संस्कृत सूची|शास्त्रः|तंत्र शास्त्रः|ललितार्चन चंद्रिका| ॥ ललिता सहस्र नामावलि ॥ ललितार्चन चंद्रिका प्रारंभ रश्मिमालामन्त्राः मूलाधारे ॥ अथ प्रातः स्मरणम् । तत: प्रार्थना अथ मंत्रस्नानविधिः तान्त्रिकी सन्ध्या अथ जपप्रकरणम् ततो विघ्नहरमन्त्रान् जपेत् विघ्नहरमन्त्राः । षोडशाक्षरीमन्त्रजपः भूतशुद्धिः प्रत्यूहोत्सारणम् मातृकान्यासः । मूलविद्यावर्णन्यास सामान्यर्ध्यविधीः अथ विशेषार्ध्यविधिः अन्तर्यागः अथ नैवेद्यम् षडङ्गार्चनम् नित्यादेवीयजनम् गुरुमण्डलार्चनम् प्रथमावरणम् द्वितीयावरणम् तृतीयावरणम् चतुर्थावरणम् पञ्चमावरणम् षष्ठावरणम् सप्तमावरणम् अष्टमावरणम् नवमावरणम् अथ पञ्चकोशाः अथ पञ्चकामदुघा : अथ चतुःसमयमंत्राः मन्त्रपुष्पम् प्रदक्षिणाः अथ मूलदेवता स्तुतिः तत्त्वशोधनम् देवतोद्वासनम् शान्तिस्तवः विशेषार्ध्यविसर्जनम् अथ लधुपुजा न्यासः सामान्यार्ध्यविधिः पञ्चमुद्राप्रदर्शनम् : गुरुपङ्क्तिपूजा प्राणादिपञ्चमुद्राः ॥ ललिता सहस्र नामावलि ॥ ॥ ललिता सहस्र नामावलि ॥ 'ललितार्चन चंद्रिका' अर्थात् 'लधुचंद्रिका पद्धति' या प्रसिद्ध रचना सुंदराचार्य अर्थात् सच्चिदानंदनाथ यांच्या आहेत. Tags : lalitacharan chandrikashastratantraतंत्रललितार्चन चंद्रिकाशास्त्र ॥ ललिता सहस्र नामावलि ॥ Translation - भाषांतर ॥ ललिता सहस्र नामावलि ॥अ ऍ - हरीं - श्रीओं श्रीमात्रे नमःओं श्रीमहाराज्ञयै नमः चतुर्बाहु - समन्वितायैश्रीमत्सिंहासनेश्वर्ये रागस्वरूप - पाशाढ्यायैचिदग्निकुण्ड - संभूतायै क्रोधाकारङ्कुशोज्ज्वलायैदेवकार्य - समुद्यतायै मनोरूपेक्षु - कोदण्डायै १०उद्यद्भानु - सहस्राभायै पञ्चतन्मात्र - सायकायैनिजारुण - प्रभापूर - पज्जद् - ब्रह्माण्डमण्डलायै नमःचम्पकाशोक - पुन्नाग - सौगन्धिक - लसत्कचायैअष्टमीचन्द्र - विभ्राज - दलिकस्थल - शोभितायै मुखचन्द्र - कलङ्काभ - मृगनाभि - विशेषकायैवदनस्मर - माङ्गल्य - गृहतोरण - चिल्लिमायैबक्त्रलक्ष्मी - परावाह - चलन्मोनाभ - लोचनायैनवचम्पक - पुष्पाभ - नासादण्ड - विराजितायैताराकान्ति - तिरस्कारि - नासाभरण - भासुरायै ॥२०॥कदम्बमञ्जरी - क्ल्रुप्त - कर्णपूर - मनोहरायैताटङ्क - युगलीभूत - तपनोडुपमडलायै ओं पद्मरागशिलादर्श - परिभावि - कपोलभुवे नमःनवविद्रुम - बिम्बश्री - न्यक्कारि - रदनच्छदायैशुद्धविद्याङ्कुराकार - द्विजपङ्क्ति - द्वयोज्ज्वलायैकर्पूरवीटिकामोद - सःमाकर्षि - दिगन्तरायैनिजसल्लापमाधुर्य - विनिर्भर्त्सित - कच्छप्यैमन्दस्मितप्रभापूर - मज्जत्कामेशमानसायैअनाकलित - सादृश्य - चिबुकश्री - विराजितायै कामेशबद्धमाङ्गल्य - सूत्रशोभित - कन्धरायै ३०कनकाङ्गदकेयूर - कमनीय - भुजान्वितायैरत्नग्रेवेय - चिन्ताक - लोलमुक्ता - फलान्वितायैकामेश्वरप्रेमरत्न - मणिप्रतिपण - स्तन्यैनाभ्याल बाल - रोमालि - लताफल - कुचद्वय्यैलक्ष्यरोम - लताधारता - समुन्नेय - मघ्यमायैस्तनभारदलन्मध्य - पट्टबन्ध - वलित्रयायै अरुणारुणकौसुम्भ - वस्त्रभास्वत्कटीतटयैरत्नकिङ्किंणिकारम्य - रशनादाम - भूषितायैकामेशज्ञात - सौभाग्य - मार्दवीरुद्वयान्वितायैमाणिक्यमुकुटाकार - जानुद्वय - विराजितायै ४०इन्द्रगोप - परिक्षिप्त - स्मरतूणाभ - जङ्धिकायैगूढगुल्फायैकूर्मपृष्ठ - जयिष्णु - प्रपदान्वितायैनखदीधिति - सञ्छन्न - नमञ्जन - तमोगुणायैपदद्वयप्रभाजाल - पराकृत - सरोरुहायैसिञ्जानमणिमञ्जीर - मण्डित - श्रीपदाम्बुजायैओं मराली - मन्दगमनायै नमःमहालावण्य - शेवधयैसर्वारुणायै अनवद्याङ्ग्यै ५०सर्वाभरण - भूषितायैशिवकामेश्वराङ्कस्थायैशिवायैस्वाधीन - वल्लभायैसुमेरु - मध्यश्रृङ्गस्थायै श्रीमन्नगर - नायिकायैचिन्तामणिगृहान्तस्थायैपञ्चब्रह्मासन - स्थितायैमहापद्माटवी - संस्थायैकदम्बवन - वासिन्यै ६०सुधासागर - मध्यस्थायैकामाक्ष्यैकामदायिन्यैदेवर्षिगणसंघात - स्तूयमानात्मवैभवायैभण्डासुरवधोद्युक्त - शक्तिसेना - समन्वितायैसम्पत्करी - समारूढ - सिंधुरव्रज - सेवितायैअश्वारूढाधिष्ठिताश्व - कोटिकोटिभि - रावृतायैचक्रराजरथारूढ - सर्वायुध - परिप्कृतायैगेयचक्ररथारूढ - मन्त्रिणी - परिसेवितायैकिरिचक्ररथारूढ - दण्डनाथा - पुरस्कृतायै ७०ज्वालामालिनिकाक्षिप्त - वह्निप्राकार - मध्यगायैभण्डसैन्यवधोद्युक्त - शक्तिविक्रम - हर्षितायैनित्यापराक्रमाटोप - निरीक्षण - समुत्सुकायै भण्डपुत्रवधोद्युक्त - बालाविक्रम - नन्दितायैमन्त्रिण्यम्बाविरचित - विशुकगवध - तोषितायैविषंगप्राणहरण - वाराहीवीर्य - नन्दितायैकामेश्वरमुखालोक - कल्पित - श्रीगणेश्वरायैमहागणेशनिर्भिन्न - विघ्नयन्त्र - प्रहर्षितायैओं भण्डासुरेन्द्रनिर्मुक्त - शस्त्रप्रत्यस्त्र - वर्षिण्यै नमःकराङ्गुलिनखोत्पन्न - नारायण - दशाकृत्यै ८०महापाशुपतास्त्राग्नि - निर्दग्धासुर - सैनिकायैकामेश्वरास्त्रनिर्दग्ध - सभण्डासुर - शून्यकायैब्रह्मोपेन्द्रमहेन्द्रादि - देवसंस्तुत - वैभवायैहरनेत्राग्निसंदग्ध - कामसंजीवनौषध्यैश्रीमद्वाग्भवकूटेक - स्वरूपमुखपङ्कजायैकण्ठाधः - कटिपर्यन्त - मध्यकूठ - स्वरूपिण्यैशक्तिकूटैकतापन्न - कट्यधोभाग - धारिण्यैमूलमन्त्रात्मिकायैमूलकूटत्रय - कलेवरायैकूलामतैक - रसिकायै ९०कुलसंकेत - पालिन्यैकुलाङ्गनायैकुलान्तस्थायैकौलिन्यैकुलयोगिन्यैअकुलायैसमयान्तस्थायैसमयाचार - तत्परायैमूलाधारैक - निलयायैब्रह्मग्रन्थि - विभेदिन्यै १००मणिपूरान्तरुदितायैविष्णुग्रन्थि - विभेदिन्यैजाज्ञाचक्रान्तरालस्थायैआ रुद्रग्रन्थि - विभेदिन्यैसहस्राराम्बुजारूढायैसुधासाराभिवर्षिण्यैतटिल्लता - समरुच्यैषट्चक्रोपरि - संस्थितायैमहासक्त्यै कुण्डलिन्यै ११०बिसतन्तु - तनीयस्यैभवान्यैभावनागम्यायैभवारण्य - कुठारिकायै भद्रप्रियायै भद्रमूर्तयैभक्तसौभाग्य - दायिन्येओं भक्तिप्रियायै नमः भक्तिगम्यायैभक्तिवश्यायै १२०भयापहायैशाम्भव्यैशारदाराध्यायैशर्वाण्यैशर्मदायिन्यैशांकर्यैश्रीकर्यैसाध्व्यैशरच्चन्द्र - निभाननायैशातोदर्यै १३०शान्तिमत्यै निराधारायैनिरञ्जानायैनिर्लेपायैनिर्मलायैनित्यायैनिराकरायैनिराकुलायैनिर्गुणायैनिष्कलायै १४०शान्तायै निष्कामायैनिरुपप्लवायैनित्यमुक्तायैनिर्विकारायैनिष्प्रपञ्चायैनिराश्रयायैनित्यशुद्धायैनित्यबुद्धायैनिरवद्यायै १५०निरन्तरायैनिष्कारणायैनिष्कलङ्कायैनिरुपाधयैनिरीश्वरायैनीरागायैरागमथन्यैनिर्मदायैमदनाशिन्यैनिश्चैन्तायै १६०निरहंकारायैनिर्मोहायैमोहनाशिन्यैनिर्ममायैममताहन्त्र्यै ओं निष्पापायै नमःपापनाशिन्यैनिष्क्रोधायैक्रोधशमन्यैनिर्लोभायै १७०लोभनाशिन्यै निःसंशयायैसंशयघ्नयैनिर्भवायैभवनाशिन्यैनिर्विकल्पायैनिराबाधायैनिर्भेदायैभेदनाशन्यैनिर्नाशायै १८०मृत्युमथन्यैनिष्क्रीयायैनिष्परिग्रहायैनिस्तुलायैनीलचिकुरायैनिरपापायै निरत्ययायै दुर्लभायैदुर्गमायै दुर्गायै ९०दुःखहन्त्र्यैसुखप्रदायैदुष्टदूरायैदुराचारशमन्यैदोषवर्जितायैसर्वज्ञायै सान्द्रकरुणायैसमानाधिकवर्जितायैसर्वशक्तिमय्यैसर्वमङ्गलायै २००सद्गतिप्रदायैसर्वेश्वर्यैसर्वमय्यैसर्वमन्त्रस्वरूपिण्यैसर्वयन्त्रात्मिकायैसर्वतन्त्ररूपायैमनोन्मन्यैमाहेश्वर्यैमहादेव्यैमहालक्ष्म्यै २१०मृडप्रियायैमहारूपायै महापूज्यायैओं महापातकनाशिन्यै नमः महामायायै महासत्त्वायै महाशक्त्यै महारत्यै महाभोगायै महैश्वर्यायै २२० महावोर्यायै महाबलायै महाबुद्धयै महासिद्धयै महायोगीश्वरेश्वर्यै महातन्त्रायै महामन्त्रायै महायन्त्रायै महासनायै महायागक्रमाराध्यायै २३० महाभैरव - पूजितायै महेश्वरमहाकल्प - महाताण्डव - साक्षिण्यै महाकामेश - महिष्यै महात्रिपुरसुन्दर्यै चतुःषष्टयुपचाराढ्यायै चतुषष्टिकलामय्यै महाचतुःषष्टिकोटि - योगिनी - गणसेवितायै मनुविद्यायै चन्द्रविद्यायै चन्द्रमण्डल - मध्यगाण्यै २४० चारुरूपायै चारुहासायै चारुचन्द्र - कलाधरायै चराचर - जगन्नाथायै चक्रराज - निकेतनायै पार्वत्यै पद्मनयनायै पद्मराग - सम - प्रभायै पञ्चप्रेतासनासीनायै पञ्चब्रह्म - स्वरूपिणे २५० चिन्मय्यै परमानन्दायै विज्ञानघन - रूपिण्यै ध्यान - ध्यातृ - घ्येय - रूपायै धर्माधर्म - विवर्जितायै विश्वरूपायै जागरिण्यै स्वपन्त्यै तैजसात्मिकायैओं सुप्तायै नमः २६० प्राज्ञात्मिकायै तुर्यायै सर्वावस्था - विवर्जितायै सृष्टिकत्र्यै ब्रह्मरूपायै गोप्त्र्यै गोविन्द - रूपिण्यै संहारिण्यै रूद्ररूपायै तिरोधानकर्यैं २७० ईश्वर्यै सदाशिवायै अनुग्रहदायै पञ्चकृत्य - परायणायै भानुमण्डल - मध्यस्थायै भैरव्यै भगमालिन्ये पद्मासनायै भगवत्यै पद्मनाभ - सहोदर्यै २८० उन्मेषनिमिषोत्पन्न - विपन्नभुवनावल्यै सहस्रशीर्षवदनायै सहस्राक्ष्यै सहस्रपदे आब्रह्म - कीट - जनन्यै वर्णाश्रम - विधायिन्यै निजाज्ञारूप - निगमायै पुण्यापुण्य - फलप्रदायै श्रुतिसीमन्त - सिन्दूरिकृतपादाब्ज - धूलिकायै सकलागमसंदोह - शुक्तिसंपुट - भौक्तिकायै २९० पुरुषार्थप्रदायै पूर्णायै भोगिन्यै भुवनेश्वर्यै अम्विकायै अनादिनिधनायै हरिब्रह्मेन्द्र - सेवितायै नारायण्यै नादरूपायै नामरूप - विवर्जितायै ३०० हरींकार्यै हरीमत्यै हृद्यायै हेयोपादेय - वर्जितायैओं राजराजार्चितायै नमः राज्ञयै रम्यायै राजीव - लोचनायै रञ्जन्यै रमण्यै ३१० रस्यायै रणत्किङ्किणि - मेखलायै रमायै राकेन्दुवदनायै रतिरूपायैरतिप्रियायै रक्षाकर्यै राक्षसध्न्यै रामायै रमणलम्पठायैं ३२० काम्यायै कामकलारूपायै कदम्बकुसुम - प्रियायै कल्याण्यै जगतीकन्दायै करुणारस - सागरायै कलावत्यै कलालापायै कान्तायै कादम्बरीप्रियायै ३३० वरदायै वामनयनायै वारुणीमद - विह्वलायै विश्वाधिकायै वेदवेद्यायै विन्ध्याचल - निवासिन्यै विधात्र्यै वेदजनन्यै विष्णुमायायै विलासिन्यै ३४० क्षेत्रस्वरूपायै क्षेत्रेश्यै क्षेत्रक्षेत्रज्ञ - पालिन्यै क्षयवृद्धि - विनिर्मुक्तायै क्षेत्रपाल - समचितायै विजयायै विमलायै वन्द्यायै वन्दारुजन - वत्सलायै वाग्वादिन्यै ३५० वामकेश्यै वह्निमण्डल - वासिन्यै ओं भक्तिमत्कल्पलिकायै नमः पशुपाश - विमोचिन्यै संह्रताशेष - पाषण्डायै सदाचार - प्रवर्तिकायै तापत्रयाग्नि - सन्तप्त - समाह्लादन - चन्द्रिकायै तरुण्यै तापसाराध्यायै तनुमध्यायै ३६० तपोपहायै चित्यैं तत्पद - लक्ष्यार्थायै चिदेक - रसरूपिण्यै स्वात्मानन्द - लवीभूत -ब्रह्माद्यानन्दसन्तत्यै परायै प्रत्यक्चितीरूपायै पश्यन्त्यै परदेवतायै मध्यमायै ३७० वैंखरीरूपायै भक्तमानस - हंसिकायै कामेश्वर - प्राणनाङ्यै कृतज्ञायै कामपूजितायै श्रृङ्गार - रस - सम्पूर्णायै जयायै जालन्धरस्थितायै ओड्याणपीठ - निलयायै बिन्दुमण्डलवासिर्न्यै ३८० रहोयागक्रमाराध्यायै रहस्तर्पणतर्पितायै सद्यः प्रसादिन्यै विश्वसाक्षिण्यै साक्षिवर्जितायै पडङ्गदेवता - युक्तायै षाड्गुण्यपरिपूरितायै नित्यक्लिन्नायै निरुपमायै निर्वाणसुख - दायिन्यै ३९० नित्याषोडशिकारूपायै श्रीकण्ठार्धशरीरिण्यै प्रभावत्यै प्रभारूपायै प्रसिद्धायै परमेश्वर्यैं मूलप्रकृत्यै अव्यक्तायै ओं व्यक्तार्यक्त - स्वरूपिण्यै नमः व्यापिन्यै ४०० विविधाकारायै विद्याविद्या - स्वरूपिण्यै महाकामेशनयन - कुमुदा - ह्लाद - कौमुद्यै भक्तहार्दतमोभेद्र - भानुमद्भानु - संतत्यै शिवदूत्यै शिवाराध्यायै