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श्रीबदरीनाथाष्टकम् - भू-वैकुण्ठ-कृतं वासं देवद...
देवी देवतांची अष्टके, आजारपण किंवा कांही घरगुती त्रास होत असल्यास घरीच देवासमोर म्हणण्याची ईश्वराची स्तुती होय. Traditionally,the ashtakam is recited in homes, when some one has health or any domestic problems.
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गवलः
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वनः
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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आरुच्
Meanings: 2; in Dictionaries: 2
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परिक्लृप्
Meanings: 15; in Dictionaries: 2
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चिलिचिम
Meanings: 5; in Dictionaries: 2
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संस्कारहीन
Meanings: 8; in Dictionaries: 6
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श्रीरामाष्टकं - सुग्रीवमित्रं परमं पवित्र...
देवी देवतांची अष्टके आजारपण किंवा कांही घरगुती त्रास होत असल्यास घरीच देवासमोर म्हणण्याची ईश्वराची स्तुती होय. Traditionally,the ashtakam is recited in homes, when some one has health or any domestic problems.
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शिवानन्दलहरी - श्लोक ४१ ते ४५
शिवानंदलहरी में भक्ति -तत्व की विवेचना , भक्त के लक्षण , उसकी अभिलाषायें और भक्तिमार्ग की कठिनाईयोंका अनुपम वर्णन है । `शिवानंदलहरी ' श्रीआदिशंकराचार्य की रचना है ।
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प्रतिकर्मन्
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श्री नरसिंहसरस्वती दत्तगुरूंची आरती - जयजय श्रीगुरुभूमन् नृसिंह...
आरती म्हणजे हिंदू उपासनेचा एक विधी.
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श्रीमहालक्ष्मीसेवा भाग १
देवीभागवत महापुराणात करवीर निवासिनी महालक्ष्मीला प्रथम स्थान दिले आहे, तिरूपति बालाजीच्या दर्शनानंतर महालक्ष्मीचे दर्शन भक्त घेतातच.
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रामाष्टकं - सुग्रीवमित्रं परमं पवित्र...
देवी देवतांची अष्टके, आजारपण किंवा कांही घरगुती त्रास होत असल्यास घरीच देवासमोर म्हणण्याची ईश्वराची स्तुती होय. Traditionally,the ashtakam is recited in homes, when some one has health or any domestic problems.
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inhabit
Meanings: 8; in Dictionaries: 6
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खण्डः २ - अध्यायः १३५
विष्णुधर्मोत्तर पुराण एक उपपुराण आहे. अधिक माहितीसाठी प्रस्तावना पहा.
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reside
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मंत्रः - श्रीलक्ष्मीनृसिंहार्तिः
उपासना विभागातील मंत्र सिद्ध केल्यास त्याची प्रचिती लगेचच मिळते , या विभागात उपासनेसाठीचे मंत्र आहेत .
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त्रेतायुगसन्तानः - अध्यायः १३५
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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मानसारम् - शालाविधानम्
प्रस्तुत ग्रंथ शके १८३६ यावर्षी कै. गुरूभक्त व्यंकटरमणा मच्छावार यांनी प्रसिद्ध केला होता.
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अर्थशास्त्रम् अध्याय १३ - भाग ५
अर्थशास्त्र या ग्रंथात राज्यव्यवस्था, कृषि, न्याय आणि राजनीति वगैरे विभिन्न विषयांवर विचार केला गेला आहे.
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खण्डः २ - अध्यायः १३७
विष्णुधर्मोत्तर पुराण एक उपपुराण आहे. अधिक माहितीसाठी प्रस्तावना पहा.
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माधुर्यखण्डः - अध्यायः १०
गर्ग संहिता ही गर्ग मुनिंची रचना आहे. ह्या संहितेत श्रीकृष्ण आणि राधाच्या माधुर्य-भाव असलेल्या लीलांचे वर्णन आहे.
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भविष्यपर्व - चतुर्विंशोऽध्यायः
महर्षी व्यासांनी रचलेला हा महाभारताचा पुरवणी ग्रंथ आहे.
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dwell
Meanings: 10; in Dictionaries: 4
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प्रथमोऽध्यायः - श्लोक ८१ ते १००
देवताओंके शिल्पी विश्वकर्माने, देवगणोंके निवासके लिए जो वास्तुशास्त्र रचा, ये वही ’ विश्वकर्मप्रकाश ’ वास्तुशास्त्र है ।
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प्रथम खण्डः - षोडशोऽध्यायः
विष्णुधर्मोत्तर पुराण एक उपपुराण आहे.
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श्रीशारदास्तवकदम्बम् - हेलया रचितचित्रविष्टपां च...
देवी देवतांची स्तुती करताना म्हणावयाच्या रचना म्हणजेच स्तोत्रे. स्तोत्रे स्तुतीपर असल्याने, त्यांना कोणतेही वैदिक नियम नाहीत. स्तोत्रांचे पठण केल्याने इच्छित फल प्राप्त होते. In Hinduism, a Stotra is a hymn of praise, that praise aspects of Devi and Devtas. Stotras are invariably uttered aloud and consist of chanting verses conveying the glory and attributes of God.
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चाणक्यनीतिदर्पणः - प्रथमोऽध्यायः
चाणक्यनीतिदर्पणः
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lodge
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माधुर्यखण्डः - अध्यायः १३
गर्ग संहिता ही गर्ग मुनिंची रचना आहे. ह्या संहितेत श्रीकृष्ण आणि राधाच्या माधुर्य-भाव असलेल्या लीलांचे वर्णन आहे.
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त्रेतायुगसन्तानः - अध्यायः ६४
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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व्यासशिक्षा - दीर्घप्रकरणम्
प्रस्तुत ग्रंथाचा रचनाकाल विभिन्न विद्वानांनी ईसवीसन पूर्व १००० ते ईसवीसन पूर्व ५०० सांगितलेला आहे.
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त्रेतायुगसन्तानः - अध्यायः ११७
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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ब्रह्मपुराणम् - अध्यायः ९६
ब्रह्मपुराणास आदिपुराण म्हणतात. यात सृष्टीची उत्पती, पृथुचे पावन चरित्र, सूर्य आणि चन्द्रवंशाचे वर्णन, श्रीकृष्ण-चरित्र, कल्पान्तजीवी मार्कण्डेय मुनि चरित्र, तीर्थांचे माहात्म्य अशा अनेक भक्तिपुरक आख्यानांची सुन्दर चर्चा केलेली आहे.
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उत्तरभागः - अध्यायः ३४
`नारदपुराण’ में शिक्षा, कल्प, व्याकरण, ज्योतिष, और छन्द-शास्त्रोंका विशद वर्णन तथा भगवानकी उपासनाका विस्तृत वर्णन है।
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मानसारम् - वृषभलक्षणम्
प्रस्तुत ग्रंथ शके १८३६ यावर्षी कै. गुरूभक्त व्यंकटरमणा मच्छावार यांनी प्रसिद्ध केला होता.
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उत्तरखण्डः - अध्यायः ८९
भगवान् नारायणाच्या नाभि-कमलातून, सृष्टि-रचयिता ब्रह्मदेवाने उत्पन्न झाल्यावर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञानाचा विस्तार केला, म्हणून ह्या पुराणास पद्म पुराण म्हणतात.
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तिष्यसन्तानः - अध्यायः ४५
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः ४१२
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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नवमोऽध्यायः - श्लोक २१ ते ४८
देवताओंके शिल्पी विश्वकर्माने, देवगणोंके निवासके लिए जो वास्तुशास्त्र रचा, ये वही ’ विश्वकर्मप्रकाश ’ वास्तुशास्त्र है ।
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दुर्गा सप्तशती - बलिदानम्
दुर्गा सप्तशतीचा पाठ केल्याने जीवनातील सर्व पापे नष्ट होऊन मुक्ति मिळते.
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः १८३
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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त्रेतायुगसन्तानः - अध्यायः १११
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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सहदेवाधिकारो नाम षष्ठोऽध्यायः
समराङ्गणसूत्रधार हा भारतीय वास्तुशास्त्र सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ आहे, ज्याची रचना धार राज्याचे परमार राजा भोज (1000–1055 इ.स.) यांनी केली होती.
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मलिन
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श्रावणमास: - षोडशसोमवारकथा
सर्व जगतात हिंदू धर्माची व्याख्या होते ती, धर्मातील उपासना आणि उत्सवप्रियतेमुळे, आणि यांना जोड असते व्रत-वैकल्याची आणि धार्मिक पूजेची.
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त्रेतायुगसन्तानः - अध्यायः २६८
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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द्वापरयुगसन्तानः - अध्यायः १५
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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शतरुद्रसंहिता - अध्यायः १८
शिव पुराणात भगवान शिवांच्या विविध रूपांचे, अवतारांचे, ज्योतिर्लिंगांचे, शिव भक्तांचे आणि भक्तिचे विस्तृत वर्णन केलेले आहे.
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विश्वक्सेनासंहिता - अष्टमोऽध्याय:
विश्वक्सेनासंहिता
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