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दरस म्हारे बेगि दीज्यो...

वियोग - दरस म्हारे बेगि दीज्यो...

भगवद्वियोगकी पीडाका चित्रण ’वियोग’शीर्षकके अंतर्गत पदोंमें है ।


दरस म्हारे बेगि दीज्यो जी !

ओ जी ! अन्तरजामी ओ राम ! खबर म्हारी बेगि लीज्यो जी

आप बिना मोहे कल ना पड़त है जी !

ओ जी ! तड़पत हूँ दिन रैन नैन में नीर ढले छै जी

गुण तो प्रभूजी मों में एक नहीं छै जी !

ओ जी ! अवगुण भरे हैं अनेक, औगुण म्हाँरा माफ करीज्यो जी

भगत बछल प्रभु बिड़द कहायो जी !

ओ जी ! भगतनके प्रतिपाल, सहाय आज म्हाँरी बेगि करज्यो जी

दासी मीरा की विनती छै जी !

ओ जी ! आदि अन्त की ओ लाज, आज म्हारी राख लीज्यो जी !

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Last Updated : January 30, 2018

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