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चलो मन गंगा जमुना तीर...

विविध - चलो मन गंगा जमुना तीर...

’विविध’ शीर्षकके द्वारा संतोंके अन्यान्य भावोंकी झलक दिखलानेवाली वाणीको प्रस्तुत किया है ।


चलो मन गंगा जमुना तीर ।

गंगा जमुना निरमल पानी सीतल होत शरीर ।

वंशी बजावत गावत कान्हो, संग लिये बलबीर ॥

मोर मुकुट पीताम्बर सोहै, कुण्डल झलकत हीर ।

‘मीराँ’ के प्रभु गिरधर नागर, चरण-कँवल पै सीर ॥

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Last Updated : January 22, 2014

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