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বিবস্বান
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विवस्वान्
Meanings: 12; in Dictionaries: 3
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ବିବସ୍ୱାନ
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
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ووسوان
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
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विवस्वान
Meanings: 8; in Dictionaries: 3
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વિવસ્વાન
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وِوسوان
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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ਵਿਵਸ੍ਵਾਨ
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ਵਿਵਸਵਾਨ
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ووِسوان
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surya
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sun
Meanings: 9; in Dictionaries: 5
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आषाढ़ शुक्लपक्ष व्रत - विवस्वान्व्रत
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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बारा आदित्य
Meanings: 2; in Dictionaries: 2
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मार्गशीर्ष शुक्लपक्ष व्रत - द्वादशादित्यव्रत
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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दैवज्ञ वल्लभा - लाभाऽलाभ
दैवज्ञ वल्लभा म्हणजे ज्योतिषशास्त्रासंबंधी वराहमिहीराने लिहीलेला एक अत्यंत उपयुक्त ग्रंथ.
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संक्रान्तिव्रत - धान्यसंक्रान्तिव्रत
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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गायत्रीदेवीका उपस्थान (प्रणाम
प्रस्तुत पूजा प्रकरणात भिन्न भिन्न देवी-देवतांचे पूजन, योग्य निषिद्ध फूल यांचे शास्त्र शुद्ध विवेचन आहे.
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चैत्र शुक्लपक्ष व्रत - नामसप्तमी
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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माघ शुक्लपक्ष व्रत - द्वादशादित्यव्रत
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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आशावह
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उरुक्रम
Meanings: 6; in Dictionaries: 3
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साधन मुक्तावलि - रघुवंशावलि
’ साधन - मुक्तावलि ’ या ग्रंथात सर्व प्रकारचे अभंग आहेत.
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धनुर्वेदसंहिता - अथ पदातिक्रमः
धनुर्वेदसंहिता
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परिवृत्
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मयमतम् - अथ सप्तमोऽध्यायः
The Mayamatam is a vastusastra. Mayamatam gives indications for the selections of a proper orientation, right dimensions, and appropriate materials.
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पूर्वभागः - अध्यायः ५९
अठरा पुराणांमध्ये भगवान् शंकराची महान महिमा लिंगपुराणात वर्णिलेली आहे. यात ११००० श्लोक आहेत. प्रथम योग आणि नंतर कल्प असे विवेचन गुरू वेदव्यास यांनी या पुराणात सांगितले आहे. हा शिव पुराणाच पूरक ग्रंथ आहे.
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पूर्वभागः - त्रिचत्वारिंशत्तमोऽध्यायः
पुराण म्हणजे भारतीय संस्कृतीचा अमूल्य ठेवा आहे. महापुराणांच्या क्रमवारीत कूर्मपुराण पंधराव्या स्थानावर आहे.
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भविष्यपर्व - अष्टचत्वारिंशोऽध्यायः
महर्षी व्यासांनी रचलेला हा महाभारताचा पुरवणी ग्रंथ आहे.
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अध्याय १९ - कश्यपवंशवर्णनम्
अग्निपुराणात त्रिदेव – ब्रह्मा, विष्णु, महेश आणि सूर्य ह्या देवतांसंबंधी पूजा-उपासनाचे वर्णन केलेले आहे.
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भविष्यपर्व - चतुश्चत्वारिंशोऽध्याय
महर्षी व्यासांनी रचलेला हा महाभारताचा पुरवणी ग्रंथ आहे.
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वास्तुत्रयविभागो नामैकादशोऽध्यायः
समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी।
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निर्वाणप्रकरणं - सर्गः १३३
योगवाशिष्ठ महारामायण संस्कृत साहित्यामध्ये अद्वैत वेदान्त विषयावरील एक महत्वपूर्ण ग्रन्थ आहे. ह्याचे रचयिता आहेत - वशिष्ठ
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बृहत्संहिताः - अध्याय २४
’बृहत्संहिता’ ग्रंथात वास्तुविद्या, भवन निर्माण कला, वायुमंडळाची रचना, वृक्ष आयुर्वेद इ. विषय अंतर्भूत आहेत.
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ब्रह्मपुराणम् - अध्यायः ३१
ब्रह्मपुराणास आदिपुराण म्हणतात. यात सृष्टीची उत्पती, पृथुचे पावन चरित्र, सूर्य आणि चन्द्रवंशाचे वर्णन, श्रीकृष्ण-चरित्र, कल्पान्तजीवी मार्कण्डेय मुनि चरित्र, तीर्थांचे माहात्म्य अशा अनेक भक्तिपुरक आख्यानांची सुन्दर चर्चा केलेली आहे.
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श्रीविष्णुपुराण - द्वितीय अंश - अध्याय १०
भारतीय जीवन-धारा में पुराणों का महत्वपूर्ण स्थान है, पुराण भक्ति ग्रंथों के रूप में बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। जो मनुष्य भक्ति और आदर के साथ विष्णु पुराण को पढते और सुनते है,वे दोनों यहां मनोवांछित भोग भोगकर विष्णुलोक में जाते है।
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चैत्र शु. सप्तमी
Chaitra shuddha Saptami
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भवनभास्कर - नवाँ अध्याय
वास्तुविद्याके अनुसार मकान बनानेसे कुवास्तुजनित कष्ट दूर हो जाते है ।
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बृहत्संहिताः - अध्याय २८
’बृहत्संहिता’ ग्रंथात वास्तुविद्या, भवन निर्माण कला, वायुमंडळाची रचना, वृक्ष आयुर्वेद इ. विषय अंतर्भूत आहेत.
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मत्स्यपुराणम् - अध्यायः १६२
मत्स्य पुराणात सात कल्पांचे वर्णन असून हे पुराण नृसिंह वर्णनापासून सुरू होते.
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अष्टादशकाण्ड: - ७१ ते ७५
पैप्पलादसंहिता
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पूर्वखण्डः - अध्याय १७
सृष्टीचमत्काराची कारणे समजून घेण्याची जिज्ञासा तृप्त करण्यासाठी प्राचीन भारतातील बुद्धिमान ऋषीमुनी, महर्षींनी नानाविध शास्त्रे जगाला उपलब्ध करून दिली आहेत, त्यापैकीच एक ज्योतिषशास्त्र होय.
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श्रीवामनपुराण - अध्याय १८
श्रीवामनपुराणकी कथायें नारदजीने व्यासको, व्यासने अपने शिष्य लोमहर्षण सूतको और सूतजीने नैमिषारण्यमें शौनक आदि मुनियोंको सुनायी थी ।
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रावणवध - भाग ११
संस्कृत भाषेतील काव्य, महाकाव्य म्हणजे साहित्य विश्वातील मैलाचा दगड होय, काय आनंद मिळतो त्याचा रसास्वाद घेताना, स्वर्गसुखच, त्यातीलच एक काव्य म्हणजे कवी भट्टि रचित रावणवध.
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मत्स्यपुराणम् - अध्यायः ११
मत्स्य पुराणात सात कल्पांचे वर्णन असून हे पुराण नृसिंह वर्णनापासून सुरू होते.
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ब्रह्मपुराणम् - अध्यायः ६
ब्रह्मपुराणास आदिपुराण म्हणतात. यात सृष्टीची उत्पती, पृथुचे पावन चरित्र, सूर्य आणि चन्द्रवंशाचे वर्णन, श्रीकृष्ण-चरित्र, कल्पान्तजीवी मार्कण्डेय मुनि चरित्र, तीर्थांचे माहात्म्य अशा अनेक भक्तिपुरक आख्यानांची सुन्दर चर्चा केलेली आहे.
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मानसारम् - गृहमानस्थानविधानम्
प्रस्तुत ग्रंथ शके १८३६ यावर्षी कै. गुरूभक्त व्यंकटरमणा मच्छावार यांनी प्रसिद्ध केला होता.
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वामनपुराण - अध्याय १८ वा
भगवान विष्णु ह्यांचा वामन अवतार हा पाचवा तसेच त्रेता युगातील पहिला अवतार होय.
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द्वितीय परिच्छेद - रथसप्तमी
निर्णयसिंधु ग्रंथामध्ये कोणत्या कर्माचा कोणता काल , याचा मुख्यत्वेकरून निर्णय केलेला आहे .
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आदित्य
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