-
समुपचि
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.05559013 | Lang: NA
-
चिरु
Meanings: 5; in Dictionaries: 4
Type: WORD | Rank: 0.0416926 | Lang: NA
-
अपचि
Meanings: 9; in Dictionaries: 3
Type: WORD | Rank: 0.02948111 | Lang: NA
-
परिचि
Meanings: 11; in Dictionaries: 2
Type: WORD | Rank: 0.02948111 | Lang: NA
-
dwindle
Meanings: 9; in Dictionaries: 5
Type: WORD | Rank: 0.02779506 | Lang: NA
-
lessen
Meanings: 12; in Dictionaries: 7
Type: WORD | Rank: 0.02432068 | Lang: NA
-
प्रचि
Meanings: 8; in Dictionaries: 3
Type: WORD | Rank: 0.02432068 | Lang: NA
-
diminish
Meanings: 21; in Dictionaries: 9
Type: WORD | Rank: 0.0208463 | Lang: NA
-
accumulate
Meanings: 22; in Dictionaries: 13
Type: WORD | Rank: 0.01737192 | Lang: NA
-
known
Meanings: 12; in Dictionaries: 7
Type: WORD | Rank: 0.01737192 | Lang: NA
-
augment
Meanings: 16; in Dictionaries: 6
Type: WORD | Rank: 0.01737192 | Lang: NA
-
उपचि
Meanings: 8; in Dictionaries: 3
Type: WORD | Rank: 0.01737192 | Lang: NA
-
कृषि
Meanings: 24; in Dictionaries: 8
Type: WORD | Rank: 0.01737192 | Lang: NA
-
पूर्वखण्डम् - द्वितीयोऽध्यायः
संहिता हिन्दू धर्मातील पवित्र आणि सर्वोच्च धर्मग्रन्थ वेदांतील मन्त्रांचे खण्ड होत.
Type: PAGE | Rank: 0.01474056 | Lang: NA
-
enlarge
Meanings: 14; in Dictionaries: 7
Type: WORD | Rank: 0.01389753 | Lang: NA
-
amount
Meanings: 26; in Dictionaries: 11
Type: WORD | Rank: 0.01389753 | Lang: NA
-
आचारकाण्डः - अध्यायः १६३
विष्णू पुराणाचा एक भाग असलेल्या गरूड पुराणात मृत्यूनंतरच्या स्थितीबद्दलची चर्चा आहे, शिवाय श्रद्धाळू हिंदू धर्मीयांमध्ये मृत्यूनंतर जी विविध क्रिया कर्मे केली जातात, त्याला गरूडपुराणाची पार्श्वभूमी आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.01389753 | Lang: NA
-
चि
Meanings: 31; in Dictionaries: 6
Type: WORD | Rank: 0.01389753 | Lang: NA
-
प्रतियोगिता
Meanings: 20; in Dictionaries: 6
Type: WORD | Rank: 0.01389753 | Lang: NA
-
gather
Meanings: 24; in Dictionaries: 6
Type: WORD | Rank: 0.01216034 | Lang: NA
-
माधवनिदान - मेदोरोगनिदान
" शरिरेंद्रिय-सर्वात्मा संयोगधारी जीवितम् " अशी जीवनाची आयुर्वेदीय, व्यापक व्याख्या आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.01216034 | Lang: NA
-
improve
Meanings: 18; in Dictionaries: 9
Type: WORD | Rank: 0.01216034 | Lang: NA
-
उत्तरस्थानम् - एकत्रिंशोऽध्यायः
हिन्दू धर्मातील पवित्र आणि सर्वोच्च धर्मग्रन्थ वेदांतील मन्त्रांचे खण्ड म्हणजेच संहिता.
Type: PAGE | Rank: 0.01216034 | Lang: NA
-
अपदेशप्रवाहवीचयः - सुभाषित १९६१ - १९८०
सुभाषित म्हणजे आदर्श वचन. सुभाषित गद्य किंवा पद्यात असतात. Subhashita means good speech.
Type: PAGE | Rank: 0.01042315 | Lang: NA
-
ground
Meanings: 45; in Dictionaries: 13
Type: WORD | Rank: 0.01042315 | Lang: NA
-
grow
Meanings: 19; in Dictionaries: 5
Type: WORD | Rank: 0.01042315 | Lang: NA
-
fail
Meanings: 25; in Dictionaries: 6
Type: WORD | Rank: 0.01042315 | Lang: NA
-
increase
Meanings: 29; in Dictionaries: 8
Type: WORD | Rank: 0.01042315 | Lang: NA
-
prove
Meanings: 26; in Dictionaries: 9
Type: WORD | Rank: 0.01042315 | Lang: NA
-
decline
Meanings: 25; in Dictionaries: 7
Type: WORD | Rank: 0.01042315 | Lang: NA
-
waste
Meanings: 66; in Dictionaries: 15
Type: WORD | Rank: 0.01042315 | Lang: NA
-
क्षेत्रम्
Meanings: 58; in Dictionaries: 2
Type: WORD | Rank: 0.01042315 | Lang: NA
-
सूत्रस्थानम् - द्वादशोऽध्यायः
हिन्दू धर्मातील पवित्र आणि सर्वोच्च धर्मग्रन्थ वेदांतील मन्त्रांचे खण्ड म्हणजेच संहिता.
