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कावेर्यष्टोत्तरशतनामानि

कावेर्यष्टोत्तरशतनामानि

अष्टोत्तरशतनामावलिः म्हणजे देवी देवतांची एकशे आठ नावे, जी जप करताना म्हणावयाची असतात. नावे घेताना १०८ मण्यांची जपमाळ वापरतात.
Ashtottara shatanamavali means 108 names of almighty God and Godess.


ॐ अनन्त-गुण-गम्भीरायै नमः ॥
ॐ अर्कपुष्कर-सेवितायै नमः ॥
ॐ अमृतस्वादु-सलिलायै नमः ॥
ॐ अगस्त्यमुनि-नायक्यै नमः ॥
ॐ आशान्त-कीर्ति-तिलकायै नमः ॥ ५।
ॐ आशुगागम-वर्द्धिन्यै नमः ॥
ॐ इतिहास-पुराणोक्तायै नमः ॥
ॐ ईतिबाधा-निवारिण्यै नमः ॥
ॐ उन्मत्तजन-दूरस्थायै नमः ॥
ॐ ऊर्जितानन्द-दायिन्यै नमः ॥ १०।
ॐ ऋषिसङ्घ-सुसंवीतायै नमः ॥
ॐ ऋणत्रय-विमोचनायै नमः ॥
ॐ लुप्त-धर्म-जनोद्धारायै ल्
ॐ लूनभाव-विवर्जितायै नमः ॥
ॐ एदिताखिल-लोकश्रियै नमः ॥ १५।
ॐ ऐहिकामुष्मिक-प्रदायै नमः ॥
ॐ ओङ्कारनाद-निनदायै नमः ॥
ॐ ओषधीकृत-जीवनायै नमः ॥
ॐ औदार्यगुण-निर्दिष्टायै नमः ॥
ॐ औदासीन्य-निवारिण्यै नमः ॥ २०।
ॐ अन्तःकरण-संसेव्यायै नमः ॥
ॐ अच्छ-स्वच्छ-जलाश्रयायै नमः ॥
ॐ कपिलाख्य-नदी-स्निग्धायै नमः ॥
ॐ करुणा-पूर्ण-मानसायै नमः ॥
ॐ कावेरी-नाम-विख्यातायै नमः ॥ २५।
ॐ कामितार्थ-फल-प्रदायै नमः ॥
ॐ कुम्बकोण-क्षेत्र-नाथायै नमः ॥
ॐ कौतुकप्रथम-प्रभायै नमः ॥
ॐ खगराज-रथोत्साह-रङ्गस्थल-सुशोभितायै नमः ॥
ॐ खगावळि-समाक्रान्त-कल्लोलावळि-मण्डितायै नमः ॥ ३०।
ॐ गजारण्य-सुविस्तीर्ण-प्रवाह-जनमोहिन्यै नमः ॥
ॐ गायत्र्याख्य-शिला-मद्ध्यायै नमः ॥
ॐ गरुडासन-भक्तिदायै नमः ॥
ॐ घन-गम्भीर-निनद-निर्जरप्राप्त-निर्झरायै नमः ॥
ॐ चन्द्रपुष्कर-मध्यस्थायै नमः ॥ ३५।
ॐ चतुरानन-पुत्रिकायै नमः ॥
ॐ चोलदेस-जनोद्धार-ग्रीष्मकाल-प्रवाहिन्यै नमः ॥
ॐ चुञ्चक्षेत्र-समानीतायै नमः ॥
ॐ छद्मदोष-निवारिण्यै नमः ॥
ॐ जम्बूद्वीप-सरिच्छ्रेष्ठ-नदी-नद-गरीयस्यै नमः ॥ ४०।
ॐ झङ्कारनाद-संस्पृष्ट-षट्पदाळि-समाकुलायै नमः ॥
ॐ ज्ञानैक-साधन-परयै नमः ॥
ॐ ञप्तिमात्रर्ति-हारिण्यै नमः ॥
ॐ टिट्टिभारावस-व्याज-दिविज-स्तुति-पात्रिण्यै नमः ॥
ॐ ठङ्कारनाद-सम्भेद-झर्झरीकृत-पर्वतायै नमः ॥ ४५।
ॐ डाकिनी-शाकिनी-सङ्घनी-वारण-सरित्तटायैनमः ॥
ॐ ढक्का-निनाद-वारीण-पार्वतीश-समाश्रितायै नमः ॥
ॐ णान्तवाच्य-द्विजाष्टाङ्गयोग-साधन-तत्परायै नमः ॥
ॐ तरङ्गावलि-संविद्ध-मृदु-वालुक-शोभितायै नमः ॥
ॐ तपस्विजन-सत्कार-निवेशित-शिलासनायै नमः ॥ ५०।
ॐ तापत्रय-तरून्मूल-गङ्गादिभिरभिष्टुतायै नमः ॥
ॐ धान्त-प्रमथ-संसेव्य-साम्भ-सान्निध्य-कारिण्यै नमः ॥
ॐ दया-दाक्षिण्य-सत्कारशील-लोक-सुभावितायै नमः ॥
