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परिपालनम्
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রূপায়ণ
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اِستعمالَس منٛز اَنُن
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ಅಮಲೀಕರಣ
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ਅਮਲੀਕਰਨ
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ଅମଳୀକରଣ
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നടപ്പിലാക്കല്
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अमलीकरण
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અમલીકરણ
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implementation
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effectuation
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प्रतिपालकः
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সহজ
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परिपा
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मङ्गळाशासनम्
विष्णू हि सर्वोच्च शक्ती असून, त्रिमूर्ती ब्रह्मा, विष्णू आणि महेश यांपैकी, भगवान विष्णूचे कार्य विश्वाचा सांभाळ आणि प्रतिपाळ करणे आहे Vishnu,also known as Narayana is the Supreme Being or Ultimate Reality In the Trimurti, Vishnu is responsible for the maintenance or 'preservation' of the universe.
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खण्डः २ - अध्यायः ०८०
विष्णुधर्मोत्तर पुराण एक उपपुराण आहे. अधिक माहितीसाठी प्रस्तावना पहा.
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विष्णुधर्माः - अध्याय ४६
विष्णुधर्माः
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मार्कण्डेयपुराणम् - अथाष्टाविंशत्यधिकशततमोऽध्यायः
मार्कण्डेय पुराणात नऊ हजार श्लोकांचा संग्रह आहे.
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आचाराध्यायः - गृहस्थधर्मप्रकणम्
चित्तशुद्धीनें विचाराची योग्यता येते आणि वेदान्तविचाराने संसारापासून मोक्ष होतो , हेच ठामपणे याज्ञवल्क्यस्मृतित सांगितले आहे .
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उपशमप्रकरणम् - सर्गः २१
योगवाशिष्ठ महारामायण संस्कृत साहित्यामध्ये अद्वैत वेदान्त विषयावरील एक महत्वपूर्ण ग्रन्थ आहे. ह्याचे रचयिता आहेत - वशिष्ठ
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आचाराध्यायः - गृहस्थधर्मप्रकरणम्
स्मृतिग्रंथ म्हणजे धर्मशास्त्रावरील एक आवश्यक वचनांचा भाग.
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मार्कण्डेयपुराणम् - पञ्चविंशत्यधिकशततमोऽध्यायः
मार्कण्डेय पुराणात नऊ हजार श्लोकांचा संग्रह आहे.
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भूमिखंडः - अध्यायः ८२
भगवान् नारायणाच्या नाभि-कमलातून, सृष्टि-रचयिता ब्रह्मदेवाने उत्पन्न झाल्यावर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञानाचा विस्तार केला, म्हणून ह्या पुराणास पद्म पुराण म्हणतात.
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श्रीदुर्गासप्तशती - द्वादशोऽध्याय:
श्रीदुर्गासप्तशती - द्वादशोऽध्याय:
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प्रभासक्षेत्र माहात्म्यम् - अध्याय २३९
भगवान स्कन्द (कार्तिकेय) ने कथन केल्यामुळे ह्या पुराणाचे नाव 'स्कन्दपुराण' आहे.
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अवन्तीस्थचतुरशीतिलिङ्गमाहात्म्यम् - अध्याय ५
भगवान स्कन्द (कार्तिकेय) ने कथन केल्यामुळे ह्या पुराणाचे नाव 'स्कन्दपुराण' आहे.
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मार्कण्डेयपुराणम् - द्विनवतितमोऽध्यायः
मार्कण्डेय पुराणात नऊ हजार श्लोकांचा संग्रह आहे.
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उत्तरभागः - अध्यायः २१
`नारदपुराण’ में शिक्षा, कल्प, व्याकरण, ज्योतिष, और छन्द-शास्त्रोंका विशद वर्णन तथा भगवानकी उपासनाका विस्तृत वर्णन है।
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सतीखण्डः - अध्यायः ३५
शिव पुराणात भगवान शिवांच्या विविध रूपांचे, अवतारांचे, ज्योतिर्लिंगांचे, शिव भक्तांचे आणि भक्तिचे विस्तृत वर्णन केलेले आहे.
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वासुदेवमाहात्म्यम् - अध्याय २०
भगवान स्कन्द (कार्तिकेय) ने कथन केल्यामुळे ह्या पुराणाचे नाव 'स्कन्दपुराण' आहे.
