हिंदी सूची|हिंदी साहित्य|भजन|तुलसीदास कृत दोहावली| भाग ४ तुलसीदास कृत दोहावली भाग १ भाग २ भाग ३ भाग ४ भाग ५ भाग ६ भाग ७ भाग ८ भाग ९ भाग १० भाग ११ भाग १२ भाग १३ भाग १४ भाग १५ भाग १६ भाग १७ भाग १८ भाग १९ भाग २० भाग २१ भाग २२ भाग २३ भाग २४ भाग २५ तुलसीदास कृत दोहावली - भाग ४ रामभक्त श्रीतुलसीदास सन्त कवि आणि समाज सुधारक होते. तुलसीदास भारतातील भक्ति काव्य परंपरेतील एक महानतम कवि होत. Tags : dohavalidohetulsidasतुलसीदासदोहावलीदोहे भाग ४ Translation - भाषांतर भक्तिका स्वरुपप्रीति राम सों नीति पथ चलिय राग रिस जीति ।तुलसी संतन के मते इहै भगति की रीति ॥कलियुगसे कौन नहीं छला जातासत्य बचन मानस बिमल कपट रहित करतूति ।तुलसी रघुबर सेवकहि सकै न कलिजुग धूति ॥तुलसी सुखी जो राम सों दुखी सो निज करतूति ।करम बचन मन ठीक जेहि तेहि न सकै कलि धूति ॥गोस्वामीजीकी प्रेम-कामनानातो नाते राम कें राम सनेहँ सनेहु ।तुलसी माँगत जोरि कर जनम जनम सिव देहु ॥सब साधनको एक फल जेहिं जान्यो सो जान ।ज्यों त्यों मन मंदिर बसहिं राम धरें धनु बान ॥जौं जगदीस तौ अति भलो जौं महीस तौ भाग ।तुलसी चाहत जनम भरि राम चरन अनुराग ॥परौ नरक फल चारि सिसु मीच डाकिनी खाउ ।तुलसी राम सनेह को जो फल सो जरि जाउ ॥रामभक्तके लक्षणहित सों हित, रति राम सों, रिपु सों बैर बिहाउ ।उदासीन सब सों सरल तुलसी सहज सुभाउ ॥तुलसी ममता राम सों समता सब संसार ।राग न रोष न दोष दुख दास भए भव पार ॥उद्बोधनरामहि डरु करु राम सों ममता प्रीति प्रतीति ।तुलसी निरुपधि राम को भएँ हारेहूँ जीति ॥तुलसी राम कृपालु सों कहि सुनाउ गुन दोष ।होय दूबरी दीनता परम पीन संतोष ॥सुमिरन सेवा राम सों साहब सों पहिचानि ।ऐसेहु लाभ न ललक जो तुलसी नित हित हानि ॥जानें जानन जोइऐ बिनु जाने को जान ।तुलसी यह सुनि समुझि हियँ आनु धरें धनु बान ॥करमठ कठमलिया कहैं ग्यानी ग्यान बिहीन ।तुलसी त्रिपथ बिहाइ गो राम दुआरें दीन ॥बाधक सब सब के भए साधक भए न कोइ ।तुलसी राम कृपालु तें भलो होइ सो होइ ॥शिव और रामकी एकतासंकर प्रिय मम द्रोही सिव द्रोही मम दास ।ते नर करहिं कलप भरि घोर नरक महुँ बास ॥बिलग बिलग सुख संग दुख जनम मरन सोइ रीति ।रहिअत राखे राम कें गए ते उचित अनीति ॥रामप्रेमकी सर्वोत्कृष्टताजाँय कहब करतूति बिनु जायँ जोग बिन छेम ।तुलसी जायँ उपाय सब बिना राम पद प्रेम ॥लोग मगन सब जोगहीं जोग जाँय बिनु छेम ।त्यों तुलसीके भावगत राम प्रेम बिनु नेम ॥ N/A References : N/A Last Updated : January 18, 2013 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP