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मधुमती
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ମଧୁମତୀ
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مدھومتی
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મધુમતી
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মধুমতী
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مدھُمتی
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মধুমতি
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ਮਧੂਮਤੀ
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മധുമതി
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مدُھومتی
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मधुमती नदी
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ganges
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ganges river
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उष्णिग्
निरंजन माधव लिखित सद्वृत्तमुक्तावली.
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अर्धसमवृत्तें - १६१ ते १६५
कांही नियमित अक्षरांत लघु-गुरूंच्या विशिष्ट क्रमाने रचना करून दाखविणे हेंच तें होय.
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सिद्धमंगल स्तोत्रम् - श्रीमदनन्त श्रीविभूषित अप...
देवी देवतांची स्तुती करताना म्हणावयाच्या रचना म्हणजेच स्तोत्रे. स्तोत्रे स्तुतीपर असल्याने, त्यांना कोणतेही वैदिक नियम नाहीत. स्तोत्रांचे पठण केल्याने इच्छित फल प्राप्त होते. In Hinduism, a Stotra is a hymn of praise, that praise aspects of Devi and Devtas. Stotras are invariably uttered aloud and consist of chanting verses conveying the glory and attributes of God.
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द्वितीयकाण्डः - ३१ ते ३५
पैप्पलादसंहिता
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हर्यश्र्व
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धर्मसिंधु - प्राचीनावीती
हिंदूंचे ऐहिक, धार्मिक, नैतिक अशा विषयात नियंत्रण करावे आणि त्यांना इह-परलोकी सुखाची प्राप्ती व्हावी ह्याच अत्यंत उदात्त हेतूने प्रेरित होउन श्री. काशीनाथशास्त्री उपाध्याय यांनी ’धर्मसिंधु’ हा ग्रंथ रचला आहे.
This 'Dharmasindhu' grantha was written by Pt. Kashinathashastree Upadhyay, in the year 1790-91.
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त्रिंशः पटलः - कालिपावन स्तोत्रम्
मूलपद्यविवेचनम्
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अष्टादशकाण्ड: - ४१ ते ४५
पैप्पलादसंहिता
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metre
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मन्त्रमहोदधि - षष्ठ तरङ्ग
`मन्त्रमहोदधि' इस ग्रंथमें अनेक मंत्रोंका समावेश है, जो आद्य माना जाता है।
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नित्य विधी - वारांप्रमाणे नित्यविधी
दिवसाची सुरूवात मंगलमय झाल्यास दिवस शुभ जातो आणि सर्व कर्मे सुरळीत पार पडतात.
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द्वयशीतितमः पटलः - हाकिनीपरशिवपूजनम् २
हाकिनीपरशिवपूजनम्
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वृन्दावनखण्डः - अध्यायः २०
गर्ग संहिता ही गर्ग मुनिंची रचना आहे. ह्या संहितेत श्रीकृष्ण आणि राधाच्या माधुर्य-भाव असलेल्या लीलांचे वर्णन आहे.
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शृङ्गारप्रवाहः - सुभाषित १०८१ - ११००
सुभाषित म्हणजे आदर्श वचन. सुभाषित गद्य किंवा पद्यात असतात. Subhashita means good speech.
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पार्वण श्राद्ध उत्तरार्ध
पार्वण श्राद्ध पितृ पंधरवड्यात करतात.यात मागील तीन पितृ देवतांचा समावेश होतो.
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चतुर्थ काण्डः - १६ ते २०
पैप्पलादसंहिता
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षष्ठकाण्ड: - ६ ते १०
पैप्पलादसंहिता
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पातालखण्डः - अध्यायः ७७
भगवान् नारायणाच्या नाभि-कमलातून, सृष्टि-रचयिता ब्रह्मदेवाने उत्पन्न झाल्यावर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञानाचा विस्तार केला, म्हणून ह्या पुराणास पद्म पुराण म्हणतात.
