संस्कृत सूची|संस्कृत साहित्य|पुराण|श्री स्कंद पुराण|प्रभासखण्ड|प्रभासखण्डे अर्बुदखण्डम्| अध्याय ५५ प्रभासखण्डे अर्बुदखण्डम् विषयानुक्रमणिका अध्याय १ अध्याय २ अध्याय ३ अध्याय ४ अध्याय ५ अध्याय ६ अध्याय ७ अध्याय ८ अध्याय ९ अध्याय १० अध्याय ११ अध्याय १२ अध्याय १३ अध्याय १४ अध्याय १५ अध्याय १६ अध्याय १७ अध्याय १८ अध्याय १९ अध्याय २० अध्याय २१ अध्याय २२ अध्याय २३ अध्याय २४ अध्याय २५ अध्याय २६ अध्याय २७ अध्याय २८ अध्याय २९ अध्याय ३० अध्याय ३१ अध्याय ३२ अध्याय ३३ अध्याय ३४ अध्याय ३५ अध्याय ३६ अध्याय ३७ अध्याय ३८ अध्याय ३९ अध्याय ४० अध्याय ४१ अध्याय ४२ अध्याय ४३ अध्याय ४४ अध्याय ४५ अध्याय ४६ अध्याय ४७ अध्याय ४८ अध्याय ४९ अध्याय ५० अध्याय ५२ अध्याय ५३ अध्याय ५४ अध्याय ५५ अध्याय ५६ अध्याय ५७ अध्याय ५८ अध्याय ५९ अध्याय ६० अध्याय ६१ अध्याय ६२ अध्याय ६३ अर्बुदखण्डम् - अध्याय ५५ भगवान स्कन्द (कार्तिकेय) ने कथन केल्यामुळे ह्या पुराणाचे नाव 'स्कन्दपुराण' आहे. Tags : puransanskrutskand puranपुराणसंस्कृतस्कन्द पुराण अध्याय ५५ Translation - भाषांतर ॥ पुलस्त्य उवाच ॥ततो गच्छेन्नृपश्रेष्ठ पुण्यं रुद्रह्रदं शुभम्॥यत्र स्नातो नरो भक्त्या गणाधीशत्वमाप्नुयात् ॥१॥पुरा हत्वांऽधकं दैत्यं सगणो वृषभध्वजः॥ततः स्नातो ह्रदं कृत्वा ततो रुद्रह्रदोऽभवत् ॥२॥चतुर्द्दश्यां महाराज यस्तत्र कुरुते नरः॥स्नानं तस्य भवेत्पुण्यं सर्वतीर्थसमुद्भवम् ॥३॥इति श्रीस्कांदे महापुराण एकाशीतिसाहस्र्यां संहितायां सप्तमे प्रभासखण्डे तृतीयेऽर्बुदखण्डे रुद्रह्रदमाहात्म्यवर्णनंनाम पञ्चपञ्चाशत्तमोऽध्यायः ॥ ५५॥ N/A References : N/A Last Updated : February 03, 2025 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP