चैत्र शुक्लपक्ष व्रत - नामसप्तमी

व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।


नामसप्तमी ( भविष्यपुराण ) -

यह व्रत चैत्र शुक्ल सप्तमीसे वर्षपर्यन्त होता है और चैत्रादि १२ महीनोंमे सूर्यके १२ नामोंसे यथाक्रम पूजन किया जाता है । यथा - १ चैत्रमें धाता, २ वैशाखामें अर्यमा, ३ ज्येष्ठमें मित्र, ४ आषाढ़्में वरुण, ५ श्रावणामें इन्द्र, ६ भाद्रपदमें विवस्वान् , ७ आश्विनमें पर्जन्य, ८ कार्तिकमें पूषा, ९ मार्गशीर्षमें अंशुमान, १० पौषमे भग, ११ माघमें त्वष्टा और १२ फाल्गुनमें जिष्णु नामसे यथाविधि पूजन करके एकभुक्त व्रत करे तो आयु, आरोग्यता और ऐश्वर्यकी अपूर्व सिद्धि होती है ।

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Last Updated : January 16, 2009

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