मराठी मुख्य सूची|मराठी साहित्य|अनुवादीत साहित्य|श्री गुरू ग्रंथ साहिब|सुखमनी साहिब| अष्टपदी ८ सुखमनी साहिब अष्टपदी १ अष्टपदी २ अष्टपदी ३ अष्टपदी ४ अष्टपदी ५ अष्टपदी ६ अष्टपदी ७ अष्टपदी ८ अष्टपदी ९ अष्टपदी १० अष्टपदी ११ अष्टपदी १२ अष्टपदी १३ अष्टपदी १४ अष्टपदी १५ अष्टपदी १६ अष्टपदी १७ अष्टपदी १८ अष्टपदी १९ अष्टपदी २० अष्टपदी २१ अष्टपदी २२ अष्टपदी २३ अष्टपदी २४ सुखमनी साहिब - अष्टपदी ८ हे पवित्र काव्य म्हणजे शिखांचे पांचवे धर्मगुरू श्री गुरू अरजनदेवजी ह्यांची ही रचना.दहा ओळींचे एक पद, आठ पदांची एक अष्टपदी व चोविस अष्टपदींचे सुखमनी साहिब हे काव्य बनलेले आहे. Tags : granthasahibsikhsukhamani sahibग्रंथसाहिबसिखसुखमनी साहिब अष्टपदी ८ Translation - भाषांतर ( गुरु ग्रंथ साहिब पान क्रमांक २७२ )श्लोक मनि साचा मुखि साचा सोइ अवरु न पेखै एकसु बिनु कोइ ।नानक इह लछण ब्रहम मिआनी होइ ॥१॥पद १ ले ब्रहम गिआनी सदा निरलेप ।जैसे जल महि कमल अलेप ॥ब्रहम गिआनी सदा निरदोख ।जैसे सूरु सरब कउ सोख ॥ब्रहम गिआनी कै द्रिसटि समानि ।जैसे राज रंक कउ लागै तुलि पवान ॥ब्रहम गिआनी कै धीरजु एक ।जिउ बसुधा कोऊ खोदै कोऊ चंदन लेप ॥ब्रहम गिआनी का इहै गुनाउ ।नानक जिउ पावक का सहज सुभाड ॥१॥पद २ रेब्रहम गिआनी निरमल ते निरमला ।जैसे मैलु न लागै जला ॥ब्रहम गिआनी कै मनि होइ प्रगासु ।जैसे धर ऊपरि आकासु ॥ब्रहम गिआनी कै मित्र सत्रु समानि ।ब्रहम गिआनी कै नाही अभिमान ॥ब्रहम गिआनी ऊच ते ऊचा ।मनि अपनै है सभ ते नीचा ॥ब्रहम गिआनी से जन भए ।नानक जिन प्रभु आपि करेइ ॥२॥पद ३ रेब्रहम गिआनी सगल की रीना ।आतम रसु ब्रहम गिआनी चीना ॥ब्रहम गिआनी की सभ ऊपारी मइआ ।ब्रहम गिआनी ते कछु बुरा न भइआ ॥ब्रहम गिआनी सदा समदरसी ।ब्रहम गिआनी की द्रिसटि अंम्रितु बरसी ॥ब्रहम गिआनी बंधन ते मुकता ।ब्रहम गिआनी की निरमल जुगता ॥पद ४ थेब्रहम गिआनी एक ऊपरि आस ।ब्रहम गिआनी का नही बिनास ॥ब्रहम गिआनी कै गरीबी समाहा ।ब्रहम गिआनी परउपकार उमाहा ॥ब्रहम गिआनी कै नाही धंधा ।ब्रहम गिआनी ले धावतु बंधा ॥ब्रहम गिआनी कै होइ सु भला ।ब्रहम गिआनी सुफल फला ॥ब्रहम गिआनी संगि सगल उधांरु ।नानक ब्रहम गिआनी जपै सगल संसारु ॥४॥पद ५ वेब्रहम गिआनी कै एकै रंग ।ब्रहम गिआनी कै बसै प्रभु संग ॥ब्रहम गिआनी कै नामु आधारु ।ब्रहम गिआनी कै नामु पर वार ॥ब्रहम गिआनी सदा सद जागत ।ब्रहम गिआनी अहंबुधि तिआगत ॥ब्रहम गिआनी कै मनि परसानंद ।ब्रहम गिआनी कै घरि सदा अनंद ॥ब्रहम गिआनी सुख सहज निवास ।नानक ब्रहम गिआनी का नही बिनास ॥५॥पद ६ वेब्रहम गिआनी ब्रहम का बेता ।ब्रहम गिआनी एक संगि हेता ॥ब्रहम गिआनी कै होइ अचिंत ।ब्रहम गिआनी का निरमल मंत ॥ब्रहम गिआनी जिसु करै प्रभु आपि ।ब्रहम गिआनी का बड परताप ॥ब्रहम गिआनी का दरसु बडभागी पाईऐ ।ब्रहम गिआनी कउ बलि बलि जाईऐ ॥ब्रहम गिआनी कउ खोजहि महेसुर ।नानक ब्रहम गिआनी आपि परमेसुर ॥६॥पद ७ वेब्रहम गिआनी की कीमति नाहि ।ब्रहम गिआनी कै सगल मन माहि ॥ब्रहम गिआनी का कउन जानै भेदु ।ब्रहम गिआनी कउ सदा अदेसु ॥ब्रहम गिआनी का कथिआ न जाइ अधाख्यरु ।ब्रहम गिआनी सरब का ठाकुरु ॥ब्रहम गिआनी की मिति कउनु बखानै ।ब्रहम गिआनी की गति ब्रहम गिआनी जानै ॥ब्रहम गिआनी का अंतु न पारु ।नानक ब्रहम गिआनी कउ सदा नमसकारु ॥७॥पद ८ वे ब्रहम गिआनी सभ स्त्रिसटि का करता ।ब्रहम गिआनी सद जीवै नही मरता ॥ब्रहम गिआनी मुकति जुगति जीअ का दाता ।ब्रहम गिआनी पूरन पुरखु बिधाता ॥ब्रहम गिआनी अनाथ का नाथु ।ब्रहम गिआनी का सभ ऊपरि हाथु ॥ब्रहम गिआनी का सगल अकारु ।ब्रहम गिआनी आपि निरंकारु ॥ब्रहम गिआनी की सोभा ब्रहम गिआनी बनी ।नानक ब्रहम गिआनी सरब का धनी ॥८॥ N/A References : N/A Last Updated : December 28, 2013 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP