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privily
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covertly
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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hugger-mugger
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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clandestinely
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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अन्तर्द्वारम्
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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concealment
Meanings: 6; in Dictionaries: 5
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closely
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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secretly
Meanings: 7; in Dictionaries: 6
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privately
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clandestine
Meanings: 8; in Dictionaries: 5
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उत्तरखण्डः - अध्यायः १५७
भगवान् नारायणाच्या नाभि-कमलातून, सृष्टि-रचयिता ब्रह्मदेवाने उत्पन्न झाल्यावर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञानाचा विस्तार केला, म्हणून ह्या पुराणास पद्म पुराण म्हणतात.
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आरती शंभूमहादेवाची - जयदेव जयदेव जय श्रीमांगीश...
आरती म्हणजे हिंदू उपासनेचा एक विधी.
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अगुप्त
Meanings: 10; in Dictionaries: 5
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धर्मपदम् - चित्तवर्गस्तृतीयः
धर्मपदम्
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conceal
Meanings: 7; in Dictionaries: 4
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मत्स्यपुराणम् - अध्यायः १२९
मत्स्य पुराणात सात कल्पांचे वर्णन असून हे पुराण नृसिंह वर्णनापासून सुरू होते.
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कीलक स्तोत्र - अथ कीलकम् ॐ अस्य श्रीकीलक...
देवी देवतांची स्तुती करताना म्हणावयाच्या रचना म्हणजेच स्तोत्रे. स्तोत्रे स्तुतीपर असल्याने, त्यांना कोणतेही वैदिक नियम नाहीत. स्तोत्रांचे पठण केल्याने इच्छित फल प्राप्त होते. In Hinduism, a Stotra is a hymn of praise, that praise aspects of Devi and Devtas. Stotras are invariably uttered aloud and consist of chanting verses conveying the glory and attributes of God.
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प्राणिवर्गः - श्लोक १८१ ते २२८
अमरकोश में संज्ञा और उसके लिंगभेद का अनुशासन या शिक्षा है। अन्य संस्कृत कोशों की भांति अमरकोश भी छंदोबद्ध रचना है।
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धर्मपदम् - निरयवर्गो द्वाविंशः
धर्मपदम्
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चाणक्यनीतिदर्पणाः - चतुर्थोऽध्यायः
आर्य चाणक्यने आपल्या नीतिशास्त्र या ग्रंथात आदर्श जीवन मूल्ये सविस्तर सांगितली आहेत.
Nitishastra is a treatise on the ideal way of life, and shows Chanakya's in depth study of the Indian way of life.
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मुमुक्षुवैराग्यप्रकरणम् - सर्ग नववा
‘ योगवासिष्ठ ’ एक प्राचीन ग्रंथ. Yoga Vasistha is famous as one of the historically popular and influential texts of Hinduism.
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अर्थशास्त्रम् अध्याय ०१ - भाग २०
कौटिल्य अर्थात् चाणक्य द्वारा रचित अर्थशास्त्र हा प्राचीन ग्रंथ आहे.
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confide
Meanings: 16; in Dictionaries: 3
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वैराग्यप्रकरणम् - सर्गः ९
योगवासिष्ठः
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उत्तरखण्डः - अध्यायः १५६
भगवान् नारायणाच्या नाभि-कमलातून, सृष्टि-रचयिता ब्रह्मदेवाने उत्पन्न झाल्यावर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञानाचा विस्तार केला, म्हणून ह्या पुराणास पद्म पुराण म्हणतात.
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अश्वमेधखण्डः - अध्यायः ४७
गर्ग संहिता ही गर्ग मुनिंची रचना आहे. ह्या संहितेत श्रीकृष्ण आणि राधाच्या माधुर्य-भाव असलेल्या लीलांचे वर्णन आहे.
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आचारकाण्डः - अध्यायः ४२
विष्णू पुराणाचा एक भाग असलेल्या गरूड पुराणात मृत्यूनंतरच्या स्थितीबद्दलची चर्चा आहे, शिवाय श्रद्धाळू हिंदू धर्मीयांमध्ये मृत्यूनंतर जी विविध क्रिया कर्मे केली जातात, त्याला गरूडपुराणाची पार्श्वभूमी आहे.
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कामाख्या स्तुतिः - श्रीगुरोर्लक्षणम्
कामरूप कामाख्या में जो देवी का सिद्ध पीठ है वह इसी सृष्टीकर्ती त्रिपुरसुंदरी का है ।
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उत्तरखण्डः - अध्यायः १५४
भगवान् नारायणाच्या नाभि-कमलातून, सृष्टि-रचयिता ब्रह्मदेवाने उत्पन्न झाल्यावर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञानाचा विस्तार केला, म्हणून ह्या पुराणास पद्म पुराण म्हणतात.