शिवमूर्त्यै शिवंकर्यै शिवप्रियायै शिवपरायै ४१० शिष्टेष्टायै शिष्टपूजिताय अप्रमेयायै स्वप्रकाशायै मनोवाचामगोचरायै चिच्छक्त्यै चेतनारूपायै जडशक्त्यै जडात्मिकायै गायत्र्यै ४२० व्याहृत्यै संध्यायै द्विजबृन्द - निषेवितायै तत्त्वासनायै तस्मै तुभ्यं अय्यै पञ्चकोशान्तर - स्थितायै निःसीममहिम्ने नित्ययौवनायै ४३० मदशालिन्यै मदघूर्णिय - रक्ताक्ष्यै मदपाटलञाण्डभुवे चन्द्रनद्रव - दिग्धाङ्ग्यै चाम्पेयकुसुम - प्रियायै कुशलायै कोमलाकारायै कुरुकुल्लायै कुलेश्वर्यैं कुलकुण्धाभयायै ४४० कौलमार्ग - तत्पर सेवितायै कुमारगणनाथाम्बायै तुष्ट्यै पुष्ट्यै ओं मत्यै नमः धृत्यै शान्त्यै स्वस्तिमत्यै कान्त्यै नन्दिन्यै ४५० विध्ननाशिन्यै तेजोवत्यै त्रिनयनायै लोलाक्षी - कामरूपिण्यै मालिन्यै हंसिन्यै मात्रे मलयाचल - वासिन्यै सुमुख्यै नलिन्यै ४६० सुभुवे शोभनायै सुरनायिकायै कालकण्ठयै कान्तिमत्यै क्षोभिण्यै सूक्ष्मरूषिण्यै वज्रेश्वर्यै वामदेव्यै वयोsवस्था - विवर्जितायै ४७० सिद्धश्वर्यैं सिद्धविद्यायै सिद्धमात्रे यशस्विन्यै विशुद्धिचक्रनिलयायै आरक्तवर्णायै त्रिलोचनायैखट्वाङ्गादि - प्रहरणायै वदनैकसमन्वितायै पायसान्नप्रियायै ४८० त्वक्स्थायै पशुलोकभयङ्यकयै अमृतादिमहाशक्ति - संवृतायै डाकिनीश्वर्यैं अनाहताब्ज - निलयायै श्यामाभ्यायै वदनद्वयायै दंष्ट्रोज्ज्वन्नायै अक्षमालादिधरायै रुधिरसंस्थितायै ४९० कालरात्र्यादिशक्त्यौघवृतायै ओं स्निग्धौदन - प्रियांयै नमः महावीरेन्द्र वरदायै राकिण्यम्बा - स्वरूपिण्यै मणिपूराव्ज - निलायायै वदनत्रय - संयुतायै वज्रादिकायुधोपेतायै डामर्यादिभि - रावृत्तायै रक्तवर्णायै मांसनिष्ठायै ५००गुडान्नप्रीत - मानसायै समस्तभक्त - सुखदायै लाकिन्यम्बा - स्वरूपिण्यै स्वाधिष्ठानाम्बुजगतांयै चतुर्वक्त्रमनोहरायै शूलाद्यायुध - सम्पन्नायैपीतवर्णायै अतिगर्वितायै मेदोनिष्ठायै मधुप्रीतायै ५१० बन्धिन्यादि - समन्वितायै दध्यन्नासक्त - हृदयायै काकिनीरूप - धारिण्यै मूलाधाराम्बुजारूढायै पञ्चवक्त्रायै अस्थिसंस्थियै अङूकुशादि - प्रहरणायै वरदादि - निषेवितायै मुद्गौदनासक्तचित्तायै साकिन्यम्बा - स्वरूपिण्यै ५२० आज्ञाचक्राब्ज - निलयायै शुक्लवर्णायै षडाननायै मज्जासंस्थायै हंसवती - मुख्यशक्ति - समन्वितायै हरीद्रान्नेक - रसिकायै हाकिनीरूप - धारिण्यैसहस्त्रदल - पद्मस्थायै सवौंवर्णोप - शोभितायै सर्वायुध - धरायै ५३० शुक्लसंस्थितायैसर्वतोमुख्यैसर्वौंदनप्रीत - चित्तायैयाकिन्यम्बा - स्वरूपिण्यैस्वाहास्वधाअमत्यैमेधायैश्रुत्यैओं स्मृत्यै नमः ५४०अनुत्तमायैपुण्यकीर्त्यैपुण्यलभायै पुण्यश्रवण - कीर्तनायैपुलोमजार्चितायैबन्धमोचन्यैबर्बरालकायैविमर्शरूपिण्यैविद्यायै बियदादि - जगत्प्रसुवे ५५०सर्वव्याधि - प्रशमन्यैसर्वमृत्यु - निवारिण्यै अग्रगण्यायैअचिन्त्य - रूपायैकलिकल्मष - नाशिन्यैकात्यायन्यैकालहन्त्र्यैकमलाक्षनिषेवितायैताम्बूलपूरितमुख्यैदाडिमोकुसुम - प्रभायै ५६०मृगाक्ष्यैमोहिन्यै मुख्यायै मृडान्यैमित्ररूपिण्यैनित्यतृप्तायैभक्तनिधयेनियन्त्र्यैनिखिलेश्वयै मैत्र्यादिवासना - लभ्यायै ५७०महाप्रलय - साक्षिण्यैपरस्यै शक्त्यैपरायै निष्ठायैप्रज्ञानघन - रूपिण्यैमाध्वीपानालसायैमत्तायैमातृकावर्ण - रूपिण्यैमहाकैलास - निलयायैमृणाल - मृदुदोर्लतायैमहनीयायै ५८०दयामूर्त्यैंमहासाम्राज्य - शालिन्यैआत्मविद्यायैमहाविद्यायैश्रीविद्यायैकामसेवितायैश्रीषोडशाक्षरी - विद्यायैओं त्रिकूटायै नमःकामकोटिकायैकटाक्षकिङ्करीभूत - कमलाकोटिसेवितायै ५९०शिरः स्थितायैचन्द्रनिभायैभालस्थायैइन्द्रधनु - प्रभायैहृदयस्थायै रविप्रख्यायैत्रिकोणान्तर - दीपिकायैदाक्षायण्यैदैत्यहन्त्रयैदक्षयज्ञविनाशिन्यै ६००दरान्दोलितःदीर्घाक्ष्यैदरहासीज्ज्वलन्मुख्यैगुरुमूर्तयेगुणनिधयेगोमात्रे गुहजन्मभुवेदेवेश्यै दण्डनीतिस्थायैदहराकाश - रूपिण्यैप्रतिपन्मुख्यराकान्त - तिथि - मण्डलपूजितायै ६१०कलात्मिकयैकलानाथायैकाव्यालाप - विमोदिन्यैसचामर - रमावाणी - सव्य - दक्षिण - सेवितायैआदिशक्त्यैअभेयायैपरमायैपावनाकृतयैअनेककोटि - ब्रह्माण्ड - जनन्यै ६२०दिव्यंविग्रहायैक्लींकार्यैकेवलायैगुह्यायैकेवल्यपद - दायिन्यैत्रिपुरायैत्रिजगद्वन्द्यायैत्रिमूर्तये त्रिदशेस्वर्यैत्र्यक्षर्यै ६३०दिव्यगन्धाढ्यायैसिन्दूर - तिलकाञ्चितायैओं उमायै नमःशैलेन्द्रतनयायैगौर्यैगन्धर्वसेवितायैविश्वगर्भायैस्वर्णगर्भायैअवरदायैवागधीश्वर्यै ६४०ध्यानगम्यायैअपरिच्छेद्यायैज्ञानदायैज्ञानविग्रहायैसर्ववेदान्त - संवेद्यायैसत्यानन्द - स्वरूपिण्यैलोपामुद्रार्चितायैलीलाक्लृप्त - ब्रह्माण्ड - मण्डलायै अदृश्यायैदृश्यरहितायै ६५०विज्ञात्र्यैवेद्यवर्जितायैयोगिन्यैयोगदायैयोग्यायैयोगानन्दायैयुगन्धरायैइच्छाशक्ति - ज्ञानशक्ति - क्रियाशक्ति - स्वरूपिण्यैसर्वाधारायै सुप्रतिष्ठायै ६६०सदसद्रूप - धारिण्यैअष्टमूर्त्यैअजाजेत्र्यैलोकयात्रा - विधायिन्यैएकाकिन्यैभूमरूपायैनिर्द्वैतायैद्वैतवर्जितायैअन्नदायैवसुदायै ६७०वृद्धायै ब्रह्मात्मैक्य - स्वरूपिण्यैबृहत्यैब्राह्मण्यैब्राह्मयैब्रह्मानन्दायैबलिप्रियायैभाषारूपायैओं बृहत्सेनायै नमःभावाभाव - विवर्जितायै ६८०सुखाराध्यायैशुभकार्यैशोभनायै सुलभायै गत्यैराजराजेश्वयैराजदायिन्यैराज्यवल्लभायैराजत्कृपायैराजपीठनिवोशित - निजाश्रितायैराज्यलक्ष्म्यैकोशानाथायै ६९०चतुरङ्गबलेश्वर्यैसाम्राज्य - दायिन्यैसत्यसन्धायैसागरमेखलायैदीक्षितायैदैत्यशमन्यैसर्वलोकवशंकर्यैसर्वार्थदात्र्यैसावित्र्यैसच्चिदानन्द - रूपिण्यै ७००देशकालापरिच्छिन्नायैसर्वगायैसर्वमोहिन्यैसरस्वत्यैशास्त्रमथ्यैगुहाभ्बायैगुह्यरूपिण्यैसर्वोपाधि - विनिर्मुक्तायैसदाशिव - पतिव्रतायैसम्प्रदायेश्वर्यै ७१०साधुनेयै नमःगुरुमण्डल - रूपिण्यैकुलीत्तीर्णायैभागाराध्यायैमायायैमधुमत्यैमह्येंगणाम्बायैगुह्यकाराध्यायै ७२०कोमलाङ्ग्यैगुरुप्रियायैस्वतन्त्रायैसर्वतन्त्रेश्यैदक्षिणामूर्ति - रूपिण्यै ओं सनकादि - समाराध्यायै नमःशिवज्ञान - प्रदायिन्यैचित्कलायैआनन्द - कलिकायैप्रेमरूपायै ७३०प्रियंकर्यैनामपारायण - प्रीतायैनन्दिविद्यायैनटेश्वर्यैमिथ्याजग - दधिष्ठानायैमुक्तिदायैमुक्तिरूपिण्यैलास्यप्रियायैलयकर्यैलज्जायै ७४०रम्भादि - वन्दितायैभवदाव - दवानलायैदौर्भाग्यतूल - वातूलायैजराध्वान्त - रविप्रभायैभाग्याब्धि - चन्द्रिकायैभक्तचित्तकेकि - घनाघनायैरोगपर्वत - दम्भोलयेमृत्युदारु - कुठारिकायैमहेश्वर्यैमहाकाल्यै ७५०महाग्रासायैमहाशनायैअपर्णायैचण्डिकायैचण्डमुण्डासुर - निषूदिन्यैक्षराक्षरात्मिकायैसर्वलोकेश्यैविश्वधारिण्यैविश्वधारिण्यैत्रिवर्गदात्र्यै ७६०सुभगायैत्र्यम्बकायै त्रिगणात्मिकायैस्वर्गापवर्गदायैशुद्धायैजपापुष्प - निभाकृतयेओजोवत्यैद्युतिधरायै यज्ञरूपायैप्रियव्रतायै ७७०दुराराध्यायैदुराधर्षायैपाटलीकुसुम - प्रियायैओं महत्यै नमःमेरुनिलयायैमन्दारकुसुमप्रियायैवीराराध्यायैविराङ्रूपायैविरजसेविश्वतोमुख्यै ७८०प्रत्यग्रूपायैपराकाशायैप्राणदायैप्राणरूपिण्यैमार्तण्डभैरवाराध्यायैमन्त्रिणीन्यस्त - राज्यधुरेत्रिपुरेश्यैजयत्सेनायैनिस्त्रैगुण्यायैपरापरायै ७९०सत्यज्ञानानन्द - रूपायैसामरस्य - परायणायैकपर्दिन्यैकलामालायैकामुदुधेकामरूपिण्यैकलानिधये काव्यकलायैरसज्ञायैरसशेवधये ८००पुष्टायैपुरातनायैपूज्यायैपुष्करायैपुष्करेक्षणायैपरस्मै ज्योतिषेपरस्मै धाम्नेपरमाणवेपरात्परायैपाशहस्तायै ८१०पाशहन्त्र्यैपरमन्त्र - विभेदिन्यैमूर्तायैअमूर्तायैअनित्यतृप्तायैमुनिमानस - हंसिकायैसत्यव्रतायैसत्यरूपायैसर्वान्तर्यामिण्यैसत्यै ८२०ब्रह्माण्यैब्रह्मणेओं जनन्यै नमःबहुरूपायैबुधार्चितायैप्रसवित्र्यैप्रचण्डायैआज्ञायैप्रतिष्ठायै प्रकटाकृतये ८३०प्राणेश्वर्यैप्राणदात्र्यैपञ्चाशत्पीठ - रूपिण्यैविशृङ्खलायैविविक्तस्थायैवीरमात्रे विरत्प्रसुवेमुकुन्दायैमुक्ति - निलयायैमूलविग्रह - रूपिण्यै ८४०भावज्ञायैभवरोगध्न्यैभवचक्र - प्रवर्तिन्यैछन्दः सारायैशास्त्रसारायैमन्त्रसारायैतलोदर्यैउदारकीर्तयेउद्दामवैभवायै वर्णरूपिण्यै ८५०जन्म - मृत्यु - जरा - तप्त - जन - विश्रान्ति - दायिन्यैसर्वोपनिषदुद्घुष्टायैशान्त्यतीत - कलात्मिकायैगम्भीरायैगगनान्तस्थायैगर्वितायैगानलोलुपायैकल्पनारहितायैकाष्ठायैअकान्तायै ८६०कान्तार्धविग्रहायैकार्यकारण - निर्मुक्तायैकामकेलितरङ्गितायैकनत्कनक - ताटङ्कायैलीलाविग्रहधारिण्यैअजायैक्षयविनिर्मुक्तायैमुग्धायैक्षिप्रप्रसादिन्यैओं अन्तर्मुख - समाराघ्यायै नमः ८७०बहिर्मुख - सुदुर्लभायैत्रय्यैत्रिवर्गनिलयायैत्रिस्थायैत्रिपुरमालिन्यैनिरामयायैनिरालम्बायैस्वात्मारामायैसुधासृत्यैससारपङ्कनिर्मग्न - समुद्ध - रणपण्डितायै ८८०यज्ञप्रियायैयज्ञकर्त्र्यैयजमानस्वरूपिण्यैधर्माधारायैधनाध्यक्षायैधनधान्य - विवर्धिन्यैविप्रप्रियायैविप्ररूपायैविश्वभ्रमण - कारिण्यैविश्वग्रासायै ८९०विद्रुमाभायैवैष्णव्यैविष्णुरूपिण्यैअयोन्यैयोनिनिलयायैकूटस्थायैकुलरूपिण्यैवीरगोष्ठी - प्रियायैवीरायैनैष्कर्म्मायै ९००नादरूपिण्यैविज्ञानकलनायैकल्यायैविदग्धायैबैदन्वासनायैतत्त्वाधिकायैतत्त्वमय्यैतत्त्वमर्थ - स्वरूपिण्यैसामगान - प्रियायैसोम्यायै ९१०सदाशिव - कुटुम्बिन्यैसव्यापसव्य - मार्गस्थायैसर्वापद्विनिवारिण्यैस्वस्थायैस्वभावमधुरायैधीरायैओं धीरसमर्चितायै नमःचैतन्यार्ध्य - समाराध्यायैचैतन्यकुसुम - प्रियायैसदोदितायै ९२०सदातुष्टायैतरुणादित्य - पाटलायैदक्षिणादक्षिणाराध्यायैदरस्मेर - मुखाम्बुजायैकौलिनीकेवलायैअनर्घ्य - कैवल्यपद - दायिन्यै स्तोत्रप्रियायैस्तुतिमत्यैश्रुतिसंस्तुत - वैभवायैमनस्विन्यै ९३०मानवत्यैमहेश्यैमङ्गलाकृतयेविश्वमात्रेजगद्धात्र्यैविशालाक्ष्यैविरागिण्यैप्रगल्भायैपरमोदारायैपरामोदायै ९४०मनोमय्यैव्योमकेश्यैविमानस्थायैवज्रिण्यैवामकेश्वर्यैपञ्चयज्ञप्रियायैपञ्चप्रेत-मञ्चधिशायिन्यैपञ्चम्यैपञ्चभूतेश्यैपञ्चसङ्कयोपचारिण्यै ९५०शाश्वत्यैशाश्वतेश्वर्यायैशर्मदायैशम्भुमोहिन्यैधरायैधरसुतायैधन्यायैधर्मिण्यै धर्मवर्धिन्यैलोकातीतायै ९६०गुणातीतायैसर्वातीतायैशमात्मिकायैओं बन्धूककुसुम - प्रख्यायै नमःबालायैलीलाविनोदिन्यैसुमङ्गल्यै सुखकार्यैसेवेषाढ्यायैसुवासिन्यै ९७०सुवासिन्यर्चन - प्रीतायैआशोभनायैशुद्धमानसायैबिन्दुतर्पण - सन्तुष्टायैपूर्वजायैत्रिपुराम्बिकायैदशमुद्रा - समाराध्यायैत्रिपुराश्रीवशंकर्यैज्ञानमुद्रायैज्ञानगम्यायै ९८०ज्ञानज्ञेय - स्वरूपिण्यैयोनिमुद्रायैत्रिखण्डेश्यैत्रिगुणायैअम्बायैत्रिकोणगायैअनघायैअद्भुतचारित्रायैवांछितार्थ - प्रदायिन्यैअभ्यासातिशयज्ञातायै ९९०षड्ध्वातीत - रूपिण्यैअव्याज - करुणामूर्तयेअज्ञानध्वान्त - दीपिकायैआबालगोप - विदितायैसर्वानुल्लध्य - शासनायैश्रीचक्रराज - निलयायैश्रीमत् त्रिपुरसुन्दर्यैश्रीशिवायैशिवशक्तयैक्य - रूपिण्यै ललिताम्बिकायै नमः १०००इति श्रीललितासहस्त्रनामावलिः संपूर्णा ॥ N/A References : N/A Last Updated : January 11, 2018 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. 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