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बँगला अजब बन्या महाराज...

विविध - बँगला अजब बन्या महाराज...

’विविध’ शीर्षकके द्वारा संतोंके अन्यान्य भावोंकी झलक दिखलानेवाली वाणीको प्रस्तुत किया है ।


बँगला अजब बन्या महाराज जा में नारायण बोले ॥ टेर॥

पाँच तत्त्व की ईंट बनाई तीन गुनु का गारा ।

छत्तीसुकी छात बनाई, चेतन है चेजारा ॥१॥

इस बंगले के दस दरवाजा, बीच पवन का खम्भा,

आवत जावत कछु नहीं दीखै, ये भी एक अचम्भा ॥२॥

इस बंगले में चोपड़ माँडी, खेले पाँच पचीसा, ।

कोई तो बाजी हार चल्यो है, कोई चल्या जुग जीता ॥३॥

इस बंगले में पातर नाचे, मनवा ताल बजावे,

निरत सुरत का बाँध घुँघुरु, राग छतीसुँ गावे ॥४॥

कहे मछन्दर सुन जती गोरख, जिन ये बंगला गाया ,।

इस बंगले का गावनहारा, बहुरी जनम नहीं पाया ॥५॥

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Last Updated : January 22, 2014

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