संस्कृत सूची|संस्कृत साहित्य|पुराण|श्री स्कंद पुराण|प्रभासखण्ड|प्रभासखण्डे अर्बुदखण्डम्| अध्याय ६१ प्रभासखण्डे अर्बुदखण्डम् विषयानुक्रमणिका अध्याय १ अध्याय २ अध्याय ३ अध्याय ४ अध्याय ५ अध्याय ६ अध्याय ७ अध्याय ८ अध्याय ९ अध्याय १० अध्याय ११ अध्याय १२ अध्याय १३ अध्याय १४ अध्याय १५ अध्याय १६ अध्याय १७ अध्याय १८ अध्याय १९ अध्याय २० अध्याय २१ अध्याय २२ अध्याय २३ अध्याय २४ अध्याय २५ अध्याय २६ अध्याय २७ अध्याय २८ अध्याय २९ अध्याय ३० अध्याय ३१ अध्याय ३२ अध्याय ३३ अध्याय ३४ अध्याय ३५ अध्याय ३६ अध्याय ३७ अध्याय ३८ अध्याय ३९ अध्याय ४० अध्याय ४१ अध्याय ४२ अध्याय ४३ अध्याय ४४ अध्याय ४५ अध्याय ४६ अध्याय ४७ अध्याय ४८ अध्याय ४९ अध्याय ५० अध्याय ५२ अध्याय ५३ अध्याय ५४ अध्याय ५५ अध्याय ५६ अध्याय ५७ अध्याय ५८ अध्याय ५९ अध्याय ६० अध्याय ६१ अध्याय ६२ अध्याय ६३ अर्बुदखण्डम् - अध्याय ६१ भगवान स्कन्द (कार्तिकेय) ने कथन केल्यामुळे ह्या पुराणाचे नाव 'स्कन्दपुराण' आहे. Tags : puransanskrutskand puranपुराणसंस्कृतस्कन्द पुराण अध्याय ६१ Translation - भाषांतर ॥ पुलस्त्य उवाच ॥गंगाधरं ततो गच्छेत्सुपुण्यं विमलोदकम्॥येन गंगा धृता राजन्निपतन्ती नभस्तलात् ॥१॥आहूता देव देवेन ह्यचलेश्वररूपिणा॥हरेण रभसा राजन्यत्पुरा कथितं तव ॥२॥तत्र यः कुरुते स्नानमष्टम्यां च समाहितः॥स गच्छेत्परमं स्थानं देवै रपि सुदुर्लभम् ॥३॥इति श्रीस्कान्दे महापुराण एकाशीतिसाहस्र्यां संहितायां सप्तमे प्रभासखण्डे तृतीयऽर्बुदखण्डे गंगाधरतीर्थमाहात्म्य वर्णनंनामैकषष्टितमोऽध्यायः ॥६१॥ N/A References : N/A Last Updated : February 03, 2025 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP