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बाहार खुदा विसर गये

सगनभाऊ - बाहार खुदा विसर गये

सगनभाऊंची लावणी म्हणजे मराठी साहित्याला पडलेले लावण्यरूप स्वप्नच.


शामभई राम तुजे आराम करेगा ।

पिहुजन पार अल्ला खैर करेगा ॥ध्रु०॥

सुनत सखी पिहुन यका इष्क कहते ।

रुख सत्‌ के वक्त कच्छु बयत कहेते ॥

रत फरेकव बंदगीमो रयन भयेते ।

घोडे उपर रवार हु नयन भयते ॥

पलो सफलाय खुदा मेहेर करेगा ॥१॥

हामपके गहर निंबु लागे दराने ।

हा मसे दुवागीर बने पिहू के बिराने ॥

हौस गये मोतनका चारा चराने ।

त्वरस लगी पानी कीदर जाऊ चुराने ॥

अल्फ सुखा पटकुंगी लहुसे भरेगा ॥२॥

डाग लगा कलीजे उपर पिहू के कमलका ।

याह करो फौजा कुलजाव आलमका ॥

बान चुबान सनसमो हाय रे जालमका ।

छाती उपर वार जडा नयन बलमका ॥

बाहार खुदा विसर गये क्या तो करे गा ॥३॥

इंत जाय उन्मतसे भीलना तन मन ।

गय बगा आबान हुवा कहे हुसेन बह्मन ॥

नही उजेन पार गये है रे गुल चमन ।

पोंच करो मक पुरे मीरज के समन ॥

सगनभाऊ मुरशदकू सिद्ध करेगा ॥४॥

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Last Updated : October 11, 2012

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