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मार्कण्डेयपुराणम् - सप्तत्रिंशोऽध्यायः
मार्कण्डेय पुराणात नऊ हजार श्लोकांचा संग्रह आहे.
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आचारकाण्डः - अध्यायः ९६
विष्णू पुराणाचा एक भाग असलेल्या गरूड पुराणात मृत्यूनंतरच्या स्थितीबद्दलची चर्चा आहे, शिवाय श्रद्धाळू हिंदू धर्मीयांमध्ये मृत्यूनंतर जी विविध क्रिया कर्मे केली जातात, त्याला गरूडपुराणाची पार्श्वभूमी आहे.
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मार्कण्डेयपुराणम् - षट्चत्वारिंशोऽध्यायः
मार्कण्डेय पुराणात नऊ हजार श्लोकांचा संग्रह आहे.
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आचाराध्यायः - राजधर्मप्रकरणम्
स्मृतिग्रंथ म्हणजे धर्मशास्त्रावरील एक आवश्यक वचनांचा भाग.
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अथैकचत्वारिंशः पटलः - पञ्चाचारमहिमा
स्वाधिष्टानराकिणीस्तोत्रम्
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आचाराध्यायः - राजधर्मप्रकरणम्
चित्तशुद्धीनें विचाराची योग्यता येते आणि वेदान्तविचाराने संसारापासून मोक्ष होतो , हेच ठामपणे याज्ञवल्क्यस्मृतित सांगितले आहे .
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सार्थ श्रीमहाभारतसुभाषितानि - वचन १०१ ते १२०
लोकांचे अज्ञान नाहींसे होऊन, त्यांना ज्ञान प्राप्त व्हावें, ह्या हेतूनें श्रीभगवान् व्यास महर्षींनी महाभारत ग्रंथ निर्माण केला.
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खण्डः २ - अध्यायः ०६५
विष्णुधर्मोत्तर पुराण एक उपपुराण आहे. अधिक माहितीसाठी प्रस्तावना पहा.
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कुमारखण्डः - अध्यायः १९
शिव पुराणात भगवान शिवांच्या विविध रूपांचे, अवतारांचे, ज्योतिर्लिंगांचे, शिव भक्तांचे आणि भक्तिचे विस्तृत वर्णन केलेले आहे.
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बृहत्पाराशरहोराशास्त्रम् - अध्याय ५७
`बृहत्पाराशरहोराशास्त्रम्` हा ग्रंथ म्हणजे ज्योतिष शास्त्रातील मैलाचा दगड होय.
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पराशरस्मृतिः - प्रथमोध्यायः
स्मृतिग्रंथ म्हणजे धर्मशास्त्रावरील एक आवश्यक वचनांचा भाग.
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अहिर्बुध्नसंहिता - अध्यायः १५
संहिता हिन्दू धर्मातील पवित्र आणि सर्वोच्च धर्मग्रन्थ वेदांतील मन्त्रांचे खण्ड होत.
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मत्स्यपुराणम् - अध्यायः २१५
मत्स्य पुराणात सात कल्पांचे वर्णन असून हे पुराण नृसिंह वर्णनापासून सुरू होते.
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विष्णुधर्माः - अध्याय ६६
विष्णुधर्माः
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कौमारिकाखण्डः - अध्यायः ६१
भगवान स्कन्द (कार्तिकेय) ने कथन केल्यामुळे ह्या पुराणाचे नाव 'स्कन्दपुराण' आहे.
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द्वापरयुगसन्तानः - अध्यायः १७७
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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उत्तरखण्डः - अध्यायः ३०
भगवान् नारायणाच्या नाभि-कमलातून, सृष्टि-रचयिता ब्रह्मदेवाने उत्पन्न झाल्यावर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञानाचा विस्तार केला, म्हणून ह्या पुराणास पद्म पुराण म्हणतात.
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द्वापरयुगसन्तानः - अध्यायः १०५
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः १७७
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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रसवहस्त्रोतस् - जनपदोध्वंस
धर्म, अर्थ, काम आणि मोक्ष या चतुर्विध पुरूषार्थांच्या प्राप्तीकरितां आरोग्य हे अत्यंत आवश्यक असते.
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