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जनम लियो वाने मरणो पड़...

विविध - जनम लियो वाने मरणो पड़...

’विविध’ शीर्षकके द्वारा संतोंके अन्यान्य भावोंकी झलक दिखलानेवाली वाणीको प्रस्तुत किया है ।


जनम लियो वाने मरणो पड़सी, मौत नगारो सिर कूटे रे ।

लाख उपाय करो मन कितना, बिना भजन नहीं छूटे रे ॥ १ ॥

जमराजा रो आयो झूलरो, प्राण पलकमें छूटे रे ।

हिचकी हाल हचीड़ो लागे, नाड़ियाँ तड़ातड़ टूटे रे ॥ २ ॥

भाई बन्धु कुटुम्ब कबीलो, रामजी रुठयाँ सब रुठे रे ।

एक पलकमें प्रलय हो जासी, घाल रथीमें तन कूटे रे ॥ ३ ॥

जीवड़ाने लेय जमड़ा जब चाले, क्रोध कर- कर कूटे रे ।

गुरजाँरी घमसाण मचावे, तुरत तालवो फूटे रे ॥ ४ ॥

जीवड़ाने जमड़ा नरकमें डाले, कीड़ा कागला चूँटे रे ।

भुगतेलो जीव भजन बिन भाई ! जमड़ा जुगो-जुग कूटे रे ॥ ५ ॥

चतुरायाँमें भूल पड़ेली, थारा करमड़ा फूटे रे ।

करमाँरो हीण कीचड़में कलियो, बिना भजन नहीं छूटे रे ॥ ६ ॥

राम सुमर ले सुकरत कर ले, मोह बंधन सब छूटे रे ।

कहत कबीर सुख चाहे रे जीवरो, राम-नाम धन लूटे रे ॥ ७ ॥

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Last Updated : January 22, 2014

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