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परमेश्वरस्तुतिसारस्तोत्रम् - त्वमेकः शुद्धोऽसि त्वयि न...
देवी देवतांची स्तुती करताना म्हणावयाच्या रचना म्हणजेच स्तोत्रे. स्तोत्रे स्तुतीपर असल्याने, त्यांना कोणतेही वैदिक नियम नाहीत. स्तोत्रांचे पठण केल्याने इच्छित फल प्राप्त होते. In Hinduism, a Stotra is a hymn of praise, that praise aspects of Devi and Devtas. Stotras are invariably uttered aloud and consist of chanting verses conveying the glory and attributes of God.
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परमेश्वरस्तुतिसारस्तोत्रम् - त्वमेकः शुद्धोऽसि त्वयि न...
देवी देवतांची स्तुति केल्यास, ते प्रसन्न होऊन इच्छित फल प्राप्त होते.
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श्रीरामकृष्णाष्टकम् - विश्वस्य धाता पुरुषस्त्वम...
देवी देवतांची अष्टके आजारपण किंवा कांही घरगुती त्रास होत असल्यास घरीच देवासमोर म्हणण्याची ईश्वराची स्तुती होय.Traditionally,the ashtakam is recited in homes, when some one has health or any domestic problems.
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चतुःश्लोकी भागवत - श्लोक २३
एकनाथमहाराज कृत - चतुःश्लोकी भागवत
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द्वैराज्यम्
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
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अरुणाचलपञ्चरत्नम् - करुणापूर्णसुधाब्धे कबलितघ...
देवी देवतांची स्तुती करताना म्हणावयाच्या रचना म्हणजेच स्तोत्रे. स्तोत्रे स्तुतीपर असल्याने, त्यांना कोणतेही वैदिक नियम नाहीत. स्तोत्रांचे पठण केल्याने इच्छित फल प्राप्त होते. In Hinduism, a Stotra is a hymn of praise, that praise aspects of Devi and Devtas. Stotras are invariably uttered aloud and consist of chanting verses conveying the glory and attributes of God.
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अरुणाचलपञ्चरत्नम् - करुणापूर्णसुधाब्धे कबलितघ...
अरुणाचलपञ्चरत्नम्
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वाराह्यनुग्रहाष्टकम् - मातर्ज्जगद्रचननाटकसूत्रधा...
देवी देवतांची अष्टके आजारपण किंवा कांही घरगुती त्रास होत असल्यास घरीच देवासमोर म्हणण्याची ईश्वराची स्तुती होय.Traditionally,the ashtakam is recited in homes, when some one has health or any domestic problems.
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निर्दयः
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
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रूपकालंकारः - लक्षण १७
रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे.
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वाराह्यनुग्रहाष्टकम् - ईश्वर उवाच मातर्जगद्रचन-न...
देवी देवतांची अष्टके, आजारपण किंवा कांही घरगुती त्रास होत असल्यास घरीच देवासमोर म्हणण्याची ईश्वराची स्तुती होय. Traditionally,the ashtakam is recited in homes, when some one has health or any domestic problems.
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मृत्तिकासूक्तम् - भूमि-र्धेनुर्धरिणी लोकधार...
सूक्त चे चार भेद आहेत- देवता, ऋषि, छन्द आणि अर्थ.
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धाराह्यनुग्रहाष्टकम् - ईश्वर उवाच मातर्जगद्रचन- ...
देवी देवतांची अष्टके आजारपण किंवा कांही घरगुती त्रास होत असल्यास घरीच देवासमोर म्हणण्याची ईश्वराची स्तुती होय. Traditionally,the ashtakam is recited in homes, when some one has health or any domestic problems.
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आयोधनम्
Meanings: 4; in Dictionaries: 2
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परिसमाप्त
Meanings: 7; in Dictionaries: 3
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व्यपेक्ष
Meanings: 8; in Dictionaries: 3
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श्रीरामकृष्णस्तोत्रम् - ऊँ ह्रीं ऋतं त्वमचलो गुणज...
देवी देवतांची स्तुती करताना म्हणावयाच्या रचना म्हणजेच स्तोत्रे. स्तोत्रे स्तुतीपर असल्याने, त्यांना कोणतेही वैदिक नियम नाहीत. स्तोत्रांचे पठण केल्याने इच्छित फल प्राप्त होते. In Hinduism, a Stotra is a hymn of praise, that praise aspects of Devi and Devtas. Stotras are invariably uttered aloud and consist of chanting verses conveying the glory and attributes of God.
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दशमस्कन्धपरिच्छेदः - चतुरशीतितमदशकम्
श्रीनारायणके दूसरे रूप भगवान् श्रीकृष्णकी इस ग्रंथमे स्तुति की गयी है ।
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दशमस्कन्धपरिच्छेदः - अष्टसप्ततितमदशकम्
श्रीनारायणके दूसरे रूप भगवान् श्रीकृष्णकी इस ग्रंथमे स्तुति की गयी है ।
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कन्दुकस्तुतिः - श्रीमदानन्दतीर्थ-भगवत्पाद...
