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क्या तन माँजता रे , एक...

विविध - क्या तन माँजता रे , एक...

’विविध’ शीर्षकके द्वारा संतोंके अन्यान्य भावोंकी झलक दिखलानेवाली वाणीको प्रस्तुत किया है ।


क्या तन माँजता रे, एक दिन माटी में मिल जाना ॥टेर॥

माटी ओढ़न माटी बिछावन, माटी का सिरहाना,

माटी का कलबूत बन्या है, जिसमें भँवर लुभाना ॥१॥

मात-पिता का कहना मानो, हरि से ध्यान लगाना,

सत्य वचन और रही दीनता, सबकों सुख पहुँचाना ॥२॥

एक दिन दूल्हा बन्या बराती, बाजे ढोल निशाना , ।

एक दिन जाय जँगल में डेरा, कर सीधा पग जाना ॥३॥

हरिकी भक्ति कबहुँ नहीं भूलो, जो चाहो कल्याना, ।

सबके स्वामी पालन करता, उनका हुकुम बजाना ॥४॥

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Last Updated : January 22, 2014

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