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देख दुःखका बेष धरे मैं नह...

श्रीहनुमानप्रसादजी पोद्दार - देख दुःखका बेष धरे मैं नह...

श्रीहनुमानप्रसादजी पोद्दारके परमोपयोगी सरस पदोंसे की गयी भक्ति भगवान को परम प्रिय है।

देख दुःखका बेष धरे मैं नहीं डरूँगा तुमसे, नाथ ।

जहाँ दुःख वहाँ देख तुम्हें मैं पकडूँगा जोरोंके साथ ।

नाथ ! छिपा लो तुम मुँह अपना, चाहे अति अँधियारेमें ।

मैं लूँगा पहचान तुम्हें इक कोनेमें, जग सारेमें ॥

रोग-शोक, धनहानि, दुःख, अपमान घोर, अति दारुण क्लेश ।

सबमें तुम सब ही है तुममें, अथवा सब तुम्हारे ही वेश ॥

तुम्हारे बिना नही कुछ भी जब, तब फिर मै किस लिये डरूँ ।

मृत्यु-साज सज यदि आओ तो चरण पकड़ सानंद मरूँ ॥

दो दर्शन चाहे जैसा भी दुःखवेष धारणकर नाथ ।

जहाँ दुःख वहाँ देख तुम्हें, मैं पकडूँगा जोरोंके साथ ॥

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Last Updated : September 25, 2008

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