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दो दिनका जगमें मेला , ...

विविध - दो दिनका जगमें मेला , ...

’विविध’ शीर्षकके द्वारा संतोंके अन्यान्य भावोंकी झलक दिखलानेवाली वाणीको प्रस्तुत किया है ।


दो दिनका जगमें मेला, सब चला-चलीका खेला ॥

कोइ चला गया कोई जावै, कोइ गठरी बाँध सिधावै ।

कोई खड़ा तैयार अकेला, सब चला-चलीका खेला ॥ १ ॥

कर पाप-कपट, छल-माया, धन लाख-करोड़ कमाया ।

सँग चले न एक अधेला, सब चला-चलीका खेला ॥ २ ॥

सुत-नारि, मातु-पितु, भाई अन्त सहायक नाहीं ।

क्यों भरे पापका ठेला, सब चला-चलीका खेला ॥ ३ ॥

यह नश्वर सब संसारा, कर भजन ईशका प्यारा ।

‘ब्रह्मानंद’ कहे सुन चेला, सब चला-चलीका खेला ॥ ४ ॥

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Last Updated : January 22, 2014

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