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अब तो कुछ भी नहीं सुहावै ...

श्रीहनुमानप्रसादजी पोद्दार - अब तो कुछ भी नहीं सुहावै ...

श्रीहनुमानप्रसादजी पोद्दारके परमोपयोगी सरस पदोंसे की गयी भक्ति भगवान को परम प्रिय है।

अब तो कुछ भी नहीं सुहावै, एक तूँ ही मन भावै है ।

तनै मिलणनै आज मेरो हिबड़ो उझल्यौ आवै है ॥

तड़फ रह्यौ ज्यूँ मछली जळ बिनु, अब तूँ क्यूँ तरसावै है ।

दरस दिखाणैमैं देरी कर क्यूँ अब और सतावै है? ॥

पण, जो इसी बातमें तेरो चित राजी हो तो होवै ।

तौ कोई भी आँट नही, मनै चाहै जितणो दुख होवै ॥

तेरै सुखसैं सुखिया हूँ मैं तेरे लिये प्राण रोवै ।

मेरी खातर प्रियतम ! अपणै सुखमैं मत काँटा बोवै ॥

पण या निश्चै समझ, तनें मिलणैकी खातर मेरा प्राण ।

छिन-छिन मैं ब्याकुल होवै है, दरसणकी है, भारी टाण ॥

बाँध तुड़ाकर भाग्या चावै,मानैनहीं किसीकी काण ।

आठों पहर उड्या-सा डोलौ, पलक-पलककी समझै हाण ॥

पण प्यारा ! तेरी राजी मैं है नित राजी मेरो मन ।

प्राणाधिक, दोनूँ लोकाँको तू ही मेरो जीवन-धन ॥

नहीं मिलै तो तेरी मरजी, पण तन-मन तेरै अरपन ।

लोक-बेद है तू ही मेरो, तु ही मेरो परम रतन ॥

चातककी ज्यूँ सदा उडीकूँ कदे नही मुहनैं मोडूँ ।

दुख देवै, मारैं तड़पावै, तो भी नेह नहीं तोडूँ ॥

तरसा-तरसाकर जी लेवै तो भी तनै नही छोडूँ ॥

झाँकूँ नहीं दूसरी कानी तेरैमैं ही जी जोडूँ ॥

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Last Updated : September 25, 2008

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