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श्रीरामदासस्वामींची आरती - ओंवाळू आरती सद्गुरु रामदा...
आरती श्रीरामदासस्वामींची. Prayer to Swami Ramdas.
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दासबोध
Dasbodh is a religious book written by Samarth Ramdas Swami, a Hindu saint during 17th century AD.
As per Hindu spirituality, one gets a human life after going through many incarnations of various other creatures, and possibly after hundreds of years. Dasbodh guides one to utilise the rare opportunity of the human life to live life meaningfully and pursue the purpose of human life. It explains multiple facets of this world and the variety of life in it. The scripture guides man to follow the path of devotion to God . The path prescribed by the author is called bhakti marg , meaning devotional way to reach God . It is claimed that, this path is the sure method to achieve true self-realisation. Dasbodh is a guide for meaningful living by human form of life.lt guides one to utilise this rare opportunity to employ his living between birth and death meaningfully and achieve the mission of human life. It explains multiple facets of this world and variety of creatures and guides the man to follow the path of Devotion to the God which is called as BHAKTI MARG . a sure method to achieve self realisation and realisation of True Self. It answers fundamental question WHO AM I / by demonstrating that HE IS I and advises the man to enjoy the bliss of Great Joy of experiencing the meeting of "human life ' and universal life. the life force "within" and "life force " every where. Shri Samarth Ramdas Swami, opened up the revelation , he got by self experience for benefit of Devotees! It gives full guidance to achieve salvation and liberation. It propogates the concept of Unity of Man and God and teaches the way for "incomplete man and to travel towards Complete whole Supreme Being and eventually merge with Supreme.
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प्रासंगिक कविता - प्रसंग १
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करुणाष्टके
करुणाष्टके म्हणजे करुणाघन परमेश्वरास प्रेमभराने आळविणारी कविता. आपल्या दुर्गुणाची आठवण होऊन अनुतापयुक्त जे छंदोबद्ध उद्गार मुखावाटे बाहेर पडतात, ती करुणाष्टके होत. श्रीसमर्थ रामदासस्वामींच्या या करुणाष्टकांत करुणरस ओतप्रेत भरलेला आहे. ही करुणाष्टके म्हणताना बाह्यसृष्टि विसरुन जाऊन अर्थाबरोबर मनाने रमावे. "Karunashtake" are the poems by Swami Ramdas depicting Karunya Rasa to forget yourself in true devotion of Lord Rama.
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समास पांचवां - पंचप्रलयनिरूपणनाम
‘संसार-प्रपंच-परमार्थ’ का अचूक एवं यथार्थ मार्गदर्शन समर्थ रामदास लिखीत दासबोध में है ।
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समास छठवां - सृष्टिकथननाम
‘संसार-प्रपंच-परमार्थ’ का अचूक एवं यथार्थ मार्गदर्शन समर्थ रामदास लिखीत दासबोध में है ।
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समास तीसरा - चतुर्दशब्रह्मनिरूपणनाम
‘संसार-प्रपंच-परमार्थ’ का अचूक एवं यथार्थ मार्गदर्शन समर्थ रामदास लिखीत दासबोध में है ।
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समास छठवां - भ्रमनिरूपणनाम
‘संसार-प्रपंच-परमार्थ’ का अचूक एवं यथार्थ मार्गदर्शन समर्थ रामदास लिखीत दासबोध में है ।
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श्री रामदासस्वामीं विरचित - मानपंचक
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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पंचीकरण - अभंग ८६ ते ९०
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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समास छठवां - दुश्चितनिरूपणनाम
‘संसार-प्रपंच-परमार्थ’ का अचूक एवं यथार्थ मार्गदर्शन समर्थ रामदास लिखीत दासबोध में है ।
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पंचक - निश्चयपंचक
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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समास चौथा पादसेवनभक्तिनिरुपणनाम
‘संसार-प्रपंच-परमार्थ’ का अचूक एवं यथार्थ मार्गदर्शन समर्थ रामदास लिखीत दासबोध में है ।
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समास पांचवां बहुधाज्ञाननाम
‘संसार-प्रपंच-परमार्थ’ का अचूक एवं यथार्थ मार्गदर्शन समर्थ रामदास लिखीत दासबोध में है ।
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दशक पांचवा - मंत्रांचा
दशक पांचवा - मंत्रांचा
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समास दसवां बैराग्यनिरूपणनाम
‘संसार-प्रपंच-परमार्थ’ का अचूक एवं यथार्थ मार्गदर्शन समर्थ रामदास लिखीत दासबोध में है ।
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समास चौथा - अनुमाननिरसननाम
‘संसार-प्रपंच-परमार्थ’ का अचूक एवं यथार्थ मार्गदर्शन समर्थ रामदास लिखीत दासबोध में है ।
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समास पांचवा सगुणपरीक्षानिरुपणनाम
‘संसार-प्रपंच-परमार्थ’ का अचूक एवं यथार्थ मार्गदर्शन समर्थ रामदास लिखीत दासबोध में है ।
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समास पहला - निस्पृहलक्षणनाम
‘संसार-प्रपंच-परमार्थ’ का अचूक एवं यथार्थ मार्गदर्शन समर्थ रामदास लिखीत दासबोध में है ।
