संस्कृत सूची|संस्कृत साहित्य|पुराण|श्री स्कंद पुराण|अवन्तीखण्ड|रेवा खण्डम्| अध्याय १३६ रेवा खण्डम् अध्याय १ अध्याय २ अध्याय ३ अध्याय ४ अध्याय ५ अध्याय ६ अध्याय ७ अध्याय ८ अध्याय ९ अध्याय १० अध्याय ११ अध्याय १२ अध्याय १३ अध्याय १४ अध्याय १५ अध्याय १६ अध्याय १७ अध्याय १८ अध्याय १९ अध्याय २० अध्याय २१ अध्याय २२ अध्याय २३ अध्याय २४ अध्याय २५ अध्याय २६ अध्याय २७ अध्याय २८ अध्याय २९ अध्याय ३० अध्याय ३१ अध्याय ३२ अध्याय ३३ अध्याय ३४ अध्याय ३५ अध्याय ३६ अध्याय ३७ अध्याय ३८ अध्याय ३९ अध्याय ४० अध्याय ४१ अध्याय ४२ अध्याय ४३ अध्याय ४४ अध्याय ४५ अध्याय ४६ अध्याय ४७ अध्याय ४८ अध्याय ४९ अध्याय ५० अध्याय ५१ अध्याय ५२ अध्याय ५३ अध्याय ५४ अध्याय ५५ अध्याय ५६ अध्याय ५७ अध्याय ५८ अध्याय ५९ अध्याय ६० अध्याय ६१ अध्याय ६२ अध्याय ६३ अध्याय ६४ अध्याय ६५ अध्याय ६६ अध्याय ६७ अध्याय ६८ अध्याय ६९ अध्याय ७० अध्याय ७१ अध्याय ७२ अध्याय ७३ अध्याय ७४ अध्याय ७५ अध्याय ७६ अध्याय ७७ अध्याय ७८ अध्याय ७९ अध्याय ८० अध्याय ८१ अध्याय ८२ अध्याय ८३ अध्याय ८४ अध्याय ८५ अध्याय ८६ अध्याय ८७ अध्याय ८८ अध्याय ८९ अध्याय ९० अध्याय ९१ अध्याय ९२ अध्याय ९३ अध्याय ९४ अध्याय ९५ अध्याय ९६ अध्याय ९७ अध्याय ९८ अध्याय ९९ अध्याय १०० अध्याय १०१ अध्याय १०२ अध्याय १०३ अध्याय १०४ अध्याय १०५ अध्याय १०६ अध्याय १०७ अध्याय १०८ अध्याय १०९ अध्याय ११० अध्याय १११ अध्याय ११२ अध्याय ११३ अध्याय ११४ अध्याय ११५ अध्याय ११६ अध्याय ११७ अध्याय ११८ अध्याय ११९ अध्याय १२० अध्याय १२१ अध्याय १२२ अध्याय १२३ अध्याय १२४ अध्याय १२५ अध्याय १२६ अध्याय १२७ अध्याय १२८ अध्याय १२९ अध्याय १३० अध्याय १३१ अध्याय १३२ अध्याय १३३ अध्याय १३४ अध्याय १३५ अध्याय १३६ अध्याय १३७ अध्याय १३८ अध्याय १३९ अध्याय १४० अध्याय १४१ अध्याय १४२ अध्याय १४३ अध्याय १४४ अध्याय १४५ अध्याय १४६ अध्याय १४७ अध्याय १४८ अध्याय १४९ अध्याय १५० अध्याय १५१ अध्याय १५२ अध्याय १५३ अध्याय १५४ अध्याय १५५ अध्याय १५६ अध्याय १५७ अध्याय १५८ अध्याय १५९ अध्याय १६० अध्याय १६१ अध्याय १६२ अध्याय १६३ अध्याय १६४ अध्याय १६५ अध्याय १६६ अध्याय १६७ अध्याय १६८ अध्याय १६९ अध्याय १७० अध्याय १७१ अध्याय १७२ अध्याय १७३ अध्याय १७४ अध्याय १७५ अध्याय १७६ अध्याय १७७ अध्याय १७८ अध्याय १७९ अध्याय १८० अध्याय १८१ अध्याय १८२ अध्याय १८३ अध्याय १८४ अध्याय १८५ अध्याय १८६ अध्याय १८७ अध्याय १८८ अध्याय १८९ अध्याय १९० अध्याय १९१ अध्याय १९२ अध्याय १९३ अध्याय १९४ अध्याय १९५ अध्याय १९६ अध्याय १९७ अध्याय १९८ अध्याय १९९ अध्याय २०० अध्याय २०१ अध्याय २०२ अध्याय २०३ अध्याय २०४ अध्याय २०५ अध्याय २०६ अध्याय २०७ अध्याय २०८ अध्याय २०९ अध्याय २१० अध्याय २११ अध्याय २१२ अध्याय २१३ अध्याय २१४ अध्याय २१५ अध्याय २१६ अध्याय २१७ अध्याय २१८ अध्याय २१९ अध्याय २२० अध्याय २२१ अध्याय २२२ अध्याय २२३ अध्याय २२४ अध्याय २२५ अध्याय २२६ अध्याय २२७ अध्याय २२८ अध्याय २२९ अध्याय २३० अध्याय २३१ अध्याय २३२ विषयानुक्रमणिका विषयानुक्रमणिका रेवा खण्डम् - अध्याय १३६ भगवान स्कन्द (कार्तिकेय) ने कथन केल्यामुळे ह्या पुराणाचे नाव 'स्कन्दपुराण' आहे. Tags : puransanskrutskand puranपुराणसंस्कृतस्कन्द पुराण अध्याय १३६ Translation - भाषांतर श्रीमार्कण्डेय उवाच -ततो गच्छेन्महीपाल चाहल्येश्वरमुत्तमम् ।