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कुमुदः
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কুমুদ
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کُمُود
Meanings: 4; in Dictionaries: 1
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کُمُد
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କୁମୁଦ
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કુમુદ
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कुमुद
Meanings: 85; in Dictionaries: 13
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camphor
Meanings: 12; in Dictionaries: 7
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विष्णोर्नाम गीता - भजन ८७
आरंभी सूत्रें अनष्टुप श्लोकाचें चरणरूप असून स्तुतिपर आहेत.
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विष्णोर्नाम गीता - भजन ६३
आरंभी सूत्रें अनष्टुप श्लोकाचें चरणरूप असून स्तुतिपर आहेत.
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स्थलम्
Meanings: 30; in Dictionaries: 2
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अध्याय ५६ - दिक्पालयागकथनम्
अग्निपुराणात त्रिदेव – ब्रह्मा, विष्णु, महेश आणि सूर्य ह्या देवतांसंबंधी पूजा-उपासनाचे वर्णन केलेले आहे.
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अष्टमः स्कन्धः - अथ एकविंशोऽध्यायः
’ श्रीमद्भागवतमहापुराणम्’ ग्रंथात ज्ञान, वैराग्य व भक्ति यांनी युक्त निवृत्तीमार्ग प्रतिपादन केलेला आहे, अशा या श्रीमद्भागवताचे भक्तिने श्रवण, पठन आणि निदिध्यासन करणारा मनुष्य खात्रीने वैकुंठलोकाला प्राप्त होतो.
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मत्स्यपुराणम् - अध्यायः २०
मत्स्य पुराणात सात कल्पांचे वर्णन असून हे पुराण नृसिंह वर्णनापासून सुरू होते.
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कार्तिकमासमाहात्म्यम् - अध्याय ३४
भगवान स्कन्द (कार्तिकेय) ने कथन केल्यामुळे ह्या पुराणाचे नाव 'स्कन्दपुराण' आहे.
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भावमिश्रः भावप्रकाशः - कर्पूरादिवर्ग
आयुर्वेदातील एक महान ग्रंथ
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पुरुषोत्तमसंहिता - पंचदशोध्यायः
पुरुषोत्तम
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सृष्टिखण्डः - अध्यायः २०
शिव पुराणात भगवान शिवांच्या विविध रूपांचे, अवतारांचे, ज्योतिर्लिंगांचे, शिव भक्तांचे आणि भक्तिचे विस्तृत वर्णन केलेले आहे.
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युद्धखण्डः - अध्यायः ३३
शिव पुराणात भगवान शिवांच्या विविध रूपांचे, अवतारांचे, ज्योतिर्लिंगांचे, शिव भक्तांचे आणि भक्तिचे विस्तृत वर्णन केलेले आहे.
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श्री विष्णु सहस्त्रनामस्तोत्रम्
हिंदू देवदेवतांची सहस्त्र नावे, स्तोत्र रूपात गुंफलेली आहेत. Sahastranaamastotra is a perticular stotra in which, the 1000 names of hindu Gods are introdused.
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श्री विष्णुसहस्रनामस्तोत्रम् - उपक्रमश्लोकाः शुक्लांबरधर...
हिंदू देवदेवतांची सहस्त्र नावे, स्तोत्र रूपात गुंफलेली आहेत. Sahastranaamastotra is a perticular stotra in which, the 1000 names of hindu Gods are introdused.
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स्वच्छन्दभैरवतन्त्र - दशमः पटलः ५
स्वच्छन्दभैरवतन्त्र हे एक असे तंत्र आहे, ज्यापासून प्रत्यक्ष भैरव मदतीला उभे राहतात.
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पूर्वभागः - अध्यायः १०३
अठरा पुराणांमध्ये भगवान् शंकराची महान महिमा लिंगपुराणात वर्णिलेली आहे. यात ११००० श्लोक आहेत. प्रथम योग आणि नंतर कल्प असे विवेचन गुरू वेदव्यास यांनी या पुराणात सांगितले आहे. हा शिव पुराणाच पूरक ग्रंथ आहे.
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पुरुषोत्तमसंहिता - चतुर्थोध्यायः
श्रीमत्पांचरात्र दिव्यागमे श्रीपुरुषोत्तम संहितायां
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प्रथमपरिच्छेदः - पञ्चदशोऽध्यायः
'पाञ्चरात्रागमः' एक उत्कृष्ट रचना.
