संस्कृत सूची|संस्कृत साहित्य|पुराण|श्री स्कंद पुराण|प्रभासखण्ड|प्रभासखण्डे अर्बुदखण्डम्| अध्याय ५७ प्रभासखण्डे अर्बुदखण्डम् विषयानुक्रमणिका अध्याय १ अध्याय २ अध्याय ३ अध्याय ४ अध्याय ५ अध्याय ६ अध्याय ७ अध्याय ८ अध्याय ९ अध्याय १० अध्याय ११ अध्याय १२ अध्याय १३ अध्याय १४ अध्याय १५ अध्याय १६ अध्याय १७ अध्याय १८ अध्याय १९ अध्याय २० अध्याय २१ अध्याय २२ अध्याय २३ अध्याय २४ अध्याय २५ अध्याय २६ अध्याय २७ अध्याय २८ अध्याय २९ अध्याय ३० अध्याय ३१ अध्याय ३२ अध्याय ३३ अध्याय ३४ अध्याय ३५ अध्याय ३६ अध्याय ३७ अध्याय ३८ अध्याय ३९ अध्याय ४० अध्याय ४१ अध्याय ४२ अध्याय ४३ अध्याय ४४ अध्याय ४५ अध्याय ४६ अध्याय ४७ अध्याय ४८ अध्याय ४९ अध्याय ५० अध्याय ५२ अध्याय ५३ अध्याय ५४ अध्याय ५५ अध्याय ५६ अध्याय ५७ अध्याय ५८ अध्याय ५९ अध्याय ६० अध्याय ६१ अध्याय ६२ अध्याय ६३ अर्बुदखण्डम् - अध्याय ५७ भगवान स्कन्द (कार्तिकेय) ने कथन केल्यामुळे ह्या पुराणाचे नाव 'स्कन्दपुराण' आहे. Tags : puransanskrutskand puranपुराणसंस्कृतस्कन्द पुराण अध्याय ५७ Translation - भाषांतर ॥ पुलस्त्य उवाच ॥अवियुक्तवनं गच्छेत्ततः पार्थिवसत्तम॥यस्मिन्दृष्टे नरोभीष्टैर्न वियुज्येत कर्हिचित्॥१॥तत्र पूर्वं शची राजन्प्रविष्टा दुःखसंयुता॥नहुषेण हृते राज्ये देवेन्द्रस्य महात्मनः ॥२॥तत्प्रभावात्पुनः प्राप्तो वियुक्तोऽपि शतक्रतुः॥ततस्तस्य वरो दत्तो वनस्य हि तया नृप ॥३॥नरो वा यदि वा नारी वियुक्ताऽत्र वने शुभे॥प्रियैर्निवास एकस्मिन्रात्रिमेकां वसिष्यति ॥४॥स तेन लभते संगं भूय एव यथा मया॥प्रियैः स लभते वासमेकरात्रं वसन्नृप ॥५॥फलदानं प्रशंसंति तत्र ब्राह्मणसत्तमाः॥वंध्यानां च विशेषेण यतः पुत्रफलं लभेत् ॥६॥इति श्रीस्कांदे महापुराण एकाशीतिसाहस्र्यां संहितायां सप्तमे प्रभासखंडे तृतीयेऽर्बुदखण्डेऽवियुक्तक्षेत्रमाहात्म्यवर्णनंनाम सप्तपञ्चाशत्तमोऽध्यायः ॥५७॥ N/A References : N/A Last Updated : February 03, 2025 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP