त जनता-जनार्दनाला समता आणि प्रभु-भक्तिची शिकवण दिली तसेच त्यांच्या
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निरंजन स्वामीकृत मराठी पदें.
वेदान्तशास्त्र हे नुसते बुध्दिगम्य व वाक्चातुर्यदर्शक शास्त्र नसून प्रत्यक्ष अनुभवगम्य शास्त्र आहे हे या ग्रन्थातून स्पष्ट होते.
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मराठी पदें - पदे १ ते ५
वेदान्तशास्त्र हे नुसते बुध्दिगम्य व वाक्चातुर्यदर्शक शास्त्र नसून प्रत्यक्ष अनुभवगम्य शास्त्र आहे हे या ग्रन्थातून स्पष्ट होते.
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मराठी पदें - पदे ६ ते १०
वेदान्तशास्त्र हे नुसते बुध्दिगम्य व वाक्चातुर्यदर्शक शास्त्र नसून प्रत्यक्ष अनुभवगम्य शास्त्र आहे हे या ग्रन्थातून स्पष्ट होते.
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मराठी पदें - पदे ११ ते १५
वेदान्तशास्त्र हे नुसते बुध्दिगम्य व वाक्चातुर्यदर्शक शास्त्र नसून प्रत्यक्ष अनुभवगम्य शास्त्र आहे हे या ग्रन्थातून स्पष्ट होते.
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मराठी पदें - पदे १६ ते २०
वेदान्तशास्त्र हे नुसते बुध्दिगम्य व वाक्चातुर्यदर्शक शास्त्र नसून प्रत्यक्ष अनुभवगम्य शास्त्र आहे हे या ग्रन्थातून स्पष्ट होते.
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मराठी पदें - पदे २१ ते २५
वेदान्तशास्त्र हे नुसते बुध्दिगम्य व वाक्चातुर्यदर्शक शास्त्र नसून प्रत्यक्ष अनुभवगम्य शास्त्र आहे हे या ग्रन्थातून स्पष्ट होते.
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मराठी पदें - पदे २६ ते ३०
वेदान्तशास्त्र हे नुसते बुध्दिगम्य व वाक्चातुर्यदर्शक शास्त्र नसून प्रत्यक्ष अनुभवगम्य शास्त्र आहे हे या ग्रन्थातून स्पष्ट होते.
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मराठी पदें - पदे ३१ ते ३५
वेदान्तशास्त्र हे नुसते बुध्दिगम्य व वाक्चातुर्यदर्शक शास्त्र नसून प्रत्यक्ष अनुभवगम्य शास्त्र आहे हे या ग्रन्थातून स्पष्ट होते.
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मराठी पदें - पदे ३६ ते ४०
वेदान्तशास्त्र हे नुसते बुध्दिगम्य व वाक्चातुर्यदर्शक शास्त्र नसून प्रत्यक्ष अनुभवगम्य शास्त्र आहे हे या ग्रन्थातून स्पष्ट होते.
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मराठी पदें - पदे ४१ ते ४५
वेदान्तशास्त्र हे नुसते बुध्दिगम्य व वाक्चातुर्यदर्शक शास्त्र नसून प्रत्यक्ष अनुभवगम्य शास्त्र आहे हे या ग्रन्थातून स्पष्ट होते.
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मराठी पदें - पदे ४६ ते ५०
वेदान्तशास्त्र हे नुसते बुध्दिगम्य व वाक्चातुर्यदर्शक शास्त्र नसून प्रत्यक्ष अनुभवगम्य शास्त्र आहे हे या ग्रन्थातून स्पष्ट होते.
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मराठी पदें - पदे ५१ ते ५५
वेदान्तशास्त्र हे नुसते बुध्दिगम्य व वाक्चातुर्यदर्शक शास्त्र नसून प्रत्यक्ष अनुभवगम्य शास्त्र आहे हे या ग्रन्थातून स्पष्ट होते.
