मराठी मुख्य सूची|व्यक्ति विशेष|दत्त संप्रदायातील सत्पुरूष| परमात्मराज महाराज दत्त संप्रदायातील सत्पुरूष अद्वितीयानंद सरस्वती महाराज सतगुरु श्री आगाशे काका श्री आनंदभारती स्वामी महाराज श्री आनंदनाथ महाराज अनिरुद्ध जोशी (अनिरुद्ध बापू) ब्रम्हर्षी आत्माराम शास्त्री जेरें श्री नारायणदास श्रीपादश्रीवल्लभ पिठले महाराज श्री बाळकृष्ण महाराज (सुरतकर) श्री बालमुकुंद अथवा बालावधूत (बालाजी अनंत कुलकर्णी) श्री बालमुकुंद बालावधुत दत्त महाराज (करवीर) श्री बाळानंद स्वामी महाराज श्री बाळाप्पा महाराज (श्री स्वामी समर्थ ब्राम्हनंद स्वामी महाराज) श्री भैरवअवधूत ज्ञानसागर (ज्ञानसागरे स्वामी) श्रीमद् ब्रह्मानंद स्वामी महाराज श्री चिदंबर दिक्षीत महास्वामी ओम चिले दत्त स्वामीभक्त श्री चोळप्पा परमपूज्य स्वामी सेवक श्री दादा महाराज जोशी महीपती संत दासगणु महाराज श्री दासोपंत महासाधू श्री दत्त दिगंबर अण्णाबुवा महाराज श्री दत्तगिरी महाराज श्री दत्तमहाराज अष्टेकर ब्रम्हर्षी दत्तमहाराज कवीश्वर श्री दत्तावतार दत्तस्वामी श्री दत्तनाथ उज्जयिनीकर श्री देवमामालेदार तथा श्री यशवंतराव महाराज सद्गुरू देवेंद्रनाथ महाराज दत्तावतरी धूनी वाले दादाजी श्री दिगंबरबाबा वहाळकर श्री दिगंबरदास महाराज (श्री विठ्ठल गणेश जोशी) दिंडोरीचे खंडेराव आप्पाजी उर्फ मोरेदादा श्री दीक्षित स्वामी श्रीसंत एकनाथ महाराज श्री गगनगिरी महाराज परम् सदगुरू श्री गजानन महाराज, अक्कलकोट संत गजानन महाराज शेगावीचा योगीराणा श्रीगंगाधर तीर्थ स्वामी महाराज श्रीश्री गणेश महाराज श्री गोपाळबुवा केळकर श्री गोपालदास महंत महाराज श्रीमद् गोपाळ स्वामी महाराज श्री गोरक्षनाथजी श्री. गोविंद महाराज उपळेकर श्रीमद् गोविंद स्वामी महाराज श्री परमपूज्य गुरुनाथ महाराज दंडवते महाराज गुरु ताई सुगंधेश्वर श्री सदगुरू हरिबाबा महाराज श्री हरिभाऊ निठुरकर महाराज श्रीहरिनाथ महाराज मुखेड प. पू. सद्गुरु डॉ. हरिश्चंद्र जोशी श्री जनार्दनस्वामी सद्गुरू श्रीजंगलीमहाराज श्री जयकृष्ण जनार्दन बुवा तथा मधू बुआ श्री मधुसूदन विष्णू कान्हेरे गुरुजी श्री अनंतसुत कावडीबोवा श्री केशवानंद सरस्वती स्वामी महाराज श्री किनाराम अघोरी प. प. कृष्णानंद सरस्वती श्री कृष्णनाथ महाराज श्री कृष्णेन्द्रगुरु श्री गुरुकृष्णसरस्वती (कुंभार स्वामी) श्री लोकनाथतीर्थ स्वामी महाराज सद्गुरू मछिंद्रनाथ महाराज श्री महिपतिदास योगी श्री सद्गुरू मामा देशपांडे श्री दत्तावतारी माणिकप्रभु श्रीमद् मौनी स्वामी महाराज श्री मोतीबाबा जामदार (महिबाबा योगी जामदार) श्री मुक्तेश्वर, श्री संत एकनाथांचे नातु श्री नानामहाराज तराणेकर श्री नारायण गुरुदत्त महाराज (कृष्ण आप्पा) नारायणकाका ढेकणे महाराज श्री नारायण महाराज जालवणकर (त्रिविक्रमाचार्य) सद्गुरु नारायण महाराज केडगावकर श्री नारायणस्वामी श्री नारायणतीर्थ देव स्वामी महाराज औदुंबरचे श्री नारायणानंद स्वामी आनंदयोगेश्वर निळकंठ महाराज श्री निपटनिरंजन श्री निरंजन रघुनाथ श्री नृसिंह सरस्वती यांचे अंतरंग शिष्य- गुरुचरित्रातील सिद्ध श्री नरसिंहसरस्वती स्वामी आळंदी श्री नृसिंह सरस्वती पाचलेगावकर महाराज (श्री संचारेश्वर) श्री पद्मनाभाचार्य स्वामी महाराज पंडित