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अजामिलमोक्षप्रबन्धः
संस्कृत भाषेतील काव्य, महाकाव्य म्हणजे साहित्य विश्वातील मैलाचा दगड होय, काय आनंद मिळतो त्याचा रसास्वाद घेताना, स्वर्गसुखच. अजामिलमोक्षप्रबन्धः काव्याचे कवी आहेत,श्रीनारायणभट्ट.
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नारायणीय - भाग ८
"नारायणीय" काव्याचे कवी नारायण भट्ट संस्कृत भाषेतील एक प्रकांड पंडित, प्रतिभाशाली कवी होते.
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नारायणीय - भाग १
"नारायणीय" काव्याचे कवी नारायण भट्ट संस्कृत भाषेतील एक प्रकांड पंडित, प्रतिभाशाली कवी होते.
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नारायणीय - भाग ७
"नारायणीय" काव्याचे कवी नारायण भट्ट संस्कृत भाषेतील एक प्रकांड पंडित, प्रतिभाशाली कवी होते.
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नारायणीय - भाग ३
"नारायणीय" काव्याचे कवी नारायण भट्ट संस्कृत भाषेतील एक प्रकांड पंडित, प्रतिभाशाली कवी होते.
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नारायणीय - भाग ४
"नारायणीय" काव्याचे कवी नारायण भट्ट संस्कृत भाषेतील एक प्रकांड पंडित, प्रतिभाशाली कवी होते.
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नारायणीय - भाग ६
"नारायणीय" काव्याचे कवी नारायण भट्ट संस्कृत भाषेतील एक प्रकांड पंडित, प्रतिभाशाली कवी होते.
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नारायणीय
"नारायणीय" काव्याचे कवी नारायण भट्ट संस्कृत भाषेतील एक प्रकांड पंडित, प्रतिभाशाली कवी होते.
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नारायणीय - भाग ५
"नारायणीय" काव्याचे कवी नारायण भट्ट संस्कृत भाषेतील एक प्रकांड पंडित, प्रतिभाशाली कवी होते.
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नारायणीय - भाग २
"नारायणीय" काव्याचे कवी नारायण भट्ट संस्कृत भाषेतील एक प्रकांड पंडित, प्रतिभाशाली कवी होते.
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वृत्तरत्नाकर - द्वितीयोऽध्यायः
वृत्तरत्नाकर, केदारभट्ट यांनी १४व्या शतकात लिहीलेले प्रसिद्ध साहित्य आहे. Vritta Ratnakara of Kedara Bhatta (14th Century CE) is one of the most popular texts on Sanskrit prosody.
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वृत्तरत्नाकर
वृत्तरत्नाकर, केदारभट्ट यांनी १४व्या शतकात लिहीलेले प्रसिद्ध साहित्य आहे. Vritta Ratnakara of Kedara Bhatta (14th Century CE) is one of the most popular texts on Sanskrit prosody.
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वृत्तरत्नाकर - चतुर्थोऽध्यायः
वृत्तरत्नाकर, केदारभट्ट यांनी १४व्या शतकात लिहीलेले प्रसिद्ध साहित्य आहे. Vritta Ratnakara of Kedara Bhatta (14th Century CE) is one of the most popular texts on Sanskrit prosody.
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वृत्तरत्नाकर - प्रथमोऽध्यायः
वृत्तरत्नाकर, केदारभट्ट यांनी १४व्या शतकात लिहीलेले प्रसिद्ध साहित्य आहे. Vritta Ratnakara of Kedara Bhatta (14th Century CE) is one of the most popular texts on Sanskrit prosody.
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वृत्तरत्नाकर - षष्ठोऽध्यायः
वृत्तरत्नाकर, केदारभट्ट यांनी १४व्या शतकात लिहीलेले प्रसिद्ध साहित्य आहे. Vritta Ratnakara of Kedara Bhatta (14th Century CE) is one of the most popular texts on Sanskrit prosody.
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वृत्तरत्नाकर - पञ्चमोऽध्यायः
वृत्तरत्नाकर, केदारभट्ट यांनी १४व्या शतकात लिहीलेले प्रसिद्ध साहित्य आहे. Vritta Ratnakara of Kedara Bhatta (14th Century CE) is one of the most popular texts on Sanskrit prosody.
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वृत्तरत्नाकर - तृतीयोऽध्यायः
वृत्तरत्नाकर, केदारभट्ट यांनी १४व्या शतकात लिहीलेले प्रसिद्ध साहित्य आहे. Vritta Ratnakara of Kedara Bhatta (14th Century CE) is one of the most popular texts on Sanskrit prosody.
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शिवाजी महाराज पोवाडा - छत्रपती शिवाजी महाराज
इतिहासाचे साधन म्हणून पोवाड्यांचे महत्व विशेष आहे. पोवाडे हे गीत-नाट्यरूप असल्यामुळे त्यात मनोरंजन व प्रचार यांचा मेळ घातला जातो.