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मराठी पदें - पदे ५६ ते ६०
वेदान्तशास्त्र हे नुसते बुध्दिगम्य व वाक्चातुर्यदर्शक शास्त्र नसून प्रत्यक्ष अनुभवगम्य शास्त्र आहे हे या ग्रन्थातून स्पष्ट होते.
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मराठी पदें - पदे ६१ ते ६५
वेदान्तशास्त्र हे नुसते बुध्दिगम्य व वाक्चातुर्यदर्शक शास्त्र नसून प्रत्यक्ष अनुभवगम्य शास्त्र आहे हे या ग्रन्थातून स्पष्ट होते.
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मराठी पदें - पदे ६६ ते ७०
वेदान्तशास्त्र हे नुसते बुध्दिगम्य व वाक्चातुर्यदर्शक शास्त्र नसून प्रत्यक्ष अनुभवगम्य शास्त्र आहे हे या ग्रन्थातून स्पष्ट होते.
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मराठी पदें - पदे ७१ ते ७५
वेदान्तशास्त्र हे नुसते बुध्दिगम्य व वाक्चातुर्यदर्शक शास्त्र नसून प्रत्यक्ष अनुभवगम्य शास्त्र आहे हे या ग्रन्थातून स्पष्ट होते.
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मराठी पदें - पदे ७६ ते ८०
वेदान्तशास्त्र हे नुसते बुध्दिगम्य व वाक्चातुर्यदर्शक शास्त्र नसून प्रत्यक्ष अनुभवगम्य शास्त्र आहे हे या ग्रन्थातून स्पष्ट होते.
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मराठी पदें - पदे ८१ ते ८५
वेदान्तशास्त्र हे नुसते बुध्दिगम्य व वाक्चातुर्यदर्शक शास्त्र नसून प्रत्यक्ष अनुभवगम्य शास्त्र आहे हे या ग्रन्थातून स्पष्ट होते.
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मराठी पदें - पदे ८६ ते ९०
वेदान्तशास्त्र हे नुसते बुध्दिगम्य व वाक्चातुर्यदर्शक शास्त्र नसून प्रत्यक्ष अनुभवगम्य शास्त्र आहे हे या ग्रन्थातून स्पष्ट होते.
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मराठी पदें - पदे ९१ ते ९५
वेदान्तशास्त्र हे नुसते बुध्दिगम्य व वाक्चातुर्यदर्शक शास्त्र नसून प्रत्यक्ष अनुभवगम्य शास्त्र आहे हे या ग्रन्थातून स्पष्ट होते.
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मराठी पदें - पदे ९६ ते १००
वेदान्तशास्त्र हे नुसते बुध्दिगम्य व वाक्चातुर्यदर्शक शास्त्र नसून प्रत्यक्ष अनुभवगम्य शास्त्र आहे हे या ग्रन्थातून स्पष्ट होते.
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मराठी पदें - पदे १०१ ते १०५
वेदान्तशास्त्र हे नुसते बुध्दिगम्य व वाक्चातुर्यदर्शक शास्त्र नसून प्रत्यक्ष अनुभवगम्य शास्त्र आहे हे या ग्रन्थातून स्पष्ट होते.
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मराठी पदें - पदे १०६ ते ११०
वेदान्तशास्त्र हे नुसते बुध्दिगम्य व वाक्चातुर्यदर्शक शास्त्र नसून प्रत्यक्ष अनुभवगम्य शास्त्र आहे हे या ग्रन्थातून स्पष्ट होते.
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मराठी पदें - पदे १११ ते ११५
वेदान्तशास्त्र हे नुसते बुध्दिगम्य व वाक्चातुर्यदर्शक शास्त्र नसून प्रत्यक्ष अनुभवगम्य शास्त्र आहे हे या ग्रन्थातून स्पष्ट होते.
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मराठी पदें - पदे ११६ ते १२०
वेदान्तशास्त्र हे नुसते बुध्दिगम्य व वाक्चातुर्यदर्शक शास्त्र नसून प्रत्यक्ष अनुभवगम्य शास्त्र आहे हे या ग्रन्थातून स्पष्ट होते.