काका धनागरे महाराज श्री पंत महाराज बाळेकुंद्रीकर परमात्मराज महाराज श्रीपादश्रीवल्लभ पिठले महाराज श्री रघुनाथभटजी नाशिककर श्री रामानंद बिडकर महाराज श्रीमद् रामचंद्र योगी श्री रामकृष्ण क्षीरसागर परमपूज्य श्री रंग अवधूत स्वामी महाराज श्री सच्चिदानंद विद्याशंकर भारती श्री साधु महाराज कंधारकर श्री संत साईबाबा श्रीसमर्थ साटम महाराज श्री सायंदेव सद्गुरु शंकर महाराज दगडे श्री शंकर महाराज प. प. श्रीशंकर पुरूषोत्तमतीर्थ स्वामी महाराज श्रीमद् शंकर स्वामी श्री शांतानंद स्वामी महाराज शरद भाऊ जोशी महाराज श्री बाबामहाराज सहस्त्रबुद्धे सद्गुरू श्री शिवाजी महाराज, विडनी श्री श्रीधरस्वामी महाराज श्रीपाद श्रीवल्लभ श्री सिद्धेश्वर महाराज प. पू. ब्रह्मयोगी सीताराम महाराज श्री स्वामी समर्थ, अक्कलकोट श्री स्वामीसुत महाराज श्री जयकृष्ण जनार्दन बुवा तथा मधू बुआ प. पू. सौ. ताईमहाराज चाटुपळे ॐ श्रीदत्त ठाकूर महाराज श्री उपासनी बाबा साकोरी श्री वासुदेव बळवंत फडके प. पू. श्रीमत् वासुदेवानंद सरस्वती श्री विद्यानंद बेलापूरकर श्री विरुपाक्षबुवा नागनाथ स्वामी महाराज श्री विष्णुबुवा ब्रह्मचारी प. पु. श्री सद्गुरू विष्णुदास महाराज श्री विष्णुदास महाराज कोल्हापूरच्या विठामाई श्री वामनराव वैद्य वामोरीकर श्री यती महाराज श्री योगानंद सरस्वती परमात्मराज महाराज दत्त संप्रदायातील सत्पुरूष Tags : dattadattatreyaguruगुरूदत्तदत्तात्रेय परमात्मराज महाराज Translation - भाषांतर प. पू. परमात्मराज महाराज भगवान दत्तात्रेय के शिष्य और एक सिध्दपुरूष है। उनका जन्म २० मे १९६४ इस दिन हुआ। उन्हे बचपनसेही श्री दत्तगुरू का आशीर्वाद प्राप्त था। भगवान की इच्छा से उन्होने पहले अपनी पढाई पूरी की और इंजिनिअर बनने के बाद ग्रुहत्याग किया। भगवान दत्तात्रेयने उन्हे मंत्रदिक्षा देकर कठोर साधना करवाई। उन्हे दत्तगुरू के साक्षात दर्शन का लाभ मिला है। दत्तगुरू के आदेश एवं उनकी प्रत्यक्ष मार्गदर्शन मे महाराजजीने वैश्विक धर्मग्रंथ 'परमाब्धि' की रचना की। ये एक महान संस्क्रुत ग्रंथ है, जो विभिन्न छंदों में लिखा गया है। उसमें परमार्थ के चारो मार्ग, संप्रदाय एवं विश्व के विभिन्न धर्मग्रंथों का ग्यान और उनका बहूत ही सुंदर समन्वय है। इस ग्रंथ के श्लोक और मराठी अनुवाद सन २००५ में प्रकाशित हुआ। महाराजजीनेही उसका हिंदी अनुवाद भी करके प्रकाशित किया। अब शीघ्रही उसका अंग्रेजी और विविध भारतीय भाषाओंमें अनुवाद प्रकाशित होगा। वैदिक विश्वधर्म में सभी पंथ, संप्रदाय एवं धर्मों को सम्मिलीत कर के विश्वशांती को बढावा देना उनका ध्येय है। इस धर्मग्रंथ के बारे में देशभर के विभिन्न धर्मोंके धर्मगुरू, राजनेता, विद्वान एवं अनेक मान्यवरों के तीन हजार से भी अधिक उत्तम अभिप्राय मिले है।कोल्हापूर के पास कर्नाटक की सीमा में आडी इस गांव के संजीवनगिरी पर उनका आश्रम है। उन्होने अपनी साधना और परमाब्धि लेखन के बारे में 'स्वानुभव' (मराठी और हिंदी) पुस्तिका में जानकारी दी है। परमाब्धि की वैश्विक आवश्यकता के बारे में उन्होने 'चेयान' पुस्तिका लिखी है। N/A References : N/A Last Updated : June 20, 2024 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP