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हुशारी - हुशियार बंदा हुशियार । ते...

भारुड - हुशारी - हुशियार बंदा हुशियार । ते...

भारुड Bharude is a kind of satirical form of presenting the faults of lay human beings. It was started by Eknath who is revered as a saint.

हुशियार बंदा हुशियार । तेरा तन खबरदार । तुझें खिलावन एक नार । बतादेव सतरावी । घरपाई है ॥ १ ॥

बडे बडे साधुसंत । उनसे करले एकांत । सिद्धांत । आदिअंत उनको ॥ २ ॥

बडी तो सबसे बडी । जाडी तो धरतरीसे जाडी । एकवीस खन्नकी माडी । गगन बीचमें खडी है ॥ ३ ॥

दसवे द्वार झरोखा । देखले दिदार उनोका । नैन दीन लगावे ॥ ४ ॥

ब्रह्माविष्णु बडे देव । अजब गुरुग्यानी महादेव । पाहिये उनोकी ठेव । बैठके जग झुलाई है ॥ ५ ॥

अलख पुरुषको धुनी । तुर्या चेत रही उन्मनी । नहीं आदिअंत पुरनी । पन्नी महाकारण रूप है ॥ ६ ॥

अहंनाद निःशब्द मो । सो लगाईये चष्ममो । चुनक है मसुरमों । झकझक झकाकत है ॥ ७ ॥

लखलखाट हिरेकी खान । चकचकाट को मान । निशिदिन करत ना ध्यान । ग्यान बहोत आये गे ॥ ८ ॥

दिल रिझे तो करले धंदा । एका जनार्दनका बंदा । चुप सोने सो बताई है ॥ ९ ॥

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Last Updated : November 10, 2013

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