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ऐ श्याम ! तेरी बँसरी ...

वियोग - ऐ श्याम ! तेरी बँसरी ...

भगवद्वियोगकी पीडाका चित्रण ’वियोग’ शीर्षकके अंतर्गत पदोंमें है ।


ऐ श्याम ! तेरी बँसरी ने क्या सितम किया ?

तनकी रहा न होश मेरे मनको हर लिया ॥१॥

वंशीकी मधुर टेर सुनी प्रेम-रस-भरी ।

ब्रज नार लोक-लाज काम-काज तज दिया ॥२॥

नभमें चढ़े विमान खड़े देवगण सुने ।

मुनियोंका छूटा ध्यान प्रेम-भक्ति-रस पिया ॥३॥

पशुओंने तजी घास पंछी मौन हो रहे ।

जमु नाका रुका नीर पवन धीर हो गया ॥४॥

ऐसी बजाई बँसरी सब लोक वश किया ।

‘ब्रह्मानन्द’ दरस दीजिये, मोहे रास के रसिया ॥५॥

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Last Updated : January 30, 2018

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