ॐ दाक्षिणात्य-जनोद्धार-निर्विचार-दयान्वितायै नमः ॥
ॐ धन-मान-मदान्धादि-मर्त्य-निर्वर्तन-प्रियायै नमः ॥ ५५।
ॐ नमज्जनोद्धार-शीलायै नमः ॥
ॐ निमज्जज्जन-पावनायै नमः ॥
ॐ नागारिकेतु-निलयायै नमः ॥
ॐ नाना-तीर्थाधि-देवतायै नमः ॥
ॐ नारीजन-मनोल्लासायै नमः ॥ ६०।
ॐ नानारूप-फल-प्रदायै नमः ॥
ॐ नारायण-कृपा-रूपायै नमः ॥
ॐ नादब्रह्म-स्वरूपिण्यै नमः ॥
ॐ पराभूत-समस्ताघायै नमः ॥
ॐ पशु-पक्ष्यादि-जीवनायै नमः ॥ ६५।
ॐ पापतूलाग्नि-सदृशायै नमः ॥
ॐ पापिष्ठजन-पावनायै नमः ॥
ॐ फणीन्द्र-कीर्तित-कलायै नमः ॥
ॐ फलदान-परायणायै नमः ॥
ॐ बहुजन्म-तपो-योग-फलसंप्राप्त-दर्शनायै नमः ॥ ७०।
ॐ बाहुरूप-द्विपार्श्वस्थ-स्वमातृक-जलार्थिनां
       कलमक्षेत्र-शाल्यन्न-दान-निर्जित-वित्तपायै नमः ॥
ॐ भगवत्कृत-संतोषायै नमः ॥
ॐ भास्करक्षेत्र-गामिन्यै नमः ॥
ॐ भागीरती-समाक्रन्त-तुलामास-जलाश्रयायै नमः ॥
ॐ मज्जद्दुर्जन-प्राग्जन्म-दुर्जयांहः प्रमार्जन्यै नमः ॥ ७५।
ॐ माघ-वैशाकादि-मास-स्नान-स्मरण-सौख्यदायै नमः ॥
ॐ यज्ञ-दान-तपः-कर्मकोटि-पुण्य-फल-प्रदायै नमः ॥
ॐ यक्ष-गन्धर्व-सिद्धाद्यैरभिष्टुत-पदद्वयायै नमः ॥
ॐ रघुनाथ-पदद्वन्द्व-विराजित-शिलातलायै नमः ॥
ॐ रामनाथपुरक्षेत्र-कामधेनु-समाश्रितायै नमः ॥ ८०।
ॐ लवोदक-स्पर्शमात्र-निर्वण-पद-दायिन्यै नमः ॥
ॐ लक्ष्मी-निवास-सदनायै नमः ॥
ॐ ललना-रत्न-रूपिण्यै नमः ॥
ॐ लघूकृत-स्वर्ग-भोगायै नमः ॥
ॐ लावण्य-गुण-सागरायै नमः ॥ ८५।
ॐ वह्निपुष्कर-सान्निद्ध्यायै नमः ॥
ॐ वन्दिताखिल-लोकपायै नमः ॥
ॐ व्याघ्रपाद-क्षेत्र-परायै नमः ॥
ॐ व्योमयान-समावृतायै नमः ॥
ॐ षट्काल-वन्द्य-चरणायै नमः ॥ ९०।
ॐ षट्कर्म-निरत-प्रियायै नमः ॥
ॐ षडास्य-मातृ-संसेव्यायै नमः ॥
ॐ षडूर्मि-जित-सोर्मिकायै नमः ॥
ॐ सकृत्स्मरण-संशुद्ध-तापत्रय-जनाश्रितायै नमः ॥
ॐ सज्जनोद्धार-सन्धानसमर्थ-स्व-प्रवाहिन्यै नमः ॥ ९५।
ॐ सरस्वत्यादि-देवीभिरभिवन्दित-निर्झरायै नमः ॥
ॐ सह्यशैल-समुद्भूतायै नमः ॥
ॐ सह्यासह्य-जन-प्रियायै नमः ॥
ॐ सङ्गमक्षेत्र-सामीप्यायै नमः ॥
ॐ स्ववशार्थ-चतुष्टयायै नमः ॥ १००।
ॐ सौभरिक्षेत्र-निलयायै नमः ॥
ॐ सौभाग्य-फल-दायिन्यै नमः ॥
ॐ संशयाविष्ट-दूरस्थायै नमः ॥
ॐ साङ्गोपाङ्ग-फलोदयायै नमः ॥
ॐ हरि-ब्रह्मेश-लोकेश-सिद्धबृन्दार-वन्दितायै नमः ॥ १०५।
ॐ क्षेत्र-तीर्थादि-सीमान्तायै नमः ॥
ॐ क्षपानाथ-सुशीतलायै नमः ॥
ॐ क्षमातलाखिलानन्द-क्षेम-श्री-विजयावहायै नमः ॥ १०८।
    
॥इति कावेर्यष्टोत्तरशत नामावलिः ॥

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Last Updated : November 11, 2016

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