यत्र सिद्धा महाभागा त्वहल्या तापसी पुरा ॥१॥गौतमो ब्राह्मणस्त्वासीत्साक्षाद्ब्रह्मेव चापरः ।सत्यधर्मसमायुक्तो वानप्रस्थाश्रमे रतः ॥२॥तस्य पत्नी महाभागा ह्यहल्या नाम विश्रुता ।रूपयौवनसम्पन्ना त्रिषु लोकेषु विश्रुता ॥३॥अस्या अप्यतिरूपेण देवराजः शतक्रतुः ।मोहितो लोभयामास ह्यहल्यां बलसूदनः ॥४॥मां भजस्व वरारोहे देवराजमनिन्दिते ।क्रीडयस्व मया सार्द्धं त्रिषु लोकेषु पूजिता ॥५॥किं करिष्यसि विप्रेण शौचाचारकृशेन तु ।तपःस्वाध्यायशीलेन क्लिश्यन्तीव सुलोचने ॥६॥एवमुक्ता वरारोहा स्त्रीस्वभावात्सुचञ्चला ।मनसाध्याय शक्रं सा कामेन कलुषीकृता ॥७॥तस्या विदित्वा तं भावं स देवः पाकशासनः ।गौतमं वञ्चयामास दुष्टभावेन भावितः ॥८॥विदित्वा चान्तरं तस्य गृहीत्वा वेषमुत्तमम् ।अहल्यां रमयामास विश्वस्तां मन्दिरान्तिके ॥९॥क्षणमात्रान्तरे तत्र देवराजस्य भारत ।आजगाम मुनिश्रेष्ठो मन्दिरं त्वरयान्वितः ॥१०॥आगतं गौतमं दृष्ट्वा भीतभीतः पुरंदरः ।निर्गतः स ततो दृष्ट्वा शक्रोऽयमिति चिन्तयन् ॥११॥ततः शशाप देवेन्द्रं गौतमः क्रोधमूर्छितः ।अजितेन्द्रियोऽसि यस्मात्त्वं तस्माद्बहुभगो भव ॥१२॥एवमुक्तस्तु देवेन्द्रस्तत्क्षणादेव भारत ।भगानां तु सहस्रेण तत्क्षणादेव वेष्टितः ॥१३॥त्यक्त्वा राज्यं सुरैः सार्द्धं गतश्रीको जगाम ह ।तपश्चचार विपुलं गौतमेन महीतले ॥१४॥अहल्यापि ततः शप्ता यस्मात्त्वं दुष्टचारिणी ।प्रेक्ष्य मां रमसे शक्रं तस्मादश्ममयी भव ॥१५॥गते वर्षसहस्रान्ते रामं दृष्ट्वा यशस्विनम् ।तीर्थयात्राप्रसङ्गेन धौतपापा भविष्यसि ॥१६॥एवं गते ततः काले दृष्टा रामेण धीमता ।विश्वामित्रसहायेन त्यक्त्वा साश्ममयीं तनुम् ॥१७॥पूजयित्वा यथान्यायं गतपापा विमत्सरा ।आगता नर्मदातीरे तीर्थे स्नात्वा यथाविधि ॥१८॥कृतं चान्द्रायणं मासं कृच्छ्रं चान्यं ततः परम् ।ततस्तुष्टो महादेवो दत्त्वा वरमनुत्तमम् ॥१९॥जगामादर्शनं भूयो रेमे चोमापतिश्चिरम् ।अहल्या तु गते देवे स्थापयित्वा जगद्गुरुम् ॥२०॥अहल्येश्वरनामानं स्वगृहे चागमत्पुनः ।तत्र तीर्थे तु यः स्नात्वा पूजयेत्परमेश्वरम् ॥२१॥स मृतः स्वर्गमाप्नोति यत्र देवो महेश्वरः ।क्रीडयित्वा यथाकामं तत्र लोके महातपाः ॥२२॥गते वर्षसहस्रान्ते मानुष्यं लभते पुनः ।धनधान्यचयोपेतः पुत्रपौत्रसमन्वितः ॥२३॥वेदविद्याश्रयो धीमाञ्जायते विमले कुले ।रूपसौभाग्यसम्पन्नः सर्वव्याधिविवर्जितः ।जीवेद्वर्षशतं साग्रमहल्यातीर्थसेवनात् ॥२४॥॥ इति श्रीस्कान्दे महापुराण एकाशीतिसाहस्र्यां संहितायां पञ्चम आवन्त्यखण्डे रेवाखण्डे अहल्यातीर्थमाहात्म्यवर्णनं नाम षट्त्रिंशदधिकशततमोऽध्यायः ॥ N/A References : N/A Last Updated : December 15, 2024 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. 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