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सिंहनाद
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ندائےشیر
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ସିଂହରଡ଼ି
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सिंहगर्जना
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सिंहध्वनिः
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সিংহনাদ
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ਸਿੰਹਨਾਦ
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સિંહનાદ
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سِنگھ ناد
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ସିଂହନାଦ
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सिंहनादः
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war cry
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war whoop
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rallying cry
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battle cry
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roar
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उपराउपरी
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अभिष्टन
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सिंहध्वनि
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आरती - श्रीविष्णुदासाची
श्रीमज्जगज्जननी, त्रिभुवनसुंदरी श्रीरेणुकामाऊलीचे अत्यंत लाडके पुत्र श्रीमत्परमहंस श्रीसद्गुरू पुरूषोत्तमानंद सरस्वति उर्फ श्रीविष्णुकवि महाराज यांच्या कवितांचा हा अनमोल ठेवा.
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शंकराची आरती - भस्मासुरां करिसी स्ववराने...
देवीदेवतांची काव्यबद्ध स्तुती म्हणजेच आरती. The poem composed in praise of God is Aarti.
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कांकड आरती - उठा उठा हो साधक, साधा आपु...
कांकड आरती
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मल्हारी मार्तंड विजय - अध्याय नववा
श्री माणिकप्रभु विरचित श्री मल्हारी मार्तंड विजय.
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मल्हारी मार्तंड विजय - अध्याय दहावा
श्री माणिकप्रभु विरचित श्री मल्हारी मार्तंड विजय.
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भूपाळी नरहरीची - उठि उठि नरहरिराया प्रगटे ...
वेदान्तशास्त्र हे नुसते बुध्दिगम्य व वाक्चातुर्यदर्शक शास्त्र नसून प्रत्यक्ष अनुभवगम्य शास्त्र आहे हे या ग्रन्थातून स्पष्ट होते.
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सदाशिवाष्टकम् - पतञ्जलिरुवाच - सुवर्णपद्...
देवी देवतांची अष्टके, आजारपण किंवा कांही घरगुती त्रास होत असल्यास घरीच देवासमोर म्हणण्याची ईश्वराची स्तुती होय. Traditionally,the ashtakam is recited in homes, when some one has health or any domestic problems.
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भक्तवत्सलता - अभंग ५६ ते ६०
संत नामदेवांनी भक्ति-गीते आणि अभंगांची रचना करून समस्त जनता-जनार्दनाला समता आणि प्रभु-भक्तिची शिकवण दिली.
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मल्हारी मार्तंड विजय - अध्याय तेरावा
श्री माणिकप्रभु विरचित श्री मल्हारी मार्तंड विजय.
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मार्गशीर्ष शुद्ध ११
दिन विशेष - वर्षातील प्रत्येक दिवसाचे ऐतिहासीक महत्व.
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अध्याय ५० वा - श्लोक २६ ते ३०
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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अध्याय ६६ वा - श्लोक ११ ते १५
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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अध्याय ३७ वा - श्लोक १ ते ५
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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रसवहस्त्रोतस् - कोष्टक
धर्म, अर्थ, काम आणि मोक्ष या चतुर्विध पुरूषार्थांच्या प्राप्तीकरितां आरोग्य हे अत्यंत आवश्यक असते.
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मराठी पदें - पदे २६६ ते २७०
वेदान्तशास्त्र हे नुसते बुध्दिगम्य व वाक्चातुर्यदर्शक शास्त्र नसून प्रत्यक्ष अनुभवगम्य शास्त्र आहे हे या ग्रन्थातून स्पष्ट होते.
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रुक्मिणी स्वयंवर
अण्णा जसे शास्त्रविद्येंत निपुण होते, तसेंच श्रौतस्मार्तज्ञकर्मविधींतही अपूर्व निष्णात होते.
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अध्याय ७७ वा - श्लोक १ ते ५
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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क्रीडा खंड - अध्याय ५८ - ५९
श्री गणेश पुराणाचे पारायण केल्याने समाधान मिळते आणि जीवनातील सर्व पापे नष्ट होतात.
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सिंह
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खंड २ - अध्याय ३२
मुद्गल पुराणात श्री गणेशाच्या आठ अवतारांचे वर्णन आहे.
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तृतीय चरित्र - अध्याय पांचवा
मोरोपंत हे जरी संत नव्हते, तरी सदाचरणी, सच्छील असे ते एक विद्वान् गृहस्थाश्रमी होते.
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अध्याय चवदावा - श्लोक १५१ ते २००
श्रीधरस्वामी रचित ’ श्रीरामविजय ’ ग्रंथाचे पारायण केल्याने जीवनातील वनवास संपून सुख प्राप्त होते.
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श्रीनरसिंहपुराण - अध्याय ४४
अन्य पुराणोंकी तरह श्रीनरसिंहपुराण भी भगवान् श्रीवेदव्यासरचित ही माना जाता है ।
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कथाकल्पतरू - स्तबक ८ - अध्याय २४
'कथा कल्पतरू' या ग्रंथात चार वेद, सहा शास्त्रे, अठरा पुराणे, तसेच रामायण, महाभारत व श्रीमद्भागवत हे हिंदू धर्मिय वाङमय ओवीरूपाने वर्णिलेले आहे.
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काकड आरतीचे अभंग
काकड आरतीचे अभंग
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कार्तिक माहात्म्य - अध्याय १५
कार्तिक माहात्म्य वाचल्याने गतजन्मातील पापे नष्ट होतात.
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कार्तिक माहात्म्य - अध्याय १४
कार्तिक माहात्म्य वाचल्याने गतजन्मातील पापे नष्ट होतात.
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पदसंग्रह - पदे ४६ ते ५०
रंगनाथ स्वामींचा जन्म शके १५३४ परिघाविसंवत्सर मार्गशीर्ष शुद्ध १० रोजीं झाला.
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श्री गणेश प्रताप - क्रीडाखंड अध्याय १४
सर्व कीर्तीने युक्त, सर्व देवाधिदेवांमध्ये श्रेष्ठ अशा अत्यंत प्रिय असलेल्या श्रीगजाननाच्या स्तुतीपर हा ग्रंथ आहे.
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भूपाळ्या
संत नामदेवांनी भक्ति-गीते आणि अभंगांची रचना करून समस्त जनता-जनार्दनाला समता आणि प्रभु-भक्तिची शिकवण दिली.
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समश्लोकी भगवद्गीता - अध्याय पहिला
भाषेतील गीतेचे पद्यरूपात मराठी भाषेत रूपांतर करण्याचे अवघड कार्य सदाशिवराव परांजपे यांनी केले.
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