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मराठी पदें - पदे १२१ ते १२५
वेदान्तशास्त्र हे नुसते बुध्दिगम्य व वाक्चातुर्यदर्शक शास्त्र नसून प्रत्यक्ष अनुभवगम्य शास्त्र आहे हे या ग्रन्थातून स्पष्ट होते.
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मराठी पदें - पदे १२६ ते १३०
वेदान्तशास्त्र हे नुसते बुध्दिगम्य व वाक्चातुर्यदर्शक शास्त्र नसून प्रत्यक्ष अनुभवगम्य शास्त्र आहे हे या ग्रन्थातून स्पष्ट होते.
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मराठी पदें - पदे १३१ ते १३५
वेदान्तशास्त्र हे नुसते बुध्दिगम्य व वाक्चातुर्यदर्शक शास्त्र नसून प्रत्यक्ष अनुभवगम्य शास्त्र आहे हे या ग्रन्थातून स्पष्ट होते.
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मराठी पदें - पदे १३६ ते १४०
वेदान्तशास्त्र हे नुसते बुध्दिगम्य व वाक्चातुर्यदर्शक शास्त्र नसून प्रत्यक्ष अनुभवगम्य शास्त्र आहे हे या ग्रन्थातून स्पष्ट होते.
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मराठी पदें - पदे १४१ ते १४५
वेदान्तशास्त्र हे नुसते बुध्दिगम्य व वाक्चातुर्यदर्शक शास्त्र नसून प्रत्यक्ष अनुभवगम्य शास्त्र आहे हे या ग्रन्थातून स्पष्ट होते.
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मराठी पदें - पदे १४६ ते १५०
वेदान्तशास्त्र हे नुसते बुध्दिगम्य व वाक्चातुर्यदर्शक शास्त्र नसून प्रत्यक्ष अनुभवगम्य शास्त्र आहे हे या ग्रन्थातून स्पष्ट होते.
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मराठी पदें - पदे १५१ ते १५५
वेदान्तशास्त्र हे नुसते बुध्दिगम्य व वाक्चातुर्यदर्शक शास्त्र नसून प्रत्यक्ष अनुभवगम्य शास्त्र आहे हे या ग्रन्थातून स्पष्ट होते.
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मराठी पदें - पदे १५६ ते १६०
वेदान्तशास्त्र हे नुसते बुध्दिगम्य व वाक्चातुर्यदर्शक शास्त्र नसून प्रत्यक्ष अनुभवगम्य शास्त्र आहे हे या ग्रन्थातून स्पष्ट होते.
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मराठी पदें - पदे १६१ ते १६५
वेदान्तशास्त्र हे नुसते बुध्दिगम्य व वाक्चातुर्यदर्शक शास्त्र नसून प्रत्यक्ष अनुभवगम्य शास्त्र आहे हे या ग्रन्थातून स्पष्ट होते.
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मराठी पदें - पदे १६६ ते १७०
वेदान्तशास्त्र हे नुसते बुध्दिगम्य व वाक्चातुर्यदर्शक शास्त्र नसून प्रत्यक्ष अनुभवगम्य शास्त्र आहे हे या ग्रन्थातून स्पष्ट होते.
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मराठी पदें - पदे १७१ ते १७५
वेदान्तशास्त्र हे नुसते बुध्दिगम्य व वाक्चातुर्यदर्शक शास्त्र नसून प्रत्यक्ष अनुभवगम्य शास्त्र आहे हे या ग्रन्थातून स्पष्ट होते.
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मराठी पदें - पदे १७६ ते १८०
वेदान्तशास्त्र हे नुसते बुध्दिगम्य व वाक्चातुर्यदर्शक शास्त्र नसून प्रत्यक्ष अनुभवगम्य शास्त्र आहे हे या ग्रन्थातून स्पष्ट होते.
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मराठी पदें - पदे १८१ ते १८५
वेदान्तशास्त्र हे नुसते बुध्दिगम्य व वाक्चातुर्यदर्शक शास्त्र नसून प्रत्यक्ष अनुभवगम्य शास्त्र आहे हे या ग्रन्थातून स्पष्ट होते.