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उत्तरखण्डः - अध्यायः २२८
भगवान् नारायणाच्या नाभि-कमलातून, सृष्टि-रचयिता ब्रह्मदेवाने उत्पन्न झाल्यावर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञानाचा विस्तार केला, म्हणून ह्या पुराणास पद्म पुराण म्हणतात.
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कौमारिकाखण्डः - अध्यायः २६
भगवान स्कन्द (कार्तिकेय) ने कथन केल्यामुळे ह्या पुराणाचे नाव 'स्कन्दपुराण' आहे.
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प्रथमपरिच्छेदः - पञ्चदशोऽध्यायः
प्रकाशसंहिता
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः १२६
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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तिष्यसन्तानः - अध्यायः ७७
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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विष्णुसंहिता - द्वाविंशः पटलः
विष्णुसंहितामध्ये प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, तर्क, समाधि आणि ध्यान हे क्रमवार आहेत.
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पूर्वार्धम् - अध्यायः ४१
वायुपुराणात खगोल, भूगोल, सृष्टिक्रम, युग, तीर्थ, पितर, श्राद्ध, राजवंश, ऋषिवंश, वेद शाखा, संगीत शास्त्र, शिवभक्ति, इत्यादिचे सविस्तर निरूपण आहे.
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विष्णुसंहिता - त्रयोविंशः पटलः
विष्णुसंहितामध्ये प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, तर्क, समाधि आणि ध्यान हे क्रमवार आहेत.
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गोपालोत्तरतापिन्युपनिषद
आपल्या प्राचीन वाङ्मयामध्ये उपनिषदांना फार महत्त्वाचे, म्हणजे प्रस्थानत्रयी मधील एक, असे स्थान आहे. Upanishad are highly philosophical and metaphysical part of Vedas. Being the conclusive part of Vedas, Upanishad can be called the whole substance of Vedic wisdom.
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विष्णुसंहिता - षोडशः पटलः
विष्णुसंहितामध्ये प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, तर्क, समाधि आणि ध्यान हे क्रमवार आहेत.
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अध्याय ९६ - अधिवासनविधिः
अग्निपुराणात त्रिदेव – ब्रह्मा, विष्णु, महेश आणि सूर्य ह्या देवतांसंबंधी पूजा-उपासनाचे वर्णन केलेले आहे.
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संकेत कोश - संख्या ७
हिंदू धर्मात असे अनेक संकेत आहेत ,जे आपल्या जीवनात मोलाचे कार्य बजावतात .
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संकेत कोश - संख्या ८
हिंदू धर्मात असे अनेक संकेत आहेत ,जे आपल्या जीवनात मोलाचे कार्य बजावतात .
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः १६०
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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गोपालतापिन्युपनिषत्
जन्ममरणाचे निवारण करून ब्रह्मपदाला पोचविणारी विद्या म्हणजे उपनिषद्.
Upanishad are highly philosophical and metaphysical part of Vedas.
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परमेश्वरसंहिता - एकादशोऽध्यायः
परमेश्वरसंहिता
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उत्तरार्धम् - अध्यायः ३४
वायुपुराणात खगोल, भूगोल, सृष्टिक्रम, युग, तीर्थ, पितर, श्राद्ध, राजवंश, ऋषिवंश, वेद शाखा, संगीत शास्त्र, शिवभक्ति, इत्यादिचे सविस्तर निरूपण आहे.
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वस्त्रापथक्षेत्र माहात्म्यम् - अध्याय १७
भगवान स्कन्द (कार्तिकेय) ने कथन केल्यामुळे ह्या पुराणाचे नाव 'स्कन्दपुराण' आहे.
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रसविद्या - भाग १
रसविद्या, मध्यकालीन भारतातील जी आयुर्वेदीक विद्या आहे, त्यातील एक अग्रणी ग्रंथ म्हणजे आनंदकंद.
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मध्यम भागः - अध्यायः ७
ब्रह्माण्डाच्या उत्पत्तीचे रहस्य या पुराणात वर्णिलेले आहे.
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परमेश्वरसंहिता - सप्तदशोऽधयायः
परमेश्वरसंहिता
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७
Meanings: 241; in Dictionaries: 4
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८
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अनेकार्थसङ्ग्रहः - त्रिस्वरकाण्डः
आचार्यश्रीहेमचन्द्रेण विरचितः अनेकार्थसङ्ग्रहो नाम कोशः
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