भजन - है हरितें हरिनाम बड़ेरो...

हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्‌को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।


है हरितें हरिनाम बड़ेरो ताकों मूढ़ करत कत झेरो ॥१॥

प्रगट दरस मुचुकुंदहिं दीन्हों, ताहू आयुसु भो तप केरो ॥२॥

सुतहित नाम अजामिल लीनों, या भवमें न कियो फिर फेरो ॥३॥

पर-अपवाद स्वाद जिय राच्यो, बृथा करत बकवाद घनेरो ॥४॥

कौन दसा ह्वै है जु गदाधर, हरि हरि कहत जात कहा तेरो ॥५॥

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Last Updated : December 21, 2007

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