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मरीचिः
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मरीची
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ਮਰੀਚਿ
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مریچی
Meanings: 4; in Dictionaries: 2
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ମରୀଚି
Meanings: 3; in Dictionaries: 1
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मरीचि
Meanings: 53; in Dictionaries: 8
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মরীচি
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મરીચિ
Meanings: 4; in Dictionaries: 1
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ray
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beam
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shaft of light
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ray of light
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beam of light
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light beam
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irradiation
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sun
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light
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visible light
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visible radiation
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shaft
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surya
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देवर्षिः
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पुर्णिमा
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प्रेमजा
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पदसंग्रह - पंचक
रंगनाथ स्वामींचा जन्म शके १५३४ परिघाविसंवत्सर मार्गशीर्ष शुद्ध १० रोजीं झाला.
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बृहत्संहिताः - अध्याय १३
’बृहत्संहिता’ ग्रंथात वास्तुविद्या, भवन निर्माण कला, वायुमंडळाची रचना, वृक्ष आयुर्वेद इ. विषय अंतर्भूत आहेत.
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देवर्षि
Meanings: 8; in Dictionaries: 6
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अथ क्रियापादः - नवनैवेद्य विधि पटलः
सुप्रभेदागमः म्हणजे शिल्पशास्त्र ह्या विषयावरील महत्वपूर्ण ग्रंथ.
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क्रियापदः - नवनैवेद्य विधि पटलः
सुप्रभेदागमः
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श्रीनरसिंहपुराण - अध्याय २१
अन्य पुराणोंकी तरह श्रीनरसिंहपुराण भी भगवान् श्रीवेदव्यासरचित ही माना जाता है ।
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः ३९
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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प्रायश्चित्तमयूख - प्रायश्चित्त ३५ वे
विधिविहित नित्यकर्म (संध्यादि) न केल्यामुळे, पाप केल्याने व सुरा इत्यादि निषिद्ध पदार्थांचे सेवन केल्यानें त्याच्या शुद्धिसाठी जें कर्म सांगण्यात येतें तें प्रायश्चित्त होय.
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माधव जूलियन - सर्वा खल्वियं माया !
डॉ. माधव त्रिंबक पटवर्धन ऊर्फ माधव जूलियन, (जन्म २१ जानेवारी १८९४; मृत्यु २९ नोव्हेंबर १९३९) हे मराठी भाषेतील प्रतिथयश कवी होऊन गेले.
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मङ्गलाष्टकम् - ब्रह्माविष्णुर्गिरीशःसुरप...
देवी देवतांची अष्टके आजारपण किंवा कांही घरगुती त्रास होत असल्यास घरीच देवासमोर म्हणण्याची ईश्वराची स्तुती होय.Traditionally,the ashtakam is recited in homes, when some one has health or any domestic problems.
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मङ्गलाष्टकम् - ब्रह्माविष्णुर्गिरीशःसुरप...
देवी देवतांची अष्टके आजारपण किंवा कांही घरगुती त्रास होत असल्यास घरीच देवासमोर म्हणण्याची ईश्वराची स्तुती होय. Traditionally,the ashtakam is recited in homes, when some one has health or any domestic problems.
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श्री तुळजाभवानी माहात्म्य - अध्याय २७
श्री तुळजाभवानी आदिशक्ती असून तिची आराधना केल्यास सर्व पापे नष्ट होऊन, जीवन आनंदमय होते.
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दिग्वर्गः - श्लोक २११ ते २५०
अमरकोश में संज्ञा और उसके लिंगभेद का अनुशासन या शिक्षा है। अन्य संस्कृत कोशों की भांति अमरकोश भी छंदोबद्ध रचना है।
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पूर्वभागः - अध्यायः ३३
अठरा पुराणांमध्ये भगवान् शंकराची महान महिमा लिंगपुराणात वर्णिलेली आहे. यात ११००० श्लोक आहेत. प्रथम योग आणि नंतर कल्प असे विवेचन गुरू वेदव्यास यांनी या पुराणात सांगितले आहे. हा शिव पुराणाच पूरक ग्रंथ आहे.
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मरीचासन १
प्रत्येक आसनाच्या नावानंतर एक चिन्ह * दिले आहे. हे चिन्ह आसनाचा सोपेपणा-अवघडपणा (तीव्रता) सुचवतात. एक चिन्ह म्हणजे आसन करायला सोपे, दोन चिन्ह म्हणजे आसन करायला थोडे अवघड, तर तीन चिन्हे म्हणजे आसन करायला जास्त अवघड, हे आसन कोणी जाणकारांच्या मार्गदर्शनानुसारच करावे.
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कश्यपासन *
प्रत्येक आसनाच्या नावानंतर एक चिन्ह * दिले आहे. हे चिन्ह आसनाचा सोपेपणा-अवघडपणा (तीव्रता) सुचवतात. एक चिन्ह म्हणजे आसन करायला सोपे, दोन चिन्ह म्हणजे आसन करायला थोडे अवघड, तर तीन चिन्हे म्हणजे आसन करायला जास्त अवघड, हे आसन कोणी जाणकारांच्या मार्गदर्शनानुसारच करावे.
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saint
Meanings: 6; in Dictionaries: 4
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मत्स्यपुराणम् - अध्यायः १२७
मत्स्य पुराणात सात कल्पांचे वर्णन असून हे पुराण नृसिंह वर्णनापासून सुरू होते.
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उत्तरार्धम् - अध्यायः ५०
वायुपुराणात खगोल, भूगोल, सृष्टिक्रम, युग, तीर्थ, पितर, श्राद्ध, राजवंश, ऋषिवंश, वेद शाखा, संगीत शास्त्र, शिवभक्ति, इत्यादिचे सविस्तर निरूपण आहे.
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खंड ३ - अध्याय १४
मुद्गल पुराणात श्री गणेशाच्या आठ अवतारांचे वर्णन आहे.
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः २४८
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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अंशुमत्काश्यपागमः - प्रासादवास्तुलक्षणपटलः
वास्तुशास्त्रावरील एक असामान्य ग्रंथ..
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वराहपुराणम् - अध्यायः २४
'वराह पुराण' हे एक वैष्णव पुराण आहे. या पुराणातील श्लोकांत भगवानांच्या वराह अवतारातील धर्मोपदेश कथांच्या रूपात प्रस्तुत केलेला आहे.
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अथ क्रियापादः - गर्भन्यासविधि पटलः
सुप्रभेदागमः म्हणजे शिल्पशास्त्र ह्या विषयावरील महत्वपूर्ण ग्रंथ.
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क्रियापदः - गर्भन्यासविधि पटलः
सुप्रभेदागमः
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वराहपुराणम् - अध्यायः २०
'वराह पुराण' हे एक वैष्णव पुराण आहे. या पुराणातील श्लोकांत भगवानांच्या वराह अवतारातील धर्मोपदेश कथांच्या रूपात प्रस्तुत केलेला आहे.
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