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దీపదానం
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दीपदान
Meanings: 4; in Dictionaries: 3
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ਦੀਪ-ਦਾਨ
Meanings: 3; in Dictionaries: 1
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ദീപദാനം
Meanings: 3; in Dictionaries: 1
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দীপদান
Meanings: 4; in Dictionaries: 1
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ଦୀପଦାନ
Meanings: 4; in Dictionaries: 1
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दीप-दान
Meanings: 4; in Dictionaries: 1
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कार्तिक कृष्णपक्ष व्रत - दीपदान
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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धनत्रयोदशी - यम-दीपदान
दीपावली के पाँचो दिन की जानेवाली साधनाएँ तथा पूजाविधि कम प्रयास में अधिक फल देने वाली होती होती है और प्रयोगों मे अभूतपूर्व सफलता प्राप्त होती है ।
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कार्तिक कृष्णपक्ष व्रत - यम दीपदान
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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தீபமேற்றல்
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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தீபம் ஏற்றுதல்
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
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દીપ-દાન
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
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दिपदान
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
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દીપદાન
Meanings: 4; in Dictionaries: 1
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एकनाथी भागवत - श्लोक ३३ वा
नाथमहाराजांचा हा प्रासादिक ग्रंथ परमपूज्य असल्याने यावर भक्तजनांची आदरबुद्धी आहे.
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धनत्रयोदशी
Meanings: 5; in Dictionaries: 5
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लक्षवर्तिप्रदानव्रत
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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वृद्धगार्ग्य
Meanings: 4; in Dictionaries: 3
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दीपमाला
Meanings: 10; in Dictionaries: 7
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रूपचतुर्दशी - महत्व
दीपावली के पाँचो दिन की जानेवाली साधनाएँ तथा पूजाविधि कम प्रयास में अधिक फल देने वाली होती होती है और प्रयोगों मे अभूतपूर्व सफलता प्राप्त होती है ।
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धर्मसिंधु - लक्ष्मीपूजनोत्सव
हिंदूंचे ऐहिक, धार्मिक, नैतिक अशा विषयात नियंत्रण करावे आणि त्यांना इह-परलोकी सुखाची प्राप्ती व्हावी ह्याच अत्यंत उदात्त हेतूने प्रेरित होउन श्री. काशीनाथशास्त्री उपाध्याय यांनी ’धर्मसिंधु’ हा ग्रंथ रचला आहे. This 'Dharmasindhu' grantha was written by Pt. Kashinathashastree Upadhyay, in the year 1790-91.
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कार्तिक माहात्म्य - अध्याय ३४
कार्तिक माहात्म्य वाचल्याने गतजन्मातील पापे नष्ट होतात.
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खंड ८ - अध्याय ३०
मुद्गल पुराणात श्री गणेशाच्या आठ अवतारांचे वर्णन आहे.
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कार्तिक माहात्म्य - अध्याय २८
कार्तिक माहात्म्य वाचल्याने गतजन्मातील पापे नष्ट होतात.
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धर्मसिंधु - उदकुंभ श्राद्ध
हिंदूंचे ऐहिक, धार्मिक, नैतिक अशा विषयात नियंत्रण करावे आणि त्यांना इह-परलोकी सुखाची प्राप्ती व्हावी ह्याच अत्यंत उदात्त हेतूने प्रेरित होउन श्री. काशीनाथशास्त्री उपाध्याय यांनी ’धर्मसिंधु’ हा ग्रंथ रचला आहे.
This 'Dharmasindhu' grantha was written by Pt. Kashinathashastree Upadhyay, in the year 1790-91.
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खंड ८ - अध्याय २२
मुद्गल पुराणात श्री गणेशाच्या आठ अवतारांचे वर्णन आहे.
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धनत्रयोदशी - महत्व
दीपावली के पाँचो दिन की जानेवाली साधनाएँ तथा पूजाविधि कम प्रयास में अधिक फल देने वाली होती होती है और प्रयोगों मे अभूतपूर्व सफलता प्राप्त होती है ।
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मन्त्रमहोदधि - सप्तदश तरङ्ग
`मन्त्रमहोदधि' इस ग्रंथमें अनेक मंत्रोंका समावेश है, जो आद्य माना जाता है।
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धर्मसिंधु - पाथेय श्राद्ध
हिंदूंचे ऐहिक, धार्मिक, नैतिक अशा विषयात नियंत्रण करावे आणि त्यांना इह-परलोकी सुखाची प्राप्ती व्हावी ह्याच अत्यंत उदात्त हेतूने प्रेरित होउन श्री. काशीनाथशास्त्री उपाध्याय यांनी ’धर्मसिंधु’ हा ग्रंथ रचला आहे.
This 'Dharmasindhu' grantha was written by Pt. Kashinathashastree Upadhyay, in the year 1790-91.