Type: PAGE | Rank: 0.009827038 | Lang: NA
-
॥ अथ ग्रन्थान्तरे बहुमूत्रमेहनिदानम् ॥
’ योगरत्नाकर ’ हा आयुर्वेदावरील मूळ प्राचीन ग्रंथ आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.008685958 | Lang: NA
-
उत्तरस्थान - अध्याय ८
आयुर्वेदातील अष्टांग हृदय प्रसिद्ध ग्रंथ आहे. याचे रचनाकार आहेत, वाग्भट. या ग्रंथाचा रचनाकाल ई.पू.५०० ते ई.पू.२५० मानतात. या ग्रंथात औषधि आणि शल्यचिकित्सा दोन्हींचाही समावेश आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.008685958 | Lang: NA
-
निदानस्थानम् - त्रयोदशोऽध्यायः
हिन्दू धर्मातील पवित्र आणि सर्वोच्च धर्मग्रन्थ वेदांतील मन्त्रांचे खण्ड म्हणजेच संहिता.
Type: PAGE | Rank: 0.008685958 | Lang: NA
-
उत्तरस्थान - अध्याय ३१
आयुर्वेदातील अष्टांग हृदय प्रसिद्ध ग्रंथ आहे. याचे रचनाकार आहेत, वाग्भट. या ग्रंथाचा रचनाकाल ई.पू.५०० ते ई.पू.२५० मानतात. या ग्रंथात औषधि आणि शल्यचिकित्सा दोन्हींचाही समावेश आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.008685958 | Lang: NA
-
सूत्रस्थान - अध्याय १२
आयुर्वेदातील अष्टांग हृदय प्रसिद्ध ग्रंथ आहे. याचे रचनाकार आहेत, वाग्भट. या ग्रंथाचा रचनाकाल ई.पू.५०० ते ई.पू.२५० मानतात. या ग्रंथात औषधि आणि शल्यचिकित्सा दोन्हींचाही समावेश आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.008598658 | Lang: NA
-
मेदोवहस्त्रोतस - मेदोरोग
धर्म, अर्थ, काम आणि मोक्ष या चतुर्विध पुरूषार्थांच्या प्राप्तीकरितां आरोग्य हे अत्यंत आवश्यक असते.
Type: PAGE | Rank: 0.006948766 | Lang: NA
-
॥ अथ विसर्पनिदानमाह ॥
’ योगरत्नाकर ’ हा आयुर्वेदावरील मूळ प्राचीन ग्रंथ आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.006948766 | Lang: NA
-
तृतीयः भागः - स्थौल्याधिकारः
भावप्रकाशसंहिता
Type: PAGE | Rank: 0.006948766 | Lang: NA
-
उत्तरस्थान - अध्याय २८
आयुर्वेदातील अष्टांग हृदय प्रसिद्ध ग्रंथ आहे. याचे रचनाकार आहेत, वाग्भट. या ग्रंथाचा रचनाकाल ई.पू.५०० ते ई.पू.२५० मानतात. या ग्रंथात औषधि आणि शल्यचिकित्सा दोन्हींचाही समावेश आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.006948766 | Lang: NA
-
मुण्डकोपनिषत्
जन्ममरणाचे निवारण करून ब्रह्मपदाला पोचविणारी विद्या म्हणजे उपनिषद् .
Upanishad are highly philosophical and metaphysical part of Vedas.
Type: PAGE | Rank: 0.00608017 | Lang: NA
-
निदानस्थान - अध्याय १३
आयुर्वेदातील अष्टांग हृदय प्रसिद्ध ग्रंथ आहे. याचे रचनाकार आहेत, वाग्भट. या ग्रंथाचा रचनाकाल ई.पू.५०० ते ई.पू.२५० मानतात. या ग्रंथात औषधि आणि शल्यचिकित्सा दोन्हींचाही समावेश आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.00608017 | Lang: NA
-
प्रथमः भागः - प्रकरणम् ५
भावप्रकाशसंहिता
Type: PAGE | Rank: 0.006017807 | Lang: NA
-
प्रथमः भागः - प्रकरणम् ४
भावप्रकाशसंहिता
Type: PAGE | Rank: 0.005265581 | Lang: NA
-
चतुर्थः भागः - मुखरोगाधिकारः
भावप्रकाशसंहिता
Type: PAGE | Rank: 0.005211574 | Lang: NA
-
त्रेतायुगसन्तानः - अध्यायः ३८
लक्ष्मीनारायणसंहिता
Type: PAGE | Rank: 0.005211574 | Lang: NA
-
चतुर्थः भागः - नेत्ररोगाधिकारः
भावप्रकाशसंहिता
Type: PAGE | Rank: 0.004342979 | Lang: NA
-
रक्तवहस्त्रोतस् - विसप
धर्म, अर्थ, काम आणि मोक्ष या चतुर्विध पुरूषार्थांच्या प्राप्तीकरितां आरोग्य हे अत्यंत आवश्यक असते.
Type: PAGE | Rank: 0.003474383 | Lang: NA