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मराठी पदें - पदे १८६ ते १९०
वेदान्तशास्त्र हे नुसते बुध्दिगम्य व वाक्चातुर्यदर्शक शास्त्र नसून प्रत्यक्ष अनुभवगम्य शास्त्र आहे हे या ग्रन्थातून स्पष्ट होते.
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मराठी पदें - पदे १९१ ते १९५
वेदान्तशास्त्र हे नुसते बुध्दिगम्य व वाक्चातुर्यदर्शक शास्त्र नसून प्रत्यक्ष अनुभवगम्य शास्त्र आहे हे या ग्रन्थातून स्पष्ट होते.
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मराठी पदें - पदे १९६ ते २००
वेदान्तशास्त्र हे नुसते बुध्दिगम्य व वाक्चातुर्यदर्शक शास्त्र नसून प्रत्यक्ष अनुभवगम्य शास्त्र आहे हे या ग्रन्थातून स्पष्ट होते.
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मराठी पदें - पदे २०१ ते २०५
वेदान्तशास्त्र हे नुसते बुध्दिगम्य व वाक्चातुर्यदर्शक शास्त्र नसून प्रत्यक्ष अनुभवगम्य शास्त्र आहे हे या ग्रन्थातून स्पष्ट होते.
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मराठी पदें - पदे २०६ ते २१०
वेदान्तशास्त्र हे नुसते बुध्दिगम्य व वाक्चातुर्यदर्शक शास्त्र नसून प्रत्यक्ष अनुभवगम्य शास्त्र आहे हे या ग्रन्थातून स्पष्ट होते.
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मराठी पदें - पदे २११ ते २१५
वेदान्तशास्त्र हे नुसते बुध्दिगम्य व वाक्चातुर्यदर्शक शास्त्र नसून प्रत्यक्ष अनुभवगम्य शास्त्र आहे हे या ग्रन्थातून स्पष्ट होते.
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मराठी पदें - पदे २१६ ते २२०
वेदान्तशास्त्र हे नुसते बुध्दिगम्य व वाक्चातुर्यदर्शक शास्त्र नसून प्रत्यक्ष अनुभवगम्य शास्त्र आहे हे या ग्रन्थातून स्पष्ट होते.
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मराठी पदें - पदे २२१ ते २२५
वेदान्तशास्त्र हे नुसते बुध्दिगम्य व वाक्चातुर्यदर्शक शास्त्र नसून प्रत्यक्ष अनुभवगम्य शास्त्र आहे हे या ग्रन्थातून स्पष्ट होते.
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मराठी पदें - पदे २२६ ते २३०
वेदान्तशास्त्र हे नुसते बुध्दिगम्य व वाक्चातुर्यदर्शक शास्त्र नसून प्रत्यक्ष अनुभवगम्य शास्त्र आहे हे या ग्रन्थातून स्पष्ट होते.
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मराठी पदें - पदे २३१ ते २३५
वेदान्तशास्त्र हे नुसते बुध्दिगम्य व वाक्चातुर्यदर्शक शास्त्र नसून प्रत्यक्ष अनुभवगम्य शास्त्र आहे हे या ग्रन्थातून स्पष्ट होते.
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मराठी पदें - पदे २३६ ते २४०
वेदान्तशास्त्र हे नुसते बुध्दिगम्य व वाक्चातुर्यदर्शक शास्त्र नसून प्रत्यक्ष अनुभवगम्य शास्त्र आहे हे या ग्रन्थातून स्पष्ट होते.
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मराठी पदें - पदे २४१ ते २४५
वेदान्तशास्त्र हे नुसते बुध्दिगम्य व वाक्चातुर्यदर्शक शास्त्र नसून प्रत्यक्ष अनुभवगम्य शास्त्र आहे हे या ग्रन्थातून स्पष्ट होते.
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मराठी पदें - पदे २४६ ते २५०
वेदान्तशास्त्र हे नुसते बुध्दिगम्य व वाक्चातुर्यदर्शक शास्त्र नसून प्रत्यक्ष अनुभवगम्य शास्त्र आहे हे या ग्रन्थातून स्पष्ट होते.
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मराठी पदें - पदे २५१ ते २५५
वेदान्तशास्त्र हे नुसते बुध्दिगम्य व वाक्चातुर्यदर्शक शास्त्र नसून प्रत्यक्ष अनुभवगम्य शास्त्र आहे हे या ग्रन्थातून स्पष्ट होते.
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मराठी पदें - पदे २५६ ते २६०
वेदान्तशास्त्र हे नुसते बुध्दिगम्य व वाक्चातुर्यदर्शक शास्त्र नसून प्रत्यक्ष अनुभवगम्य शास्त्र आहे हे या ग्रन्थातून स्पष्ट होते.
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मराठी पदें - पदे २६१ ते २६५
वेदान्तशास्त्र हे नुसते बुध्दिगम्य व वाक्चातुर्यदर्शक शास्त्र नसून प्रत्यक्ष अनुभवगम्य शास्त्र आहे हे या ग्रन्थातून स्पष्ट होते.
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मराठी पदें - पदे २६६ ते २७०
वेदान्तशास्त्र हे नुसते बुध्दिगम्य व वाक्चातुर्यदर्शक शास्त्र नसून प्रत्यक्ष अनुभवगम्य शास्त्र आहे हे या ग्रन्थातून स्पष्ट होते.
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मराठी पदें - पदे २७१ ते २७५
वेदान्तशास्त्र हे नुसते बुध्दिगम्य व वाक्चातुर्यदर्शक शास्त्र नसून प्रत्यक्ष अनुभवगम्य शास्त्र आहे हे या ग्रन्थातून स्पष्ट होते.
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मराठी पदें - पदे २७६ ते २७९
वेदान्तशास्त्र हे नुसते बुध्दिगम्य व वाक्चातुर्यदर्शक शास्त्र नसून प्रत्यक्ष अनुभवगम्य शास्त्र आहे हे या ग्रन्थातून स्पष्ट होते.
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अनेककवि कृत पदे
पद हा अभंगाचाच एक प्रकार असून लयीत गाता येतो, शिवाय गाण्याची कोणतीही ठराविक वेळ नसते.
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मुकुंदराजकृत पदें १ ते २
पद हा अभंगाचाच एक प्रकार असून लयीत गाता येतो, शिवाय गाण्याची कोणतीही ठराविक वेळ नसते.
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ज्ञानेश्वरकृत पदें ३ ते ५
पद हा अभंगाचाच एक प्रकार असून लयीत गाता येतो, शिवाय गाण्याची कोणतीही ठराविक वेळ नसते.
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ज्ञानेश्वरकृत पदें ६ ते ९
पद हा अभंगाचाच एक प्रकार असून लयीत गाता येतो, शिवाय गाण्याची कोणतीही ठराविक वेळ नसते.
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ज्ञानेश्वरकृत पदें १० ते १३
पद हा अभंगाचाच एक प्रकार असून लयीत गाता येतो, शिवाय गाण्याची कोणतीही ठराविक वेळ नसते.
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ज्ञानेश्वरकृत पदें १४ ते १६
पद हा अभंगाचाच एक प्रकार असून लयीत गाता येतो, शिवाय गाण्याची कोणतीही ठराविक वेळ नसते.
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श्यामसुंदरकृत पदें १७ ते १९
पद हा अभंगाचाच एक प्रकार असून लयीत गाता येतो, शिवाय गाण्याची कोणतीही ठराविक वेळ नसते.
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कृष्दासकृत पदें २० ते २३
पद हा अभंगाचाच एक प्रकार असून लयीत गाता येतो, शिवाय गाण्याची कोणतीही ठराविक वेळ नसते.
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कृष्णदासकृत पदें २४ ते २६
पद हा अभंगाचाच एक प्रकार असून लयीत गाता येतो, शिवाय गाण्याची कोणतीही ठराविक वेळ नसते.
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कृष्णदासकृत पदें २७ ते ३०
पद हा अभंगाचाच एक प्रकार असून लयीत गाता येतो, शिवाय गाण्याची कोणतीही ठराविक वेळ नसते.
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कृष्णदासकृत पदें ३१ ते ३४
पद हा अभंगाचाच एक प्रकार असून लयीत गाता येतो, शिवाय गाण्याची कोणतीही ठराविक वेळ नसते.
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कृष्णदासकृत पदें ३५ ते ३७
पद हा अभंगाचाच एक प्रकार असून लयीत गाता येतो, शिवाय गाण्याची कोणतीही ठराविक वेळ नसते.
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कृष्णदासकृत पदें ३८ ते ३९
पद हा अभंगाचाच एक प्रकार असून लयीत गाता येतो, शिवाय गाण्याची कोणतीही ठराविक वेळ नसते.
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मुक्ताबाईकृत पदें ४० आणि ४१
पद हा अभंगाचाच एक प्रकार असून लयीत गाता येतो, शिवाय गाण्याची कोणतीही ठराविक वेळ नसते.
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नामदेवकृत पदें ४२ ते ४५
पद हा अभंगाचाच एक प्रकार असून लयीत गाता येतो, शिवाय गाण्याची कोणतीही ठराविक वेळ नसते.
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नामदेवकृत पदें ४६ ते ४९
पद हा अभंगाचाच एक प्रकार असून लयीत गाता येतो, शिवाय गाण्याची कोणतीही ठराविक वेळ नसते.
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नामदेवकृत पदें ५० ते ५३
पद हा अभंगाचाच एक प्रकार असून लयीत गाता येतो, शिवाय गाण्याची कोणतीही ठराविक वेळ नसते.
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नामदेवकृत पदें ५४ ते ५५
पद हा अभंगाचाच एक प्रकार असून लयीत गाता येतो, शिवाय गाण्याची कोणतीही ठराविक वेळ नसते.
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रमणतनयकृत पदें ५६ ते ५९
पद हा अभंगाचाच एक प्रकार असून लयीत गाता येतो, शिवाय गाण्याची कोणतीही ठराविक वेळ नसते.
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रमणतनयकृत पदें ६० ते ६२
पद हा अभंगाचाच एक प्रकार असून लयीत गाता येतो, शिवाय गाण्याची कोणतीही ठराविक वेळ नसते.
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विठ्ठलनाथकृत पदें ६३ ते ६५
पद हा अभंगाचाच एक प्रकार असून लयीत गाता येतो, शिवाय गाण्याची कोणतीही ठराविक वेळ नसते.
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विठ्ठलनाथकृत पदें ६६ ते ६८
पद हा अभंगाचाच एक प्रकार असून लयीत गाता येतो, शिवाय गाण्याची कोणतीही ठराविक वेळ नसते.
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विठ्ठलनाथकृत पदें ६९ ते ७०
पद हा अभंगाचाच एक प्रकार असून लयीत गाता येतो, शिवाय गाण्याची कोणतीही ठराविक वेळ नसते.
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रामकृष्णकृत पदें ७१ ते ७३
पद हा अभंगाचाच एक प्रकार असून लयीत गाता येतो, शिवाय गाण्याची कोणतीही ठराविक वेळ नसते.
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रामकविकृत पदें ७४ ते ७६
पद हा अभंगाचाच एक प्रकार असून लयीत गाता येतो, शिवाय गाण्याची कोणतीही ठराविक वेळ नसते.
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रामकविकृत पदें ७७ ते ७९
पद हा अभंगाचाच एक प्रकार असून लयीत गाता येतो, शिवाय गाण्याची कोणतीही ठराविक वेळ नसते.
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रामकविकृत पदें ८० ते ८२
पद हा अभंगाचाच एक प्रकार असून लयीत गाता येतो, शिवाय गाण्याची कोणतीही ठराविक वेळ नसते.
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रामकविकृत पदें ८३ ते ८६
पद हा अभंगाचाच एक प्रकार असून लयीत गाता येतो, शिवाय गाण्याची कोणतीही ठराविक वेळ नसते.
