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ટિક્કા
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गोलकम्
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ଟିକିଆ
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കട്ട്ലറ്റ്
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ಟಿಕ್ಕಿ
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टिक्की
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টিকিয়া
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ਟਿੱਕੀ
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মাংসের টুকরো
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ਮਾਸ ਕਤਰਾ
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ମାଂସ ତରକାରୀ
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मांस का टुकड़ा
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मांसाचा तुकडा
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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टिक्का
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માંસ ટુકડા
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रसरत्नाकर - प्रकरण १.४
रसायनशास्त्रावरील प्रसिद्ध ग्रंथांपैकी एक आहे रसरत्नाकर. याचे रचनाकार नित्यनाथसिद्ध नागार्जुन होत. या ग्रंथात मुख्यत: धातुंचे शोधन, मारण, शुद्ध पारद प्राप्ति शिवाय भस्म बनविण्याच्या विधींचे वर्णन आहे.
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मध्यखण्डम् - एकादशोऽध्यायः
संहिता हिन्दू धर्मातील पवित्र आणि सर्वोच्च धर्मग्रन्थ वेदांतील मन्त्रांचे खण्ड होत.
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कुण्ड
Meanings: 47; in Dictionaries: 7
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रसरत्नाकर - प्रकरण ३.८
रसायनशास्त्रावरील प्रसिद्ध ग्रंथांपैकी एक आहे रसरत्नाकर. याचे रचनाकार नित्यनाथसिद्ध नागार्जुन होत. या ग्रंथात मुख्यत: धातुंचे शोधन, मारण, शुद्ध पारद प्राप्ति शिवाय भस्म बनविण्याच्या विधींचे वर्णन आहे.
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मानसारम् - भूपरीक्षाविधानम्
'मानसारम्' वास्तुशास्त्रावरील एक प्राचीन ग्रंथ आहे.
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रसमञ्जरी - अध्याय ५
शालिनाथ कृत ‘रसमञ्जरी ’ ग्रंथात रसविद्या संबंधित वेगवेगळ्या क्रिया सविस्तर वर्णिल्या आहेत .
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रसविद्या - भाग २
रसविद्या, मध्यकालीन भारतातील जी आयुर्वेदीक विद्या आहे, त्यातील एक अग्रणी ग्रंथ म्हणजे आनंदकंद.
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रसरत्नाकर - प्रकरण १.५
रसायनशास्त्रावरील प्रसिद्ध ग्रंथांपैकी एक आहे रसरत्नाकर. याचे रचनाकार नित्यनाथसिद्ध नागार्जुन होत. या ग्रंथात मुख्यत: धातुंचे शोधन, मारण, शुद्ध पारद प्राप्ति शिवाय भस्म बनविण्याच्या विधींचे वर्णन आहे.
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रसप्रकाशसुधाकर - अध्याय २
आयुर्वेदाचार्य यशोधर यांचा जन्म गौड जातीत, तेराव्या शतकात सौराष्ट्र देशातील जुनागढ येथे झाला.
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रसरत्नाकर - प्रकरण ३.९
रसायनशास्त्रावरील प्रसिद्ध ग्रंथांपैकी एक आहे रसरत्नाकर. याचे रचनाकार नित्यनाथसिद्ध नागार्जुन होत. या ग्रंथात मुख्यत: धातुंचे शोधन, मारण, शुद्ध पारद प्राप्ति शिवाय भस्म बनविण्याच्या विधींचे वर्णन आहे.
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रसरत्नसमुच्चय - अध्याय १२
श्रीशालिनाथ कृत रसरत्नसमुच्चय रसचिकित्सा का सर्वांगपूर्ण ग्रन्थ है । इसमें रसों के उत्तम उपयोग तथा पारद-लोह के अनेक संस्कारों का उत्तम वर्णन है अतएव समाज में यह बहुपयोगी सिद्ध हो रहा है ।
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रसरत्नाकर - प्रकरण ३.७
रसायनशास्त्रावरील प्रसिद्ध ग्रंथांपैकी एक आहे रसरत्नाकर. याचे रचनाकार नित्यनाथसिद्ध नागार्जुन होत. या ग्रंथात मुख्यत: धातुंचे शोधन, मारण, शुद्ध पारद प्राप्ति शिवाय भस्म बनविण्याच्या विधींचे वर्णन आहे.