Mahadev Narayan Nanivadekar was born in Kisrul, Kolhapur district, Maharashtra. He completed his Matriculation in 1921 and went on to join the Pune Engineering College. Influenced by thoughts of national leaders of the time he left the college. To enhance his inborn inclination toward mimicry and his skill in the use of the ‘Dandpatta’ (a double edged sword) he started performing shows. He became famous as a mimic and a `Dantpatta Bahaddar' as far as London. He was also expert in diving. On advice of well wishers he concentrated his talents in powade singing. He learned old forms from numerous folk artists. His Gurus were the famous Shahir Lahiri Haidar, Daji Mang and others. He utilized finer points of Tamasha and was instrumental in giving a place of pride to it and Lavani in Marathi Sahitya Sammelanas and the radio. He has a large number of gramophone discs to his credit and has published numerous powade. His illustrious nephew Shahir Vasantrai Nanivadekar continues the tradition. via : Powade.com
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भजन - नमो नमो जय श्रीगोबिंद ...
हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।
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भजन - जयति श्रीराधिके सकलसुखस...
हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।
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भजन - है हरितें हरिनाम बड़ेरो...
हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।
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भजन - जय महाराज ब्रजराज -कुल ...
हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।
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भजन - झूलत नागरि नागर लाल ।...
हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।
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भजन - दिन दूलह मेरो कुँवर क...
हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।
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भजन - सखी , हौं स्याम रंग रँ...
हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।
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भजन - श्रीगोबिन्द पद -पल्लव स...
हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।
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भजन - हरि हरि हरि हरि रट र...
हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।
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भजन - कबै हरि , कृपा करिहौ स...
हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।
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भजन - आजु ब्रजराजको कुँवर बन...
हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।
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भजन - सुंदर स्याम सुजानसिरोमन...
हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।
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गदाधर भट्ट
हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।
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नारायणाष्टकम् - वात्सल्यादभयप्रदानसमयादार...
देवी देवतांची अष्टके, आजारपण किंवा कांही घरगुती त्रास होत असल्यास घरीच देवासमोर म्हणण्याची ईश्वराची स्तुती होय. Traditionally,the ashtakam is recited in homes, when some one has health or any domestic problems.
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नारायण महाराज रचित - करुणासागर
नारायण महाराजांचा ( जालवणकर ) जन्म शके १७२९ ( इ.स. १८०७ ) प्रभव संवत्सर, आषाढ वद्य ५, गुरूवार रोजी झाला.
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करुणासागर - पूर्वार्ध
नारायण महाराजांचा ( जालवणकर ) जन्म शके १७२९ ( इ.स. १८०७ ) प्रभव संवत्सर, आषाढ वद्य ५, गुरूवार रोजी झाला.
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करुणासागर - पदे ७०१ ते ७५०
नारायण महाराजांचा ( जालवणकर ) जन्म शके १७२९ ( इ.स. १८०७ ) प्रभव संवत्सर, आषाढ वद्य ५, गुरूवार रोजी झाला.
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नारायण स्वामी
हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।
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भजन - या साँवरेसों मैं प्रीति ल...
हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।
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करुणासागर - पदे १०१ ते १५०
नारायण महाराजांचा ( जालवणकर ) जन्म शके १७२९ ( इ.स. १८०७ ) प्रभव संवत्सर, आषाढ वद्य ५, गुरूवार रोजी झाला.
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भजन - करु मन, नंदनँदनको ध्यान ।...
हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।
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करुणासागर - पदे ५५१ ते ६००
नारायण महाराजांचा ( जालवणकर ) जन्म शके १७२९ ( इ.स. १८०७ ) प्रभव संवत्सर, आषाढ वद्य ५, गुरूवार रोजी झाला.
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भजन - मोपै कैसी यह मोहिनी डारी ...
हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।
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करुणासागर - पदे १७०१ ते १७५०
नारायण महाराजांचा ( जालवणकर ) जन्म शके १७२९ ( इ.स. १८०७ ) प्रभव संवत्सर, आषाढ वद्य ५, गुरूवार रोजी झाला.
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भजन - जाहि लगन लगी घनस्यामकी ।...
हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।
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नारायणसूक्तम् - तैत्तिरीयारण्यकम् प्रपाठक...
सूक्त चे चार भेद आहेत- देवता, ऋषि, छन्द आणि अर्थ.
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करुणासागर - पदे १३५१ ते १४००
नारायण महाराजांचा ( जालवणकर ) जन्म शके १७२९ ( इ.स. १८०७ ) प्रभव संवत्सर, आषाढ वद्य ५, गुरूवार रोजी झाला.
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करुणासागर - पदे ६५१ ते ७००
नारायण महाराजांचा ( जालवणकर ) जन्म शके १७२९ ( इ.स. १८०७ ) प्रभव संवत्सर, आषाढ वद्य ५, गुरूवार रोजी झाला.
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भजन - सखि , मेरे मनकी को जानै ।...
हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।
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करुणासागर - पदे १४०१ ते १४५०
नारायण महाराजांचा ( जालवणकर ) जन्म शके १७२९ ( इ.स. १८०७ ) प्रभव संवत्सर, आषाढ वद्य ५, गुरूवार रोजी झाला.
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करुणासागर - पदे १२५१ ते १३००
नारायण महाराजांचा ( जालवणकर ) जन्म शके १७२९ ( इ.स. १८०७ ) प्रभव संवत्सर, आषाढ वद्य ५, गुरूवार रोजी झाला.
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नारायण कवच - ॥राजोवाच॥ यया गुप्तः सहस्...
रोज कवच स्तोत्राची पठण केल्याने जीवन सुरक्षित बनते.
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