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रामकविकृत पदें ८७ ते ९०
पद हा अभंगाचाच एक प्रकार असून लयीत गाता येतो, शिवाय गाण्याची कोणतीही ठराविक वेळ नसते.
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रामकविकृत पदें ९१ ते ९३
पद हा अभंगाचाच एक प्रकार असून लयीत गाता येतो, शिवाय गाण्याची कोणतीही ठराविक वेळ नसते.
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रामकविकृत पदें ९४ ते ९६
पद हा अभंगाचाच एक प्रकार असून लयीत गाता येतो, शिवाय गाण्याची कोणतीही ठराविक वेळ नसते.
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रामकविकृत पदें ९७ ते १००
पद हा अभंगाचाच एक प्रकार असून लयीत गाता येतो, शिवाय गाण्याची कोणतीही ठराविक वेळ नसते.
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रामकविकृत पदें १०१ ते १०३
पद हा अभंगाचाच एक प्रकार असून लयीत गाता येतो, शिवाय गाण्याची कोणतीही ठराविक वेळ नसते.
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रामकविकृत पदें १०४ ते १०६
पद हा अभंगाचाच एक प्रकार असून लयीत गाता येतो, शिवाय गाण्याची कोणतीही ठराविक वेळ नसते.
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रामकविकृत पदें १०७ ते ११०
पद हा अभंगाचाच एक प्रकार असून लयीत गाता येतो, शिवाय गाण्याची कोणतीही ठराविक वेळ नसते.
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रामकविकृत पदें १११ ते ११४
पद हा अभंगाचाच एक प्रकार असून लयीत गाता येतो, शिवाय गाण्याची कोणतीही ठराविक वेळ नसते.
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रामकविकृत पदें ११५ ते ११८
पद हा अभंगाचाच एक प्रकार असून लयीत गाता येतो, शिवाय गाण्याची कोणतीही ठराविक वेळ नसते.
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रामकविकृत पदें ११९ ते १२२
पद हा अभंगाचाच एक प्रकार असून लयीत गाता येतो, शिवाय गाण्याची कोणतीही ठराविक वेळ नसते.
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रामकविकृत पदें १२३ ते १२५
पद हा अभंगाचाच एक प्रकार असून लयीत गाता येतो, शिवाय गाण्याची कोणतीही ठराविक वेळ नसते.
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रामकविकृत पदें १२६ ते १३०
पद हा अभंगाचाच एक प्रकार असून लयीत गाता येतो, शिवाय गाण्याची कोणतीही ठराविक वेळ नसते.
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रामकविकृत पदें १३१ ते १३३
पद हा अभंगाचाच एक प्रकार असून लयीत गाता येतो, शिवाय गाण्याची कोणतीही ठराविक वेळ नसते.
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रामकविकृत पदें १३४ ते १३५
पद हा अभंगाचाच एक प्रकार असून लयीत गाता येतो, शिवाय गाण्याची कोणतीही ठराविक वेळ नसते.
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कृष्णकिंकरकृत पदें १३६ ते १३७
पद हा अभंगाचाच एक प्रकार असून लयीत गाता येतो, शिवाय गाण्याची कोणतीही ठराविक वेळ नसते.
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कृष्णकिंकरकृत पदें १३८ ते १३९
पद हा अभंगाचाच एक प्रकार असून लयीत गाता येतो, शिवाय गाण्याची कोणतीही ठराविक वेळ नसते.
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अवधूतकृत पदें १४० ते १४३
पद हा अभंगाचाच एक प्रकार असून लयीत गाता येतो, शिवाय गाण्याची कोणतीही ठराविक वेळ नसते.
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अवधूतकृत पदें १४४ ते १४७
पद हा अभंगाचाच एक प्रकार असून लयीत गाता येतो, शिवाय गाण्याची कोणतीही ठराविक वेळ नसते.
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गिरिधरकृत पदें १४८ ते १५४
पद हा अभंगाचाच एक प्रकार असून लयीत गाता येतो, शिवाय गाण्याची कोणतीही ठराविक वेळ नसते.
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श्यामात्मजकृत पदें १५५ ते १५८
पद हा अभंगाचाच एक प्रकार असून लयीत गाता येतो, शिवाय गाण्याची कोणतीही ठराविक वेळ नसते.
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श्यामात्मजकृत पदें १५९ ते १६२
पद हा अभंगाचाच एक प्रकार असून लयीत गाता येतो, शिवाय गाण्याची कोणतीही ठराविक वेळ नसते.
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श्यामात्मजकृत पदें १६३ ते १६५
पद हा अभंगाचाच एक प्रकार असून लयीत गाता येतो, शिवाय गाण्याची कोणतीही ठराविक वेळ नसते.
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श्यामात्मजकृत पदें १६६ ते १६८
पद हा अभंगाचाच एक प्रकार असून लयीत गाता येतो, शिवाय गाण्याची कोणतीही ठराविक वेळ नसते.
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चिन्मयनंदनकृत पदें १६९ ते १७१
पद हा अभंगाचाच एक प्रकार असून लयीत गाता येतो, शिवाय गाण्याची कोणतीही ठराविक वेळ नसते.
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चिन्मयनंदनकृत पदें १७२ ते १७५
पद हा अभंगाचाच एक प्रकार असून लयीत गाता येतो, शिवाय गाण्याची कोणतीही ठराविक वेळ नसते.
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चिन्मयनंदनकृत पदें १७५ ते १७७
पद हा अभंगाचाच एक प्रकार असून लयीत गाता येतो, शिवाय गाण्याची कोणतीही ठराविक वेळ नसते.
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गोविंदकृत पदें २०८ ते २११
पद हा अभंगाचाच एक प्रकार असून लयीत गाता येतो, शिवाय गाण्याची कोणतीही ठराविक वेळ नसते.
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गोविंदकृत पदें २१२ ते २१५
पद हा अभंगाचाच एक प्रकार असून लयीत गाता येतो, शिवाय गाण्याची कोणतीही ठराविक वेळ नसते.
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गोविंदकृत पदें २१६ ते २२०
पद हा अभंगाचाच एक प्रकार असून लयीत गाता येतो, शिवाय गाण्याची कोणतीही ठराविक वेळ नसते.
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गोविंदकृत पदें २२१ ते २२३
पद हा अभंगाचाच एक प्रकार असून लयीत गाता येतो, शिवाय गाण्याची कोणतीही ठराविक वेळ नसते.
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गोविंदकृत पदें २२४ ते २२६
पद हा अभंगाचाच एक प्रकार असून लयीत गाता येतो, शिवाय गाण्याची कोणतीही ठराविक वेळ नसते.
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गोविंदकृत पदें २२७ ते २३०
पद हा अभंगाचाच एक प्रकार असून लयीत गाता येतो, शिवाय गाण्याची कोणतीही ठराविक वेळ नसते.
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गोविंदकृत पदें २३१ ते २३२
पद हा अभंगाचाच एक प्रकार असून लयीत गाता येतो, शिवाय गाण्याची कोणतीही ठराविक वेळ नसते.
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गोविंदकृत पदें २३३ ते २३५
पद हा अभंगाचाच एक प्रकार असून लयीत गाता येतो, शिवाय गाण्याची कोणतीही ठराविक वेळ नसते.
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गोविंदकृत पदें २३६ ते २३७
पद हा अभंगाचाच एक प्रकार असूनगोविंदकृत पदें २३५ ते २३८ लयीत गाता येतो, शिवाय गाण्याची कोणतीही ठराविक वेळ नसते.
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गोविंदकृत पदें २३८ ते २४०
पद हा अभंगाचाच एक प्रकार असून लयीत गाता येतो, शिवाय गाण्याची कोणतीही ठराविक वेळ नसते.
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गोविंदकृत पदें २४१ ते २४४
पद हा अभंगाचाच एक प्रकार असून लयीत गाता येतो, शिवाय गाण्याची कोणतीही ठराविक वेळ नसते.
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