संस्कृत सूची|संस्कृत साहित्य|पुराण|श्री स्कंद पुराण|अवन्तीखण्ड|रेवा खण्डम्| अध्याय १५७ रेवा खण्डम् अध्याय १ अध्याय २ अध्याय ३ अध्याय ४ अध्याय ५ अध्याय ६ अध्याय ७ अध्याय ८ अध्याय ९ अध्याय १० अध्याय ११ अध्याय १२ अध्याय १३ अध्याय १४ अध्याय १५ अध्याय १६ अध्याय १७ अध्याय १८ अध्याय १९ अध्याय २० अध्याय २१ अध्याय २२ अध्याय २३ अध्याय २४ अध्याय २५ अध्याय २६ अध्याय २७ अध्याय २८ अध्याय २९ अध्याय ३० अध्याय ३१ अध्याय ३२ अध्याय ३३ अध्याय ३४ अध्याय ३५ अध्याय ३६ अध्याय ३७ अध्याय ३८ अध्याय ३९ अध्याय ४० अध्याय ४१ अध्याय ४२ अध्याय ४३ अध्याय ४४ अध्याय ४५ अध्याय ४६ अध्याय ४७ अध्याय ४८ अध्याय ४९ अध्याय ५० अध्याय ५१ अध्याय ५२ अध्याय ५३ अध्याय ५४ अध्याय ५५ अध्याय ५६ अध्याय ५७ अध्याय ५८ अध्याय ५९ अध्याय ६० अध्याय ६१ अध्याय ६२ अध्याय ६३ अध्याय ६४ अध्याय ६५ अध्याय ६६ अध्याय ६७ अध्याय ६८ अध्याय ६९ अध्याय ७० अध्याय ७१ अध्याय ७२ अध्याय ७३ अध्याय ७४ अध्याय ७५ अध्याय ७६ अध्याय ७७ अध्याय ७८ अध्याय ७९ अध्याय ८० अध्याय ८१ अध्याय ८२ अध्याय ८३ अध्याय ८४ अध्याय ८५ अध्याय ८६ अध्याय ८७ अध्याय ८८ अध्याय ८९ अध्याय ९० अध्याय ९१ अध्याय ९२ अध्याय ९३ अध्याय ९४ अध्याय ९५ अध्याय ९६ अध्याय ९७ अध्याय ९८ अध्याय ९९ अध्याय १०० अध्याय १०१ अध्याय १०२ अध्याय १०३ अध्याय १०४ अध्याय १०५ अध्याय १०६ अध्याय १०७ अध्याय १०८ अध्याय १०९ अध्याय ११० अध्याय १११ अध्याय ११२ अध्याय ११३ अध्याय ११४ अध्याय ११५ अध्याय ११६ अध्याय ११७ अध्याय ११८ अध्याय ११९ अध्याय १२० अध्याय १२१ अध्याय १२२ अध्याय १२३ अध्याय १२४ अध्याय १२५ अध्याय १२६ अध्याय १२७ अध्याय १२८ अध्याय १२९ अध्याय १३० अध्याय १३१ अध्याय १३२ अध्याय १३३ अध्याय १३४ अध्याय १३५ अध्याय १३६ अध्याय १३७ अध्याय १३८ अध्याय १३९ अध्याय १४० अध्याय १४१ अध्याय १४२ अध्याय १४३ अध्याय १४४ अध्याय १४५ अध्याय १४६ अध्याय १४७ अध्याय १४८ अध्याय १४९ अध्याय १५० अध्याय १५१ अध्याय १५२ अध्याय १५३ अध्याय १५४ अध्याय १५५ अध्याय १५६ अध्याय १५७ अध्याय १५८ अध्याय १५९ अध्याय १६० अध्याय १६१ अध्याय १६२ अध्याय १६३ अध्याय १६४ अध्याय १६५ अध्याय १६६ अध्याय १६७ अध्याय १६८ अध्याय १६९ अध्याय १७० अध्याय १७१ अध्याय १७२ अध्याय १७३ अध्याय १७४ अध्याय १७५ अध्याय १७६ अध्याय १७७ अध्याय १७८ अध्याय १७९ अध्याय १८० अध्याय १८१ अध्याय १८२ अध्याय १८३ अध्याय १८४ अध्याय १८५ अध्याय १८६ अध्याय १८७ अध्याय १८८ अध्याय १८९ अध्याय १९० अध्याय १९१ अध्याय १९२ अध्याय १९३ अध्याय १९४ अध्याय १९५ अध्याय १९६ अध्याय १९७ अध्याय १९८ अध्याय १९९ अध्याय २०० अध्याय २०१ अध्याय २०२ अध्याय २०३ अध्याय २०४ अध्याय २०५ अध्याय २०६ अध्याय २०७ अध्याय २०८ अध्याय २०९ अध्याय २१० अध्याय २११ अध्याय २१२ अध्याय २१३ अध्याय २१४ अध्याय २१५ अध्याय २१६ अध्याय २१७ अध्याय २१८ अध्याय २१९ अध्याय २२० अध्याय २२१ अध्याय २२२ अध्याय २२३ अध्याय २२४ अध्याय २२५ अध्याय २२६ अध्याय २२७ अध्याय २२८ अध्याय २२९ अध्याय २३० अध्याय २३१ अध्याय २३२ विषयानुक्रमणिका विषयानुक्रमणिका रेवा खण्डम् - अध्याय १५७ भगवान स्कन्द (कार्तिकेय) ने कथन केल्यामुळे ह्या पुराणाचे नाव 'स्कन्दपुराण' आहे. Tags : puransanskrutskand puranपुराणसंस्कृतस्कन्द पुराण अध्याय १५७ Translation - भाषांतर श्रीमार्कण्डेय उवाच -तस्यैवानन्तरं राजञ्छुक्लतीर्थसमीपतः ।वासुदेवस्य तीर्थं तु सर्वलोकेषु पूजितम् ॥१॥तद्धि पुण्यं सुविख्यातं नर्मदायां पुरातनम् ।यत्र हुङ्कारमात्रेण रेवा क्रोशं जगाम सा ॥२॥यदा प्रभृति राजेन्द्र हुङ्कारेण गता सरित् ।तदाप्रभृति स स्वामी हुङ्कारः शब्दितो बुधैः ॥३॥हुङ्कारतीर्थे यः स्नात्वा पश्यत्यव्ययमच्युतम् ।स मुच्यते नरः पापैः सप्तजन्म कृतैरपि ॥४॥संसारार्णवमग्नानां नराणां पापकर्मिणाम् ।नैवोद्धर्ता जगन्नाथं विना नारायणं परः ॥५॥सा जिह्वा या हरिं स्तौति तच्चित्तं यत्तदर्पितम् ।तावेव केवलौ श्लाघ्यौ यौ तत्पूजाकरौ करौ ॥६॥सर्वदा सर्वकार्येषु नास्ति तेषाममङ्गलम् ।येषां हृदिस्थो भगवान्मङ्गलायतनो हरिः ॥७॥यदन्यद्देवतार्चायाः फलं प्राप्नोति मानवः ।साष्टाङ्गप्रणिपातेन तत्फलं लभते हरेः ॥८॥रेणुगुण्ठितगात्रस्य यावन्तोऽस्य रजःकणाः ।तावद्वर्षसहस्राणि विष्णुलोके महीयते ॥९॥सम्मार्जनाभ्युक्षणलेपनेन तदालये नश्यति सर्वपापम् ।नारी नराणां परया तु भक्त्या दृष्ट्वा तु रेवां नरसत्तमस्य ॥१०॥येनार्चितो भगवान्वासुदेवो जन्मार्जितं नश्यति तस्य पापम् ।स याति लोकं गरुडध्वजस्य विधूतपापः सुरसङ्घपूज्यताम् ॥११॥शाठ्येनापि नमस्कारं प्रयुञ्जंश्चक्रपाणिनः ।सप्तजन्मार्जितं पापं गच्छत्याशु न संशयः ॥१२॥पूजायां प्रीयते रुद्रो जपहोमैर्दिवाकरः ।शङ्खचक्रगदापाणिः प्रणिपातेन तुष्यति ॥१३॥भवजलधिगतानां द्वन्द्ववाताहतानां सुतदुहितृकलत्रत्राणभारार्दितानाम् ।विषमविषयतोये मज्जतामप्लवानां भवति शरणमेको विष्णुपोतो नराणाम् ॥१४॥हुङ्कारतीर्थे राजेन्द्र शुभं वा यदि वाशुभम् ।यत्कृतं पुरुषव्याघ्र तन्नश्यति न कर्हिचित् ॥१५॥॥ इति श्रीस्कान्दे महापुराण एकाशीतिसाहस्र्यां संहितायां पञ्चम आवन्त्यखण्डे रेवाखण्डे हुङ्कारस्वामितीर्थमाहात्म्यवर्णनं नाम सप्तपञ्चाशदधिकशततमोऽध्यायः ॥ N/A References : N/A Last Updated : December 15, 2024 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP