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पुरूरवा
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পুরুরবা
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پوروٗروا
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پُرُوروا
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پُروٗروا
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पुरूरवाः
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ପୁରୁରବା
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પુરુરવા
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ਵੱਖ-ਵੱਖ ਅਵਾਜ਼ਾਂ ਕੱਡਣ ਵਾਲਾ
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പലതരത്തിലുള്ള ശബ്ദം പുറപ്പെടുവിക്കുന്ന
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مختلف النوع آواز پیداکردہ
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ಹಲವಾರು ಶಬ್ದ
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புருரவா
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ఝూంకారం
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ইলা
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प्रेमासक्त
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उर्वश्याख्यायिका
क्षेमेन्द्र संस्कृत भाषेतील प्रतिभासंपन्न ब्राह्मणकुलोत्पन्न काश्मीरी महाकवि होते.
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मत्स्यपुराणम् - अध्यायः ११५
मत्स्य पुराणात सात कल्पांचे वर्णन असून हे पुराण नृसिंह वर्णनापासून सुरू होते.
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इला
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ब्रह्मपुराणम् - अध्यायः १०१
ब्रह्मपुराणास आदिपुराण म्हणतात. यात सृष्टीची उत्पती, पृथुचे पावन चरित्र, सूर्य आणि चन्द्रवंशाचे वर्णन, श्रीकृष्ण-चरित्र, कल्पान्तजीवी मार्कण्डेय मुनि चरित्र, तीर्थांचे माहात्म्य अशा अनेक भक्तिपुरक आख्यानांची सुन्दर चर्चा केलेली आहे.
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भूमिगीतम्
गीतम् म्हणजे गीतांमधून केलेली स्तुती होय.
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अध्याय २७४ - सोमवंशवर्णनम्
अग्निपुराणात त्रिदेव – ब्रह्मा, विष्णु, महेश आणि सूर्य ह्या देवतांसंबंधी पूजा-उपासनाचे वर्णन केलेले आहे.
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कथाकल्पतरू - स्तबक ८ - अध्याय ९
'कथा कल्पतरू' या ग्रंथात चार वेद, सहा शास्त्रे, अठरा पुराणे, तसेच रामायण, महाभारत व श्रीमद्भागवत हे हिंदू धर्मिय वाङमय ओवीरूपाने वर्णिलेले आहे.
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विष्णुधर्मोत्तरपुराणम् - प्रस्तावना
विष्णुधर्मोत्तर पुराण एक उपपुराण आहे.
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अवन्तीक्षेत्रमाहात्म्यम् - अध्याय ८
भगवान स्कन्द (कार्तिकेय) ने कथन केल्यामुळे ह्या पुराणाचे नाव 'स्कन्दपुराण' आहे.
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पूर्वार्धम् - अध्यायः २
वायुपुराणात खगोल, भूगोल, सृष्टिक्रम, युग, तीर्थ, पितर, श्राद्ध, राजवंश, ऋषिवंश, वेद शाखा, संगीत शास्त्र, शिवभक्ति, इत्यादिचे सविस्तर निरूपण आहे.
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प्रक्रियापादः - अध्यायः २
ब्रह्माण्डाच्या उत्पत्तीचे रहस्य या पुराणात वर्णिलेले आहे.
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अध्याय १० वा - श्लोक ४
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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वामनपुराण - अध्याय ८० वा
भगवान विष्णु ह्यांचा वामन अवतार हा पाचवा तसेच त्रेता युगातील पहिला अवतार होय.
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सेतुखण्डः - अध्याय २८
भगवान स्कन्द (कार्तिकेय) ने कथन केल्यामुळे ह्या पुराणाचे नाव 'स्कन्दपुराण' आहे.
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ब्रह्मपुराणम् - अध्यायः १०८
ब्रह्मपुराणास आदिपुराण म्हणतात. यात सृष्टीची उत्पती, पृथुचे पावन चरित्र, सूर्य आणि चन्द्रवंशाचे वर्णन, श्रीकृष्ण-चरित्र, कल्पान्तजीवी मार्कण्डेय मुनि चरित्र, तीर्थांचे माहात्म्य अशा अनेक भक्तिपुरक आख्यानांची सुन्दर चर्चा केलेली आहे.
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विष्णुपर्व - पञ्चनवतितमोऽध्यायः
महर्षी व्यासांनी रचलेला हा महाभारताचा पुरवणी ग्रंथ आहे.
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षष्ठाष्टक - अष्टमोsध्याय:
श्रीमत्परमहंस वासुदेवानंदसरस्वतीस्वामीकृत " श्रीदत्तपुराणम् "
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः २१३
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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षष्ठाष्टक - सप्तमोsध्याय:
श्रीमत्परमहंस वासुदेवानंदसरस्वतीस्वामीकृत " श्रीदत्तपुराणम् "
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एकनाथी भागवत - श्लोक १७ वा
नाथमहाराजांचा हा प्रासादिक ग्रंथ परमपूज्य असल्याने यावर भक्तजनांची आदरबुद्धी आहे.
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सहस्त्र नामे - श्लोक १५१ ते १५५
श्रीगणेशाच्या सहस्त्रनामांचे मराठी अर्थ.
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः २५५
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः ५५६
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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अपि
Meanings: 51; in Dictionaries: 5
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मत्स्यपुराणम् - अध्यायः २४
मत्स्य पुराणात सात कल्पांचे वर्णन असून हे पुराण नृसिंह वर्णनापासून सुरू होते.
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वामनपुराण - अध्याय ७९ वा
भगवान विष्णु ह्यांचा वामन अवतार हा पाचवा तसेच त्रेता युगातील पहिला अवतार होय.
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आदिपर्व - अध्याय नववा
मोरेश्वर रामजी पराडकर (१७२९–१७९४), हे महाराष्ट्रात मोरोपंत अथवा मयूर पंडित नावाने ओळखले जातात.
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अध्याय ७० वा - श्लोक २१ ते २५
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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एकनाथी भागवत - आरंभ
नाथमहाराजांचा हा प्रासादिक ग्रंथ परमपूज्य असल्याने यावर भक्तजनांची आदरबुद्धी आहे.
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भूमिखंडः - अध्यायः ६४
भगवान् नारायणाच्या नाभि-कमलातून, सृष्टि-रचयिता ब्रह्मदेवाने उत्पन्न झाल्यावर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञानाचा विस्तार केला, म्हणून ह्या पुराणास पद्म पुराण म्हणतात.
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विष्णुधर्माः - अध्याय ३८
विष्णुधर्माः
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मत्स्यपुराणम् - अध्यायः १४१
मत्स्य पुराणात सात कल्पांचे वर्णन असून हे पुराण नृसिंह वर्णनापासून सुरू होते.
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पूर्वभागः - अध्यायः ६६
अठरा पुराणांमध्ये भगवान् शंकराची महान महिमा लिंगपुराणात वर्णिलेली आहे. यात ११००० श्लोक आहेत. प्रथम योग आणि नंतर कल्प असे विवेचन गुरू वेदव्यास यांनी या पुराणात सांगितले आहे. हा शिव पुराणाच पूरक ग्रंथ आहे.
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विशेषव्रतपूजाः - बुधाष्टमीव्रतकथाः
सर्व जगतात हिंदू धर्माची व्याख्या होते ती, धर्मातील उपासना आणि उत्सवप्रियतेमुळे, आणि यांना जोड असते व्रत-वैकल्याची आणि धार्मिक पूजेची.
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