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पूलासकुरण्ड
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सिराबीज
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तण्डुलकिण्व
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उप्तगाढ
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वैकारिमत
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स्थूलपूलास
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शिरोबीज
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भार्यापति
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मृष्टलुञ्चित
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पूलासककुरण्ड
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शिञ्जाश्वत्थ
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शूद्रार्य
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दन्तोलूखलिक
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शब्दार्थ
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श्रीविष्णुपुराण - चतुर्थ अंश - अध्याय १०
भारतीय जीवन-धारा में पुराणों का महत्वपूर्ण स्थान है, पुराण भक्ति ग्रंथों के रूप में बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं।
The Vishnu Purana is a religious Hindu text and one of eighteen Puranas.
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कात्यायनस्मृतिः - उत्तराभासा उत्तरदोषा वा
स्मृतिग्रंथ म्हणजे धर्मशास्त्रावरील एक आवश्यक वचनांचा भाग.
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मनुष्यवर्गः - श्लोक ६९१ ते ७३०
अमरकोश में संज्ञा और उसके लिंगभेद का अनुशासन या शिक्षा है। अन्य संस्कृत कोशों की भांति अमरकोश भी छंदोबद्ध रचना है।
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द्वितीयकाण्डः - ६ ते १०
पैप्पलादसंहिता
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पूर्वभागः - अध्यायः ६७
अठरा पुराणांमध्ये भगवान् शंकराची महान महिमा लिंगपुराणात वर्णिलेली आहे. यात ११००० श्लोक आहेत. प्रथम योग आणि नंतर कल्प असे विवेचन गुरू वेदव्यास यांनी या पुराणात सांगितले आहे. हा शिव पुराणाच पूरक ग्रंथ आहे.
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मत्स्यपुराणम् - अध्यायः ५७
मत्स्य पुराणात सात कल्पांचे वर्णन असून हे पुराण नृसिंह वर्णनापासून सुरू होते.
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अजात
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अध्याय २१० - महादानानि
अग्निपुराणात त्रिदेव – ब्रह्मा, विष्णु, महेश आणि सूर्य ह्या देवतांसंबंधी पूजा-उपासनाचे वर्णन केलेले आहे.
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विश्वक्सेनासंहिता - सप्तमोऽध्याय:
विश्वक्सेनासंहिता
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मुखम्
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श्रीदुर्गासप्तशती - एकादशोऽध्याय:
श्रीदुर्गासप्तशती - एकादशोऽध्याय:
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नवमकाण्डः - ६ ते १०
पैप्पलादसंहिता
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ब्रह्मपुराणम् - अध्यायः १२
ब्रह्मपुराणास आदिपुराण म्हणतात. यात सृष्टीची उत्पती, पृथुचे पावन चरित्र, सूर्य आणि चन्द्रवंशाचे वर्णन, श्रीकृष्ण-चरित्र, कल्पान्तजीवी मार्कण्डेय मुनि चरित्र, तीर्थांचे माहात्म्य अशा अनेक भक्तिपुरक आख्यानांची सुन्दर चर्चा केलेली आहे.
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यन्त्रविधानं नामैकत्रिंशोऽध्यायः - ५१ ते १००
समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी।
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मार्कण्डेयपुराणम् - एकनवतितमोऽध्यायः
मार्कण्डेय पुराणात नऊ हजार श्लोकांचा संग्रह आहे.
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उत्तरस्थानम् - एकविंशोऽध्यायः
हिन्दू धर्मातील पवित्र आणि सर्वोच्च धर्मग्रन्थ वेदांतील मन्त्रांचे खण्ड म्हणजेच संहिता.
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हरिवंश पर्व - त्रिंशोऽध्यायः
महर्षी व्यासांनी रचलेला हा महाभारताचा पुरवणी ग्रंथ आहे.
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षोडशकाण्डः - ५१ ते ५५
पैप्पलादसंहिता
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षोडशकाण्डः - १३६ ते १४०
पैप्पलादसंहिता
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सार्थ श्रीमहाभारतसुभाषितानि - वचन ३२१ ते ३४०
लोकांचे अज्ञान नाहींसे होऊन, त्यांना ज्ञान प्राप्त व्हावें, ह्या हेतूनें श्रीभगवान् व्यास महर्षींनी महाभारत ग्रंथ निर्माण केला.
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सामन्
Meanings: 42; in Dictionaries: 4
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चतुर्थः भागः - मुखरोगाधिकारः
भावप्रकाशसंहिता
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शिशुपालवधम् - प्रकरण १८
संस्कृत महाकवी माघ रचित शिशुपालवधम् काव्य वाचल्याने साक्षात् महाभारतातील प्रसंग डोळ्यासमोर उभा राहतो.
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रक्तवहस्त्रोतस् - उपदंश
धर्म, अर्थ, काम आणि मोक्ष या चतुर्विध पुरूषार्थांच्या प्राप्तीकरितां आरोग्य हे अत्यंत आवश्यक असते.
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द्वापरयुगसन्तानः - अध्यायः २८
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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श्रीविष्णुपुराण - प्रथम अंश - अध्याय १७
भारतीय जीवन-धारा में पुराणों का महत्वपूर्ण स्थान है, पुराण भक्ति ग्रंथों के रूप में बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं।
The Vishnu Purana is a religious Hindu text and one of eighteen Poranas.
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राजनिघण्टु - अनुष्यादिवर्गः
नरहरि पन्डित रचित राजनिघण्टु ग्रंथ म्हणजे आयुर्वेदातील एक मैलाचा दगड.
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः १३८
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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गोष्ट एकोणसत्तरावी
संस्कृत नीतिकथांमध्ये पंचतंत्र कथांचे प्रथम स्थान मानले जाते.
The fascinating stories told by Vishnu Sharma, called Panchatantra.
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श्रीदुर्गासप्तशती - द्वितीयोऽध्याय:
श्रीदुर्गासप्तशती - द्वितीयोऽध्याय: Durga Saptashati
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गॄ
Meanings: 43; in Dictionaries: 4
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॥ अथ मुखरोगाणां निदानान्याह ॥
’ योगरत्नाकर ’ हा आयुर्वेदावरील मूळ प्राचीन ग्रंथ आहे.
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माधवनिदान - मुखरोगनिदान
" शरिरेंद्रिय-सर्वात्मा संयोगधारी जीवितम् " अशी जीवनाची आयुर्वेदीय, व्यापक व्याख्या आहे.
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः ५२९
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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आचारकाण्डः - अध्यायः ११५
विष्णू पुराणाचा एक भाग असलेल्या गरूड पुराणात मृत्यूनंतरच्या स्थितीबद्दलची चर्चा आहे, शिवाय श्रद्धाळू हिंदू धर्मीयांमध्ये मृत्यूनंतर जी विविध क्रिया कर्मे केली जातात, त्याला गरूडपुराणाची पार्श्वभूमी आहे.
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द्वितीयः भागः - अशोऽधिकारः
भावप्रकाशसंहिता
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