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द्वापरयुगसन्तानः - अध्यायः १२१
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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अष्टमः स्कन्धः - अथ षष्ठोऽध्यायः
’ श्रीमद्भागवतमहापुराणम्’ ग्रंथात ज्ञान, वैराग्य व भक्ति यांनी युक्त निवृत्तीमार्ग प्रतिपादन केलेला आहे, अशा या श्रीमद्भागवताचे भक्तिने श्रवण, पठन आणि निदिध्यासन करणारा मनुष्य खात्रीने वैकुंठलोकाला प्राप्त होतो.
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उत्तर पर्व - अध्याय १२२
भविष्यपुराणांत धर्म, सदाचार, नीति, उपदेश, अनेक आख्यान, व्रत, तीर्थ, दान, ज्योतिष अणि आयुर्वेद शास्त्र वगैरे विषयांचा अद्भुत संग्रह आहे.
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प्रथमांशुः - विवाहहोमः
‘कृत्य दिवाकरः’ या ग्रंथाद्वारे शास्त्रोक्त पूजा पाठ कसे करावेत याचे ज्ञान मिळते.
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उत्तर पर्व - अध्याय १६८
भविष्यपुराणांत धर्म, सदाचार, नीति, उपदेश, अनेक आख्यान, व्रत, तीर्थ, दान, ज्योतिष अणि आयुर्वेद शास्त्र वगैरे विषयांचा अद्भुत संग्रह आहे.
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private
Meanings: 23; in Dictionaries: 8
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secret
Meanings: 30; in Dictionaries: 9
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reserve
Meanings: 45; in Dictionaries: 12
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः ५७८
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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close
Meanings: 51; in Dictionaries: 7
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उत्तर पर्व - अध्याय १४६
भविष्यपुराणांत धर्म, सदाचार, नीति, उपदेश, अनेक आख्यान, व्रत, तीर्थ, दान, ज्योतिष अणि आयुर्वेद शास्त्र वगैरे विषयांचा अद्भुत संग्रह आहे.
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अध्याय ३४३ - शब्दालङ्काराः
अग्निपुराणात त्रिदेव – ब्रह्मा, विष्णु, महेश आणि सूर्य ह्या देवतांसंबंधी पूजा-उपासनाचे वर्णन केलेले आहे.
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पातालखण्डः - अध्यायः ८६
भगवान् नारायणाच्या नाभि-कमलातून, सृष्टि-रचयिता ब्रह्मदेवाने उत्पन्न झाल्यावर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञानाचा विस्तार केला, म्हणून ह्या पुराणास पद्म पुराण म्हणतात.
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मथुराखण्डः - अध्यायः १५
गर्ग संहिता ही गर्ग मुनिंची रचना आहे. ह्या संहितेत श्रीकृष्ण आणि राधाच्या माधुर्य-भाव असलेल्या लीलांचे वर्णन आहे.
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उत्तरखण्डः - अध्यायः ३३
भगवान् नारायणाच्या नाभि-कमलातून, सृष्टि-रचयिता ब्रह्मदेवाने उत्पन्न झाल्यावर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञानाचा विस्तार केला, म्हणून ह्या पुराणास पद्म पुराण म्हणतात.
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प्रभावतीप्राप्तिकथा
क्षेमेन्द्र संस्कृत भाषेतील प्रतिभासंपन्न ब्राह्मणकुलोत्पन्न काश्मीरी महाकवि होते.
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विष्णुसंहिता - सप्तमः पटलः
विष्णुसंहितामध्ये प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, तर्क, समाधि आणि ध्यान हे क्रमवार आहेत.
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पार्वतीखण्डः - अध्यायः ४७
शिव पुराणात भगवान शिवांच्या विविध रूपांचे, अवतारांचे, ज्योतिर्लिंगांचे, शिव भक्तांचे आणि भक्तिचे विस्तृत वर्णन केलेले आहे.
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वृन्दावनखण्डः - अध्यायः १५
गर्ग संहिता ही गर्ग मुनिंची रचना आहे. ह्या संहितेत श्रीकृष्ण आणि राधाच्या माधुर्य-भाव असलेल्या लीलांचे वर्णन आहे.
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः ४३
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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बालकाण्डम् - काव्य ५१ ते १००
महाराष्ट्रकविवर्य श्रीमयूरविरचिते ग्रन्थ ‘ संस्कृतकाव्यानि ’
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