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रसविद्या - भाग २३
रसविद्या, मध्यकालीन भारतातील जी आयुर्वेदीक विद्या आहे, त्यातील एक अग्रणी ग्रंथ म्हणजे आनंदकंद.
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द्वितीयः भागः - प्रकरणम् ३
भावप्रकाशसंहिता
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भविष्यपर्व - एकादशाधिकशततमोऽध्यायः
महर्षी व्यासांनी रचलेला हा महाभारताचा पुरवणी ग्रंथ आहे.
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रससंकेतकलिका - अध्यायः २
रससंकेतकलिका ग्रंथात रसासंबंधी उपयुक्त माहिती देण्यात आलेली आहे.
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रसेन्द्रचिन्तामणि - अध्यायः ६
रसेन्द्रचिन्तामणि चौदाव्या शतकांतील गद्यपद्य मिश्रित ग्रंथ आहे.
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रसरत्नसमुच्चय - अध्याय १५
श्रीशालिनाथ कृत रसरत्नसमुच्चय रसचिकित्सा का सर्वांगपूर्ण ग्रन्थ है । इसमें रसों के उत्तम उपयोग तथा पारद-लोह के अनेक संस्कारों का उत्तम वर्णन है अतएव समाज में यह बहुपयोगी सिद्ध हो रहा है ।
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रसविद्या - भाग २४
रसविद्या, मध्यकालीन भारतातील जी आयुर्वेदीक विद्या आहे, त्यातील एक अग्रणी ग्रंथ म्हणजे आनंदकंद. र
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रसरत्नाकर - प्रकरण १.८
रसायनशास्त्रावरील प्रसिद्ध ग्रंथांपैकी एक आहे रसरत्नाकर. याचे रचनाकार नित्यनाथसिद्ध नागार्जुन होत. या ग्रंथात मुख्यत: धातुंचे शोधन, मारण, शुद्ध पारद प्राप्ति शिवाय भस्म बनविण्याच्या विधींचे वर्णन आहे.
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तिष्यसन्तानः - अध्यायः २
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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रसप्रकाशसुधाकर - अध्याय ७
आयुर्वेदाचार्य यशोधर यांचा जन्म गौड जातीत, तेराव्या शतकात सौराष्ट्र देशातील जुनागढ येथे झाला.
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रसरत्नाकर - प्रकरण ३.१३
रसायनशास्त्रावरील प्रसिद्ध ग्रंथांपैकी एक आहे रसरत्नाकर. याचे रचनाकार नित्यनाथसिद्ध नागार्जुन होत. या ग्रंथात मुख्यत: धातुंचे शोधन, मारण, शुद्ध पारद प्राप्ति शिवाय भस्म बनविण्याच्या विधींचे वर्णन आहे.
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त्रेतायुगसन्तानः - अध्यायः ११३
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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रसमञ्जरी - अध्याय ३
शालिनाथ कृत ‘रसमञ्जरी ’ ग्रंथात रसविद्या संबंधित वेगवेगळ्या क्रिया सविस्तर वर्णिल्या आहेत .
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द्वापरयुगसन्तानः - अध्यायः १५५
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः ३०८
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः ५७०
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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रसरत्नसमुच्चय - अध्याय १६
श्रीशालिनाथ कृत रसरत्नसमुच्चय रसचिकित्सा का सर्वांगपूर्ण ग्रन्थ है । इसमें रसों के उत्तम उपयोग तथा पारद-लोह के अनेक संस्कारों का उत्तम वर्णन है अतएव समाज में यह बहुपयोगी सिद्ध हो रहा है ।
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रसप्रकाशसुधाकर - अध्याय ११
आयुर्वेदाचार्य यशोधर यांचा जन्म गौड जातीत, तेराव्या शतकात सौराष्ट्र देशातील जुनागढ येथे झाला.
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दत्तात्रेयतन्त्रम् - अथ प्रथमः पटलः । ईश्वरदत्...
देवी देवतांची स्तुती करताना म्हणावयाच्या रचना म्हणजेच स्तोत्रे. A Stotra is a hymn of praise, that praise aspects of Devi and Devtas.
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मयमतम् - अथ अष्टादशोऽध्यायः
The Mayamatam is a vastusastra. Mayamatam gives indications for the selections of a proper orientation, right dimensions, and appropriate materials.
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रसविद्या - भाग १
रसविद्या, मध्यकालीन भारतातील जी आयुर्वेदीक विद्या आहे, त्यातील एक अग्रणी ग्रंथ म्हणजे आनंदकंद.
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