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समास आठवां - देहक्षेत्रनिरूपणनाम
‘संसार-प्रपंच-परमार्थ’ का अचूक एवं यथार्थ मार्गदर्शन समर्थ रामदास लिखीत दासबोध में है ।
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दशक दुसरा - मूर्खलक्षणांचा
दशक दुसरा - मूर्खलक्षणांचा
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पंचीकरण - अभंग १२१ ते १२५
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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पंचमान - मान १
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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पंचक - ज्ञानपंचक
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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स्फुट अभंग - वैराग्यशतक
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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समास पांचवां - अजपानिरूपणनाम
‘संसार-प्रपंच-परमार्थ’ का अचूक एवं यथार्थ मार्गदर्शन समर्थ रामदास लिखीत दासबोध में है ।
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श्री रामदासस्वामीं विरचित - मानसपूजा
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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पंचक - अर्थसार्थपंचक
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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षड्रिपुविवेचन - दंभनिरूपण
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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समास नववां - नानाउपासनानिरूपणनाम
‘संसार-प्रपंच-परमार्थ’ का अचूक एवं यथार्थ मार्गदर्शन समर्थ रामदास लिखीत दासबोध में है ।
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समास तीसरा - सूक्ष्मआशंकानाम
‘संसार-प्रपंच-परमार्थ’ का अचूक एवं यथार्थ मार्गदर्शन समर्थ रामदास लिखीत दासबोध में है ।
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समास दसवां - सिकवणनिरूपणनामः
‘संसार-प्रपंच-परमार्थ’ का अचूक एवं यथार्थ मार्गदर्शन समर्थ रामदास लिखीत दासबोध में है ।
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समास दसवां - गुणभूतनिरूपणनाम
‘संसार-प्रपंच-परमार्थ’ का अचूक एवं यथार्थ मार्गदर्शन समर्थ रामदास लिखीत दासबोध में है ।
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समास सातवां - यत्ननिरूपणनाम
‘संसार-प्रपंच-परमार्थ’ का अचूक एवं यथार्थ मार्गदर्शन समर्थ रामदास लिखीत दासबोध में है ।
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समास नववां- येत्नसिकवणनाम
‘संसार-प्रपंच-परमार्थ’ का अचूक एवं यथार्थ मार्गदर्शन समर्थ रामदास लिखीत दासबोध में है ।
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स्फुट अभंग - बाळक्रीडा
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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समास तीसरा शिष्यलक्षणनाम
‘संसार-प्रपंच-परमार्थ’ का अचूक एवं यथार्थ मार्गदर्शन समर्थ रामदास लिखीत दासबोध में है ।
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समास पांचवा - स्थूलपंचमहाभूत स्वरूपाकाशभेदो नाम
‘संसार-प्रपंच-परमार्थ’ का अचूक एवं यथार्थ मार्गदर्शन समर्थ रामदास लिखीत दासबोध में है ।
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दशक तिसरा - सगुणपरीक्षा
दशक तिसरा - सगुणपरीक्षा
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पंचक - गंधपंचक
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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समास दूसरा - सर्वज्ञसंगनिरूपणनाम
‘संसार-प्रपंच-परमार्थ’ का अचूक एवं यथार्थ मार्गदर्शन समर्थ रामदास लिखीत दासबोध में है ।
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समास दसवां - श्रोताअवलक्षणनिरूपणनाम
‘संसार-प्रपंच-परमार्थ’ का अचूक एवं यथार्थ मार्गदर्शन समर्थ रामदास लिखीत दासबोध में है ।
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पंचक - बंधनपंचक
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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समास चौथा - सूक्ष्मपंचभूतनिरूपणनाम
‘संसार-प्रपंच-परमार्थ’ का अचूक एवं यथार्थ मार्गदर्शन समर्थ रामदास लिखीत दासबोध में है ।
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समास नववां आत्मनिवेदनभक्तिनाम
‘संसार-प्रपंच-परमार्थ’ का अचूक एवं यथार्थ मार्गदर्शन समर्थ रामदास लिखीत दासबोध में है ।
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समास सातवां - चंचलनदीनिरूपणनाम
‘संसार-प्रपंच-परमार्थ’ का अचूक एवं यथार्थ मार्गदर्शन समर्थ रामदास लिखीत दासबोध में है ।
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समास छठवां तमोगुणलक्षणनाम
‘संसार-प्रपंच-परमार्थ’ का अचूक एवं यथार्थ मार्गदर्शन समर्थ रामदास लिखीत दासबोध में है ।
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समास पहला - पूर्णापूर्णनिरूपणनाम
‘संसार-प्रपंच-परमार्थ’ का अचूक एवं यथार्थ मार्गदर्शन समर्थ रामदास लिखीत दासबोध में है ।
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समास आठवां - कालरूपनाम
‘संसार-प्रपंच-परमार्थ’ का अचूक एवं यथार्थ मार्गदर्शन समर्थ रामदास लिखीत दासबोध में है ।
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समास चौथा - सदेवलक्षणनिरूपणनाम
‘संसार-प्रपंच-परमार्थ’ का अचूक एवं यथार्थ मार्गदर्शन समर्थ रामदास लिखीत दासबोध में है ।
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