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कार्तिक पौर्णिमा
Kartika Purnima
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कार्तिक शु. प्रतिपदा
Kartika shudha Pratipada
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श्री कृष्णा माहात्म्य - अध्याय ४४
विष्णूंच्या चरणांपासून कृष्णा नदी उत्पन्न झाली म्हणून तिचे पाणी विष्णुपादोदक आहे. त्यामुळे गंगेपेक्षाही तिचे महत्त्व अधिक आहे.
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कार्तिक शुक्लपक्ष व्रत - कार्तिकी
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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धर्मसिंधु - मृतयतीचा संस्कार
हिंदूंचे ऐहिक, धार्मिक, नैतिक अशा विषयात नियंत्रण करावे आणि त्यांना इह-परलोकी सुखाची प्राप्ती व्हावी ह्याच अत्यंत उदात्त हेतूने प्रेरित होउन श्री. काशीनाथशास्त्री उपाध्याय यांनी ’धर्मसिंधु’ हा ग्रंथ रचला आहे.
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अध्याय दसवाँ - श्लोक १ से २०
देवताओंके शिल्पी विश्वकर्माने, देवगणोंके निवासके लिए जो वास्तुशास्त्र रचा, ये वही ’ विश्वकर्मप्रकाश ’ वास्तुशास्त्र है ।
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आश्विन व. चतुर्दशी
Ashvina vadya Chaturdashi
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रूपचतुर्दशी - उबटन से स्नान
दीपावली के पाँचो दिन की जानेवाली साधनाएँ तथा पूजाविधि कम प्रयास में अधिक फल देने वाली होती होती है और प्रयोगों मे अभूतपूर्व सफलता प्राप्त होती है ।
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प्रथम परिच्छेद - मेषादिसंक्रांतींची दानें
निर्णयसिंधु ग्रंथामध्ये कोणत्या कर्माचा कोणता काल, याचा मुख्यत्वेकरून निर्णय केलेला आहे.
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अधिकमास माहात्म्य - अध्याय सहावा
अधिकमास माहात्म्य - अध्याय सहावा
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अधिकमास माहात्म्य - अध्याय सातवा
अधिकमास माहात्म्य - अध्याय सातवा
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धर्मसिंधु - नरकचतुर्दशी
हिंदूंचे ऐहिक, धार्मिक, नैतिक अशा विषयात नियंत्रण करावे आणि त्यांना इह-परलोकी सुखाची प्राप्ती व्हावी ह्याच अत्यंत उदात्त हेतूने प्रेरित होउन श्री. काशीनाथशास्त्री उपाध्याय यांनी ’धर्मसिंधु’ हा ग्रंथ रचला आहे. This 'Dharmasindhu' grantha was written by Pt. Kashinathashastree Upadhyay, in the year 1790-91.
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कालीतंत्र - पूजन यंत्र
तंत्रशास्त्रातील अतिउच्च तंत्र म्हणून काली तंत्राला अतिशय महत्व आहे.
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तृतीय परिच्छेद - उदकुंभ
निर्णयसिंधु ग्रंथामध्ये कोणत्या कर्माचा कोणता काल , याचा मुख्यत्वेकरून निर्णय केलेला आहे .
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धर्मसिंधु - गृहलिङ्गपूजन
हिंदूंचे ऐहिक, धार्मिक, नैतिक अशा विषयात नियंत्रण करावे आणि त्यांना इह-परलोकी सुखाची प्राप्ती व्हावी ह्याच अत्यंत उदात्त हेतूने प्रेरित होउन श्री. काशीनाथशास्त्री उपाध्याय यांनी ’धर्मसिंधु’ हा ग्रंथ रचला आहे.
This 'Dharmasindhu' grantha was written by Pt. Kashinathashastree Upadhyay, in the year 1790-91.
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कार्तिक माहात्म्य - अध्याय २
कार्तिक माहात्म्य वाचल्याने गतजन्मातील पापे नष्ट होतात.
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धर्मसिंधु - कार्तिकस्नान
हिंदूंचे ऐहिक, धार्मिक, नैतिक अशा विषयात नियंत्रण करावे आणि त्यांना इह-परलोकी सुखाची प्राप्ती व्हावी ह्याच अत्यंत उदात्त हेतूने प्रेरित होउन श्री. काशीनाथशास्त्री उपाध्याय यांनी ’धर्मसिंधु’ हा ग्रंथ रचला आहे. This 'Dharmasindhu' grantha was written by Pt. Kashinathashastree Upadhyay, in the year 1790-91.
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संकेत कोश - संख्या ६
हिंदू धर्मात असे अनेक संकेत आहेत ,जे आपल्या जीवनात मोलाचे कार्य बजावतात .
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अधिकमास माहात्म्य - अध्याय तिसावा
अधिकमास माहात्म्य - अध्याय तिसावा
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गुरुचरित्र - अध्याय बत्तिसावा
श्रीगुरुचरित्र हा ग्रंथ महाराष्ट्रात वेदांइतकाच मान्यता पावलेला आहे.
Shri GuruCharitra is the most influential book written in Marathi.
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