देवी देवतांची स्तुती करताना म्हणावयाच्या रचना म्हणजेच स्तोत्रे. स्तोत्रे स्तुतीपर असल्याने, त्यांना कोणतेही वैदिक नियम नाहीत. स्तोत्रांचे पठण केल्याने इच्छित फल प्राप्त होते. In Hinduism, a Stotra is a hymn of praise, that praise aspects of Devi and Devtas. Stotras are invariably uttered aloud and consist of chanting verses conveying the glory and attributes of God.
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गीतगोविन्दम् - चतुर्थः सर्गः - गीतम् ८
गीतगोविन्दम्
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उपदेशसाहस्री - उपदेश ४
भारतीय संस्कृतिच्या विकासात आद्य शंकराचार्यांचे विशेष योगदान आहे.
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परिकर अलंकारः - लक्षण ४
रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे.
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वरुणस्थापना व पूजा
दिपावली म्हणजे दीपोत्सव हा उत्सव साजरा करुन भोवतालचा अंधार नाहीसा करणे आणि प्रकाशाच्या वाटेने जाणे.
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विष्णोर्नाम गीता - भजन १०३
आरंभी सूत्रें अनष्टुप श्लोकाचें चरणरूप असून स्तुतिपर आहेत.
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एकनाथी भागवत - श्लोक २ रा
नाथमहाराजांचा हा प्रासादिक ग्रंथ परमपूज्य असल्याने यावर भक्तजनांची आदरबुद्धी आहे.
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विष्णोर्नाम गीता - भजन ७७
आरंभी सूत्रें अनष्टुप श्लोकाचें चरणरूप असून स्तुतिपर आहेत.
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अष्टावक्र गीता - अध्याय ५
Ashtavakra gita is a perfect moral of life. Gita has the essence of Hinduism, Hindu philosophy and a guide to peaceful life and ever lasting world peace.The Ashtavakra Gita is an Advaita Vedanta scripture which documents a dialogue between the Perfect Master Ashatavakra and Janaka, the King of Mithila.
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अण
Meanings: 3; in Dictionaries: 2
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अण्डीर
Meanings: 7; in Dictionaries: 3
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अनुकारिन्
Meanings: 6; in Dictionaries: 4
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अपहस्तित
Meanings: 4; in Dictionaries: 3
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विडम्बनम्
Meanings: 8; in Dictionaries: 2
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पाशानुद्भेदनाम षोडशं स्तोत्रम्
श्रीमदुत्पलदेवाचार्यविरचिता शिवस्तोत्रावली
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दशमस्कन्धपरिच्छेदः - एकषष्टितमदशकम्
श्रीनारायणके दूसरे रूप भगवान् श्रीकृष्णकी इस ग्रंथमे स्तुति की गयी है ।
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दशमस्कन्धपरिच्छेदः - अष्टपञ्चाशत्तमदशकम्
श्रीनारायणके दूसरे रूप भगवान् श्रीकृष्णकी इस ग्रंथमे स्तुति की गयी है ।
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दशमस्कन्धपरिच्छेदः - एकपञ्चाशत्तमदशकम्
श्रीनारायणके दूसरे रूप भगवान् श्रीकृष्णकी इस ग्रंथमे स्तुति की गयी है ।
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दशमस्कन्धपरिच्छेदः - सप्ततिमदशकम्
श्रीनारायणके दूसरे रूप भगवान् श्रीकृष्णकी इस ग्रंथमे स्तुति की गयी है ।
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दशमस्कन्धपरिच्छेदः - षट्चत्वारिंशत्तमदशकम्
श्रीनारायणके दूसरे रूप भगवान् श्रीकृष्णकी इस ग्रंथमे स्तुति की गयी है ।
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नवमस्कन्धपरिच्छेदः - त्रयस्त्रिंशत्तमदशकम्
श्रीनारायणके दूसरे रूप भगवान् श्रीकृष्णकी इस ग्रंथमे स्तुति की गयी है ।
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तृतीयस्कन्धपरिच्छेदः - अष्टमदशकम्
श्रीनारायणके दूसरे रूप भगवान् श्रीकृष्णकी इस ग्रंथमे स्तुति की गयी है ।
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तुल्ययोगिता अलंकारः - लक्षण २
रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे.
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विष्णोर्नाम गीता - भजन ५५
आरंभी सूत्रें अनष्टुप श्लोकाचें चरणरूप असून स्तुतिपर आहेत.
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विष्णोर्नाम गीता - भजन ८
आरंभी सूत्रें अनष्टुप श्लोकाचें चरणरूप असून स्तुतिपर आहेत.
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असंगति अलंकारः - लक्षण १
रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे.
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मेघदूत पूर्वमेघा - श्लोक ३६ ते ४०
"मेघदूत" की लोकप्रियता भारतीय साहित्य में प्राचीन काल से ही रही है।
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पूर्वमेघ - श्लोक १११ ते ११५
महाकवी कालिदास यांच्या मेघदूत काव्याचे मराठी समवृत्त व समश्लोकी भाषांतर.
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विष्णोर्नाम गीता - भजन ४६
आरंभी सूत्रें अनष्टुप श्लोकाचें चरणरूप असून स्तुतिपर आहेत.
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परिकर अलंकारः - लक्षण २
रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे.
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विष्णोर्नाम गीता - भजन ६५
आरंभी सूत्रें अनष्टुप श्लोकाचें चरणरूप असून स्तुतिपर आहेत.
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