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तीर्थमहिमावर्णनम्
नीलमत पुराण अंदाजे सहाव्या ते आठव्या शतकातील ग्रंथ आहे, यात कश्मीरमधील इतिहास, भूगोल, धर्म आणि लोकगाथांबद्दल विपुल माहीती आहे.
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डाकिनी स्तोत्रम् - आनन्दभैरवी उवाच अथ वक्ष्य...
सती पार्वतीची दहा रूपे - काली, तारा, छिन्नमस्ता, भुवनेश्वरी, बगलामुखी, धूमावती, त्रिपुर सुंदरी, मातंगी, षोड़शी आणि भैरवी.
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अंत्येष्टिसंस्कार - पाथेयश्राध्द
हिंदू धर्मामध्ये जन्मापासून अंतापर्यंत, सोळा संस्कार सांगितले आहेत; त्यांतील, हा शेवटचा संस्कार.
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अथर्ववेदः - काण्डं १६
अथर्ववेदात देवतांची स्तुति तसेच जादू, चमत्कार, चिकित्सा, विज्ञान आणि दर्शनाचे मन्त्र सुद्धा आहेत.
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः ७७
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः १४७
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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उत्तरार्ध - अध्याय ५४ वा
हरिवंशांतल्या आर्यारचना आर्याभारताच्याच तोलाच्या आहेत.
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः १२१
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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श्रीशक्तिसङ्ग्मतन्त्रम् - षष्टिः पटलः ।
तंत्र शास्त्र भारताची एक प्राचीन विद्या आहे. तंत्र ग्रंथ भगवान शिवाच्या मुखातून प्रकट झाले आहेत. त्यांना पवित्र आणि प्रामाणिक मानले आहेत. Tantra shastra is a secret and most powerful science of the Indian culture and religion. It is a most powerful science which Indian Rushis have practised for centuries and still it is in practise.
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श्रीवामनपुराण - अध्याय ८१
श्रीवामनपुराणकी कथायें नारदजीने व्यासको, व्यासने अपने शिष्य लोमहर्षण सूतको और सूतजीने नैमिषारण्यमें शौनक आदि मुनियोंको सुनायी थी ।
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अथ नवमोsध्याय:
स्वामि श्री भारतीकृष्णतीर्थ यांनी जी गुरूचरित्राची रचना केली आहे, ती अप्रतिम आहे.
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श्री दत्तावतारी माणिकप्रभु
दत्त संप्रदायातील सत्पुरूष
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ललितासहस्रनामस्तोत्रम् - ध्यानश्लोकाः सिन्दूरारुण...
हिंदू देवदेवतांची सहस्त्र नावे, स्तोत्र रूपात गुंफलेली आहेत. Sahastranaamastotra is a perticular stotra in which, the 1000 names of hindu Gods are introdused.
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षष्ठ पटल - पशुभावप्रशंसा
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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एकादश पटल - स्वरुपकीर्तन
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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आश्रमस्वामिमाहात्म्यवर्णनम्
नीलमत पुराण अंदाजे सहाव्या ते आठव्या शतकातील ग्रंथ आहे, यात कश्मीरमधील इतिहास, भूगोल, धर्म आणि लोकगाथांबद्दल विपुल माहीती आहे.
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विष्णुपर्व - सप्तत्रिंशोऽध्यायः
महर्षी व्यासांनी रचलेला हा महाभारताचा पुरवणी ग्रंथ आहे.
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ललितासहस्रनामस्तोत्रम् - ध्यानश्लोकाः सिन्दूरारुण...
ललितासहस्रनामस्तोत्रम्
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श्री नारदीयमहापुराणम् - नामाष्टाशीतितमोऽध्यायः
`नारदपुराण’ में शिक्षा, कल्प, व्याकरण, ज्योतिष, और छन्द-शास्त्रोंका विशद वर्णन तथा भगवानकी उपासनाका विस्तृत वर्णन है।
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