हिंदी सूची|हिंदी साहित्य|भजन|तुलसीदास कृत दोहावली| भाग १० तुलसीदास कृत दोहावली भाग १ भाग २ भाग ३ भाग ४ भाग ५ भाग ६ भाग ७ भाग ८ भाग ९ भाग १० भाग ११ भाग १२ भाग १३ भाग १४ भाग १५ भाग १६ भाग १७ भाग १८ भाग १९ भाग २० भाग २१ भाग २२ भाग २३ भाग २४ भाग २५ तुलसीदास कृत दोहावली - भाग १० रामभक्त श्रीतुलसीदास सन्त कवि आणि समाज सुधारक होते. तुलसीदास भारतातील भक्ति काव्य परंपरेतील एक महानतम कवि होत. Tags : dohavalidohetulsidasतुलसीदासदोहावलीदोहे भाग १० Translation - भाषांतर रामचरित्रकी पवित्रतातुलसी केवल कामतरु रामचरित आराम ।कलितरु कपि निसिचर कहत हमहिं किए बिधि बाम ॥कैकेयीकी कुटिलतामातु सकल सानुज भरत गुरु पुर लोग सुभाउ ।देखत देख न कैकइहि लंकापति कपिराउ ॥सहज सरल रघुबर बचन कुमति कुटिल करि जान ।चलइ जोंक जल बक्रगति जद्यपि सलिलु समान ॥दशरथमहिमादसरथ नाम सुकामतरु फलइ सकलो कल्यान ।धरनि धाम धन धरम सुत सदगुन रूप निधान ॥तुलसी जान्यो दसरथहिं धरमु न सत्य समान ।रामु तजे जेहि लागि बिनु राम परिहरे प्रान ॥राम बिरहँ दसरथ मरन मुनि मन अगम सुमीचु ।तुलसी मंगल मरन तरु सुचि सनेह जल सींचु ॥सोरठाजीवन मरन सुनाम जैसें दसरथ राय को ।जियत खिलाए राम राम बिरहँ तनु परिहरेउ ॥जटायुका भाग्यदोहाप्रभुहि बिलोकत गोद गत सिय हित घायल नीचु ।तुलसी पाई गीधपति मुकुति मनोहर मीचु ॥बिरत करम रत भगत मुनि सिद्ध ऊँच अरु नीचु ।तुलसी सकल सिहात सुनि गीधराज की मीचु ॥मुए मरत मरिहैं सकल घरी पहरके बीचु ।लही न काहूँ आजु लौं गीधराज की मीचु ॥मुँए मुकुत जीवत मुकुत मुकुत मुकुत हूँ बीचु ।तुलसी सबही तें अधिक गीधराज की मीचु ॥रघुबर बिकल बिहंग लखि सो बिलोकि दोउ बीर ।सिय सुधि कहि सियल राम कहि देह तजी मति धीर ॥दसरथ तें दसगुन भगति सहित तासु करि काजु ।सोचत बंधु समेत प्रभु कृपासिंधु रघुराजु ॥रामकृपाकी महत्ताकेवट निसिचर बिहग मृग किए साधु सनमानि ।तुलसी रघुबर की कृपा सकल सुमंगल खानि ॥हनुमत्स्मरणकी महत्तामंजुल मंगल मोदमय मूरति मारुत पूत ।सकल सिद्धि कर कमल तल सुमिरत रघुबर दूत ॥धीर बीर रघुबीर प्रिय सुमिरि समीर कुमारु ।अगम सुगम सब काज करु करतल सिद्धि बिचारु ॥सुख मुद मंगल कुमुद बिधु सुगुन सरोरुह भानु ।करहु काज सब सिद्धि सुभ आनि हिएँ हनुमानु ॥सकल काज सुभ समउ भल सगुन सुमंगल जानु ।कीरति बिजय बिभूति भलि हियँ हनुमानहि आनु ॥सूर सिरोमनि साहसी सुमति समीर कुमार ।सुमिरत सब सुख संपदा मुद मंगल दातार ॥बाहुपीड़ाकी शान्तिके लिये प्रार्थनातुलसी तनु सर सुख जलज भुज रुज गज बरजोर ।दलत दयानिधि देखिऐ कपि केसरी किसोर ॥भुज तरु कोटर रोग अहि बरबस कियो प्रबेस ।बिहगराज बाहन तुरत काढ़िअ मिटै कलेस ॥बाहु बिटप सुख बिहँग थलु लगी कुपीर कुआगि ।राम कृपा जल सीचिऐ बेगि दीन हित लागि ॥ N/A References : N/A Last Updated : January 18, 2013 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP